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कुरिन्थियों के प्रति पौलुस का प्रेम

11 मैं मूर्खों की तरह बतियाता रहा हूँ किन्तु ऐसा करने को मुझे विवश तुमने किया। तुम्हें तो मेरी प्रशंसा करनी चाहिए थी यद्यपि वैसे तो मैं कुछ नहीं हूँ पर तुम्हारे उन “महा प्रेरितों” से मैं किसी प्रकार भी छोटा नहीं हूँ। 12 किसी को प्रेरित सिद्ध करने वाले आश्चर्यपूर्ण संकेत, अद्भुत कर्म और आश्चर्य कर्म भी तुम्हारे बीच धीरज के साथ प्रकट किये गये हैं। मैंने हर प्रकार की यातना झेली है। चाहे संकेत हो, चाहे कोई चमत्कार या आश्चर्य कर्म 13 तुम दूसरी कलीसियाओं से किस दृष्टि से कम हो? सिवाय इसके कि मैं तुम पर किसी प्रकार भी कभी भार नहीं बना हूँ? मुझे इस के लिए क्षमा करो।

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