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दासों को निर्देश

वे सभी दास, जो दासत्व के जुए में जुते हुए हैं, अपने-अपने स्वामियों को सब प्रकार से आदर योग्य समझें जिससे कि हमारे परमेश्वर की प्रतिष्ठा तथा हमारी शिक्षा प्रशंसनीय बनी रहे. जिन के स्वामी विश्वासी हैं, वे अपने स्वामियों का अपमान न करें कि अब तो वे उनके समान साथी विश्वासी हैं. वे अब उनकी सेवा और भी अधिक मन लगाकर करें क्योंकि वे, जो सेवा से लाभ उठा रहे हैं, साथी विश्वासी तथा प्रिय हैं. उन्हें इन्हीं सिद्धान्तों की शिक्षा दो तथा इनके पालन की विनती करो.

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