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12 यही कारण है कि मैं ये यातनाएँ भी सह रहा हूँ किन्तु यह मेरे लिए लज्जास्पद नहीं है क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैंने किन में विश्वास किया है तथा मुझे यह पूरा निश्चय है कि वह उस दिन तक मेरी धरोहर की रक्षा करने में पूरी तरह सामर्थी हैं.

13 जो सच्ची शिक्षा तुमने मुझसे प्राप्त की है, उसे उस विश्वास और प्रेम में, जो मसीह येशु में बसा है, अपना आदर्श बनाए रखो. 14 पवित्रात्मा के द्वारा, जिनका हमारे भीतर वास है, उस अनुपम धरोहर की रक्षा करो.

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