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गोलियत के भाले का फल जुलाहे की छड़ की तरह था। भाले की फल की तोल पन्द्रह पौंड थी। गोलियत का सहायक गोलियत की ढाल को लिये हुए उसके आगे आगे चल रहा था।

गोलियत बाहर निकला और उसने इस्राएली सैनिकों को जोर से पुकार कर कहा, “तुम्हारे सभी सैनिक युद्ध के लिये मोर्चा क्यों लगाये हुए हैं? तुम शाऊल के सेवक हो। मैं एक पलिश्ती हूँ। इसलिये किसी एक व्यक्ति को चुनो और उसे मुझसे लड़ने को भेजो। यदि वह व्यक्ति मुझे मार डालता है तो हम पलिश्ती तुम्हारे दास हो जाएंगे। किन्तु यदि मैं उसे जीत लूँ और तुम्हारे व्यक्ति को मार डालूँ तो तुम हमारे दास हो जाना। तब तुम हमारी सेवा करोगे!”

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