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इसलिए श्रेय योग्य वह नहीं है, जिसने उसे रोपा या जिसने उसे सींचा परन्तु सिर्फ परमेश्वर, जिन्होंने उसको बड़ा किया है. वह, जो रोपता है तथा वह, जो सींचता है एक ही उद्धेश्य के लिए काम करते हैं किन्तु दोनों ही को अपनी-अपनी मेहनत के अनुसार प्रतिफल प्राप्त होगा. हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं, तुम परमेश्वर की भूमि हो. तुम परमेश्वर का भवन हो.

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