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17 एक रक्षक यिज्रैल में रक्षक स्तम्भ पर खड़ा था। उसने येहू के विशाल दल को आते देखा। उसने कहा, “मैं लोगों के एक विशाल दल को देख रहा हूँ!”

योराम ने कहा, “किसी को उनसे मिलने घोड़े पर भेजो। इस व्यक्ति से यह कहने के लिये कहो, ‘क्या आप शान्ति की इच्छा से आए हैं?’”

18 अतः एक व्यक्ति येहू से मिलने के लिये घोड़े पर सवार होकर गया। घुड़सवार ने कहा, “राजा योराम पूछते हैं, ‘क्या आप शान्ति की इच्छा से आए हैं?’”

येहू ने कहा, “तुम्हें शान्ति से कुछ लेना—देना नहीं। आओ और मेरो पीछे चलो।”

रक्षक ने योराम से कहा, “उस दल के पास सन्देशवाहक गया, किन्तु वह लौटकर अब तक नहीं आया।”

19 तब योराम ने एक दूसरे व्यक्ति को घोड़े पर भेजा। वह व्यक्ति येहू के दल के पास आया और उसने कहा, “राजा योराम कहते हैं, ‘शान्ति।’”

येहू ने उत्तर दिया, “तुम्हें शान्ति से कुछ भी लेना देना नहीं! आओ और मेरे पीछे चलो।”

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