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15 आध्यात्मिक मनुष्य सब बातों का न्याय कर सकता है किन्तु उसका न्याय कोई नहीं कर सकता। क्योंकि शास्त्र कहता है:

16 “प्रभु के मन को किसने जाना?
    उसको कौन सिखाए?”(A)

किन्तु हमारे पास यीशु का मन है।

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