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10 यदि कोई तुम्हारे पास आकर इस उपदेश को नहीं देता है तो अपने घर उसका आदर सत्कार मत करो तथा उसके स्वागत में नमस्कार भी मत करो। 11 क्योंकि जो ऐसे व्यक्ति का सत्कार करता है, वह उसके बुरे कामों में भागीदार बनता है।

12 यद्यपि तुम्हें लिखने को मेरे पास बहुत सी बातें हैं किन्तु उन्हें मैं लेखनी और स्याही से नहीं लिखना चाहता। बल्कि मुझे आशा है कि तुम्हारे पास आकर आमने-सामने बैठ कर बातें करूँगा। जिससे हमारा आनन्द परिपूर्ण हो।

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