Add parallel Print Page Options

14 गोपेर की लकड़ी[a] का उपयोग करो और अपने लिए एक जहाज बनाओ। जहाज में कमरे बनाओ[b] और उसे राल से भीतर और बाहर पोत दो।

15 “जो जहाज मैं बनवाना चाहता हूँ उसका नाप तीन सौ हाथ[c] लम्बाई, पचास हाथ[d] चौड़ाई, तीस हाथ[e] ऊँचाई है। 16 जहाज के लिए छत से करीब एक हाथ नीचे एक खिड़की बनाओ[f] जहाज की बगल में एक दरवाजा बनाओ। जहाज में तीन मंजिलें बनाओ। ऊपरी मंजिल, बीच की मंजिल और नीचे की मंजिल।”

17 “तुम्हें जो बता रहा हूँ उसे समझो। मैं पृथ्वी पर बड़ा भारी जल का बाढ़ लाऊँगा। आकाश के नीचे सभी जीवों को मैं नष्ट कर दूँगा। पृथ्वी के सभी जीव मर जायेंगे। 18 किन्तु मैं तुमको बचाऊँगा। तब मैं तुम से एक विशेष वाचा करूँगा। तुम, तुम्हारे पुत्र, तुम्हारी पत्नी, तुम्हारे पुत्रों की पत्नियाँ सभी जहाज़ में सवार होगें। 19 साथ ही साथ पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के जोड़े भी तुम्हें लाने होंगे। हर एक के नर और मादा को जहाज़ में लाओ। अपने साथ उनको जीवित रखो। 20 पृथ्वी की हर तरह की चिड़ियों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर तरह के जनावरों के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी पर रेंगने वाले हर एक जीव के जोड़ों को भी खोजो। पृथ्वी के हर प्रकार के जानवरों के नर और मादा तुम्हारे साथ होंगे। जहाज़ पर उन्हें जीवित रखो। 21 पृथ्वी के सभी प्रकार के भोजन भी जहाज़ पर लाओ। यह भोजन तुम्हारे लिए तथा जानवरों के लिए होगा।”

Read full chapter

Footnotes

  1. 6:14 गोपेर की लकड़ी हम नहीं जानते कि यह असल में किस तरह की लकड़ी है। शायद यह एक किस्म का पेड़ हो या तराशी हुई लकड़ी।
  2. 6:14 जहाज में कमरे बनाओ जहाज के लिए तैल—जूट आदि बनाओ, “ये छोटे पौधे हो सकते हैं जो जहाजों के जोड़ों में घुसाए जाते थे और राल से पोते दिए।”
  3. 6:15 तीन सौ हाथ चार सौ पचास फीट।
  4. 6:15 पचास हाथ पैंतालीस फीट।
  5. 6:15 तीस हाथ पैंतालीस फीट।
  6. 6:16 जहाज … बनाओ जहाज के लिए करीब देढ़ फीट ऊँचा एक खुला भाग रखो।

नूह ने उन सभी बातों को माना जो यहोवा ने आज्ञा दी।

Read full chapter