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कुष्ठ रोगी अरामी डेरे में

जब ये कुष्ठ रोगी उस स्थान पर आए जहाँ से अरामी डेरा आरम्भ होता था, वे एक डेरे में गए। उन्होंने खाया और मदिरा पान किया। तब चारों कुष्ठ रोगी उस डेरे से चाँदी, सोना और वस्त्र ले गए। उन्होंने चाँदी, सोना और वस्त्रों को छिपा दिया। तब वे लौटे और दूसरे डेरे में गए। उस डेरे से भी वे चीज़ें ले आए। वे बाहर गए और इन चीज़ों को छिपा दिया। तब इन कुष्ठ रोगियों ने आपस में बातें कीं, “हम लोग बुरा कर रहे हैं। आज हम लोगों के पास शुभ सूचना है। किन्तु हम लोग चुप हैं। यदि हम लोग सूरज के निकलने तक प्रतीक्षा करेंगे तो हम लोगों को दण्ड मिलेगा। अब हम चलें और उन लोगों को शुभ सूचना दें जो राजा के महल में रहते हैं।”

कुष्ठ रोगी शुभ सूचना देते हैं

10 अतः ये कुष्ठ रोगी नगर के द्वार पाल के पास गए। कुष्ठ रोगियों ने द्वारापालों से कहा, “हम अरामी डेरे में गए थे। किन्तु हम लोगों ने किसी व्यक्ति को वहाँ नहीं पाया। वहाँ कोई भी नहीं था। घोड़े और गधे तब भी बंधे थे और डेरे वैसे के वैसे लगे थे। किन्तु सभी लोग चले गए थे।”

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