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36 इसलिये कृपया स्वर्ग में उनकी प्रार्थना को सुन। तब हम लोगों को हमारे पापों के लिये क्षमा कर। लोगों को सच्चा जीवन बिताने की शिक्षा दे। हे यहोवा तब कृपया तू उस भूमि पर वर्षा कर जिसे तूने उन्हें दिया है।

37 “भूमि बहुत अधिक सूख सकती है और उस पर कोई अन्न उग नहीं सकेगा या संभव है लोगों में महामारी फैले। संभव है सारा पैदा हुआ अन्न कीड़े मकोड़ों द्वारा नष्ट कर दिया जाये या तेरे लोग अपने शत्रुओं के आक्रमण के शिकार बनें या तेरे अनेक लोग बीमार पड़ जायें। 38 जब इनमें से कुछ भी घटित हो, और एक भी व्यक्ति अपने पापों के लिये पश्चाताप करे, और अपने हाथों को इस मन्दिर की ओर प्रार्थना में फैलाये तो

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