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और ऐसे दासों को भी जिनके स्वामी विश्वासी हैं, बस इसलिए कि वे उनके धर्म भाई हैं, उनके प्रति कम सम्मान नहीं दिखाना चाहिए, बल्कि उन्हें तो अपने स्वामियों की और अधिक सेवा करनी चाहिए क्योंकि जिन्हें इसका लाभ मिल रहा है, वे विश्वासी हैं, जिन्हें वे प्रेम करते हैं।

इन बातों को सिखाते रहो तथा इनका प्रचार करते रहो।

मिथ्या उपदेश और सच्चा धन

यदि कोई इनसे भिन्न बातें सिखाता है तथा हमारे प्रभु यीशु मसीह के उन सद्वचनों को नहीं मानता है तथा भक्ति से परिपूर्ण शिक्षा से सहमत नहीं है तो वह अहंकार में फूला है तथा कुछ भी नहीं जानता है। वह तो कुतर्क करने और शब्दों को लेकर झगड़ने के रोग से घिरा है। इन बातों से तो ईर्ष्या, बैर, निन्दा-भाव तथा गाली-गलौज

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