भजन संहिता 11-15
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
संगित निर्देशक के लिये दाऊद का पद।
1 मैं यहोवा पर भरोसा करता हूँ।
फिर तू मुझसे क्यों कहता है कि मैं भाग कर कहीं जाऊँ?
तू कहता है मुझसे कि, “पक्षी की भाँति अपने पहाड़ पर उड़ जा!”
2 दुष्ट जन शिकारी के समान हैं। वे अन्धकार में छिपते हैं।
वे धनुष की डोर को पीछे खींचते हैं।
वे अपने बाणों को साधते हैं और वे अच्छे, नेक लोगों के ह्रदय में सीधे बाण छोड़ते हैं।
3 क्या होगा यदि वे समाज की नींव को उखाड़ फेंके?
फिर तो ये अच्छे लोग कर ही क्या पायेंगे?
4 यहोवा अपने विशाल पवित्र मन्दिर में विराजा है।
यहोवा स्वर्ग में अपने सिंहासन पर बैठता है।
यहोवा सब कुछ देखता है, जो भी घटित होता है।
यहोवा की आँखें लोगों की सज्जनता व दुर्जनता को परखने में लगी रहती हैं।
5 यहोवा भले व बुरे लोगों को परखता है,
और वह उन लोगों से घृणा करता है, जो हिसा से प्रीति रखते हैं।
6 वह गर्म कोयले और जलती हुई गन्धक को वर्षा की भाँति उन बुरे लोगों पर गिरायेगा।
उन बुरे लोगों के भाग में बस झुलसाती पवन आयेगी
7 किन्तु यहोवा, तू उत्तम है। तुझे उत्तम जन भाते हैं।
उत्तम मनुष्य यहोवा के साथ रहेंगे और उसके मुख का दर्शन पायेंगे।
शौमिनिथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, मेरी रक्षा कर!
खरे जन सभी चले गये हैं।
मनुष्यों की धरती में अब कोई भी सच्चा भक्त नहीं बचा है।
2 लोग अपने ही साथियों से झूठ बोलते हैं।
हर कोई अपने पड़ोसियों को झूठ बोलकर चापलूसी किया करता है।
3 यहोवा उन ओंठों को सी दे जो झूठ बोलते हैं।
हे यहोवा, उन जीभों को काट जो अपने ही विषय में डींग हाँकते हैं।
4 ऐसे जन सोचते है, “हमारी झूठें हमें बड़ा व्यक्ति बनायेंगी।
कोई भी व्यक्ति हमारी जीभ के कारण हमें जीत नहीं पायेगा।”
5 किन्तु यहोवा कहता है:
“बुरे मनुष्यों ने दीन दुर्बलों से वस्तुएँ चुरा ली हैं।
उन्होंने असहाय दीन जन से उनकी वस्तुएँ ले लीं।
किन्तु अब मैं उन हारे थके लोगों की रक्षा खड़ा होकर करुँगा।”
6 यहोवा के वचन सत्य हैं और इतने शुद्ध
जैसे आग में पिघलाई हुई श्वेत चाँदी।
वे वचन उस चाँदी की तरह शुद्ध हैं, जिसे पिघला पिघला कर सात बार शुद्ध बनाया गया है।
7 हे यहोवा, असहाय जन की सुधि ले।
उनकी रक्षा अब और सदा सर्वदा कर!
8 ये दुर्जन अकड़े और बने ठने घूमते हैं।
किन्तु वे ऐसे होते हैं जैसे कोई नकली आभूषण धारण करता है
जो देखने में मूल्यवान लगते हैं, किन्तु वास्तव में बहुत ही सस्ते होते हैं।
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, तू कब तक मुझ को भूला रहेगा?
क्या तू मुझे सदा सदा के लिये बिसरा देगा कब तक तू मुझको नहीं स्वीकारेगा?
2 तू मुझे भूल गया यह कब तक मैं सोचूँ?
अपने ह्रदय में कब तक यह दु:ख भोगूँ?
कब तक मेरे शत्रु मुझे जीतते रहेंगे?
3 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मेरी सुधि ले! और तू मेरे प्रश्न का उत्तर दे!
मुझको उत्तर दे नहीं तो मैं मर जाऊँगा!
4 कदाचित् तब मेरे शत्रु यों कहने लगें, “मैंने उसे पीट दिया!”
मेरे शत्रु प्रसन्न होंगे कि मेरा अंत हो गया है।
5 हे यहोवा, मैंने तेरी करुणा पर सहायता पाने के लिये भरोसा रखा।
तूने मुझे बचा लिया और मुझको सुखी किया!
6 मैं यहोवा के लिये प्रसन्नता के गीत गाता हूँ,
क्योंकि उसने मेरे लिये बहुत सी अच्छी बातें की हैं।
संगीत निर्देशक के लिये दाऊद का पद।
1 मूर्ख अपने मनमें कहता है, “परमेश्वर नहीं है।”
मूर्ख जन तो ऐसे कार्य करते हैं जो भ्रष्ट और घृणित होते हैं।
उनमें से कोई भी भले काम नहीं करता है।
2 यहोवा आकाश से नीचे लोगों को देखता है,
कि कोई विवेकी जन उसे मिल जाये।
विवेकी मनुष्य परमेश्वर की ओर सहायता पाने के लिये मुड़ता है।
3 किन्तु परमेश्वर से मुड़ कर सभी दूर हो गये हैं।
आपस में मिल कर सभी लोग पापी हो गये हैं।
कोई भी जन अच्छे कर्म नहीं कर रहा है!
4 मेरे लोगों को दुष्टों ने नष्ट कर दिया है। वे दुर्जन परमेश्वर को नहीं जानते हैं।
दुष्टों के पास खाने के लिये भरपूर भोजन है।
ये जन यहोवा की उपासना नहीं करते।
5 ये दुष्ट मनुष्य निर्धन की सम्मति सुनना नहीं चाहते।
ऐसा क्यों है? क्योंकि दीन जन तो परमेश्वर पर निर्भर है।
6 किन्तु दुष्ट लोगों पर भय छा गया है।
क्यों? क्योंकि परमेश्वर खरे लोगों के साथ है।
7 सिय्योन पर कौन जो इस्राएल को बचाता है? वह तो यहोवा है,
जो इस्राएल की रक्षा करता है!
यहोवा के लोगों को दूर ले जाया गया और उन्हें बलपूर्वक बन्दी बनाया गया।
किन्तु यहोवा अपने भक्तों को वापस छुड़ा लायेगा।
तब याकूब (इस्राएल) अति प्रसन्न होगा।
दाऊद का एक पद।
1 हे यहोवा, तेरे पवित्र तम्बू में कौन रह सकता है?
तेरे पवित्र पर्वत पर कौन रह सकता है?
2 केवल वह व्यक्ति जो खरा जीवन जीता है, और जो उत्तम कर्मों को करता है,
और जो ह्रदय से सत्य बोलता है। वही तेरे पर्वत पर रह सकता है।
3 ऐसा व्यक्ति औरों के विषय में कभी बुरा नहीं बोलता है।
ऐसा व्यक्ति अपने पड़ोसियों का बुरा नहीं करता।
वह अपने घराने की निन्दा नहीं करता है।
4 वह उन लोगों का आदर नहीं करता जो परमेश्वर से घृणा रखते हैं।
और वह उन सभी का सम्मान करता है, जो यहोवा के सेवक हैं।
ऐसा मनुष्य यदि कोई वचन देता है
तो वह उस वचन को पूरा भी करता है, जो उसने दिया था।
5 वह मनुष्य यदि किसी को धन उधार देता है
तो वह उस पर ब्याज नहीं लेता,
और वह मनुष्य किसी निरपराध जन को हानि पहुँचाने के लिये
घूस नहीं लेता।
यदि कोई मनुष्य उस खरे जन सा जीवन जीता है तो वह मनुष्य परमेश्वर के निकट सदा सर्वदा रहेगा।
© 1995, 2010 Bible League International