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10 इस कारण दूर होते हुए भी मैं तुम्हें यह सब लिख रहा हूँ कि वहाँ उपस्थिति होने पर मुझे प्रभु द्वारा दिए गए अधिकार का प्रयोग कठोर भाव में न करना पढ़े. इस अधिकार का उद्धेश्य है उन्नत करना, न कि नाश करना.

आशीर्वचन

11 अन्त में, प्रियजन, आनन्दित रहो, अपना स्वभाव साफ़ रखो, एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, एकमत रहो, शान्ति बनाए रखो और प्रेम और शान्ति के परमेश्वर तुम्हारे साथ होंगे.

12 पवित्र चुम्बन से एक दूसरे का नमस्कार करो.

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