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तब मेंह एक बड़े भीड़ के अवाज ला सुनेंव, जऊन ह पानी के लहरामन सहीं अऊ बादर के बड़े गरजन सहीं रहय; भीड़ ह चिचियाके ए कहत रहय:

“हलिलूयाह!
काबरकि हमर सर्वसक्तिमान परभू परमेसर ह राज करत हवय।
आवव! हमन आनंद अऊ खुसी मनावन,
    अऊ परमेसर के महिमा करन।
काबरकि मेढ़ा-पीला के बिहाव के बेरा ह आ गे हवय,
    अऊ ओकर दुल्हिन ह अपन-आप ला तियार कर ले हवय।
सुघर, चमकत अऊ साफ मलमल के कपड़ा,
ओला पहिरे बर दिये गे हवय।”

(सुघर मलमल कपड़ा ह पबितर मनखेमन के धरमी काम के चिन्‍हां ए।)

तब स्‍वरगदूत ह मोला कहिस, “एला लिख: ‘धइन अंय ओमन, जऊन मन मेढ़ा-पीला के बिहाव-भोज के नेवता पाथें।’ ” अऊ स्‍वरगदूत ह ए घलो कहिस, “एमन परमेसर के सत बचन अंय।”

10 तब मेंह ओकर अराधना करे बर ओकर गोड़ खाल्‍हे गिरेंव। पर ओह मोला कहिस, “अइसने झन कर। मेंह घलो तोर अऊ तोर ओ भाईमन संग एक संगी सेवक अंव, जऊन मन यीसू के गवाही रखथें। परमेसर के अराधना कर। काबरकि यीसू के गवाही ह अगमबानी के आतमा ए।”

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