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32 यह तुम तब तक कर सकते हो जब तक मैं न आऊँ और तुम्हारे देश जैसे देश में तुम्हें ले न जाऊँ। यह अन्न और नयी दाखमधु, यह रोटी और अंगूर भरे खेत और जैतून एवं मधु का देश है। तब तुम जीवित रहोगे, मरोगे नहीं।

“किन्तु हिजकिय्याह की एक न सुनो! वह तुम्हारे इरादों को बदलना चाहता है। वह कह रहा है, ‘यहोवा हमें बचा लेगा।’ 33 क्या अन्य राष्ट्रों के देवताओं ने अश्शूर के सम्राट्र से अपने देश को बचाया नहीं। 34 हमात और अर्पाद के देवता कहाँ हैं? सपवैम, हेना और इव्वा के देवता कहाँ हैं, क्या वे मुझसे शोमरोन को बचा सके? नहीं!

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