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अधिक उम्र की स्त्रियों को माता तथा कम उम्र की स्त्रियों को निर्मल भाव से बहन मानो.

विधवाओं सम्बन्धी निर्देश

असमर्थ विधवाओं का सम्मान करो. परन्तु यदि किसी विधवा के पुत्र-पौत्र हों तो वे सबसे पहिले अपने ही परिवार के प्रति अपने कर्तव्य-पालन द्वारा परमेश्वर के भक्त होना सीखें तथा अपने माता-पिता के उपकारों का फल दें क्योंकि परमेश्वर को यही भाता है.

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