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10 अत: एलिय्याह सारपत पहुँचा। वह नगर द्वार पर पहुँचा और उसने एक स्त्री को देखा। उसका पति मर चुका था। वह स्त्री ईंधन के लिये लकड़ियाँ इकट्ठी कर रही थी। एलिय्याह ने उससे कहा, “क्या तुम एक प्याले में थोड़ा पानी दोगी जिसे मैं पी सकूँ” 11 वह स्त्री उसके लिये पानी लाने जा रही थी, तो एलिय्याह ने कहा, “कृपया मेरे लिये एक रोटी का छोटा टुकड़ा भी लाओ।”

12 उस स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर की शपथ खाकर कहती हूँ कि मेरे पास रोटी नहीं है। मेरे पास बर्तन में मुट्ठी भर आटा और पीपे में थोड़ा सा जैतून का तेल है। इस स्थान पर मैं ईंधन के लिये दो चार लकड़ियाँ इकट्ठी करने आई थी। मैं इसे लेकर घर लौटूँगी और अपना आखिरी भोजन पकाऊँगी। मैं और मेरा पुत्र दोनों इसे खायेंगे और तब भूख से मर जाएंगे।”

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