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भण्ड़ारी को विश्वासयोग्य होना ज़रूरी है. यह मेरी दृष्टि में महत्वहीन है कि मेरी परख तुम्हारे द्वारा की जाए या किसी न्यायालय द्वारा. बल्कि मैं स्वयं अपनी परख नहीं करता. मेरी अन्तरात्मा मुझ में कोई दोष नहीं पाती फिर भी इससे मैं निर्दोष साबित नहीं हो जाता. प्रभु ही हैं, जो मेरी परख करते हैं.

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