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हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुम कोई बुराई न करो। इसलिए वही करो जो उचित है। चाहे हम इस परीक्षा में विफल हुए ही क्यों न दिखाई दें। वास्तव में हम सत्य के विरुद्ध कुछ कर ही नहीं सकते। हम तो जो करते हैं, सत्य के लिये ही करते हैं।

हमारी निर्बलता और तुम्हारी सबलता हमें प्रसन्न करती है और हम इसी के लिये प्रार्थना करते रहते हैं कि तुम दृढ़ से दृढ़तर बनों।

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