Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 69:22-89:13

22 उनकी मेज खानों से भरी है वे इतना विशाल सहभागिता भोज कर रहे हैं।
    मैं आशा करता हूँ कि वे खाना उन्हें नष्ट करें।
23 वे अंधे हो जायें और उनकी कमर झुक कर दोहरी हो जाये।
24 ऐसे लगे कि उन पर
    तेरा भरपूर क्रोध टूट पड़ा है।
25 उनके घरों को तू खाली बना दे।
    वहाँ कोई जीवित न रहे।
26 उनको दण्ड दे, और वे दूर भाग जायें।
    फिर उनके पास, उनकी बातों के विषय में उनके दर्द और घाव हो।
27 उनके बुरे कर्मों का उनको दण्ड दे, जो उन्होंने किये हैं।
    उनको मत दिखला कि तू और कितना भला हो सकता है।
28 जीवन की पुस्तक से उनके नाम मिटा दे।
    सज्जनों के नामों के साथ तू उनके नाम उस पुस्तक में मत लिख।
29 मैं दु:खी हूँ और दर्द में हूँ।
    हे परमेश्वर, मुझको उबार ले। मेरी रक्षा कर!
30 मैं परमेश्वर के नाम का गुण गीतों में गाऊँगा।
    मैं उसका यश धन्यवाद के गीतों से गाऊँगा।
31 परमेश्वर इससे प्रसन्न हो जायेगा।
    ऐसा करना एक बैल की बलि या पूरे पशु की ही बलि चढ़ाने से अधिक उत्तम है।
32 अरे दीन जनों, तुम परमेश्वर की आराधना करने आये हो।
    अरे दीन लोगों! इन बातों को जानकर तुम प्रसन्न हो जाओगे।
33 यहोवा, दीनों और असहायों की सुना करता है।
    यहोवा उन्हें अब भी चाहता है, जो लोग बंधन में पड़े हैं।
34 हे स्वर्ग और हे धरती,
    हे सागर और इसके बीच जो भी समाया है। परमेश्वर की स्तुती करो!
35 यहोवा सिय्योन की रक्षा करेगा!
    यहोवा यहूदा के नगर का फिर निर्माण करेगा।
वे लोग जो इस धरती के स्वामी हैं, फिर वहाँ रहेंगे!
36     उसके सेवकों की संताने उस धरती को पायेगी।
    और ऐसे वे लोग निवास करेंगे जिन्हें उसका नाम प्यारा है।

लोगों को याद दिलाने के लिये संगीत निर्देशक को दाऊद का एक पद।

हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर!
    हे परमेश्वर, जल्दी कर और मुझको सहारा दे!
लोग मुझे मार डालने का जतन कर रहे हैं।
    उन्हें निराश
    और अपमानित कर दे!
ऐसा चाहते हैं कि लोग मेरा बुरा कर डाले।
    उनका पतन ऐसा हो जाये कि वे लज्जित हो।
लोगों ने मुझको हँसी ठट्टों में उड़ाया।
    मैं उनकी पराजय की आस करता हूँ और इस बात की कि उन्हें लज्जा अनुभव हो।
मुझको यह आस है कि ऐसे वे सभी लोग जो तेरी आराधना करते हैं,
    वह अति प्रसन्न हों।
वे सभी लोग तेरी सहायता की आस रहते हैं
    वे तेरी सदा स्तुती करते रहें।

हे परमेश्वर, मैं दीन और असहाय हूँ।
    जल्दी कर! आ, और मुझको सहारा दे!
हे परमेश्वर, तू ही बस ऐसा है जो मुझको बचा सकता है,
    अधिक देर मत कर!

हे यहोवा, मुझको तेरा भरोसा है,
    इसलिए मैं कभी निराश नहीं होऊँगा।
अपनी नेकी से तू मुझको बचायेगा। तू मुझको छुड़ा लेगा।
    मेरी सुन। मेरा उद्धार कर।
तू मेरा गढ़ बन।
    सुरक्षा के लिए ऐसा गढ़ जिसमें मैं दौड़ जाऊँ।
मेरी सुरक्षा के लिए तू आदेश दे, क्योंकि तू ही तो मेरी चट्टान है; मेरा शरणस्थल है।
मेरे परमेश्वर, तू मुझको दुष्ट जनों से बचा ले।
    तू मुझको क्रूरों कुटिल जनों से छुड़ा ले।
मेरे स्वामी, तू मेरी आशा है।
    मैं अपने बचपन से ही तेरे भरोसे हूँ।
जब मैं अपनी माता के गर्भ में था, तभी से तेरे भरोसे था।
    जिस दिन से मैंने जन्म धारण किया, मैं तेरे भरोसे हूँ।
    मैं तेरी प्रर्थना सदा करता हूँ।
मैं दूसरे लोगों के लिए एक उदाहरण रहा हूँ।
    क्योंकि तू मेरा शक्ति स्रोत रहा है।
उन अद्भुत कर्मो को सदा गाता रहा हूँ, जिनको तू करता है।
केवल इस कारण की मैं बूढ़ा हो गया हूँ मुझे निकाल कर मत फेंक।
    मैं कमजोर हो गया हूँ मुझे मत छोड़।
10 सचमुच, मेरे शत्रुओं ने मेरे विरूद्ध कुचक्र रच डाले हैं।
    सचमुच वे सब इकटठे हो गये हैं, और उनकी योजना मुझको मार डालने की है।
11 मेरे शत्रु कहते हैं, “परमेश्वर, ने उसको त्याग दिया है। जा, उसको पकड़ ला!
    कोई भी व्यक्ति उसे सहायता न देगा।”
12 हे परमेश्वर, तू मुझको मत बिसरा!
    हे परमेश्वर, जल्दी कर! मुझको सहारा दे!
13 मेरे शत्रुओं को तू पूरी तरह से पराजित कर दे!
    तू उनका नाश कर दे!
मुझे कष्ट देने का वे यत्न कर रहे हैं।
    वे लज्जा अनुभव करें ओर अपमान भोगें।
14 फिर मैं तो तेरे ही भरोसे, सदा रहूँगा।
    और तेरे गुण मैं अधिक और अधिक गाऊँगा।
15 सभी लोगों से, मैं तेरा बखान करूंगा कि तू कितना उत्तम है।
    उस समय की बातें मैं उनको बताऊँगा,
    जब तूने ऐसे मुझको एक नहीं अनगिनित अवसर पर बचाया था।
16 हे यहोवा, मेरे स्वामी। मैं तेरी महानता का वर्णन करूँगा।
    बस केवल मैं तेरी और तेरी ही अच्छाई की चर्चा करूँगा।
17 हे परमेश्वर, तूने मुझको बचपन से ही शिक्षा दी।
    मैं आज तक बखानता रहा हूँ, उन अद्भुत कर्मो को जिनको तू करता है!
18 मैं अब बूढा हो गया हूँ और मेरे केश श्वेत है। किन्तु मैं जानता हूँ कि तू मुझको नहीं तजेगा।
    हर नयी पीढ़ी से, मैं तेरी शक्ति का और तेरी महानता का वर्णन करूँगा।
19 हे परमेश्वर, तेरी धार्मिकता आकाशों से ऊँची है।
    हे परमेश्वर, तेरे समान अन्य कोई नहीं।
    तूने अदभुत आश्चर्यपूर्ण काम किये हैं।
20 तूने मुझे बुरे समय और कष्ट देखने दिये।
    किन्तु तूने ही मुझे उन सब से बचा लिया और जीवित रखा है।
    इसका कोई अर्थ नहीं, मैं कितना ही गहरा डूबा तूने मुझको मेरे संकटों से उबार लिया।
21 तू ऐसे काम करने की मुझको सहायता दे जो पहले से भी बड़े हो।
    मुझको सुख चैन देता रह।
22     वीणा के संग, मैं तेरे गुण गाऊँगा।
    हे मेरे परमेश्वर, मैं यह गाऊँगा कि तुझ पर भरोसा रखा जा सकता है।
    मैं उसके लिए गीत अपनी सितार पर बजाया करूँगा जो इस्रएल का पवित्र यहोवा है।
23 मेरे प्राणों की तूने रक्षा की है।
    मेरा मन मगन होगा और अपने होंठों से, मैं प्रशंसा का गीत गाऊँगा।
24 मेरी जीभ हर घड़ी तेरी धार्मिकता के गीत गाया करेगी।
    ऐसे वे लोग जो मुझको मारना चाहते हैं,
    वे पराजित हो जायेंगे और अपमानित होंगे।

दाऊद के लिये।

हे परमेश्वर, राजा की सहायता कर ताकि वह भी तेरी तरह से विवेकपूर्ण न्याय करे।
    राजपुत्र की सहायता कर ताकि वह तेरी धार्मिकता जान सके।
राजा की सहायता कर कि तेरे भक्तों का वह निष्पक्ष न्याय करें।
    सहायता कर उसकी कि वह दीन जनों के साथ उचित व्यवहार करे।
धरती पर हर कहीं शांती
    और न्याय रहे।
राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे।
    वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
मेरी यह कामना है कि जब तक सूर्य आकाश में चमकता है, और चन्द्रमा आकाश में है।
    लोग राजा का भय मानें। मेरी आशा है कि लोग उसका भय सदा मानेंगे।
राजा की सहायता, धरती पर पड़ने वाली बरसात बनने में कर।
    उसकी सहायता कर कि वह खेतों में पड़ने वाली बौछार बने।
जब तक वह राजा है, भलाई फूले—फले।
    जब तक चन्द्रमा है, शांति बनी रहे।
उसका राज्य सागर से सागर तक
    तथा परात नदी से लेकर सुदूर धरती तक फैल जाये।
मरूभूमि के लोग उसके आगे झुके।
    और उसके सब शत्रु उसके आगे औधे मुँह गिरे हुए धरती पर झुकें।
10 तर्शीश का राजा और दूर देशों के राजा उसके लिए उपहार लायें।
    शेबा के राजा और सबा के राजा उसको उपहार दे।
11 सभी राजा हमारे राजा के आगे झुके।
    सभी राष्ट्र उसकी सेवा करते रहें।
12 हमारा राजा असहायों का सहायक है।
    हमारा राजा दीनों और असहाय लोगों को सहारा देता है।
13 दीन, असहाय जन उसके सहारे हैं।
    यह राजा उनको जीवित रखता है।
14 यह राजा उनको उन लोगों से बचाता है, जो क्रूर हैं और जो उनको दु:ख देना चाहते हैं।
    राजा के लिये उन दीनों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।
15 राजा दीर्घायु हो!
    और शेबा से सोना प्राप्त करें।
राजा के लिए सदा प्रार्थना करते रहो,
    और तुम हर दिन उसको आशीष दो।
16 खेत भरपूर फसल दे।
    पहाड़ियाँ फसलों से ढक जायें।
ये खेत लबानोन के खेतों से उपजाऊँ हो जायें।
    नगर लोगों की भीड़ से भर जाये, जैसे खेत घनि घास से भर जाते हैं।
17 राजा का यश सदा बना रहे।
    लोग उसके नाम का स्मरण तब तक करते रहें, जब तक सूर्य चमकता है।
उसके कारण सारी प्रजा धन्य हो जाये
    और वे सभी उसको आशीष दे।

18 यहोवा परमेश्वर के गुण गाओं, जो इस्राएल का परमेश्वर है!
    वही परमेश्वर ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है।
19 उसके महिमामय नाम की प्रशंस सदा करों!
    उसकी महिमा समस्त संसार में भर जाये!
आमीन और आमीन!

20 (यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थनाएं समाप्त हुई।)

तीसरा भाग

(भजनसंहिता 73–89)

आसाप का स्तुति गीत।

सचमुच, इस्राएल के प्रति परमेश्वर भला है।
    परमेश्वर उन लोगों के लिए भला होता है जिनके हृदय स्वच्छ है।
मैं तो लगभग फिसल गया था
    और पाप करने लगा।
जब मैंने देखा कि पापी सफल हो रहे हैं
    और शांति से रह रहे हैं, तो उन अभिमानी लोगों से मुझको जलन हुयी।
वे लोग स्वस्थ हैं
    उन्हें जीवन के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता है।
वे अभिमानी लोग पीड़ायें नहीं उठाते है।
    जैसे हम लोग दु:ख झेलते हैं, वैसे उनको औरों की तरह यातनाएँ नहीं होती।
इसलिए वे अहंकार से भरे रहते हैं।
    और वे घृणा से भरे हुए रहते हैं। ये वैसा ही साफ दिखता है, जैसे रत्न और वे सुन्दर वस्त्र जिनको वे पहने हैं।
वे लोग ऐसे है कि यदि कोई वस्तु देखते हैं और उनको पसन्द आ जाती है, तो उसे बढ़कर झपट लेते हैं।
    वे वैसे ही करते हैं, जैसे उन्हें भाता है।
वे दूसरों के बारें में क्रूर बातें और बुरी बुरी बातें कहते है। वे अहंकारी और हठी है।
    वे दूसरे लोगों से लाभ उठाने का रास्ता बनाते है।
अभिमानी मनुष्य सोचते हैं वे देवता हैं!
    वे अपने आप को धरती का शासक समझते हैं।
10 यहाँ तक कि परमेश्वर के जन, उन दुष्टों की ओर मुड़ते और जैसा वे कहते है,
    वैसा विश्वास कर लेते हैं।
11 वे दुष्ट जन कहते हैं, “हमारे उन कर्मो को परमेश्वर नहीं जानता!
    जिनकों हम कर रहे हैं!”

12 वे मनुष्य अभिमान और कुटिल हैं,
    किन्तु वे निरन्तर धनी और अधिक धनी होते जा रहे हैं।
13 सो मैं अपना मन पवित्र क्यों बनाता रहूँ?
    अपने हाथों को सदा निर्मल क्यों करता रहूँ?
14 हे परमेश्वर, मैं सारे ही दिन दु:ख भोगा करता हूँ।
    तू हर सुबह मुझको दण्ड देता है।

15 हे परमेश्वर, मैं ये बातें दूसरो को बताना चाहता था।
    किन्तु मैं जानता था और मैं ऐसे ही तेरे भक्तों के विरूद्ध हो जाता था।
16 इन बातों को समझने का, मैंने जतन किया
    किन्तु इनका समझना मेरे लिए बहुत कठिन था,
17 जब तक मैं तेरे मन्दिर में नहीं गया।
    मैं परमेश्वर के मन्दिर में गया और तब मैं समझा।
18 हे परमेश्वर, सचमुच तूने उन लोगों को भयंकर परिस्थिति में रखा है।
    उनका गिर जाना बहुत ही सरल है। उनका नष्ट हो जाना बहुत ही सरल है।
19 सहसा उन पर विपत्ति पड़ सकती है,
    और वे अहंकारी जन नष्ट हो जाते हैं।
उनके साथ भयंकर घटनाएँ घट सकती हैं,
    और फिर उनका अंत हो जाता है।
20 हे यहोवा, वे मनुष्य ऐसे होंगे
    जैसे स्वप्न जिसको हम जागते ही भुल जाते हैं।
तू ऐसे लोगों को हमारे स्वप्न के भयानक जन्तु की तरह
    अदृश्य कर दे।

21-22 मैं अज्ञान था।
    मैंने धनिकों और दुष्ट लोगों पर विचारा, और मैं व्याकुल हो गया।
हे परमेश्वर, मैं तुझ पर क्रोधित हुआ!
    मैं निर्बुद्धि जानवर सा व्यवहार किया।
23 वह सब कुछ मेरे पास है, जिसकी मुझे अपेक्षा है। मैं तेरे साथ हरदम हूँ।
    हे परमेश्वर, तू मेरा हाथ थामें है।
24 हे परमेश्वर, तू मुझे मार्ग दिखलाता, और मुझे सम्मति देता है।
    अंत में तू अपनी महिमा में मेरा नेतृत्व करेगा।
25 हे परमेश्वर, स्वर्ग में बस तू ही मेरा है,
    और धरती पर मुझे क्या चाहिए, जब तू मेरे साथ है
26 चाहे मेरा मन टूट जाये और मेरी काया नष्ट हो जाये
    किन्तु वह चट्टान मेरे पास है, जिसे मैं प्रेम करता हूँ।
    परमेश्वर मेरे पास सदा है!
27 परमेश्वर, जो लोग तुझको त्यागते हैं, वे नष्ट हो जाते है।
    जिनका विश्वास तुझमें नहीं तू उन लोगों को नष्ट कर देगा।
28 किन्तु, मैं परमेश्वर के निकट आया।
    मेरे साथ परमेश्वर भला है, मैंने अपना सुरक्षास्थान अपने स्वामी यहोवा को बनाया है।
    हे परमेश्वर, मैं उन सभी बातों का बखान करूँगा जिनको तूने किया है।

आसाप का एक प्रगीत।

हे परमेश्वर, क्या तूने हमें सदा के लिये बिसराया है?
    क्योंकि तू अभी तक अपने निज जनों से क्रोधित है?
उन लोगों को स्मरण कर जिनको तूने बहुत पहले मोल लिया था।
    हमको तूने बचा लिया था। हम तेरे अपने हैं।
याद कर तेरा निवास सिय्योन के पहाड़ पर था।
हे परमेश्वर, आ और इन अति प्राचीन खण्डहरों से हो कर चल।
    तू उस पवित्र स्थान पर लौट कर आजा जिसको शत्रु ने नष्ट कर दिया है।

मन्दिर में शत्रुओं ने विजय उद्घोष किया।
    उन्होंने मन्दिर में निज झंडों को यह प्रकट करने के लिये गाड़ दिया है कि उन्होंने युद्ध जीता है।
शत्रुओं के सैनिक ऐसे लग रहे थे,
    जैसे कोई खुरपी खरपतवार पर चलाती हो।
हे परमेश्वर, इन शत्रु सैनिकों ने निज कुल्हाडे और फरसों का प्रयोग किया,
    और तेरे मन्दिर की नक्काशी फाड़ फेंकी।
परमेश्वर इन सैनिकों ने तेरा पवित्र स्थान जला दिया।
    तेरे मन्दिर को धूल में मिला दिया,
    जो तेरे नाम को मान देने हेतु बनाया गया था।
उस शत्रु ने हमको पूरी तरह नष्ट करने की ठान ली थी।
    सो उन्होंने देश के हर पवित्र स्थल को फूँक दिया।
कोई संकेत हम देख नहीं पाये।
    कोई भी नबी बच नहीं पाया था।
    कोई भी जानता नहीं था क्या किया जाये।
10 हे परमेश्वर, ये शत्रु कब तक हमारी हँसी उड़ायेंगे?
    क्या तू इन शत्रुओं को तेरे नाम का अपमान सदा सर्वदा करने देगा?
11 हे परमेश्वर, तूने इतना कठिन दण्ड हमकों क्यों दिया?
    तूने अपनी महाशक्ति का प्रयोग किया और हमें पूरी तरह नष्ट किया!
12 हे परमेश्वर, बहुत दिनों से तू ही हमारा शासक रहा।
    इस देश में तूने अनेक युद्ध जीतने में हमारी सहायता की।
13 हे परमेश्वर, तूने अपनी महाशक्ति से लाल सागर के दो भाग कर दिये।
14 तूने विशालकाय समुद्री दानवों को पराजित किया!
    तूने लिव्यातान के सिर कुचल दिये, और उसके शरीर को जंगली पशुओं को खाने के लिये छोड़ दिया।
15 तूने नदी, झरने रचे, फोड़कर जल बहाया।
    तूने उफनती हुई नदियों को सुखा दिया।
16 हे परमेश्वर, तू दिन का शासक है, और रात का भी शासक तू ही है।
    तूने ही चाँद और सूरज को बनाया।
17 तू धरती पर सब की सीमाएं बाँधता है।
    तूने ही गर्मी और सर्दी को बनाया।
18 हे परमेश्वर, इन बातों को याद कर। और याद कर कि शत्रु ने तेरा अपमान किया है।
    वे मूर्ख लोग तेरे नाम से बैर रखते हैं!
19 हे परमेश्वर, उन जंगली पशुओं को निज कपोत मत लेने दे!
    अपने दीन जनों को तू सदा मत बिसरा।
20 हमने जो आपस में वाचा की है उसको याद कर,
    इस देश में हर किसी अँधेरे स्थान पर हिंसा है।
21 हे परमेश्वर, तेरे भक्तों के साथ अत्याचार किये गये,
    अब उनको और अधिक मत सताया जाने दे।
    तेरे असहाय दीन जन, तेरे गुण गाते है।
22 हे परमेश्वर, उठ और प्रतिकार कर!
    स्मरण कर की उन मूर्ख लोगों ने सदा ही तेरा अपमान किया है।
23 वे बुरी बातें मत भूल जिन्हें तेरे शत्रुओं ने प्रतिदिन तेरे लिये कही।
    भूल मत कि वे किस तरह से युद्ध करते समय गुर्राये।

“नष्ट मत कर” नामक धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीत।

हे परमेश्वर, हम तेरी प्रशंसा करते हैं!
    हम तेरे नाम का गुणगान करते हैं!
    तू समीप है और लोग तेरे उन अद्भत कर्मो का जिनको तू करता है, बखान करते हैं।

परमेश्वर, कहता है, “मैंने न्याय का समय चुन लिया,
    मैं निष्पक्ष होकर के न्याय करूँगा।
धरती और धरती की हर वस्तु डगमगा सकती है और गिरने को तैयार हो सकती है,
    किन्तु मैं ही उसे स्थिर रखता हूँ।

“कुछ लोग बहुत ही अभिमानी होते हैं, वे सोचते रहते है कि वे बहुत शाक्तिशाली और महत्वपूर्ण है।
लेकिन उन लोगों को बता दो, ‘डींग मत हाँकों!’
    ‘इतने अभिमानी मत बने रह!’”

इस धरती पर सचुमच,
    कोई भी मनुष्य नीच को महान नहीं बना सकता।
परमेश्वर न्याय करता है।
    परमेश्वर इसका निर्णय करता है कि कौन व्यक्ति महान होगा।
    परमेश्वर ही किसी व्यक्ति को महत्वपूर्ण पद पर बिठाता है। और किसी दूसरे को निची दशा में पहुँचाता है।
परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देने को तत्पर है।
    परमेश्वर के पास विष मिला हुआ मधु पात्र है।
परमेश्वर इस दाखमधु (दण्ड) को उण्डेलता है
    और दुष्ट जन उसे अंतिम बूँद तक पीते हैं।
मैं लोगों से इन बातों का सदा बखान करूँगा।
    मैं इस्राएल के परमेश्वर के गुण गाऊँगा।
10 मैं दुष्ट लोगों की शक्ति को छीन लूँगा,
    और मैं सज्जनों को शक्ति दूँगा।

तार वाद्यों के संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक गीत।

यहूदा के लोग परमेश्वर को जानते हैं।
    इस्राएल जानता है कि सचमुच परमेश्वर का नाम बड़ा है।
परमेश्वर का मन्दिर शालेम में स्थित है।
    परमेश्वर का घर सिय्योन के पर्वत पर है।
उस जगह पर परमेश्वर ने धनुष—बाण, ढाल, तलवारे
    और युद्ध के दूसरे शस्त्रों को तोड़ दिया।

हे परमेश्वर, जब तू उन पर्वतों से लौटता है,
    जहाँ तूने अपने शत्रुओं को हरा दिया था, तू महिमा से मण्डित रहता है।
उन सैनिकों ने सोचा की वे बलशाली है। किन्तु वे अब रणक्षेत्रों में मरे पड़े हैं।
    उनके शव जो कुछ भी उनके साथ था, उस सब कुछ के रहित पड़े हैं।
    उन बलशाली सैनिकों में कोई ऐसा नहीं था, जो आप स्वयं की रक्षा कर पाता।
याकूब का परमेश्वर उन सैनिकों पर गरजा
    और वह सेना रथों और अश्वों सहित गिरकर मर गयी।
हे परमेश्वर, तू भय विस्मयपूर्ण है!
    जब तू कुपित होता है तेरे सामने कोई व्यक्ति टिक नहीं सकता।
8-9 न्यायकर्ता के रूप में यहोवा ने खड़े होकर अपना निर्णय सुना दिया।
    परमेश्वर ने धरती के नम्र लोगों को बचाया।
स्वर्ग से उसने अपना निर्णय दिया
    और सम्पूर्ण धरती शब्द रहित और भयभीत हो गई।
10 हे परमेश्वर, जब तू दुष्टों को दण्ड देता है। लोग तेरा गुण गाते हैं।
    तू अपना क्रोध प्रकट करता है और शेष बचे लोग बलशाली हो जाते हैं।

11 लोग परमेश्वर की मन्नतें मानेंगे
    और वे उन वस्तुओं को जिनकी मन्नतें उन्होंने मानीं हैं,
यहोवा को अर्पण करेंगे।
    लोग हर किसी स्थान से उस परमेश्वर को उपहार लायेंगे।
12 परमेश्वर बड़े बड़े सम्राटों को हराता है।
    धरती के सभी शासकों उसका भय मानों।

यदूतून राग पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक पद।

मैं सहायता पाने के लिये परमेश्वर को पुकारूँगा।
    हे परमेश्वर, मैं तेरी विनती करता हूँ, तू मेरी सुन ले!
हे मेरे स्वामी, मुझ पर जब दु:ख पड़ता है, मैं तेरी शरण में आता हूँ।
    मैं सारी रात तुझ तक पहुँचने में जुझा हूँ।
    मेरा मन चैन पाने को नहीं माना।
मैं परमेश्वर का मनन करता हूँ, और मैं जतन करता रहता हूँ कि मैं उससे बात करूँ और बता दूँ कि मुझे कैसा लग रहा है।
    किन्तु हाय मैं ऐसा नहीं कर पाता।
तू मुझे सोने नहीं देगा।
    मैंने जतन किया है कि मैं कुछ कह डालूँ, किन्तु मैं बहुत घबराया था।
मैं अतीत की बातें सोचते रहा।
    बहुत दिनों पहले जो बातें घटित हुई थी उनके विषय में मैं सोचता ही रहा।
रात में, मैं निज गीतों के विषय़ में सोचता हूँ।
    मैं अपने आप से बातें करता हूँ, और मैं समझने का यत्न करता हूँ।
मुझको यह हैरानी है, “क्या हमारे स्वमी ने हमे सदा के लिये त्यागा है
    क्या वह हमको फिर नहीं चाहेगा
क्या परमेश्वर का प्रेम सदा को जाता रहा
    क्या वह हमसे फिर कभी बात करेगा
क्या परमेश्वर भूल गया है कि दया क्या होती है
    क्या उसकी करूणा क्रोध में बदल गयी है”

10 फिर यह सोचा करता हूँ, “वह बात जो मुझे खाये डाल रही है:
    ‘क्या परम परमेश्वर आपना निज शाक्ति खो बैठा है’?”

11 याद करो वे शाक्ति भरे काम जिनको यहोवा ने किये।
    हे परमेश्वर, जो काम तूने बहुत समय पहले किये मुझको याद है।
12 मैंने उन सभी कामों को जिनको तूने किये है मनन किया।
    जिन कामों को तूने किया मैंने सोचा है।
13 हे परमेश्वर, तेरी राहें पवित्र हैं।
    हे परमेश्वर, कोई भी महान नहीं है, जैसा तू महान है।
14 तू ही वह परमेश्वर है जिसने अद्भुत कार्य किये।
    तू ने लोगों को अपनी निज महाशक्ति दर्शायी।
15 तूने निज शक्ति का प्रयोग किया और भक्तों को बचा लिया।
    तूने याकूब और यूसुफ की संताने बचा ली।

16 हे परमेश्वर, तुझे सागर ने देखा और वह डर गया।
    गहरा समुद्र भय से थर थर काँप उठा।
17 सघन मेघों से उनका जल छूट पड़ा था।
    ऊँचे मेघों से तीव्र गर्जन लोगों ने सुना।
    फिर उन बादलों से बिजली के तेरे बाण सारे बादलों में कौंध गये।
18 कौंधती बिजली में झँझावान ने तालियाँ बजायी जगत चमक—चमक उठा।
    धरती हिल उठी और थर थर काँप उठी।
19 हे परमेश्वर, तू गहरे समुद्र में ही पैदल चला। तूने चलकर ही सागर पार किया।
    किन्तु तूने कोई पद चिन्ह नहीं छोड़ा।
20 तूने मुसा और हारून का उपयोग निज भक्तों की अगुवाई
    भेड़ों के झुण्ड की तरह करने में किया।

आसाप का एक गीत।

मेरे भक्तों, तुम मेरे उपदेशों को सुनो।
    उन बातों पर कान दो जिन्हें मैं बताना हूँ।
मैं तुम्हें यह कथा सुनाऊँगा।
    मैं तुम्हें पुरानी कथा सुनाऊँगा।
हमने यह कहानी सुनी है, और इसे भली भाँति जानते हैं।
    यह कहानी हमारे पूर्वजों ने कही।
इस कहानी को हम नहीं भूलेंगे।
    हमारे लोग इस कथा को अगली पीढ़ी को सुनाते रहेंगे।
हम सभी यहोवा के गुण गायेंगे।
    हम उन के अद्भुत कर्मो का जिनको उसने किया है बखान करेंगे।
यहोवा ने याकूब से वाचा किया।
    परमेश्वर ने इस्राएल को व्यवस्था का विधान दिया,
    और परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को आदेश दिया।
    उसने हमारे पूर्वजों को व्यवस्था का विधान अपने संतानों को सिखाने को कहा।
इस तरह लोग व्यवस्था के विधान को जानेंगे। यहाँ तक कि अन्तिम पीढ़ी तक इसे जानेगी।
    नयी पीढ़ी जन्म लेगी और पल भर में बढ़ कर बड़े होंगे, और फिर वे इस कहानी को अपनी संतानों को सुनायेंगे।
अत: वे सभी लोग यहोवा पर भरोसा करेंगे।
    वे उन शाक्तिपूर्ण कामों को नहीं भूलेंगे जिनको परमेश्वर ने किया था।
    वे ध्यान से रखवाली करेंगे और परमेश्वर के आदेशों का अनुसरण करेंगे।
अत: लोग अपनी संतानों को परमेश्वर के आदेशों को सिखायेंगे,
    तो फिर वे संतानें उनके पूर्वजों जैसे नहीं होंगे।
उनके पूर्वजों ने परमेश्वर से अपना मुख मोड़ा और उसका अनुसरण करने से इन्कार किया, वे लोग हठी थे।
    वे परमेश्वर की आत्मा के भक्त नहीं थे।

एप्रैम के लोगे शस्त्र धारी थे,
    किन्तु वे युद्ध से पीठ दिखा गये।
10 उन्होंने जो यहोवा से वाचा किया था पाला नहीं।
    वे परमेश्वर के सीखों को मानने से मुकर गये।
11 एप्रैम के वे लोग उन बड़ी बातों को भूल गए जिन्हें परमेश्वर ने किया था।
    वे उन अद्भुत बातों को भूल गए जिन्हें उसने उन्हें दिखायी थी।
12 परमेश्वर ने उनके पूर्वजों को मिस्र के सोअन में निज महाशक्ति दिखायी।
13 परमेश्वर ने लाल सागर को चीर कर लोगों को पार उतार दिया।
    पानी पक्की दीवार सा दोनों ओर खड़ा रहा।
14 हर दिन उन लोगों को परमेश्वर ने महा बादल के साथ अगुवाई की।
    हर रात परमेश्वर ने आग के लाट के प्रकाश से राहा दिखाया।
15 परमेश्वर ने मरूस्थल में चट्टान को फाड़ कर
    गहरे धरती के निचे से जल दिया।
16 परमेश्वर चट्टान से जलधारा वैसे लाया
    जैसे कोई नदी हो!
17 किन्तु लोग परमेश्वर के विरोध में पाप करते रहे।
    वे मरूस्थल तक में, परमपरमेश्वर के विरूद्ध हो गए।
18 फिर उन लोगों ने परमेश्वर को परखने का निश्चय किया।
    उन्होंने बस अपनी भूख मिटाने के लिये परमेश्वर से भोजन माँगा।
19 परमेश्वर के विरूद्ध वे बतियाने लगे, वे कहने लगे,
    “कया मरुभूमि में परमेश्वर हमें खाने को दे सकता है
20 परमेश्वर ने चट्टान पर चोट की और जल का एक रेला बाहर फूट पड़ा।
    निश्चय ही वह हमको कुछ रोटी और माँस दे सकता है।”
21 यहोवा ने सुन लिया जो लोगों ने कहा था।
    याकूब से परमेश्वर बहुत ही कुपित था।
इस्राएल से परमेश्वर बहुत ही कुपित था।
22     क्यों? क्योंकि लोगों ने उस पर भरोसा नहीं रखा था,
उन्हें भरोसा नहीं था, कि परमेश्वर उन्हें बचा सकता है।
23-24 किन्तु तब भी परमेश्वर ने उन पर बादल को उघाड़ दिया,
    उऩके खाने के लिय़े नीचे मन्ना बरसा दिया।
यह ठीक वैसे ही हुआ जैसे अम्बर के द्वार खुल जाये
    और आकाश के कोठे से बाहर अन्न उँडेला हो।
25 लोगों ने वह स्वर्गदूत का भोजन खाया।
    उन लोगों को तृप्त करने के लिये परमेश्वर ने भरपूर भोजन भेजा।
26 फिर परमेश्वर ने पूर्व से तीव्र पवन चलाई
    और उन पर बटेरे वर्षा जैसे गिरने लगी।
27 तिमान की दिशा से परमेश्वर की महाशक्ति ने एक आँधी उठायी और नीला आकाश काला हो गया
    क्योंकि वहाँ अनगिनत पक्षी छाए थे।
28 वे पक्षी ठीक डेरे के बीच में गिरे थे।
    वे पक्षी उन लोगों के डेरों के चारों तरफ गिरे थे।
29 उनके पास खाने को भरपूर हो गया,
    किन्तु उनकी भूख ने उनसे पाप करवाये।
30 उन्होंने अपनी भूख पर लगाम नहीं लगायी।
    सो उन्होंने उन पक्षियों को बिना ही रक्त निकाले, बटेरो को खा लिया।
31 सो उन लोगों पर परमेश्वर अति कुपीत हुआ और उनमें से बहुतों को मार दिया।
    उसने बलशाली युवकों तो मृत्यु का ग्रास बना दिया।
32 फिर भी लोग पाप करते रहे!
    वे उन अदूभुत कर्मो के भरोसा नहीं रहे, जिनको परमेश्वर कर सकता है।
33 सो परमेश्वर ने उनके व्यर्थ जीवन को
    किसी विनाश से अंत किया।
34 जब कभी परमेश्वर ने उनमें से किसी को मारा, वे बाकि परमेश्वर की ओर लौटने लगे।
    वे दौड़कर परमेश्वर की ओर लौट गये।
35 वे लोग याद करेंगे कि परमेश्वर उनकी चट्टान रहा था।
    वे याद करेंगे कि परम परमेश्वर ने उनकी रक्षा की।
36 वैसे तो उन्होंने कहा था कि वे उससे प्रेम रखते हैं।
    उन्हेंने झूठ बोला था। ऐसा कहने में वे सच्चे नहीं थे।
37 वे सचमुच मन से परमेश्वर के साथ नहीं थे।
    वे वाचा के लिये सच्चे नहीं थे।
38 किन्तु परमेश्वर करूणापूर्ण था।
    उसने उन्हें उनके पापों के लिये क्षमा किया, और उसने उनका विनाश नहीं किया।
परमेश्वर ने अनेकों अवसर पर अपना क्रोध रोका।
    परमेश्वर ने अपने को अति कुपित होने नहीं दिया।
39 परमेश्वर को याद रहा कि वे मात्र मनुष्य हैं।
    मनुष्य केवल हवा जैसे है जो बह कर चली जाती है और लौटती नहीं।
40 हाय, उन लोगों ने मरूभूमि में परमेश्वर को कष्ट दिया!
    उन्होंने उसको बहुत दु:खी किया था!
41 परमेश्वर के धैर्य को उन लोगों ने फिर परखा,
    सचमुच इस्राएल के उस पवित्र को उन्होंने कष्ट दिया।
42 वे लोग परमेश्वर की शक्ति को भूल गये।
    वे लोग भुल गये कि परमेश्वर ने उनको कितनी ही बार शत्रुओं से बचाया।
43 वे लोग मिस्र की अद्भुत बातों को
    और सोअन के क्षेत्रों के चमत्कारों को भूल गये।
44 उनकी नदियों को परमेश्वर ने खून में बदल दिया था!
    जिनका जल मिस्र के लोग पी नहीं सकते थे।
45 परमेश्वर ने भिड़ों के झुण्ड भेजे थे जिन्होंने मिस्र के लोगों को डसा।
    परमेश्वर ने उन मेढकों को भेजा जिन्होंने मिस्त्रियों के जीवन को उजाड़ दिया।
46 परमेश्वर ने उनके फसलों को टिड्डों को दे डाला।
    उनके दूसरे पौधे टिड्डियो को दे दिये।
47 परमेश्वर ने मिस्त्रियों के अंगूर के बाग ओलों से नष्ट किये,
    और पाला गिरा कर के उनके वृक्ष नष्ट कर दिये।
48 परमेश्वर ने उनके पशु ओलों से मार दिये
    और बिजलियाँ गिरा कर पशु धन नष्ट किये।
49 परमेश्वर ने मिस्र के लोगों को अपना प्रचण्ड क्रोध दिखाया।
    उनके विरोध में उसने अपने विनाश के दूत भेजे।
50 परमेश्वर ने क्रोध प्रकट करने के लिये एक राह पायी।
    उनमें से किसी को जीवित रहने नहीं दिया।
    हिंसक महामारी से उसने सारे ही पशुओं को मर जाने दिया।
51 परमेश्वर ने मिस्र के हर पहले पुत्र को मार डाला।
    हाम के घराने के हर पहले पुत्र को उसने मार डाला।
52 फिर उसने इस्राएल की चरवाहे के समान अगुवाई की।
    परमेश्वर ने अपने लोगों को ऐसे राह दिखाई जैसे जंगल में भेड़ों कि अगुवाई की है।
53 वह अपनेनिज लोगों को सुरक्षा के साथ ले चला।
    परमेश्वर के भक्तों को किसी से डर नहीं था।
    परमेश्वर ने उनके शत्रुओं को लाल सागर में हुबाया।
54 परमेश्वर अपने निज भक्तों को अपनी पवित्र धरती पर ले आया।
    उसने उन्हें उस पर्वत पर लाया जिसे उसने अपनी ही शक्ति से पाया।
55 परमेश्वर ने दूसरी जातियों को वह भूमि छोड़ने को विवश किया।
    परमेश्वर ने प्रत्येक घराने को उनका भाग उस भूमि में दिया।
    इस तरह इस्राएल के घराने अपने ही घरों में बस गये।
56 इतना होने पर भी इस्राएल के लोगों ने परम परमेश्वर को परखा और उसको बहुत दु:खी किया।
    वे लोग परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे।
57 इस्राएल के लोग परमेश्वर से भटक कर विमुख हो गये थे।
    वे उसके विरोध में ऐसे ही थे, जैसे उनके पूर्वज थे। वे इतने बुरे थे जैसे मुड़ा धनुष।
58 इस्राएल के लोगों ने ऊँचे पूजा स्थल बनाये और परमेश्वर को कुपित किया।
    उन्होंने देवताओं की मूर्तियाँ बनाई और परमेश्वर को ईर्ष्यालु बनाया।
59 परमेश्वर ने यह सुना और बहुत कुपित हुआ।
    उसने इस्राएल को पूरी तरह नकारा!
60 परमेश्वर ने शिलोह के पवित्र तम्बू को त्याग दिया।
    यह वही तम्बू था जहाँ परमेश्वर लोगों के बीच में रहता था।
61 फिर परमेश्वर ने उसके निज लोगों को दूसरी जातियों को बंदी बनाने दिया।
    परमेश्वर के “सुन्दर रत्न” को शत्रुओं ने छीन लिया।
62 परमेश्वर ने अपने ही लोगों (इस्राएली) पर निज क्रोध प्रकट किया।
    उसने उनको युद्ध में मार दिया।
63 उनके युवक जलकर राख हुए,
    और वे कन्याएँ जो विवाह योग्य थीं, उनके विवाह गीत नहीं गाये गए।
64 याजक मार डाले गए,
    किन्तु उनकी विधवाएँ उनके लिए नहीं रोई।
65 अंत में, हमारा स्वामी उठ बैठा
    जैसे कोई नींद से जागकर उठ बैठता हो।
    या कोई योद्धा दाखमधु के नशे से होश में आया हो।
66 फिर तो परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को मारकर भगा दिया और उन्हें पराजित किया।
    परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को हरा दिया और सदा के लिये अपमानित किया।
67 किन्तु परमेश्वर ने यूसुफ के घराने को त्याग दिया।
    परमेश्वर ने इब्राहीम परिवार को नहीं चुना।
68 परमेश्वर ने यहूदा के गोत्र को नहीं चुना
    और परमेश्वर ने सिय्योन के पहाड़ को चुना जो उसको प्रिय है।
69 उस ऊँचे पर्वत पर परमेश्वर ने अपना पवित्र मन्दिर बनाया।
    जैसे धरती अडिग है वैसे ही परमेश्वर ने निज पवित्र मन्दिर को सदा बने रहने दिया।
70 परमेश्वर ने दाऊद को अपना विशेष सेवक बनाने में चुना।
    दाऊद तो भेड़ों की देखभाल करता था, किन्तु परमेश्वर उसे उस काम से ले आया।
71 परमेश्वर दाऊद को भेड़ों को रखवाली से ले आया
    और उसने उसे अपने लोगों कि रखवाली का काम सौंपा, याकूब के लोग, यानी इस्राएल के लोग जो परमेश्वर की सम्पती थे।
72 और फिर पवित्र मन से दाऊद ने इस्राएल के लोगों की अगुवाई की।
    उसने उन्हें पूरे विवेक से राह दिखाई।

आसाप का एक स्तुति गीत।

हे परमेश्वर, कुछ लोग तेरे भक्तों के साथ लड़ने आये हैं।
    उन लोगों ने तेरे पवित्र मन्दिर को ध्वस्त किया,
    और यरूशलेम को उन्होंने खण्डहर बना दिया।
तेरे भक्तों के शवों को उन्होंने गिद्धों को खाने के लिये डाल दिया।
    तेरे अनुयायिओं के शव उन्होंने पशुओं के खाने के लिये डाल दिया।
हे परमेश्वर, शत्रुओं ने तेरे भक्तों को तब तक मारा जब तक उनका रक्त पानी सा नहीं फैल गया।
    उनके शव दफनाने को कोई भी नहीं बचा।
हमारे पड़ोसी देशों ने हमें अपमानित किया है।
    हमारे आस पास के लोग सभी हँसते हैं, और हमारी हँसी उड़ाते हैं।
हे परमेश्वर, क्या तू सदा के लिये हम पर कुपित रहेगा?
    क्या तेरे तीव्र भाव अग्नि के समान धधकते रहेंगे?
हे परमेश्वर, अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में जो तुझको नहीं पहचानते मोड़,
    अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में मोड़ जो तेरे नाम की आराधना नहीं करते।
क्योंकि उन राष्ट्रों ने याकूब को नाश किया।
    उन्होंने याकूब के देश को नाश किया।
हे परमेश्वर, तू हमारे पूर्वजों के पापों के लिये कृपा करके हमको दण्ड मत दे।
    जल्दी कर, तू हम पर निज करूणा दर्शा!
    हम को तेरी बहुत उपेक्षा है!
हमारे परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता, हमको सहारा दे!
    अपने ही नाम की महिमा के लिये हमारी सहायता कर!
हमको बचा ले! निज नाम के गौरव निमित्त
    हमारे पाप मिटा।
10 दूसरी जाति के लोगों को तू यह मत कहने दे,
    “तुम्हारा परमेश्वर कहाँ है? क्या वह तुझको सहारा नहीं दे सकता है?”
हे परमेश्वर, उन लोगों को दण्ड दे ताकि उस दण्ड को हम भी देख सकें।
    उन लोगों को तेरे भक्तों को मारने का दण्ड दे।
11 बंदी गृह में पड़े हुओं कि कृपया तू कराह सुन ले!
    हे परमेश्वर, तू निज महाशक्ति प्रयोग में ला और उन लोगों को बचा ले जिनको मरने के लिये ही चुना गया है।
12 हे परमेश्वर, हम जिन लोगों से घिरे हैं,
    उनको उन अत्यचारों का दण्ड सात गुणा दे।
    हे परमेश्वर, उन लोगों को इतनी बार दण्ड दे जितनी बार वे तेरा अपमान किये है।
13 हम तो तेरे भक्त हैं। हम तेरे रेवड़ की भेड़ हैं।
    हम तेरा गुणगान सदा करेंगे।
    हे परमेश्वर अंत काल तक तेरा गुण गायेंगे।

वाचा की कुमुदिनी धुन पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक स्तुति गीता।

हे इस्राएल के चरवाहे, तू मेरी सुन ले।
    तूने यूसुफ के भेड़ों (लोगों) की अगुवाई की।
तू राजा सा करूब पर विराजता है।
    हमको निज दर्शन दे।
हे इस्राएल के चरवाहे, एप्रैम, बिन्यामीन और मनश्शे के सामने तू अपनी महिमा दिखा,
    और हमको बचा ले।
हे परमेश्वर, हमको स्वीकार कर।
    हमको स्वीकार कर और हमारी रक्षा कर!
सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा,
    क्या तू सदा के लिये हम पर कुपित रहेगा हमरी प्रार्थनाओं को तू कब सुनेगा
अपने भक्तों को तूने बस खाने को आँसू दिये है।
    तूने अपने भक्तों को पीने के लिये आँसुओं से लबालब प्याले दिये।
तूने हमें हमारे पड़ोसियों के लिये कोई ऐसी वस्तु बनने दिया जिस पर वे झगड़ा करे।
    हमारे शत्रु हमारी हँसी उड़ाते हैं।
हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर, फिर हमको स्वीकार कर।
    हमको स्वीकार कर और हमारी रक्षा कर।

प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा।
    तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया।
तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया
    और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
तूने दाखलता रोपने को धरती को तैयार किया, उसकी जड़ों को पक्की करने के लिये तूने सहारा दिया
    और फिर शीघ्र ही दाखलता धरती पर हर कहीं फैल गई।
10 उसने पहाड़ ढक लिया।
    यहाँ तक कि उसके पतों ने विशाल देवदार वृक्ष को भी ढक लिया।
11     इसकी दाखलताएँ भूमध्य सागर तक फैल गई।
    इसकी जड़ परात नदी तक फैल गई।
12 हे परमेश्वर, तूने वे दीवारें क्यों गिरा दी, जो तेरी दाखलता की रक्षा करती थी।
    अब वह हर कोई जो वहाँ से गुजरता है, वहाँ से अंगूर को तोड़ लेते हैं।
13 बनैले सूअर आते हैं, और तेरी दाखलता को रौदते हुए गुजर जाते हैं।
    जंगली पशु आते हैं, और उसकी पत्तियाँ चर जाते हैं।
14 सर्वशक्तिमान परमेश्वर, वापस आ।
    अपनी दाखलता पर स्वर्ग से नीचे देख, और इसकी रक्षा कर।
15 हे परमेश्वर, अपनी उस दाखलता को देख जिसको तूने स्वयं निज हाथों से रोपा था।
    इस बच्चे पौधे को देख जिसे तूने बढ़ाया।
16 तेरी दाखलता को सूखे हुए उपलों सा आग में जलाया गया।
    तू इससे क्रोधित था और तूने उजाड़ दिया।

17 हे परमेश्वर, तू अपना हाथ उस पुत्र पर रख जो तेरे दाहिनी ओर खड़ा है।
    उस पुत्र पर हाथ रख जिसे तूने उठाया।
18 फिर वह कभी तुझको नहीं त्यागेगा।
    तू उसको जीवित रख, और वह तेरे नाम की आराधना करेगा।
19 सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, हमारे पास लौट आ
    हमको अपना ले, और हमारी रक्षा कर।

गित्तीथ के संगत पर संगीत निर्देशक के लिये आसाप का एक पद।

परमेश्वर जो हमारी शक्ति है आनन्द के साथ तुम उसके गीत गाओ,
    तुम उसका जो इस्राएल का परमेश्वर है, जय जयकार जोर से बोलो।
संगीत आरम्भ करो।
    तम्बूरे बजाओ।
    वीणा सारंगी से मधुर धुन निकालो।
नये चाँद के समय में तुम नरसिंगा फूँको। पूर्णमासी के अवसर पर तुम नरसिंगा फूँको।
    यह वह काल है जब हमारे विश्र्राम के दिन शुरू होते हैं।
इस्राएल के लोगों के लिये ऐसा ही नियम है।
    यह आदेश परमेश्वर ने याकुब को दिये है।
परमेश्वर ने यह वाचा यूसुफ़ के साथ तब किया था,
    जब परमेश्वर उसे मिस्र से दूर ले गया।
मिस्र में हमने वह भाषा सुनी थी जिसे हम लोग समझ नहीं पाये थे।
परमेश्वर कहता है, “तुम्हारे कन्धों का बोझ मैंने ले लिया है।
    मजदूर की टोकरी मैं उतार फेंकने देता हूँ।
जब तुम विपति में थे तुमने सहायता को पुकारा और मैंने तुम्हें छुड़ाया।
    मैं तुफानी बादलों में छिपा हुआ था और मैंने तुमको उत्तर दिया।
    मैंने तुम्हें मरिबा के जल के पास परखा।”

“मेरे लोगों, तुम मेरी बात सुनों। और मैं तुमको अपना वाचा दूँगा।
    इस्राएल, तू मुझ पर अवश्य कान दे।
तू किसी मिथ्या देव जिनको विदेशी लोग पूजते हैं,
    पूजा मत कर।
10 मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
    मैं वही परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया था।
हे इस्राएल, तू अपना मुख खोल,
    मैं तुझको निवाला दूँगा।

11 “किन्तु मेरे लोगों ने मेरी नहीं सुनी।
    इस्राएल ने मेरी आज्ञा नहीं मानी।
12 इसलिए मैंने उन्हें वैसा ही करने दिया, जैसा वे करना चाहते थे।
    इस्राएल ने वो सब किया जो उन्हें भाता था।
13 भला होता मेरे लोग मेरी बात सुनते, और काश! इस्राएल वैसा ही जीवन जीता जैसा मैं उससे चाहता था।
14     तब मैं फिर इस्राएल के शत्रुओं को हरा देता।
    मैं उन लोगों को दण्ड देता जो इस्राएल को दु:ख देते।
15 यहोवा के शत्रु डर से थर थर काँपते हैं।
    वे सदा सर्वदा को दण्डित होंगे।
16 परमेश्वर निज भक्तों को उत्तम गेहूँ देगा।
    चट्टान उन्हें शहद तब तक देगी जब तक तृप्त नहीं होंगे।”

आसाप का एक स्तुति गीत।

परमेश्वर देवों की सभा के बीच विराजता है।
    उन देवों की सभा का परमेश्वर न्यायाधीश है।
परमेश्वर कहता है, “कब तक तुम लोग अन्यायपूर्ण न्याय करोगे?
    कब तक तुम लोग दुराचारी लोगों को यूँ ही बिना दण्ड दिए छोड़ते रहोगे?”

अनाथों और दीन लोगों की रक्षा कर,
    जिन्हें उचित व्यवहार नहीं मिलता तू उनके अधिकारों कि रक्षा कर।
दीन और असहाय जन की रक्षा कर।
    दुष्टों के चंगुल से उनको बचा ले।

“इस्राएल के लोग नहीं जानते क्या कुछ घट रहा है।
    वे समझते नहीं!
वे जानते नहीं वे क्या कर रहे हैं।
    उनका जगत उनके चारों ओर गिर रहा है।”
मैंने (परमेश्वर) कहा, “तुम लोग ईश्वर हो,
    तुम परम परमेश्वर के पुत्र हो।
किन्तु तुम भी वैसे ही मर जाओगे जैसे निश्चय ही सब लोग मर जाते हैं।
    तुम वैसे मरोगे जैसे अन्य नेता मर जाते हैं।”

हे परमेश्वर, खड़ा हो! तू न्यायाधीश बन जा!
    हे परमेश्वर, तू सारे ही राष्ट्रों का नेता बन जा!

आसाप का एक स्तुति गीत।

हे परमेश्वर, तू मौन मत रह!
    अपने कानों को बंद मत कर!
    हे परमेश्वर, कृपा करके कुछ बोल।
हे परमेश्वर, तेरे शत्रु तेरे विरोध में कुचक्र रच रहे हैं।
    तेरे शत्रु शीघ्र ही वार करेंगे।
वे तेरे भक्तों के विरूद्ध षड़यन्त्र रचते हैं।
    तेरे शत्रु उन लोगों के विरोध में जो तुझको प्यारे हैं योजनाएँ बना रहे हैं।
वे शत्रु कह रहे हैं, “आओ, हम उन लोगों को पूरी तरह मिटा डाले,
    फिर कोई भी व्यक्ति ‘इस्राएल’ का नाम याद नहीं करेगा।”
हे परमेश्वर, वे सभी लोग तेरे विरोध में और तेरे उस वाचा के विरोध में जो तूने हमसे किया है,
    युद्ध करने के लिये एक जुट हो गए।
6-7 ये शत्रु हमसे युद्ध करने के लिये एक जुट हुए हैं: एदोमी, इश्माएली, मोआबी और हाजिरा की संताने, गबाली
    और अम्मोनि, अमालेकी और पलिश्ती के लोग, और सूर के निवासी लोग।
    ये सभी लोग हमसे युद्ध करने जुट आये।
यहाँ तक कि अश्शूरी भी उन लोगों से मिल गये।
    उन्होंने लूत के वंशजों को अति बलशाली बनाया।

हे परमेश्वर, तू शत्रु वैसे हरा
    जैसे तूने मिद्यानी लोगों, सिसरा, याबीन को किशोन नदी के पास हराया।
10 तूने उन्हें एन्दोर में हराया।
    उनकी लाशें धरती पर पड़ी सड़ती रहीं।
11 हे परमेश्वर, तू शत्रुओं के सेनापति को वैसे पराजित कर जैसे तूने ओरेब और जायेब के साथ किया था,
    कर जैसे तूने जेबह और सलमुन्ना के साथ किया।
12 हे परमेश्वर, वे लोग हमको धरती छोड़ने के लिये दबाना चाहते थे!
13 उन लोगों को तू उखड़े हुए पौधा सा बना जिसको पवन उड़ा ले जाती है।
    उन लोगों को ऐसे बिखेर दे जैसे भूसे को आँधी बिखेर देती है।
14 शत्रु को ऐसे नष्ट कर जैसे वन को आग नष्ट कर देती है,
    और जंगली आग पहाड़ों को जला डालती है।
15 हे परमेश्वर, उन लोगों का पीछा कर भगा दे, जैसे आँधी से धूल उड़ जाती है।
    उनको कँपा और फूँक में उड़ा दे जैसे चक्रवात करता है।
16 हे परमेश्वर, उनको ऐसा पाठ पढ़ा दे, कि उनको अहसास हो जाये कि वे सचमुच दुर्बल हैं।
    तभी वे तेरे काम को पूजना चाहेंगे!
17 हे परमेश्वर, उन लोगों को भयभीत कर दे
    और सदा के लिये अपमानित करके उन्हें नष्ट कर दे।
18 वे लोग तभी जानेंगे कि तू परमेश्वर है।
    तभी वे जानेंगे तेरा नाम यहोवा है।
तभी वे जानेंगे
    तू ही सारे जगत का परम परमेश्वर है!

मित्तिथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

सर्वशक्तिमान यहोवा, सचमुच तेरा मन्दिर कितना मनोहर है।
हे यहोवा, मैं तेरे मन्दिर में रहना चाहता हूँ।
    मैं तेरी बाट जोहते थक गया हूँ!
मेरा अंग अंग जीवित यहोवा के संग होना चाहता है।
सर्वशक्तिमान यहोवा, मेरे राजा, मेरे परमेश्वर,
    गौरेया और शूपाबेनी तक के अपने घोंसले होते हैं।
ये पक्षी तेरी वेदी के पास घोंसले बनाते हैं
    और उन्हीं घोंसलों में उनके बच्चे होते हैं।
जो लोग तेरे मन्दिर में रहते हैं, अति प्रसन्न रहते हैं।
    वे तो सदा ही तेरा गुण गाते हैं।

वे लोग अपने हृदय में गीतों के साथ जो तेरे मन्दिर मे आते हैं,
    बहुत आनन्दित हैं।
वे प्रसन्न लोग बाका घाटी
    जिसे परमेश्वर ने झरने सा बनाया है गुजरते हैं।
    गर्मो की गिरती हुई वर्षा की बूँदे जल के सरोवर बनाती है।
लोग नगर नगर होते हुए सिय्योन पर्वत की यात्रा करते हैं
    जहाँ वे अपने परमेश्वर से मिलेंगे।

सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन!
    याकूब के परमेश्वर तू मेरी सुन ले।

हे परमेश्वर, हमारे संरक्षक की रक्षा कर।
    अपने चुने हुए राजा पर दयालु हो।
10 हे परमेश्वर, कहीं और हजार दिन ठहरने से
    तेरे मन्दिर में एक दिन ठहरना उत्तम है।
दुष्ट लोगों के बीच वास करने से,
    अपने परमेश्वर के मन्दिर के द्वार के पास खड़ा रहूँ यही उत्तम है।
11 यहोवा हमारा संरक्षक और हमारा तेजस्वी राजा है।
    परमेश्वर हमें करूणा और महिमा के साथ आशीर्वद देता है।
जो लोग यहोवा का अनुसरण करते हैं
    और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं, उनको वह हर उत्तम वस्तु देता है।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा, जो लोग तेरे भरोसे हैं वे सचमुच प्रसन्न हैं!

संगीत निर्देशक के लिये कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

हे यहोवा, तू अपने देश पर कृपालु हो।
    विदेश में याकूब के लोग कैदी बने हैं। उन बंदियों को छुड़ाकर उनके देश में वापस ला।
हे यहोवा, अपने भक्तों के पापों को क्षमा कर।
    तू उनके पाप मिटा दे।

हे यहोवा, कुपित होना त्याग।
    आवेश से उन्मत मत हो।
हमारे परमेश्वर, हमारे संरक्षक, हम पर तू कुपित होना छोड़ दे
    और फिर हमको स्वीकार कर ले।
क्या तू सदा के लिये हमसे कुपित रहेगा?
कृपा करके हमको फिर जिला दे!
    अपने भक्तों को तू प्रसन्न कर दे।
हे यहोवा, तू हमें दिखा दे कि तू हमसे प्रेम करता है।
    हमारी रक्षा कर।

जो परमेश्वर ने कहा, मैंने उस पर कान दिया।
    यहोवा ने कहा कि उसके भक्तों के लिये वहाँ शांति होगी।
    यदि वे अपने जीवन की मूर्खता की राह पर नहीं लौटेंगे तो वे शांति को पायेंगे।
परमेश्वर शीघ्र अपने अनुयायियों को बचाएगा।
    अपने स्वदेश में हम शीघ्र ही आदर के साथ वास करेंगे।
10 परमेश्वर का सच्चा प्रेम उनके अनुयायियों को मिलेगा।
    नेकी और शांति चुम्बन के साथ उनका स्वागत करेगी।
11 धरती पर बसे लोग परमेश्वर पर विश्वास करेंगे,
    और स्वर्ग का परमेश्वर उनके लिये भला होगा।
12 यहोवा हमें बहुत सी उत्तम वस्तुएँ देगा।
    धरती अनेक उत्तम फल उपजायेगी।
13 परमेश्वर के आगे आगे नेकी चलेगी,
    और वह उसके लिये राह बनायेगी।

दाऊद की प्रार्थना।

मैं एक दीन, असहाय जन हूँ।
    हे यहोवा, तू कृपा करके मेरी सुन ले, और तू मेरी विनती का उत्तर दे।
हे यहोवा, मैं तेरा भक्त हूँ।
    कृपा करके मुझको बचा ले। मैं तेरा दास हूँ। तू मेरा परमेश्वर है।
    मुझको तेरा भरोसा है, सो मेरी रक्षा कर।
मेरे स्वामी, मुझ पर दया कर।
    मैं सारे दिन तेरी विनती करता रहा हूँ।
हे स्वामी, मैं अपना जीवन तेरे हाथ सौंपता हूँ।
    मुझको तू सुखी बना मैं तेरा दास हूँ।
हे स्वामी, तू दयालु और खरा है।
    तू सचमुच अपने उन भक्तों को प्रेम करता है, जो सहारा पाने को तुझको पुकारते हैं।
हे यहोवा, मेरी विनती सुन।
    मैं दया के लिये जो प्रार्थना करता हूँ, उस पर तू कान दे।
हे यहोवा, अपने संकट की घड़ी में मैं तेरी विनती कर रहा हूँ।
    मैं जानता हूँ तू मुझको उत्तर देगा।
हे परमेश्वर, तेरे समान कोई नहीं।
    जैसे काम तूने किये हैं वैसा काम कोई भी नहीं कर सकता।
हे स्वामी, तूने ही सब लोगों को रचा है।
    मेरी कामना यह है कि वे सभी लोग आयें और तेरी आराधना करें! वे सभी तेरे नाम का आदर करें!
10 हे परमेश्वर, तू महान है!
    तु अद्भुत कर्म करता है! बस तू ही परमेश्वर है!
11 हे यहोवा, अपनी राहों की शिक्षा मुझको दे,।
    मैं जीऊँगा और तेरे सत्य पर चलूँगा।
मेरी सहायता कर।
    मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण यही है, कि मैं तेरे नाम की उपासना करूँ।
12 हे परमेश्वर, मेरे स्वमी, मैं सम्पूर्ण मन से तेरे गुण गाता हूँ।
    मैं तेरे नाम का आदर सदा सर्वदा करूँगा।
13 हे परमेश्वर, तू मुझसे कितना अधिक प्रेम करता है।
    तूने मुझे मृत्यु के गर्त से बचाया।
14 हे परमेश्वर, मुझ पर अभिमानी वार कर रहे हैं।
    क्रूर जनों का दल मुझे मार डालने का यत्न कर रहे हैं, और वे मनुष्य तेरा आदर नहीं करते हैं।
15 हे स्वामी, तू दयालु और कृपापूर्ण परमेश्वर है।
    तू धैर्यपूर्ण, विश्वासी और प्रेम से भरा हुआ हैं।
16 हे परमेश्वर, दिखा दे कि तू मेरी सुनता है, और मुझ पर कृपालु बन।
    मैं तेरा दास हूँ। तू मुझको शक्ति दे।
    मैं तेरा सेवक हूँ, मेरी रक्षा कर।
17 हे परमेश्वर, कुछ ऐसा कर जिससे यह प्रमाणित हो कि तू मेरी सहायता करेगा।
    फिर इससे मेरे शत्रु निराश हो जायेंगे।
    क्योंकि यहोवा इससे यह प्रकट होगा तेरी दया मुझ पर है और तूने मुझे सहारा दिया।

कोरह वंशियों का एक स्तुति गीत।

परमेश्वर ने यरूशलेम के पवित्र पहाड़ियों पर अपना मन्दिर बनाया।
    यहोवा को इस्राएल के किसी भी स्थान से सिय्योन के द्वार अधिक भाते हैं।
हे परमेश्वर के नगर, तेरे विषय में लोग अद्भुत बातें बताते है।

परमेश्वर अपने लोगों की सूची रखता है। परमेश्वर के कुछ भक्त मिस्र और बाबेल में रहते है।
    कुछ लोग पलिश्ती, सोर और कूश तक में रहते हैं।
परमेश्वर हर एक जन को
    जो सिय्योन में पैदा हुए जानता है।
    इस नगर को परम परमेश्वर ने बनाया है।
परमेश्वर अपने भक्तों की सूची रखता है।
    परमेश्वर जानता है कौन कहाँ पैदा हुआ।

परमेश्वर के भक्त उत्सवों को मनाने यरूशलेम जाते हैं। परमेश्वर के भक्त गाते, नाचते और अति प्रसन्न रहते हैं।
    वे कहा करते हैं, “सभी उत्तम वस्तुएं यरूशलेम से आई?”

कोरह वंशियों के ओर से संगीत निर्देशक के लिये यातना पूर्ण व्याधि के विषय में एज्रा वंशी हेमान का एक कलापूर्ण स्तुति गीत।

हे परमेश्वर यहोवा, तू मेरा उद्धारकर्ता है।
    मैं तेरी रात दिन विनती करता रहा हूँ।
कृपा करके मेरी प्रार्थनाओं पर ध्यान दे।
    मुझ पर दया करने को मेरी प्रार्थनाएँ सुन।
मैं अपनी पीड़ाओं से तंग आ चुका हूँ।
    बस मैं जल्दी ही मर जाऊँगा।
लोग मेरे साथ मुर्दे सा व्यवहार करने लगे हैं।
    उस व्यक्ति की तरह जो जीवित रहने के लिये अति बलहीन हैं।
मेरे लिये मरे व्यक्तियों में ढूँढ़।
    मैं उस मुर्दे सा हूँ जो कब्र में लेटा है,
और लोग उसके बारे में सब कुछ ही भूल गए।
हे यहोवा, तूने मुझे धरती के नीचे कब्र में सुला दिया।
    तूने मुझे उस अँधेरी जगह में रख दिया।
हे परमेश्वर, तुझे मुझ पर क्रोध था,
    और तूने मुझे दण्डित किया।

मुझको मेरे मित्रों ने त्याग दिया है।
    वे मुझसे बचते फिरते हैं जैसे मैं कोई ऐसा व्यक्ति हूँ जिसको कोई भी छूना नहीं चाहता।
घर के ही भीतर बंदी बन गया हूँ। मैं बाहर तो जा ही नहीं सकता।
    मेरे दु:खों के लिये रोते रोते मेरी आँखे सूज गई हैं।
हे यहोवा, मैं तुझसे निरतंर प्रार्थना करता हूँ।
    तेरी ओर मैं अपने हाथ फैला रहा हूँ।
10 हे यहोवा, क्या तू अद्भुत कर्म केवल मृतकों के लिये करता है?
    क्या भूत (मृत आत्माएँ) जी उठा करते हैं और तेरी स्तुति करते हैं? नहीं।

11 मरे हुए लोग अपनी कब्रों के बीच तेरे प्रेम की बातें नहीं कर सकते।
    मरे हुए व्यक्ति मृत्युलोक के भीतर तेरी भक्ति की बातें नहीं कर सकते।
12 अंधकार में सोये हुए मरे व्यक्ति उन अद्भुत बातों को जिनको तू करता है, नहीं देख सकते हैं।
    मरे हुए व्यक्ति भूले बिसरों के जगत में तेरे खरेपन की बातें नहीं कर सकते।
13 हे यहोवा, मेरी विनती है, मुझको सहारा दे!
    हर अलख सुबह मैं तेरी प्रार्थना करता हूँ।
14 हे यहोवा, क्या तूने मुझको त्याग दिया?
    तूने मुझ पर कान देना क्यों छोड़ दिया?
15 मैं दुर्बल और रोगी रहा हूँ।
    मैंने बचपन से ही तेरे क्रोध को भोगा है। मेरा सहारा कोई भी नहीं रहा।
16 हे यहोवा, तू मुझ पर क्रोधित है
    और तेरा दण्ड मुझको मार रहा है।
17 मुझे ऐसा लगता है, जैसे पीड़ा और यातनाएँ सदा मेरे संग रहती हैं।
    मैं अपनी पीड़ाओं और यातनाओं में डूबा जा रहा हूँ।
18 हे यहोवा, तूने मेरे मित्रों और प्रिय लोगों को मुझे छोड़ चले जाने को विवश कर दिया।
    मेरे संग बस केवल अंधकार रहता है।

एज्रा वंश के एतान का एक भक्ति गीत।

मैं यहोवा, की करूणा के गीत सदा गाऊँगा।
    मैं उसके भक्ति के गीत सदा अनन्त काल तक गाता रहूँगा।
हे यहोवा, मुझे सचमुच विश्वास है, तेरा प्रेम अमर है।
    तेरी भक्ति फैले हुए अम्बर से भी विस्तृत है।

परमेश्वर ने कहा था, “मैंने अपने चुने हुए राजा के साथ एक वाचा कीया है।
    अपने सेवक दाऊद को मैंने वचन दिया है।
‘दाऊद तेरे वंश को मैं सतत् अमर बनाऊँगा।
    मैं तेरे राज्य को सदा सर्वदा के लिये अटल बनाऊँगा।’”

हे यहोवा, तेरे उन अद्भुत कर्मो की अम्बर स्तुति करते हैं।
    स्वर्गदूतों की सभा तेरी निष्ठा के गीत गाते हैं।
स्वर्ग में कोई व्यक्ति यहोवा का विरोध नहीं कर सकता।
    कोई भी देवता यहोवा के समान नहीं।
परमेश्वर पवित्र लोगों के साथ एकत्रित होता है। वे स्वर्गदूत उसके चारो ओर रहते हैं।
    वे उसका भय और आदर करते हैं।
    वे उसके सम्मान में खड़े होते हैं।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा, जितना तू समर्थ है कोई नहीं है।
    तेरे भरोसे हम पूरी तरह रह सकते हैं।
तू गरजते समुद्र पर शासन करता है।
    तू उसकी कुपित तरंगों को शांत करता है।
10 हे परमेश्वर, तूने ही राहाब को हराया था।
    तूने अपने महाशक्ति से अपने शत्रु बिखरा दिये।
11 हे परमेश्वर, जो कुछ भी स्वर्ग और धरती पर जन्मी है तेरी ही है।
    तूने ही जगत और जगत में की हर वस्तु रची है।
12 तूने ही सब कुछ उत्तर दक्षिण रचा है।
    ताबोर और हर्मोन पर्वत तेरे गुण गाते हैं।
13 हे परमेश्वर, तू समर्थ है।
    तेरी शक्ति महान है।
    तेरी ही विजय है।

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

© 1995, 2010 Bible League International