Bible in 90 Days
झूठे नबियों के विरुद्ध न्याय
9 नबियों के लिये सन्देश है:
मैं बहुत दु:खी हूँ, मेरा हृदय विदीर्ण हो गया है।
मेरी सारी हड्डियाँ काँप रही हैं।
मैं (यिर्मयाह) मतवाले के समान हूँ।
क्यों यहोवा और उसके पवित्र सन्देश के कारण।
10 यहूदा देश ऐसे लोगों से भरा है
जो व्यभिचार का पाप करते हैं।
वे अनेक प्रकार से अभक्त हैं।
यहोवा ने भूमि को अभिशाप दिया और वह बहुत सूख गई।
पौधे चरगाहों में सूख रहे हैं और मर रहे हैं।
खेत मरुभूमि से हो गए हैं।
नबी पापी हैं, वे नबी अपने प्रभाव
और अपनी शक्ति का उपयोग गलत ढंग से करते हैं।
11 “नबी और याजक तक भी पापी हैं।
मैंने उन्हें अपने मन्दिर में पाप करते देखा है।
यह सन्देश यहोवा का है।
12 अत: मैं उन्हें अपना सन्देश देना बन्द करुँगा।
यह ऐसा होगा मानो वे अन्धकार में चलने को विवश किये गए हों।
यह ऐसा होगा मानो नबियों और याजकों के लिये फिसलन वाली सड़क हो।
उस अंधेरी जगह में वे नबी और याजक गिरेंगे। मैं उन पर आपत्तियाँ ढाऊँगा।
उस समय मैं उन नबियों और याजकों को दण्ड दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
13 “मैंने शोमरोन के नबियों को कुछ बुरा करते देखा।
मैंने उन नबियों को झूठे बाल देवता के नाम भविष्यवाणी करते देखा।
उन नबियों ने इस्राएल के लोगों को यहोवा से दूऱ भटकाया।
14 मैंने यहूदा के नबियों को यरूशलेम में बहुत भयानक कर्म करते देखा।
इन नबियों ने व्यभिचार करने का पाप किया।
उन्होंने झूठी शिक्षाओं पर विश्वास किया, और उन झूठे उपदेशों को स्वीकार किया।
उन्होंने दुष्ट लोगों को पाप करते रहने के लिये उत्साहित किया।
अत: लोगों ने पाप करना नहीं छोड़ा।
वे सभी लोग सदोम नगर की तरह हैं।
यरूशलेम के लोग मेरे लिये अमोरा नगर के समान हैं।”
15 अत: सर्वशक्तिमान यहोवा नबियों के बारे में ये बातें कहता है,
“मैं उन नबियों को दण्ड दूँगा।
वह दण्ड विषैला भोजन पानी खाने पीने जैसा होगा।
नबियों ने आध्यात्मिक बीमारी उत्पन्न की और वह बीमारी पूरे देश में फैल गई।
अत: मैं उन नबियों को दण्ड दूँगा।
वह बीमारी यरूशलेम में नबियों से आई।”
16 सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है:
“वे नबी तुमसे जो कहें उसकी अनसुनी करो।
वे तुम्हें मूर्ख बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं।
वे नबी अर्न्तदर्शन करने की बात करते हैं।
किन्तु वे अपना अर्न्तदर्शन मुझसे नहीं पाते।
उनका अर्न्तदर्शन उनके मन की उपज है।
17 कुछ लोग यहोवा के सच्चे सन्देश से घृणा करते हैं।
अत: वे नबी उन लोगों से भिन्न भिन्न कहते हैं।
वे कहते हैं, ‘तुम शान्ति से रहोगे।
कुछ लोग बहुत हठी हैं।
वे वही करते हैं जो वे करना चाहते हैं।’
अत: वे नबी कहते हैं, ‘तुम्हारा कुछ भी बुरा नहीं होगा।’
18 किन्तु इन नबियों में से कोई भी स्वर्गीय परिषद में सम्मिलित नहीं हुआ है।
उनमें से किसी ने भी यहोवा के सन्देश को न देखा है न ही सुना है।
उनमें से किसी ने भी यहोवा के सन्देश पर गम्भीरता से ध्यान नहीं दिया है।
19 अब यहोवा के यहाँ से दण्ड आँधी की तरह आएगा।
यहोवा का क्रोध बवंडर की तरह होगा।
यह उन दुष्ट लोगों के सिरों को कुचलता हुआ आएगा।
20 यहोवा का क्रोध तब तक नहीं रूकेगा जब तक वे जो करना चाहते हैं, पूरा न कर लें।
जब वह दिन चला जाएगा तब तुम इसे ठीक ठीक समझोगे।
21 मैंने उन नबियों को नहीं भेजा।
किन्तु वे अपने सन्देश देने दौड़ पड़े।
मैंने उनसे बातें नहीं की।
किन्तु उन्होंने मेरे नाम के उपदेश दिये।
22 यदि वे मेरी स्वर्गीय परिषद में सम्मिलित हुए होते तो उन्होंने यहूदा के लोगों को मेरा सन्देश दिया होता।
उन्होंने लोगों को बुरे कर्म करने से रोक दिया होता।
उन्होंने लोगों को पाप कर्म करने से रोक दिया होता।”
23 यह सन्देश यहोवा का है।
“मैं परमेश्वर हूँ, यहाँ वहाँ और सर्वत्र।
मैं बहुत दूर नहीं हूँ।
24 कोई व्यक्ति किसी छिपने के स्थान में अपने को मुझसे छिपाने का प्रयत्न कर सकता है।
किन्तु उसे देख लेना मेरे लिये सरल है।
क्यों क्योंकि मैं स्वर्ग और धरती दोनों पर सर्वत्र हूँ!”
यहोवा ने ये बातें कहीं। 25 “ऐसे नबी हैं जो मेरे नाम पर झूठा उपदेश देते हैं। वे कहते हैं, ‘मैंने एक स्वप्न देखा है! मैंने एक स्वप्न देखा है!’ मैंने उन्हें वे बातें करते सुना है। 26 यह कब तक चलता रहेगा वे नबी झूठ ही का चिन्तन करते हैं और तब वे उस झूठ का उपदेश लोगों को देते हैं। 27 ये नबी प्रयत्न करते हैं कि यहूदा के लोग मेरा नाम भूल जायें। वे इस काम को, आपस में एक दूसरे से कल्पित स्वप्न कहकर कर रहे हैं। ये लोग मेरे लोगों से मेरा नाम वैसे ही भुलवा देने का प्रयत्न कर रहे हैं जैसे उनके पूर्वज मुझे भूल गए थे। उनके पूर्वज मुझे भूल गए और उन्होंने असत्य देवता बाल की पूजा की। 28 मूसा वह नहीं है जो गेहूँ है। ठीक उसी प्रकार उन नबियों के स्वप्न मेरे सन्देश नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने स्वप्नों को कहना चाहता है तो उसे कहने दो। किन्तु उस व्यक्ति को मेरे सन्देश को सच्चाई से कहने दो जो मेरे सन्देश को सुनता है। 29 मेरा सन्देश ज्वाला की तरह है। यह उस हथौड़े की तरह है जो चट्टान को चूर्ण करता है। यह सन्देश यहोवा का है।”
30 “इसलिए मैं झूठे नबियों के विरुद्ध हूँ। क्योंकि वे मेरे सन्देश को एक दूसरे से चुराने में लगे रहते हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। 31 “वे अपनी बात कहते हैं और दिखावा यह करते हैं कि वह यहोवा का सन्देश है। 32 मैं उन झूठे नबियों के विरुद्ध हूँ जो झूठे स्वप्न का उपदेश देते हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “वे अपने झूठ और झूठे उपदेशों से मेरे लोगों को भटकाते हैं। मैंने उन नबियों को लोगों को उपदेश देने के लिये नहीं भेजा। मैंने उन्हें अपने लिये कुछ करने का आदेश कभी नहीं दिया। वे यहूदा के लोगों की सहायता बिल्कुल नहीं कर सकते।” यह सन्देश यहोवा का है।
यहोवा से दु:खपूर्ण सन्देश
33 “यहूदा के लोग, नबी अथवा याजक तुमसे पूछ सकते हैं, ‘यिर्मयाह, यहोवा की घोषणा क्या है?’ तुम उन्हें उत्तर दोगे और कहोगे, ‘तुम यहोवा के लिये दुर्वह भार हो और मैं यहोवा उस दुर्वह भार को नीचे पटक दूँगा।’ यह सन्देश यहोवा का है।
34 “कोई नबी या कोई याजक अथवा संभवत: लोगों में से कोई कह सकता है, ‘यह यहोवा से घोषणा है।’ उस व्यक्ति ने यह झूठ कहा, अत: मैं उस व्यक्ति और उसके पूरे परिवार को दण्ड दूँगा। 35 जो तुम आपस में एक दूसरे से कहोगे वह यह है: ‘यहोवा ने क्या उत्तर दिया?’ या ‘यहोवा ने क्या कहा?’ 36 किन्तु तुम पुन: इस भाव को कभी नहीं दुहराओगे। यहोवा की घोषणा (दुर्वह भार)। यह इसलिये कि यहोवा का सन्देश किसी के लिये दुर्वह भार नहीं होना चाहिये। किन्तु तुमने हमारे परमेश्वर के शब्द को बदल दिया। वह सजीव परमेश्वर है अर्थात् सर्वशक्तिमान यहोवा।
37 “यदि तुम परमेश्वर के सन्देश के बारे में जानना चाहते हो तब किसी नबी से पूछो, ‘यहोवा ने तुम्हें क्या उत्तर दिया?’ या ‘यहोवा ने क्या कहा?’ 38 किन्तु यह न कहो, ‘यहोवा के यहाँ से घोषणा (दुर्वह भार) क्या है?’ यदि तुम इन शब्दों का उपयोग करोगे तो यहोवा तुमसे यह सब कहेगा, तुम्हें मेरे सन्देश को ‘यहोवा के यहाँ से घोषणा’ (दुर्वह भार) नहीं कहना चाहिये था। मैंने तुमसे उन शब्दों का उपयोग न करने को कहा था। 39 किन्तु तुमने मेरे सन्देश को दुर्वह भार कहा, अत: मैं तुम्हें एक दुर्वह भार की तरह उठाऊँगा और अपने से दूर पटक दूँगा। मैंने तुम्हारे पूर्वजों को यरूशलेम नगर दिया था। किन्तु अब मैं तुम्हें और उस नगर को अपने से दूर फेंक दूँगा। 40 मैं सदैव के लिए तुम्हें कलंकित बना दूँगा। तुम कभी अपनी लज्जा को नहीं भूलोगे।”
अच्छे अंजीर और बुरे अंजीर
24 यहोवा ने मुझे ये चीज़ें दिखाई: यहोवा के मन्दिर के सामने मैंने सजी दो अंजीर की टोकरियाँ देखीं। (मैंने इस अर्न्तदर्शन को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर द्वारा यकोन्याह को बन्दी बना लिये जाने के बाद देखा। यकोन्याह राजा यहोयाकीम का पुत्र था। यकोन्याह और उसके बड़े अधिकारी यरूशलेम से दूर पहुँचा दिये गए थे। वे बाबुल पहुँचाये गए थे। नबूकदनेस्सर यहूदा के सभी बढ़इयों और धातुकारों को ले गया था।) 2 एक टोकरी में बहुत अच्छे अंजीर थे। वे उन अंजीरों की तरह थे जो मौसम के आरम्भ में पकते हैं। किन्तु दूसरी टोकरी में सड़े गले अंजीर थे। वे इतने अधिक सड़े गले थे कि उन्हें खाया नहीं जा सकता था।
3 यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, तुम क्या देखते हो”
मैंने उत्तर दिया, “मैं अंजीर देखता हूँ। अच्छे अंजीर बहुत अच्छे हैं। और सड़े गले अंजीर बहुत ही सड़े गले हैं। वे इतने सड़े गले हैं कि खाये नहीं जा सकते।”
4 तब यहोवा का सन्देश मुझे मिला। 5 इस्राएल के परमेश्वर यहोवा, ने कहा, “यहूदा के लोग अपने देश से ले जाए गए। उनका शत्रु उन्हें बाबुल ले गया। वे लोग इन अच्छे अंजीरों की तरह होंगे। मैं उन लोगों पर दया करुँगा। 6 मैं उनकी रक्षा करूँगा। मैं उन्हें यहूदा देश में वापस लाऊँगा। मैं उन्हें चीर कर फेंकूँगा नहीं, मैं फिर उनका निर्माण करुँगा। मैं उन्हें उखाड़ूँगा नहीं अपितु रोपूँगा जिससे वे बढ़े। 7 मैं उन्हें अपने को समझने की इच्छा रखने वाला बनाऊँगा। वे समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ। वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर। मैं यह करूँगा क्योंकि वे बाबुल के बन्दी पूरे हृदय से मेरी शरण में आएंगे।
8 “किन्तु यहूदा का राजा सिदकिय्याह उन अंजीरों की तरह है जो इतने सड़े गले हैं कि खाये नहीं जा सकते। सिदकिय्याह उसके बड़े अधिकारी, वे सभी लोग जो यरूशलेम में बच गए है, और यहूदा के वे लोग जो मिस्र में रह रहें हैं उन सड़े गले अंजीरों की तरह होंगे।
9 “मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा। वह दण्ड पृथ्वी के सभी लोगों का हृदय दहला देगा। लोग यहूदा के लोगों का मजाक उड़ायेंगे। लोग उनके विषय में हँसी उड़ाएंगे। लोग उन्हें उन सभी स्थानों पर अभिशाप देंगे जहाँ उन्हें मैं बिखेरुँगा। 10 मैं उनके विरुद्ध तलवारें, भूखमरी और बीमारियाँ भेजूँगा। मैं उन पर तब तक आक्रमण करुँगा जब तक कि वे सभी मर नहीं जाते। तब मे भविष्य में उस भूमि पर नहीं रहेंगे जिसे मैंने इनको तथा इनके पूर्वजों को दिया था।”
यिर्मयाह के उपदेश का सार
25 यह वह सन्देश है, जो यहूदा के सभी लोगों से सम्बन्धित, यिर्मयाह को मिला। यह सन्देश यहोयाकीम के यहूदा में राज्यकाल के चौथे वर्ष में आया। यहोयाकीम योशिय्याह का पुत्र था। राजा के रूप में उसके राज्यकाल का चौथा वर्ष वही था जो बाबुल में नबूकदनेस्सर का पहला वर्ष था। 2 यह वही सन्देश है जिसे यिर्मयाह नबी ने यहूदा के लोगों और यरूशलेम के लोगों को दिया।
3 मैंने इन गत तेईस वर्षों में यहोवा के सन्देशों को तुम्हें बार—बार दिया है। मैं यहूदा के राजा आमोन के पुत्र योशिय्याह के राज्यकाल के तेरहवें वर्ष से नबी हूँ। मैंने उस समय से आज तक यहोवा के यहाँ से सन्देशों को तुम्हें दिया है। किन्तु तुमने उसे अनसुना किया है। 4 यहोवा ने अपने सेवक नबियों को तुम्हारे पास बार—बार भेजा है। किन्तु तुमने उन्हें अनसुना किया है। तुमने उनकी ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया है।
5 उन नबियों ने कहा, “अपने जीवन को बदलो। उन बुरे कामों को करना छोड़ो। यदि तुम बदल जाओगे, तो तुम उस भूमि पर वापस लौट और रह सकोगे जिसे यहोवा ने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को बहुत पहले दी थी। उसने यह भूमि तुम्हें सदैव रहने को दी। 6 अन्य देवताओं का अनुसरण न करो। उनकी सेवा या उनकी पूजा न करो। उन मूर्तियों की पूजा न करो जिन्हें कुछ लोगों ने बनाया है। वह मुझे तुम पर केवल क्रोधित करता है। यह करना तुम्हें केवल चोट पहुँचाता है।”
7 “किन्तु तुमने मेरी अनसुनी की।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुमने उन मूर्तियों की पूजा की जिन्हें कुछ लोगों ने बनाया और उसने मुझे क्रोधित किया और उसने तुम्हें केवल चोट पहुँचाई।”
8 अत: सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, “तुमने मेरे सन्देश को अनसुना किया है। 9 अत: मैं उत्तर के सभी परिवार समूहों को शीघ्र बुलाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं शीघ्र ही बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को भेजूँगा। वह मेरा सेवक है। मैं उन लोगों को यहूदा देश और यहूदा के लोगों के विरुद्ध बुलाऊँगा। मैं उन्हें तुम्हारे चारों ओर के पड़ोसी राष्ट्रों के विरुद्ध भी लाऊँगा। मैं उन सभी देशों को नष्ट करुँगा। मैं उन देशों को सदैव के लिये सूनी मरुभूमि बना दूँगा। लोग उन देशों को देखेंगे और जिस बुरी तरह से वे नष्ट हुए हैं उस पर सीटी बजाएंगे। 10 मैं उन स्थानों पर सुख और आनन्द की किलोलों को बन्द कर दूँगा। वहाँ भविष्य में दुल्हा—दुल्हनों की उमंग भरी हँसी ठिठोली न होगी। मैं चक्की चलाने लोगों के गीतों को दूर कर दूँगा। मैं दीपकों का उजाला खत्म करूँगा। 11 वह सारा क्षेत्र ही सूनी मरुभूमि होगा। वे सारे लोग बाबुल के राजा के सत्तर वर्ष तक दास होंगे।
12 “किन्तु जब सत्तर वर्ष बीत जाएंगे तो मैं बाबुल के राजा को दण्ड दूँगा। मैं बाबुल राष्ट्र को दण्ड दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं कसदियों के देश को उनके पाप के लिये दण्ड दूँगा। मैं उस देश को सदैव के लिये मरुभूमि बनाऊँगा। 13 मैंने कहा है कि बाबुल पर अनेक विपत्तियाँ आएंगी। वे सभी चीज़ें घटित होंगी। यिर्मयाह ने उन विदेशी राज्यों के बारे में उपदेश दिया और वे सभी चेतावनियाँ इस पुस्तक में लिखी हैं। 14 हाँ बाबुल के लोगों को कई राष्ट्रों और कई बड़े राजाओं की सेवा करनी पड़ेगी। मैं उन्हें उसके लिए उनको उचित दण्ड दूँगा जो सब वे करेंगे।”
विश्व के राष्ट्रों के साथ न्याय
15 इस्राएल के परमेशवर यहोवा ने यह सब मुझसे कहा, “यिर्मयाह, यह दाखमधु का प्याला मेरे हाथों से लो। यह मेरे क्रोध का दाखमधु है। मैं तुम्हें विभिन्न राष्ट्रों में भेज रहा हूँ। उन सभी राष्ट्रों को इस प्याले से पिलाओं। 16 वे इस दाखमधु को पीएंगे। तब वे उलटी करेंगे और पागलों सा व्यवहार करेंगे। वे यह उन तलवारों के कारण ऐसा करेंगे जिन्हें मैं उनके विरुद्ध शीघ्र भेजूँगा।”
17 अत: मैंने यहोवा के हाथ से प्याला लिया। मैं उन राष्ट्रों में गया और उन लोगों को उस प्याले से पिलाया। 18 मैंने इस दाखमधु को यरूशलेम और यहूदा के लोगों के लिये ढाला। मैंने यहूदा के राजाओं और प्रमुखों को इस प्याले से पिलाया। मैंने यह इसलिये किया कि वे सूनी मरूभूमि बन जायें। मैंने यह इसलिये किया कि यह स्थान इतनी बुरी तरह से नष्ट हो जाये कि लोग इसके बारे में सीटी बजाएं और इस स्थान को अभिशाप दें और यह हुआ, यहूदा अब उसी तरह का है।
19 मैंने मिस्र के राजा फिरौन को भी प्याले से पिलाया। मैंने उसके अधिकारियों, उसके बड़े प्रमुखों और उसके सभी लोगों को यहोवा के क्रोध के प्याले से पिलाया।
20 मैंने सभी अरबों और उस देश के सभी राजाओं को उस प्याले से पिलाया।
मैंने पलिश्ती देश के सभी राजाओं को उस प्याले से पिलाया। ये अश्कलोन, अज्जा, एक्रोन नगरों और अशदोद नगर के बचे भाग के राजा थे।
21 तब मैंने एदोम, मोआब और अम्मोन के लोगों को उस प्याले से पियाला।
22 मैंने सोर और सीदोन के राजाओं को उस प्याले से पिलाया।
मैंने बहुत दूर से देशों के राजाओं को भी उस प्याले से पिलाया। 23 मैंने ददान, तेमा और बूज के लोगों को उस प्याले से पिलाया। मैंने उन सबको उस प्याले से पिलाया जो अपने गाल के बालों को काटते हैं। 24 मैंने अरब के सभी राजाओं को उस प्याले से पिलाया। ये राजा मरुभूमि में रहते हैं। 25 मैंने जिम्री, एलाम और मादै के सभी राजाओं को उस प्याले से पिलाया। 26 मैंने उत्तर के सभी समीप और दूर के राजाओं को उस प्याले से पिलाया। मैंने एक के बाद दूसरे को पिलाया। मैंने पृथ्वी पर के सभी राज्यों को यहोवा के क्रोध के उस प्याले से पिलाया। किन्तु बाबुल का राजा इन सभी अन्य राष्ट्रों के बाद इस प्याले से पीएगा।
27 “यिर्मयाह, उन राष्ट्रों से कहो कि इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है: ‘मेरे क्रोध के इस प्याले को पीओ। उसे पीकर मत्त हो जाओ और उलटियाँ करो। गिर पड़ो और उठो नहीं, क्योंकि तुम्हें मार डालने के लिये मैं तलवार भेज रहा हूँ।’
28 “वे लोग तुम्हारे हाथ से प्याला लेने से इन्कार करेंगे। वे इसे पीने से इन्कार करेंगे। किन्तु तुम उनसे यह कहोगे, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा यह बातें बताता है: तुम निश्चय ही इस प्याले से पियोगे। 29 मैं अपने नाम पर पुकारे जाने वाले यरूशलेम नगर पर पहले ही बुरी विपत्तियाँ ढाने जा रहा हूँ। सम्भव है कि तुम लोग सोचो कि तुम्हें दण्ड नहीं मिलेगा। किन्तु तुम गलत सोच रहे हो। तुम्हें दण्ड मिलेगा। मैं पृथ्वी के सभी लोगों पर आक्रमण करने के लिये तलवार मंगाने जा रहा हूँ।’” यह सन्देश यहोवा का है।
30 “यिर्मयाह, तुम उन्हें यह सन्देश दोगे:
‘यहोवा ऊँचे और पवित्र मन्दिर से गर्जना कर रहा है!
यहोवा अपनी चरागाह (लोग) के विरुद्ध चिल्लाकर कह रहा है!
उसकी चिल्लाहट वैसी ही ऊँची है,
जैसे उन लोगों की, जो अंगूरों को दाखमधु बनाने के लिये पैरों से कुचलते हैं।
31 वह चिल्लाहट पृथ्वी के सभी लोगों तक जाती है।
यह चिल्लाहट किस बात के लिये है
यहोवा सभी राष्ट्रों के लोगों को दण्ड दे रहा है।
यहोवा ने अपने तर्कपूर्ण निर्णय लोगों के विरुद्ध दिये।
उसने लोगों के साथ न्याय किया
और वह बुरे लोगों को तलवार के घाट उतार रहा है।’”
यह सन्देश यहोवा का है।
32 सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है:
“एक देश से दूसरे देश तक
शीघ्र ही बरबादी आएगी!
वह शक्तिशाली आँधी की तरह
पृथ्वी के सभी अति दूर के देशों में आएगी!”
33 उन लोगों के शव देश के एक सिरे से दूसरे सिरे को पहुँचेंगे। कोई भी उन मरों के लिये नहीं रोएगा। कोई भी यहोवा द्वारा मारे गये उनके शवों को इकट्ठा नहीं करेगा और दफनायेगा नहीं। वे गोबर की तरह जमीन पर पड़े छोड़ दिये जाएंगे।
34 गडरियों (प्रमुखों), तुम्हें भेड़ों (लोगों) को राह दिखानी चाहिये।
बड़े प्रमुखों, तुम जोर से चिल्लाना आरम्भ करो।
भेड़ों (लोगों) के प्रमुखों, पीड़ा से तड़पते हुए जमीन पर लेटो।
क्यों क्योंकि अब तुम्हारे मृत्यु के घाट उतारे जाने का समय आ गया है।
मैं तुम्हारी भेड़ें को बिखेरुँगा।
वे टूटे घड़े के ठीकरों की तरह चारों ओर बिखेरेंगे।
35 गडेरियों (प्रमुखों) के छिपने के लिये कोई स्थान नहीं होगा।
वे प्रमुख बचकर नहीं निकल पाएंगे।
36 मैं गडेरियों (प्रमुखों) का शोर मचाना सुन रहा हूँ।
मैं भेड़ों (लोगों) के प्रमुखों का रोना सुन रहा हूँ।
यहोवा उनकी चरागाह (देश) को नष्ट कर रहा है।
37 वे शान्त चरागाहें सूनी मरूभूमि सी हैं।
यह हुआ, क्योंकि यहोवा बहुत क्रोधित है।
38 यहोवा अपनी माद छोड़ते हुए सिंह की तरह खतरनाक है।
यहोवा क्रोधित है!
यहोवा का क्रोध उन लोगों को चोट पहुँचाएगा।
उनका देश सूनी मरुभूमि बन जाएगा।
मन्दिर पर यिर्मयाह की शिक्षा
26 यहोयाकीम के यहूदा में राज्य करने के प्रथम वर्ष यहोवा का यह सन्देश मिला। यहोयाकीम राजा योशिय्याह का पुत्र था। 2 यहोवा ने कहा, “यिर्मयाह, यहोवा के मन्दिर के आँगन में खड़े होओ। यहूदा के उन सभी लोगों को यह सन्देश दो जो यहोवा के मन्दिर में पूजा करने आ रहे हैं। तुम उनसे वह सब कुछ कहो जो मैं तुमसे कहने को कह रहा हूँ। मेरे सन्देश के किसी भाग को मत छोड़ो। 3 संभव है वे मेरे सन्देश को सुनें और उसके अनुसार चलें। संभव है वे ऐसी बुरी जिन्दगी बिताना छोड़ दें। यदि वे बदल जायें तो मैं उनको दण्ड देने की योजना के विषय में, अपने निर्णय को बदल सकता हूँ। मैं उनको वह दण्ड देने की योजना बना रहा हूँ क्योंकि उन्होंने अनेक बुरे काम किये हैं। 4 तुम उनसे कहोगे, ‘यहोवा जो कहता है, वह यह है: मैंने अपने उपदेश तुम्हें दिये। तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करना चाहिये और मेरे उपदेशों पर चलना चाहिये। 5 तुम्हें मेरे सेवकों की वे बातें सुननी चाहिये जो वे तुमसे कहें। (नबी मेरे सेवक हैं) मैंने नबियों को बार—बार तुम्हारे पास भेजा है किन्तु तुमने उनकी अनसुनी की है। 6 यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं करते तो मैं अपने यरूशलेम के मन्दिर को शीलो के पवित्र तम्बू की तरह कर दूँगा। सारे विश्व के लोग अन्य नगरों के लिये विपत्ति माँगने के समय यरूशलेम के बारे में सोचेंगे।’”
7 याजकों, नबियों और सभी लोगों ने यहोवा के मन्दिर में यिर्मयाह को यह सब कहते सुना। 8 यिर्मयाह ने वह सब कुछ कहना पूरा किया जिसे यहोवा ने लोगों से कहने का आदेश दिया था। तब याजकों, नबियों और लोगों ने यिर्मयाह को पकड़ लिया। उन्होंने कहा, “ऐसी भयंकर बात करने के कारण तुम मरोगे। 9 यहोवा के नाम पर ऐसी बातें करने का साहस तुम कैसे करते हो तुम यह कैसे कहने का साहस करते हो कि यह मन्दिर शीलो के मन्दिर की तरह नष्ट होगा तुम यह कहने का साहस कैसे करते हो कि यरूशलेम बिना किसी निवासी के मरुभूमि बनेगा!” सभी लोग यिर्मयाह के चारों ओर यहोवा के मन्दिर में इकट्ठे हो गए।
10 इस प्रकार यहूदा के शासकों ने उन सारी घटनाओं को सुना जो घटित हो रही थीं। अत: वे राजा के महल से बाहर आए। वे यहोवा के मन्दिर को गए। वहाँ वे नये फाटक के प्रवेश के स्थान पर बैठ गए। नया फाटक वह फाटक है जहाँ से यहोवा के मन्दिर को जाते हैं। 11 तब याजकों और नबियों ने शासकों और सभी लोगों से बातें कीं। उन्होंने कहा, “यिर्मयाह मार डाला जाना चाहिये। इसने यरूशलेम के बारे में बुरा कहा है। तुमने उसे वे बातें कहते सुना।”
12 तब यिर्मयाह ने यहूदा के सभी शासकों और अन्य सभी लोगों से बात की। उसने कहा, “यहोवा ने मुझे इस मन्दिर और इस नगर के बारे में बातें कहने के लिये भेजा। जो सब तुमने सुना है वह यहोवा के यहाँ से है। 13 तुम लोगों को अपना जीवन बदलना चाहिये! तुम्हें अच्छे काम करना आरम्भ करना चाहिये। तुम्हें अपने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा माननी चाहिये। यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा अपना इरादा बदल देगा। यहोवा वे बुरी विपत्तियाँ नहीं लायेगा, जिनके घटित होने के बारे में उसने कहा। 14 जहाँ तक मेरी बात है, मैं तुम्हारे वश में हूँ। मेरे साथ वह करो जिसे तुम अच्छा और ठीक समझते हो। 15 किन्तु यदि तुम मुझे मार डालोगे तो एक बात निश्चित समझो। तुम एक निरपराध व्यक्ति को मारने के अपराधी होगे। तुम इस नगर और इसमें जो भी रहते हैं उन्हें भी अपराधी बनाओगे। सच में, यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। जो सन्देश तुमने सुना है वह, सच में, यहोवा का है।”
16 तब शासक और सभी लोग बोल पड़े। उन लोगों ने याजकों और नबियों से कहा, “यिर्मयाह, नहीं मारा जाना चाहिये। यिर्मयाह ने जो कुछ कहा है वह हमारे यहोवा परमेश्वर की ही वाणी है।”
17 तब अग्रजों (प्रमुखों) में से कुछ खड़े हुए और उन्होंने सब लोगों से बातें कीं। 18 उन्होंने कहा, “मीकायाह नबी मोरसेती नगर का था। मीकायाह उन दिनों नबी था जिन दिनों हिजकिय्याह यहूदा का राजा था। मीकायाह ने यहूदा के सभी लोगों से यह कहा: सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है:
“सिय्योन एक जुता हुआ खेत बनेगा।
यरूशलेम चट्टानों की ढेर होगा।
जिस पहाड़ी पर मन्दिर बना है
उस पर पेड़ उगेंगे।”(A)
19 “हिजकिय्याह यहूदा का राजा था और हिजकिय्याह ने मीकायाह को नहीं मारा। यहूदा के किसी व्यक्ति ने मीकायाह को नहीं मारा। तुम जानते हो हिजकिय्याह यहोवा का सम्मान करता था। वह यहोवा को प्रसन्न करना चाहता था। यहोवा कह चुका था कि वह यहूदा का बुरा करेगा। किन्तु हिजकिय्याह ने यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने अपना इरादा बदल दिया। यहोवा ने वे बुरी विपत्तियाँ नहीं आने दीं। यदि हम लोग यिर्मयाह को चोट पहुँचायेंगे तो हम लोग अपने ऊपर अनेक विपत्तियाँ बुलाएंगे और वे विपत्तियाँ हम लोगों के अपने दोष के कारण होंगी।”
20 अतीत काल में एक दूसरा व्यक्ति था जो यहोवा के सन्देश का उपदेश देता था। उसका नाम ऊरिय्याह था। वह शमाय्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। ऊरिय्याह, किर्यत्यारीम नगर का था। ऊरिय्याह ने इस नगर और देश के विरुद्ध वही उपदेश दिया जो यिर्मयाह ने दिया है। 21 राजा यहोयाकीम उसके सेना—अधिकारी और यहूदा के प्रमुखों ने ऊरिय्याह का उपदेश सुना। वे क्रोधित हुए। राजा यहोयाकीम ऊरिय्याह को मार डालना चाहता था। किन्तु ऊरिय्याह को पता लगा कि यहोयाकीम उसे मार डालना चाहता है। ऊरिय्याह डर गया और वह मिस्र देश को भाग निकला। 22 किन्तु यहोयाकीम ने एलनातान नामक एक व्यक्ति तथा कुछ अन्य लोगों को मिस्र भेजा। एलनातान अकबोर नामक व्यक्ति का पुत्र था। 23 वे लोग ऊरिय्याह को मिस्र से वापस ले आये। तब वे लोग ऊरिय्याह को राजा यहोयाकीम के पास ले गए। यहोयाकीम ने ऊरिय्याह को तलवार के घाट उतार देने का आदेश दिया। ऊरिय्याह का शव उस कब्रिस्तान में फेंक दिया गया जहाँ गरीब लोग दफनाये जाते थे।
24 शापान का पुत्र अहीकाम ने यिर्मयाह का समर्थन किया। अत: अहीकाम ने लोगों द्वारा मार डाले जाने से यिर्मयाह को बचा लिया।
यहोवा ने नबूकदनेस्सर को शासक बनाया है
27 यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला। यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्यकाल के चौथे वर्ष यह आया। सिदकिय्याह राजा योशिय्याह का पुत्र था। 2 यहोवा ने मुझसे जो कहा, वह यह है: “यिर्मयाह, छड़ और चमड़े की पट्टियों से जुवा बनाओ। उस जुवा को अपनी गर्दन के पीछे की ओर रखो। 3 तब एदोम, मोआब, अम्मोन, सोर और सीदोन के राजाओं को सन्देश भेजो। ये सन्देश इन राजाओं के राजदूतों द्वारा भेजो जो यहूदा के राजा सिदकिय्याह से मिलने यरूशलेम आए हैं। 4 उन राजदूतों से कहो कि वे सन्देश अपने स्वामियों को दें। उनसे यह कहो कि इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘अपने स्वामियों से कहो कि 5 मैंने पृथ्वी और इस पर रहने वाले सभी लोगों को बनाया। मैंने पृथ्वी के सभी जानवरों को बनाया। मैंने यह अपनी बड़ी शक्ति और शक्तिशाली भुजा से किया। मैं यह पृथ्वी किसी को भी जिसे चाहूँ दे सकता हूँ। 6 इस समय मैंने बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को तुम्हारे देश दे दिये है। वह मेरा सेवक है। मैं जंगली जानवरों को भी उसका आज्ञाकारी बनाऊँगा। 7 सभी राष्ट्र नबूकदनेस्सर उसके पुत्र और उसके पौत्र की सेवा करेंगे। तब बाबुल की पराजय का समय आएगा। कई राष्ट्र और बड़े सम्राट बाबुल को अपना सेवक बनाएंगे।
8 “‘किन्तु इस समय कुछ राष्ट्र या राज्य बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर की सेवा करने से इन्कार कर सकते हैं। वे उसके जवे को अपनी गर्दन पर रखने से इन्कार कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो जो मैं करूँगा वह यह है: मैं उस राष्ट्र को तलवार, भूख और भयंकर बीमारी का दण्ड दूँगा। यह सन्देश यहोवा का है। मैं वह तब तक करूँगा जब तक मैं उस राष्ट्र को नष्ट न कर दूँ। मैं नबूकदनेस्सर का उपयोग उस राष्ट्र को नष्ट करने के लिये करूँगा जो उसके विरुद्ध करता है। 9 अत: अपने नबियों की एक न सुनो। उन व्यक्तियों की एक न सुनो जो भविष्य की घटनाओं को जानने के लिये जादू का उपयोग करते हैं। उन लोगों की एक न सुनो जो यह कहते हैं कि हम स्वप्न का फल बता सकते हैं। उन व्यक्तियों की एक न सुनो जो मरों से बात करते हैं या वे लोग जो जादूगर हैं। वे सभी तुमसे कहते हैं, “तुम बाबुल के राजा के दास नहीं बनोगे।” 10 नकिन्तु वे लोग तुमसे झूठ बोलते हैं। मैं तुम्हें तुम्हारी जन्म भूमि से बहुत दूर जाने पर विवश करूँगा और तुम दूसरे देश में मरोगे।
11 “‘किन्तु वे राष्ट्र, जो बाबुल के राजा के जुवे को अपने कंधे पर रखेंगे और उसकी आज्ञा मानेंगे, जीवित रहेंगे। मैं उन राष्ट्रों को उनके अपने देश में रहने दूँगा और बाबुल के राजा की सेवा करने दूँगा।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘उन राष्ट्रों के लोग अपनी भूमि पर रहेंगे और उस पर खेती करेंगे।’”
12 मैंने यहूदा के राजा सिदकिय्याह को भी यही सन्देश दिया। मैंने कहा, “सिदकिय्याह, तुम्हें बाबुल के राजा के जुवे के नीचे अपनी गर्दन देनी चाहिये और उसकी आज्ञा माननी चाहिये। यदि तुम बाबुल के राजा और उसके लोगों की सेवा करोगे तो तुम रह सकोगे। 13 यदि तुम बाबुल के राजा की सेवा करना स्वीकार नहीं करते तो तुम और तुम्हारे लोग शत्रु की तलवार के घाट उतारे जाएंगे, तथा भूख और भयंकर बीमारी से मरेंगे। यहोवा ने कहा कि ये घटनायें होंगी। 14 किन्तु झूठे नबी कह रहे हैं: ‘तुम बाबुल के राजा के दास कभी नहीं होगे।’
“उन नबियों की एक न सुनो। क्योंकि वे तुम्हें झूठा उपदेश दे रहे हैं। 15 ‘मैंने उन नबियों को नहीं भेजा है। यह सन्देश यहोवा का है। वे झूठा उपदेश दे रहे हैं और कह रहे हैं कि वह सन्देश मेरे यहाँ से है। अत: यहूदा के लोगों, मैं तुम्हें दूर भेजूँगा। तुम मरोगे और वे नबी भी जो उपदेश दे रहे हैं मरेंगे।’”
16 तब मैंने (यिर्मयाह) याजक और उन सभी लोगों से कहा, “यहोवा कहता है: ‘वे झूठे नबी कह रहे हैं: कसदियों ने बहुत सी चीज़ें यहोवा के मन्दिर से ली। वे चीज़ें शीघ्र ही वापस लाई जाएंगी।’ उन नबियों की एक न सुनो क्योंकि वे तुम्हें झूठा उपदेश दे रहे हैं। 17 उन नबियों की एक न सुनो। बाबुल के राजा की सेवा करो और तुम जीवित रहोगे। तुम्हारे लिये कोई कारण नहीं कि तुम यरूशलेम नगर को नष्ट करवाओ। 18 यदि वे लोग नबी हैं और उनके पास यहोवा का सन्देश है तो उन्हें प्रार्थना करने दो। उन चीज़ों के बारे में उन्हें प्रार्थना करने दो जो अभी तक राजा के महल में हैं और उन्हें उन चीज़ों के बारे में प्रार्थना करने दो जो अब तक यरूशलेम में हैं। उन नबियों को प्रार्थना करने दो ताकि वे सभी चीज़ें बाबुल नहीं ले जायी जायें।”
19 “सर्वशक्तिमान यहोवा उन सब चीज़ों के बारे में यह कहता है जो अभी तक यरूशलेम में बची रह गई हैं। मन्दिर में स्तम्भ, काँसे का बना सागर, हटाने योग्य आधार और अन्य चीज़ें हैं। बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने उन चीज़ों को यरूशलेम में छोड़ दिया। 20 नबूकदनेस्सर जब यहूदा के राजा यकोन्याह को बन्दी बनाकर ले गया तब उन चीज़ों को नहीं ले गया। यकोन्याह राजा यहोयाकीम का पुत्र था। नबूकदनेस्सर यहूदा और यरूशलेम के अन्य बड़े लोगों को भी ले गया। 21 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा मन्दिर में बची, राजमहल में बची और यरूशलेम में बची चीज़ों के बारे में यह कहता है: ‘वे सभी चीज़ें भी बाबुल ले जाई जाएंगी। 22 वे चीज़ें बाबुल में तब तक रहेंगी जब तक वह समय आएगा कि मैं उन्हें लेने जाऊँगा।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘तब मैं उन चीज़ों को वापस लाऊँगा। मैं इन चीज़ों को इस स्थान पर वापस रखूँगा।’”
झूठा नबी हनन्याह
28 यहूदा में सिदकिय्याह के राज्यकाल के चौथे वर्ष के पाँचवें महीने में हनन्याह नबी ने मुझसे बात की। हनन्याह अज्जूर नामक व्यक्ति का पुत्र था। हनन्याह गिबोन नगर का रहने वाला था। हनन्याह ने जब मुझसे बातें की, तब वह यहोवा के मन्दिर में था। याजक और सभी लोग भी वहाँ थे। हनन्याह ने जो कहा वह यह है: 2 “इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘मैं उस जुवे को तोड़ डालूँगा जिसे बाबुल के राजा ने यहूदा के लोगों पर रखा है। 3 दो वर्ष पूरे होने के पहले मैं उन चीज़ों को वापस ले आऊँगा जिन्हें बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर यहोवा के मन्दिर से ले गया है। नबूकदनेस्सर उन चीज़ों को बाबुल ले गया है। किन्तु मैं उन्हें यरूशलेम वापस ले आऊँगा। 4 मैं यहूदा के राजा यकोन्याह को भी वापस यहाँ ले आऊँगा। यकोन्याह, यहोयाकीम का पुत्र है मैं उन सभी यहूदा के लोगों को वापस लाऊँगा जिन्हें नबूकदनेस्सर ने अपना घर छोड़ने और बाबुल जाने को विवश किया।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘अत: मैं उस जुवे को तोड़ दूँगा जिसे बाबुल के राजा ने यहूदा के लोगों पर रखा हैं!’”
5 तब यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से यह कहा: वे यहोवा के मन्दिर में खड़े थे। याजक और वहाँ के सभी लोग यिर्मयाह का कहा हुआ सुन सकते थे। 6 यिर्मयाह ने हनन्याह से कहा, “आमीन! मुझे आशा है कि यहोवा निश्चय ही ऐसा करेगा! मुझे आशा है कि यहोवा उस सन्देश को सच घटित करेगा जो तुम देते हो। मुझे आशा है कि यहोवा अपने मन्दिर की चीज़ों को बाबुल से इस स्थान पर वापस लायेगा और मुझे आशा है कि यहोवा उन सभी लोगों को इस स्थान पर वापस लाएगा जो अपने घरों को छोड़ने को विवश किये गए थे।
7 “किन्तु हनन्याह वह सुनो जो मुझे कहना चाहिये। वह सुनो जो मैं सभी लोगों से कहता हूँ। 8 हनन्याह हमारे और तुम्हारे नबी होने के बहुत पहले भी नबी थे। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि युद्ध, भूखमरी और भयंकर बीमारियाँ अनेक देशों और राज्यों में आयेंगी। 9 किन्तु उस नबी की जाँच यह जानने के लिये होनी चाहिये कि उसे यहोवा ने सचमुच भेजा है जो यह कहता है कि हम लोग शान्तिपूर्वक रहेंगे। यदि उस नबी का सन्देश सच घटित होता है तो लोग समझ सकते हैं कि सत्य ही वह यहोवा द्वारा भेजा गया है।”
10 यिर्मयाह अपने गर्दन पर एक जुवा रखे थे। तब हनन्याह नबी ने उस जुवे को यिर्मयाह की गर्दन से उतार लिया। हनन्याह ने उस जुवे को तोड़ डाला। 11 तब हनन्याह सभी लोग के सामने बोला। उसने कहा, “यहोवा कहता है, ‘इसी तरह मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के जुवे को तोड़ दूँगा। उसने उस जुवे को विश्व के सभी राष्ट्रों पर रखा है। किन्तु मैं उस जुवे को दो वर्ष बीतने से पहले ही तोड़ दूँगा।’”
हनन्याह के वह कहने के बाद यिर्मयाह मन्दिर को छोड़कर चला गया।
12 तब यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला। यह तब हुआ जब हनन्याह ने यिर्मयाह की गर्दन से जुवे को उतार लिया था और उसे तोड़ डाला था। 13 यहोवा ने यिर्मयाह से कहा, “जाओ और हनन्याह से कहो, ‘यहोवा जो कहता है, वह यह है: तुमने एक काठ का जुवा तोड़ा है। किन्तु मैं काठ की जगह एक लोहे का जुवा बनाऊँगा।’ 14 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मैं इन सभी राष्ट्रों की गर्दन पर लोहे का जुवा रखूँगा। मैं यह बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर की उनसे सेवा कराने के लिये करूँगा और वे उसके दास होंगे। मैं नबूकदनेस्सर को जंगली जानवरों पर भी शासन का अधिकार दूँगा।’”
15 तब यिर्मयाह नबी ने हनन्याह नबी से कहा, “हनन्याह, सुनो! यहोवा ने तुझे नहीं भेजा। यहोवा ने तुम्हें नहीं भेजा किन्तु तुमने यहूदा के लोगों को झूठ में विश्वास कराया है। 16 अत: यहोवा जो कहता है, वह यह है, ‘हनन्याह मैं तुम्हें शीघ्र ही इस संसार से उठा लूँगा। तुम इस वर्ष मरोगे। क्यों क्योंकि तुमने लोगों को यहोवा के विरुद्ध जाने की शिक्षा दी है।’”
17 हनन्याह उसी वर्ष के सातवें महीने मर गया।
बाबुल में यहूदी बन्दियों के लिये एक पत्र
29 यिर्मयाह ने बाबुल में बन्दी यहूदियों को एक पत्र भेजा। उसने इसे अग्रजों (प्रमुखों), याजकों, नबियों और बाबुल में रहने वाले सभी लोगों को भेजा। ये वे लोग थे जिन्हें नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम में पकड़ा था और बाबुल ले गया था। 2 (यह पत्र, राजा यकोन्याह, राजमाता, अधिकारी, यहूदा और यरूशलेम के प्रमुख, बढ़ई और ठठेरों के यरूशलेम से ले जाए जाने के बाद भेजा गया था।) 3 सिदकिय्याह ने एलासा और गमर्याह को राजा नबूकदनेस्सर के पास भेजा। सिदकिय्याह यहूदा का राजा था। एलासा शापान का पुत्र था और गमर्याह हिल्किय्याह का पुत्र था। यिर्मयाह उस पत्र को उन लोगों को बाबुल ले जाने के लिये दिया। पत्र में जो लिखा था वह यह है:
4 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा ये बातें उन सभी लोगों से कहता है जिन्हें बन्दी के रुप में उसने यरूशलेम से बाबुल भेजा था: 5 “घर बनाओ और उनमें रहो। उस देश में बस जाओ। पौधे लगाओ और अपनी उगाई हुई फसल से भोजन प्राप्त करो। 6 विवाह करो तथा पुत्र—पुत्रियाँ पैदा करो। अपने पुत्रों के लिए पत्नियाँ खोजो और अपनी पुत्रियों की शादी करो। यह इसलिये करो जिससे उनके भी लड़के और लड़कियाँ हो बहुत से बच्चे पैदा करो और बाबुल में अपनी संख्या बढ़ाओ। अपनी संख्या मत घटाओ। 7 मैं जिस नगर में तुम्हें भेजूँ उसके लिये अच्छा काम करो। जिस नगर में तुम रहो उसके लिये यहोवा से प्रार्थना करो। क्यों क्योंकि यदि उस नगर में शान्ति रहेगी तो तुम्हें भी शान्ति मिलेगी।” 8 इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “अपने नबियों और जादूगरों को अपने को मूर्ख मत बनाने दो। उनके उन स्वप्नों के बारे में न सुनो जिन्हें वे देखते हैं। 9 वे झूठा उपदेश देते हैं और वे यह कहते हैं कि उनका सन्देश मेरे यहाँ से है। किन्तु मैंने उसे नहीं भेजा।” यह सन्देश यहोवा का है।
10 यहोवा जो कहता है, वह यह है: “बाबुल सत्तर वर्ष तक शक्तिशाली रहेगा। उसके बाद बाबुल में रहने वाले लोगों, मैं तुम्हारे पास आऊँगा। मैं तुम्हें वापस यरूशलेम लाने की सच्ची प्रतिज्ञा पूरी करुँगा। 11 मैं यह इसलिये कहता हूँ क्योंकि मैं उन अपनी योजनाओं को जानता हूँ जो तुम्हारे लिये हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हारे लिये मेरी अच्छी योजनाएं हैं। मैं तुम्हें चोट पहुँचाने की योजना नहीं बना रहा हूँ। मैं तुम्हें आशा और उज्जवल भविष्य देने की योजना बना रहा हूँ। 12 तब तुम लोग मेरा नाम लोगे। तुम मेरे पास आओगे और मेरी प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी बातों पर ध्यान दूँगा। 13 तुम लोग मेरी खोज करोगे और जब तुम पूरे हृदय से मेरी खोज करोगे तो तुम मुझे पाओगे। 14 मैं अपने को तुम्हें प्राप्त होने दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं तुम्हें तुम्हारे बन्दीखाने से वापस लाऊँगा। मैंने तुम्हें यह स्थान छोड़ने को विवश किया। किन्तु मैं तुम्हें उन सभी राष्ट्रों और स्थानों से इकट्ठा करुँगा जहाँ मैंने तुम्हें भेजा है।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं तुम्हें इस स्थान पर वापस लाऊँगा।”
15 तुम लोग यह कह सकते हो, “किन्तु यहोवा ने हमें यहाँ बाबुल में नबी दिये हैं।” 16 किन्तु यहोवा तुम्हारे उन सम्बन्धियों के बारे में जो बाबुल नहीं ले जाए गए यह कहता है: मैं उस राजा के बारे में बात कर रहा हूँ जो इस समय दाऊद के राजसिंहासन पर बैठा है और उन सभी अन्य लोगों के बारे में जो अब भी यरूशलेम नगर में रहते हैं। 17 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “मैं शीघ्र ही तलवार, भूख और भयंकर बीमारी उन लोगों के विरुद्ध भेजूँगा जो अब भी यरूशलेम में हैं और मैं उन्हें वे ही सड़े—गले अंजीर बनाऊँगा जो खाने योग्य नहीं। 18 मैं उन लोगों का पीछा, जो अभी भी यरूशलेम में है, तलवार, भूख और भयंकर बीमारी से करूँगा और मैं इसे ऐसा कर दूँगा कि पृथ्वी के सभी राज्य यह देखकर डरेंगे कि इन लोगों के साथ क्या घटित हो गया है। वे लोग नष्ट कर दिए जाएंगे। लोग जब उन घटित घटनाओं को सुनेंगे तो आश्चर्य से सिसकारी भरेंगे और जब लोग किन्हीं लोगों के लिये बुरा होने की मांग करेंगे तो इसे उदाहरण रूप में याद करेंगे। मैं उन लोगों को जहाँ कहीं जाने को विवश करुँगा, लोग वहाँ उनका अपमान करेंगे। 19 मैं उन सभी घटनाओं को घटित कराऊँगा क्योंकि यरूशलेम के उन लोगों ने मेरे सन्देश को अनसुना किया है।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैंने अपना सन्देश उनके पास बार—बार भेजा। मैंने अपने सेवक नबियों को उन लोगों को अपना सन्देश देने को भेजा। किन्तु लोगों ने उन्हें अनसुना किया।” यह सन्देश यहोवा का है। 20 “तुम लोग बन्दी हो। मैंने तुम्हें यरूशलेम छोड़ने और बाबुल जाने को विवश किया। अत: यहोवा का सन्देश सुनो।”
21 सर्वशक्तिमान यहोवा कोलायाह के पुत्र अहाब और मासेयाह के पुत्र सिदकिय्याह के बारे में यह कहता है: “ये दोनों व्यक्ति तुम्हें झूठा उपदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा है कि उनके सन्देश मेरे यहाँ से हैं। किन्तु वे झूठ बोल रहे थे। उन दोनों नबियों को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को दे दूँगा और नबूकदनेस्सर बाबुल में बन्दी तुम सभी लोगों के सामने उन नबियों को मार डालेगा। 22 सभी यहूदी बन्दी उन लोगों का उपयोग उदाहरण के लिये तब करेंगे जब वे अन्य लोगों का बुरा होने की मांग करेंगे। वे बन्दी कहेंगे, ‘यहोवा तुम्हारे साथ सिदकिय्याह और अहाब के समान व्यवहार करे। बाबुल के राजा ने उन दोनों को आग में जला दिया!’ 23 उन दोनों नबियों ने इस्राएल के लोगों के साथ घृणित कर्म किया था। उन्होंने अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ व्यभिचार किया है। उन्होंने झूठ भी बोला है और कहा है कि वे झूठ मुझ यहोवा के यहाँ से हैं। मैंने उनसे वह सब करने को नहीं कहा। मैं जानता हूँ कि उन्होंने क्या किया है मैं साक्षी हूँ।” यह सन्देश यहोवा का है।
शमायाह को परमेश्वर का सन्देश
24 शमायाह को भी एक सन्देश दो। शमायाह नेहलामी परिवार से है। 25 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शमायाह, तुमने यरूशलेम के सभी लोगों को पत्र भेजे और तुमने यासेयाह के पुत्र याजक सपन्याह को पत्र भेजे। तुमने सभी याजकों को पत्र भेजे। तुमने उन पत्रों को अपने नाम से भेजा और यहोवा की सत्ता के नाम पर नहीं। 26 शमायाह, तुमने सपन्याह को अपने पत्र में जो लिखा था वह यह है: ‘सपन्याह यहोवा ने यहोयादा के स्थान पर तुम्हें याजक बनाया है। तुम यहोवा के मन्दिर के अधिकारी हो। तुम्हें उस किसी को कैद कर लेना चाहिये जो पागल की तरह काम करता है और नबी की तरह व्यवहार करता है। तुम्हें उस व्यक्ति के पैरों को लकड़ी के बड़े टुकड़े के बीच रखना चाहिये और उसके गले में लौह—कटक पहनाना चाहिए। 27 इस समय यिर्मयाह नबी की तरह काम कर रहा है। अत: तुमने उसे बन्दी क्यों नहीं बनाया 28 यिर्मयाह ने हम लोगों को यह सन्देश बाबुल में दिया था: बाबुल में रहने वाले लोगों, तुम वहाँ लम्बे समय तक रहोगे। अत: अपने मकान बनाओ और वहीं बस जाओ। बाग लगाओ और वह खाओ, जो उपजाओ।’”
29 याजक सपन्याह ने यिर्मयाह नबी को पत्र सुनाया। 30 तब यिर्मयाह के पास यहोवा का सन्देश आया। 31 “यिर्मयाह, बाबुल के सभी बन्दियों को यह सन्देश भेजो: ‘नेहलामी परिवार के शमायाह के बारे में जो यहोवा कहता है, वह यह है: शमायाह ने तुम्हारे सामने भविष्यवाणी की, किन्तु मैंने उसे नहीं भेजा। शमायाह ने तुम्हें झूठ में विश्वास कराया है। शमायाह ने यह किया है। 32 अत: यहोवा जो कहता है वह यह है: नेहलामी परिवार के शमायाह को मैं शीघ्र दण्ड दूँगा। मैं उसके परिवार को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा और मैं अपने लोगों के लिये जो अच्छा करूँगा उसमें उसका कोई भाग नहीं होगा।’” यह सन्देश यहोवा का है। “‘मैं शमायाह को दण्ड दूँगा क्योंकि उसने लोगों को यहोवा के विरुद्ध जाने की शिक्षा दी है।’”
आशा के प्रतिज्ञाएं
30 यह सन्देश यहोवा का है जो यिर्मयाह को मिले। 2 इस्राएल के लोगों के परमेश्वर यहोवा ने यह कहा, “यिर्मयाह, मैंने जो सन्देश दिये है, उन्हें एक पुस्तक में लिख डालो। इस पुस्तक को अपने लिये लिखो।” 3 यह सन्देश यहोवा का है। “यह करो, क्योंकि वे दिन आएंगे जब मैं अपने लोगों इस्राएल और यहूदा को देश निकाले से वापस लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं उन लोगों को उस देश में वापस लाऊँगा जिसे मैंने उनके पूर्वजों को दिया था। तब मेरे लोग उस देश को फिर अपना बनायेंगे।”
4 यहोवा ने यह सन्देश इस्राएल और यहूदा के लोगों के बारे में दिया। 5 यहोवा ने जो कहा, वह यह है:
“हम भय से रोते लोगों का रोना सुनते हैं!
लोग भयभीत हैं! कहीं शान्ति नहीं!
6 “यह प्रश्न पूछो इस पर विचार करो:
क्या कोई पुरुष बच्चे को जन्म दे सकता है निश्चय ही नही!
तब मैं हर एक शक्तिशाली व्यक्ति को पेट पकड़े क्यों देखता हूँ
मानों वे प्रसव करने वाली स्त्री की पीड़ा सह रहे हो
क्यों हर एक व्यक्ति का मुख शव सा सफेद हो रहा है
क्यों? क्योंकि लोग अत्यन्त भयभीत हैं।
7 “यह याकूब के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण समय है।
यह बड़ी विपत्ति का समय है।
इस प्रकार का समय फिर कभी नहीं आएगा।
किन्तु याकूब बच जायेगा।”
8 यह सन्देश सर्वशक्तिमान यहोवा का है: “उस समय, मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों की गर्दन से जुवे को तोड़ डालूँगा और तुम्हें जकड़ने वाली रस्सियों को मैं तोड़ दूँगा। विदेशों के लोग मेरे लोगों को फिर कभी दास होने के लिये विवश नहीं करेंगे। 9 इस्राएल और यहूदा के लोग अन्य देशों की भी सेवा नहीं करेंगे। नहीं, वे तो अपने परमेश्वर यहोवा की सेवा करेंगे और वे अपने राजा दाऊद की सेवा करेंगे। मैं उस राजा को उनके पास भेजूँगा।
10 “अत: मेरे सेवक याकूब डरो नहीं।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“इस्राएल, डरो नहीं।
मैं उस अति दूर के स्थान से तुम्हें बचाऊँगा।
तुम उस बहुत दूर के देश में बन्दी हो,
किन्तु मैं तुम्हारे वंशजों को
उस देश से बचाऊँगा।
याकूब फिर शान्ति पाएगा।
याकूब को लोग तंग नहीं करेंगे।
मेरे लोगों को भयभीत करने वाला कोई शत्रु नहीं होगा।
11 इस्राएल और यहूदा के लोगों, मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
यह सन्देश यहोवा का है, “और मैं तुम्हें बचाऊँगा।
मैंने तुम्हें उन राष्ट्रों में भेजा।
किन्तु मैं उन सभी राष्ट्रों को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा।
यह सत्य है कि मैं उन राष्ट्रों को नष्ट करुँगा।
किन्तु मैं तुम्हें नष्ट नहीं करुँगा।
तुम्हें उन बुरे कामों का जरूर दण्ड मिलेगा जिन्हें तुमने किये।
किन्तु मैं तुम्हें अच्छी प्रकार से अनुशासित करूँगा।”
12 यहोवा कहता है, “इस्राएल और यहूदा के तुम लोगों को एक घाव
है जो अच्छा नहीं किया जा सकता।
तुम्हें एक चोट है जो अच्छी नहीं हो सकती।
13 तुम्हारे घावों को ठीक करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है।
अत: तुम स्वस्थ नहीं हो सकते।
14 तुम अनेक राष्ट्रों के मित्र बने हो,
किन्तु वे राष्ट्र तुम्हारी परवाह नहीं करते।
तुम्हारे मित्र तुम्हें भूल गए हैं।
मैंने तुम्हें शत्रु जैसी चोट पहुँचाई।
मैंने तुम्हें कठोर दण्ड दिया।
मैंने यह तुम्हारे बड़े अपराध के लिये किया।
15 इस्राएल और यहूदा तुम अपने घाव के बारे में क्यों चिल्ला रहे हो तुम्हारा घाव कष्टकर है
और इसका कोई उपचार नहीं है।
मैंने अर्थात् यहोवा ने तुम्हारे बड़े अपराधों के कारण तुम्हें यह सब किया।
मैंने ये चीजें तुम्हारे अनेक पापों के कारण कीं।
16 उन राष्ट्रों ने तुम्हें नष्ट किया।
किन्तु अब वे राष्ट्र नष्ट किये जायेंगे।
इस्राएल और यहूदा तुम्हारे शत्रु बन्दी होंगे।
उन लोगों ने तुम्हारी चीज़ें चुराई।
किन्तु अन्य लोग उनकी चीज़ें चुराएंगे।
उन लोगों ने तुम्हारी चीज़ें युद्ध में लीं।
किन्तु अन्य लोग उनसे चीज़ें युद्ध में लेंगे।
17 मैं तुम्हारे स्वास्थ को लौटाऊँगा और मैं तुम्हारे घावों को भरूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“क्यों क्योंकि अन्य लोगों ने कहा कि तुम जाति—बहिष्कृत हो।
उन लोगों ने कहा, ‘कोई भी सिय्योन की परवाह नहीं करता।’”
18 यहोवा कहता है:
“याकूब के लोग अब बन्दी हैं।
किन्तु वे वापस आएंगे।
और मैं याकूब के परिवारों पर दया करूँगा।
नगर अब बरबाद इमारतों से ढका एक पहाड़ी मात्र है।
किन्तु यह नगर फिर बनेगा
और राजा का महल भी वहाँ फिर बनेगा जहाँ इसे होना चाहिये।
19 उन स्थानों पर लोग स्तुतिगान करेंगे।
वहाँ हँसी ठट्ठा भी सुनाई पड़ेगा।
मैं उन्हें बहुत सी सन्तानें दूँगा।
इस्राएल और यहूदा छोटे नहीं रहेंगे।
मैं उन्हें सम्मान दूँगा।
कोई व्यक्ति उनका अनादर नहीं करेगा।
20 याकूब का परिवार प्राचीन काल के परिवारों सा होगा।
मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों को शक्तिशाली बनाऊँगा
और मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो उन पर चोट करेंगे।
21 उन्हीं में से एक उनका अगुवा होगा।
वह शासक मेरे लोगों में से होगा।
वह मेरे नजदीक तब आएंगे जब मैं उनसे ऐसा करने को कहूँगा।
अत: मैं उस अगुवा को अपने पास बुलाऊँगा
और वह मेरे निकट होगा।
22 तुम मेरे लोग होगे
और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।”
23 यहोवा बहुत क्रोधित था।
उसने लोगों को दण्ड दिया
और दण्ड प्रचंड आंधी की तरह आया।
दण्ड एक चक्रवात सा, दुष्ट लोगों के विरुद्ध आया।
24 यहोवा तब तक क्रोधित रहेगा
जब तक वे लोगों को दण्ड देना पूरा नहीं करता
वह तब तक क्रोधित रहेगा जब तक वह अपनी योजना के अनुसार दण्ड नहीं दे लेता।
जब वह दिन आएगा तो यहूदा के लोगों, तुम समझ जाओगे।
नया इस्राएल
31 यहोवा ने यह सब कहा: “उस समय मैं इस्राएल के पूरे परिवार समूहों का परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे।”
2 यहोवा कहता है,
“कुछ लोग, जो शत्रु की तलवार के घाट नहीं उतारे गए,
वे लोग मरुभूमि में आराम पाएंगे। इस्राएल आराम की खोज में आएगा।”
3 बहुत दूर से यहोवा
अपने लोगों के सामने प्रकट होगा।
यहोवा कहते हैं लोगों, “मैं तुमसे प्रेम करता हूँ और मेरा प्रेम सदैव रहेगा।
मैं सदैव तुम्हारे प्रति सच्चा रहूँगा।
4 मेरी दुल्हन, इस्राएल, मैं तुम्हें फिर सवारुँगा।
तुम फिर सुन्दर देश बनोगी।
तुम अपना तम्बूरा फिर संभालोगी।
तुम विनोद करने वाले अन्य सभी लोगों के साथ नाचोगी।
5 इस्राएल के किसानों, तुम अंगूर के बाग फिर लगाओगे।
तुम शोमरोन नगर के चारों ओर पहाड़ी पर उन अंगूरों के बाग लगाओगे
और किसान लोग उन अंगूरों के बागों के फलों का आनन्द लेंगे।
6 वह समय आएगा, जब एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश का चौकीदार यह सन्देश घोषित करेगा:
‘आओ, हम अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करने सिय्योन चलें!’
एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश के चौकीदार भी उसी सन्देश की घोषणा करेंगे।”
7 यहोवा कहता है,
“प्रसन्न होओ और याकूब के लिये गाओ।
सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र इस्राएल के लिये उद्घोष करो।
अपनी स्तुतियाँ करो, यह उद्घोष करो,
‘यहोवा ने अपने लोगों की रक्षा की है।
उसने इस्राएल राष्ट्र के जीवित बचे लोगों की रक्षा की है!’
8 समझ लो कि मैं उत्तर देश से इस्राएल को लाऊँगा।
मैं पृथ्वी के अति दूर स्थानों से
इस्राएल के लोगों को इकट्ठा करुँगा।
उन व्यक्तियों में से कुछ अन्धे और लंगड़े हैं।
कुछ स्त्रियाँ गर्भवती हैं
और शिशु को जन्म देगी।
असंख्य लोग वापस आएंगे।
9 लौटते समय वे लोग रो रहे होंगे।
किन्तु मैं उनकी अगुवाई करुँगा
और उन्हें आराम दूँगा।
मैं उन लोगों को पानी के नालों के साथ लाऊँगा।
मैं उन्हें अच्छी सड़क से लाऊँगा जिससे वे ठोकर खाकर न गिरें।
मैं उन्हें इस प्रकार लाऊँगा क्योंकि मैं इस्राएल का पिता हूँ
और एप्रैम मेरा प्रथम पुत्र है।
10 “राष्ट्रों, यहोवा का यह सन्देश सुनो।
सागर के किनारे के दूर देशों को यह सन्देश कहो:
‘जिसने इस्राएल के लोगों को बिखेरा,
वही उन्हें एक साथ वापस लायेगा
और वह गडेरिये की तरह अपनी झुंड (लोग) की देखभाल करेगा।’
11 यहोवा याकूब को वापस लायेगा
यहोवा अपने लोगों की रक्षा उन लोगों से करेगा जो उनसे अधिक बलवान हैं।
12 इस्राएल के लोग सिय्योन की ऊँचाइयों पर आएंगे,
और वे आनन्द घोष करेंगे।
उनके मुख यहोवा द्वारा दी गई अच्छी चीज़ों के कारण प्रसन्नता से झूम उठेंगे।
यहोवा उन्हें अन्न, नयी दाखमधु, तेल, नयी भेड़ें और गायें देगा।
वे उस उद्यान की तरह होंगे जिसमें प्रचुर जल हो
और इस्राएल के लोग भविष्य में तंग नहीं किये जाएंगे।
13 तब इस्राएल की युवतियाँ प्रसन्न होंगी और नाचेंगी।
युवा, वृद्ध पुरुष भी उस नृत्य में भाग लेंगे।
मैं उनके दु:ख को सुख में बदल दूँगा।
मैं इस्राएल के लोगों को आराम दूँगा।
मैं उनकी खिन्नता को प्रसन्नता में बदल दूँगा।
14 याजकों के लिये आवश्यकता से अधिक बलि भेंट दी जायेगी
और मेरे लोग इससे भरे पूरे तथा सन्तुष्ट होंगे जो अच्छी चीज़ें मैं उन्हें दूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
15 यहोवा कहता है,
“रामा में एक चिल्लाहट सुनाई पड़ेगी—
यह कटु रूदन और अधिक उदासी भरी होगी।
राहेल अपने बच्चों के लिये रोएगी राहेल सान्त्वना पाने से इन्कार करेगी,
क्योंकि उसके बच्चे मर गए हैं।”
16 किन्तु यहोवा कहता है: “रोना बन्द करो,
अपनी आँखे आँसू से न भरो!
तुम्हें अपने काम का पुरस्कार मिलेगा!”
यह सन्देश यहोवा का है।
“इस्राएल के लोग अपने शत्रु के देश से वापस आएंगे।
17 अत: इस्राएल, तुम्हारे लिये आशा है।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“तुम्हारे बच्चे अपने देश में वापस लौटेंगे।
18 मैंने एप्रैम को रोते सुना है।
मैंने एप्रैम को यह कहते सुना है:
‘हे यहोवा, तूने, सच ही, मुझे दण्ड दिया है
और मैंने अपना पाठ सीख लिया।
मैं उस बछड़े की तरह था जिसे कभी प्रशिक्षण नहीं मिला कृपया मुझे दण्ड देना बन्द कर, मैं तेरे पास वापस आऊँगा।
तू सच ही मेरा परमेश्वर यहोवा है।
19 हे यहोवा, मैं तुझसे भटक गया था।
किन्तु मैंने जो बुरा किया उससे शिक्षा ली।
अत: मैंने अपने हृदय और जीवन को बदल डाला।
जो मैंने युवाकाल में मूर्खतापूर्ण काम किये उनके लिये मैं परेशान और लज्जित हूँ।’”
20 परमेश्वर कहता है:
“तुम जानते हो कि एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र है।
मैं उस बच्चे से प्यार करता हूँ।
हाँ, मैं प्राय: एप्रैम के विरुद्ध बोलता हूँ,
किन्तु फिर भी मैं उसे याद रखता हूँ। मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ।
मैं सच ही, उसे आराम पहुँचाना चाहता हूँ।”
यह सन्देश यहोवा का है।
21 “इस्राएल के लोगों, सड़कों के संकेतों को लगाओ।
उन संकेतों को लगाओ जो तुम्हें घर का मार्ग बतायें।
सड़क को ध्यान से देखो।
उस सड़क पर ध्यान रखो जिससे तुम यात्रा कर रहे हो।
मेरी दुल्हन इस्राएल घर लौटो,
अपने नगरों को लौट आओ।
22 अविश्वासी पुत्री कब तक तुम चारों ओर मंडराती रहोगी
तुम कब घर आओगी”
यहोवा एक नयी चीज़ धरती पर बनाता है:
एक स्त्री, पुरुष के चारों तरफ।
23 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: “मैं यहूदा के लोगों के लिये फिर अच्छा काम करूँगा। उस समय यहूदा देश और उसके नगरों के लोग इन शब्दों का उपयोग फिर करेंगे: ‘ऐ सच्ची निवास भूमि ये पवित्र पर्वत यहोवा तुम्हें आशीर्वाद दे।’
24 “यहूदा के सभी नगरों में लोग एक साथ शान्तिपूर्वक रहेंगे। किसान और वह व्यक्ति जो अपनी भेड़ों की रेवड़ों के साथ चारों ओर घूमते हैं, यहूदा में शान्ति से एक साथ रहेंगे। 25 मैं उन लोगों को आराम और शक्ति दूँगा जो थके और कमजोर हैं।”
26 यह सुनने के बाद मैं (यिर्मयाह) जगा और अपने चारों ओर देखा। वह बड़ी आनन्ददायक नींद थी।
27 “वे दिन आ रहे हैं जब मैं यहूदा और इस्राएल के परिवारों को बढ़ाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं उनके बच्चों और जानवरों के बढ़ने में भी सहायता करुँगा। यह पौधे के रोपने और देखभाल करने जैसा होगा। 28 अतीत में, मैंने इस्राएल और यहूदा पर ध्यान दिया, किन्तु मैंने उस समय उन्हें फटकारने की दृष्टि से ध्यान दिया। मैंने उन्हें उखाड़ फेंका। मैंने उन्हें नष्ट किया। मैंने उन पर अनेक विपत्तियाँ ढाई। किन्तु अब मैं उन पर उनको बनाने तथा उन्हें शक्तिशाली करने की दृष्टि से ध्यान दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
29 “उस समय लोग इस कहावत को कहना बन्द कर देंगे:
‘पूर्वजों ने खट्टे अंगूर खाये
और बच्चों के दाँत खट्टे हो गये।’
30 किन्तु हर एक व्यक्ति अपने पाप के लिये मरेगा। जो व्यक्ति खट्टे अंगूर खायेगा, वही खट्टे स्वाद के कारण अपने दाँत घिसेगा।”
नयी वाचा
31 यहोवा ने यह सब कहा, “वह समय आ रहा है जब मैं इस्राएल के परिवार तथा यहूदा के परिवार के साथ नयी वाचा करूँगा। 32 यह उस वाचा की तरह नहीं होगी जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी। मैंने वह वाचा तब की जब मैंने उनके हाथ पकड़े और उन्हें मिस्र से बाहर लाया। मैं उनका स्वामी था और उन्होंने वाचा तोड़ी।” यह सन्देश यहोवा का है।
33 “भविष्य में यह वाचा मैं इस्राएल के लोगों के साथ करूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “मैं अपनी शिक्षाओं को उनके मस्तिष्क में रखूँगा तथा उनके हृदयों पर लिखूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे। 34 लोगों को यहोवा को जानने के लिए अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को, शिक्षा देना नहीं पड़ेगी। क्यों क्योंकि सबसे बड़े से लेकर सबसे छोटे तक सभी मुझे जानेंगे।” यह सन्देश यहोवा का है। “जो बुरा काम उन्होंने कर दिया उसे मैं क्षमा कर दूँगा। मैं उनके पापों को याद नहीं रखूँगा।”
यहोवा इस्राएल को कभी नहीं छोड़ेगा
35 यहोवा यह कहता है:
“यहोवा सूर्य को दिन में चमकाता है
और यहोबा चाँद और तारों को रात में चमकाता है।
यहोवा सागर को चंचल करता है जिससे उसकी लहरे तट से टकराती हैं।
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।”
36 यहोवा यह सब कहता है, “मेरे सामने इस्राएल के वंशज उसी दशा में एक राष्ट्र न रहेंगे।
यदि मैं सूर्य, चन्द्र, तारे और सागर पर अपना नियन्त्रण खो दूँगा।”
37 यहोवा कहता है: “मैं इस्राएल के वंशजों का कभी नहीं त्याग करुँगा।
यह तभी संभव है यदि लोग ऊपर आसमान को नापने लगें और नीचे धरती के सारे रहस्यों को जान जायें।
यदि लोग वह सब कर सकेंगे तभी मैं इस्राएल के वंशजों को त्याग दूँगा।
तब मैं उनको, जो कुछ उन्होंने किया, उसके लिये त्यागूँगा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
नया यरूशलेम
38 यह सन्देश यहोवा का है: “वे दिन आ रहे हैं जब यरूशलेम नगर यहोवा के लिये फिर बनेगा। पूरा नगर हननेल के स्तम्भ से कोने वाले फाटक तक फिर बनेगा। 39 नाप की जंजीर कोने वाले फाटक से सीधे गारेब की पहाड़ी तक बिछेगी और तब गोआ नामक स्थान तक फैलेगी। 40 पूरी घाटी जहाँ शव और राख फेंकी जाती है, यहोवा के लिये पवित्र होगी और उसमें किद्रोन घाटी तक के सभी टीले पूर्व में अश्वद्वार के कोने तक सम्मिलित होंगे। सारा क्षेत्र यहोवा के लिये पवित्र होगा। यरूशलेम का नगर भविष्य में न ध्वस्त होगा, न ही नष्ट किया जाएगा।”
यिर्मयाह एक खेत खरीदता है
32 सिदकिय्याह के यहूदा में राज्य काल के दसवें वर्ष, यिर्मयाह को यहोवा का यह सन्देश मिला। सिदकिय्याह का दसवाँ वर्ष नबूकदनेस्सर का अट्ठारहवाँ वर्ष था। 2 उस समय बाबुल के राजा की सेना यरूशलेम नगर को घेरे हुए थी और यिर्मयाह रक्षक प्रांगण में बन्दी था। यह प्रागंण यहूदा के राजा के महल में था। 3 यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने उस स्थान पर यिर्मयाह को बन्दी बना रखा था। सिदकिय्याह यिर्मयाह की भविष्यवाणियों को पसन्द नहीं करता था। यिर्मयाह ने कहा, “यहोवा यह कहता है: ‘मैं यरूशलेम को शीघ्र ही बाबुल के राजा को दे दूँगा। नबूकदनेस्सर इस नगर पर अधिकार कर लेगा। 4 यहूदा का राजा सिदकिय्याह कसदियों की सेना से बचकर निकल नहीं पाएगा। किन्तु वह निश्चय ही बाबुल के राजा को दिया जायेगा और सिदकिय्याह बाबुल के राजा से आमने—सामने बातें करेगा। सिदकिय्याह उसे अपनी आँखों से देखेगा। 5 बाबुल का राजा सिदकिय्याह को बाबुल ले जाएगा। सिदकिय्याह तब तक वहाँ ठहरेगा जब तक मैं उसे दण्ड नहीं दे लेता।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘यदि तुम कसदियों की सेना से लड़ोगे, तुम्हें सफलता नहीं मिलेगी।’”
6 जिस समय यिर्मयाह बन्दी था, उसने कहा, “यहोवा का सन्देश मुझे मिला। वह सन्देश यह था: 7 ‘यिर्मयाह, तुम्हारा चचेरा भाई हननेल शीघ्र ही तुम्हारे पास आएगा। वह तुम्हारे चाचा शल्लूम का पुत्र है।’ हननेल तुमसे यह कहेगा, ‘यिर्मयाह, अनातोत नगर के पास मेरा खेत खरीद लो। इसे खरीद लो क्योंकि तुम मेरे सबसे समीपी रिश्तेदार हो। उस खेत को खरीदना तुम्हारा अधिकार तथा तुम्हारा उत्तरदायित्व है।’”
8 “तब यह वैसा ही हुआ जैसा यहोवा ने कहा था। मेरा चचेरा भाई रक्षक प्रांगण में मेरे पास आया। हननेल ने मुझसे कहा, ‘यिर्मयाह, बिन्यामीन परिवार समूह के प्रदेश में अनातोत नगर के पास मेरा खेत खरीद लो। उस भूमि को तुम अपने लिये खरीदो क्योंकि यह तुम्हारा अधिकार है कि तुम इसे खरीदो और अपना बनाओ।’”
अत: मुझे ज्ञात हुआ कि यह यहोवा का सन्देश है। 9 मैंने अपने चचेरे भाई हननेल से अनातोत में भूमि खरीद ली। मैंने उसके लिये सत्तरह शेकेल चाँदी तौली। 10 मैंने पट्टे पर हस्ताक्षर किये और मुझे पट्टे की एक प्रति मुहरबन्द मिली और जो मैंने किया था उसके साक्षी के रूप से कुछ लोगों को बुला लिया तथा मैंने तराजू पर चाँदी तौली। 11 तब मैंने पट्टे की मुहरबन्द प्रति और मुहर रहित प्रति प्राप्त की 12 और मैंने उसे बारूक को दिया। बारुक नोरिय्याह का पुत्र था। नोरिय्याह महसेयाह का पुत्र था। मुहरबन्द पट्टे में मेरी खरीद की सभी शर्ते और सीमायें थीं। मैंने अपने चचेरे भाई हननेल और अन्य साक्षियों के सामने वह पट्टा बारुक को दिया। उन साक्षियों ने भी उस पट्टे पर हस्ताक्षर किये। उस समय यहूदा के बहुत से व्यक्ति प्रांगण में बैठे थे जिन्होंने मुझे बारुक को पट्टा देते देखा।
13 सभी लोगों को साक्षी कर मैंने बारुक से कहा, 14 “इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘मुहरबन्द और मुहर रहित दोनों पट्टे की प्रतियों को लो और इसे मिट्टी के घड़े में रख दो। यह तुम इसलिये करो कि पट्टा बहुत समय तक रहे।’ 15 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘भविष्य में मेरे लोग एक बार फिर घर, खेत और अंगूर के बाग इस्राएल देश में खरीदेंगे।’”
16 नेरिय्याह के पुत्र बारुक को पट्टा देने के बाद मैंने यहोवा से प्रार्थना की। मैंने कहा:
17 “परमेश्वर यहोवा, तूने पृथ्वी और आकाश बनाया। तूने उन्हें अपनी महान शक्ति से बनाया। तेरे लिये कुछ भी करना अति कठिन नहीं है। 18 यहोवा, तू हज़ारों व्यक्तियों का विश्वासपात्र और उन पर दयालु है। किन्तु तू व्यक्तियों को उनके पूर्वजों के पापों के लिए भी दण्ड देता है। महान और शक्तिशाली परमेश्वर, तेरा नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है। 19 हे यहोवा, तू महान कार्यों की योजना बनाता और उन्हें करता है। तू वह सब देखता है जिन्हें लोग करते हैं और उन्हें पुरस्कार देता है जो अच्छे काम करते हैं तथा उन्हें दण्ड देता है जो बुरे काम करते हैं, तू उन्हें वह देता है जिनके वे पात्र हैं। 20 हे यहोवा, तूने मिस्र देश में अत्यन्त प्रभावशाली चमत्कार किया। तूने आज तक भी प्रभावशाली चमत्कार किया है। तूने ये चमत्कार इस्राएल में दिखाया और तूने इन्हें वहाँ भी दिखाये जहाँ कहीं मनुष्य रहते हैं। तू इन चमत्कारों के लिये प्रसिद्ध है। 21 हे यहोवा, तूने प्रभावशाली चमत्कारों का प्रयोग किया और अपने लोग इस्राएल को मिस्र से बाहर ले आया। तूने उन चमत्कारों को करने के लिये अपने शक्तिशाली हाथों का उपयोग किया। तेरी शक्ति आश्चर्यजनक रही!
22 “हे यहोवा, तूने यह धरती इस्राएल के लोगों को दी। यह वही धरती है जिसे तूने उनके पूर्वजों को देने का वचन बहुत पहले दिया था। यह बहुत अच्छी धरती है। यह बहुत सी अच्छी चीज़ों वाली अच्छी धरती है। 23 इस्राएल के लोग इस धरती में आये और उन्होंने इसे अपना बना लिया। किन्तु उन लोगों ने तेरी आज्ञा नहीं मानी। वे तेरे उपदेशों के अनुसार न चले। उन्होंने वह नहीं किया जिसके लिये तूने आदेश दिया। अत: तूने इस्राएल के लोगों पर वे भयंकर विपत्तियाँ ढाई।
24 “अब शत्रु ने नगर पर घेरा डाला है। वे ढाल बना रहे हैं जिससे वे यरूशलेम की चहारदीवारी पर चढ़ सकें और उस पर अधिकार कर लें। अपनी तलवारों का उपयोग करके तथा भूख और भयंकर बीमारी के कारण बाबुल की सेना यरूशलेम नगर को हरायेगी। बाबुल की सेना अब नगर पर आक्रमण कर रही है। यहोवा तूने कहा था कि यह होगा, और अब तू देखता है कि यह घटित हो रहा है।
25 “मेरे स्वामी यहोवा, वे सभी बुरी घटनायें घटित हो रही हैं। किन्तु तू अब मुझसे कह रहा है, ‘यिर्मयाह, चाँदी से खेत खरीदो और खरीद की साक्षी के लिये कुछ लोगों को चुनो।’ तू यह उस समय कह रहा है जब बाबुल की सेना नगर पर अधिकार करने को तैयार है। मैं अपने धन को उस तरह बरबाद क्यों करूँ?”
26 तब यहोवा का सन्देश यिर्मयाह को मिला: 27 “यिर्मयाह, मैं यहोवा हूँ। मैं पृथ्वी के हर एक व्यक्ति का परमेश्वर हूँ। यिर्मयाह, तुम जानते हो कि मेरे लिये कुछ भी असंभव नहीं है।” 28 यहोवा ने यह भी कहा, “मैं शीघ्र ही यरूशलेम नगर को बाबुल की सेना और बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को दे दूँगा। वह सेना नगर पर अधिकार कर लेगी। 29 बाबुल की सेना पहले से ही यरूशलेम नगर पर आक्रमण कर रही है। वे शीघ्र ही नगर में प्रवेश करेंगे और आग लगा देंगे। वे इस नगर को जला कर राख कर देंगे। इस नगर में ऐसे मकान हैं जिनमें यरूशलेम के लोगों ने असत्य देवता बाल को छतों पर बलि भेंट दे कर मुझे क्रोधित किया है और लोगों ने अन्य देवमूर्तियों को मदिरा भेंट चढ़ाई। बाबुल की सेना उन मकानों को जला देगी। 30 मैंने इस्राएल और यहूदा के लोगों पर नजर रखी है। वे जो कुछ करते हैं, बुरा है। वे तब से बुरा कर रहे हैं जब से वे युवा थे। इस्राएल के लोगों ने मुझे बहुत क्रोधित किया। उन्होंने मुझे क्रोधित किया क्योंकि उन्होंने उन देवमूर्तियों की पूजा की जिन्हें उन्होंने अपने हाथों से बनाया।” यह सन्देश यहोवा का है। 31 “जब से यरूशलेम नगर बसा तब से अब तक इस नगर के लोगों ने मुझे क्रोधित किया है। इस नगर ने मुझे इतना क्रोधित किया है कि मुझे इसे अपनी नजर के सामने से दूर कर देना चाहिये। 32 यहूदा और इस्राएल के लोगों ने जो बुरा किया है, उसके लिये, मैं यरूशलेम को नष्ट करुँगा। जनसाधारण उनके राजा, प्रमुख, उनके याजक और नबी यहूदा के पुरुष और यरूशलेम के लोग, सभी ने मुझे क्रोधित किया है।
33 “उन लोगों को सहायता के लिये मेरे पास आना चाहिये था। लेकिन उन्होंने मुझसे अपना मुँह मोड़ा। मैंने उन लोगों को बार—बार शिक्षा देनी चाही किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। मैंने उन्हें सुधारना चाहा किन्तु उन्होंने अनसुनी की। 34 उन लोगों ने अपनी देवमूर्तियाँ बनाई हैं और मैं उन देवमूर्तियों से घृणा करता हूँ। वे उन देवमूर्तियों को उस मन्दिर में रखते हैं जो मेरे नाम पर है। इस तरह उन्होंने मेरे मन्दिर को अपवित्र किया है।
35 “बेनहिन्नोम की घाटी में उन लोगों ने असत्य देवता बाल के लिये उच्च स्थान बनाए। उन्होंने वे पूजा स्थान अपने पुत्र—पुत्रियों को शिशु बलिभेंट के रूप में जला सकने के लिये बनाए। मैंने उनको कभी ऐसे भयानक काम करने के लिये आदेश नहीं दिये। मैंने यह कभी सोचा तक नहीं कि यहूदा के लोग ऐसा भयंकर पाप करेंगे।
36 “तुम सभी लोग कहते हो, ‘बाबुल का राजा यरूशलेम पर अधिकार कर लेगा। वह तलवार, भुखमरी और भयंकर बीमारी का उपयोग इस नगर को पराजित करने के लिये करेगा।’ किन्तु यहोवा इस्राएल के लोगों का परमेश्वर कहता है, 37 ‘मैंने इस्राएल और यहूदा के लोगों को अपना देश छोड़ने को विवश किया है। मैं उन लोगों पर बहुत क्रोधित था। किन्तु मैं उन्हें इस स्थान पर वापस लाऊँगा। मैं उन्हें उन देशों से इकट्ठा करुँगा जिनमें जाने के लिये मैंने उन्हें विवश किया। मैं उन्हें इस देश में वापस लाऊँगा। मैं उन्हें शान्तिपूर्वक और सुरक्षित रहने दूँगा। 38 इस्राएल और यहूदा के लोग मेरे अपने लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा। 39 वे एक उद्देश्य रखेंगे सच ही, जीवन भर मेरी उपासना करना चाहेंगे। उनके लिये शुभ होगा और उनके बाद उनके परिवारों के लिये भी शुभ होगा।
40 “‘मैं इस्राएल और यहूदा के लोगों के साथ एक वाचा करूँगा। यह वाचा सदैव के लिये रहेगी। इस वाचा के अनुसार मैं लोगों से कभी दूर नहीं जाऊँगा। मैं उनके लिये सदैव अच्छा रहूँगा। मैं उन्हें, अपना आदर करने के लिये इच्छुक बनाऊँगा। तब वे मुझसे कभी दूर नहीं हटेंगे। 41 वे मुझे प्रसन्न करेंगे। मैं उनका भला करने में आनन्दित होऊँगा और मैं, निश्चय ही, उन्हें इस धरती में बसाऊँगा और उन्हें बढ़ाऊँगा। यह मैं अपने पूरे हृदय और आत्मा से करूँगा।’”
42 यहोवा जो कहता है, वह यह है, “मैंने इस्राएल और यहूदा के लोगों पर यह बड़ी विपत्ति ढाई है। इसी तरह मैं उन्हें अच्छी चीज़ें दूँगा। मैं उन्हें अच्छी चीज़ें करने का वचन देता हूँ। 43 तुम लोग यह कहते हो, ‘यह देश सूनी मरूभूमि है। यहाँ कोई व्यक्ति और कोई जानवर नहीं है। बाबुल की सेना ने इस देश को पराजित किया।’ किन्तु भविष्य में लोग फिर इस देश में भूमि खरीदेंगे। वे अपनी वाचाओं पर हस्ताक्षर के साक्षी होंगे। लोग उस प्रदेश में फिर खेत खरीदेंगे जिसमें बिन्यामीन परिवार समूह के लोग रहते हैं। 44 लोग अपने धन का उपयोग करेंगे और खेत खरीदेंगे। वे यरूशलेम क्षेत्र के चारों ओर खेत खरीदेंगे। वे यहूदा प्रदेश के नगरों, पहाड़ी प्रदेश, पश्चिमी पर्वत चरण, और दक्षिणी मरुभूमि के क्षेत्र में खेत खरीदेंगे। यह होगा, क्योंकि मैं तुम्हारे लोगों को वापस लाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
परमेश्वर की प्रतिज्ञा
33 यिर्मयाह को दूसरी बार यहोवा का सन्देश मिला। यिर्मयाह अभी भी रक्षक प्रांगण में ताले के अन्दर बन्दी था। 2 “यहोवा ने पृथ्वी को बनाया और उसकी वह रक्षा करता है। उसका नाम यहोवा है। यहोवा कहता है, 3 ‘यहूदा, मुझसे प्रार्थना करो और मैं उसे पूरा करूँगा। मैं तुम्हें महत्वपूर्ण रहस्य बताऊँगा। तुमने उन्हें कभी पहले नहीं सुना है।’ 4 इस्राएल का परमेश्वर यहोवा है। यहोवा यरूशलेम के मकानों और यहूदा के राजाओं के महलों के बारे में यह कहता है। ‘शत्रु उन मकानों को ध्वस्त कर देगा। शत्रु नगर की चहारदीवारियों के ऊपर तक ढाल बनायेगा। शत्रु तलवार का उपयोग करेगा और इन नगरों के लोगों के साथ युद्ध करेगा।’”
5 “‘यरूशलेम के लोगों ने बहुत बुरे काम किये हैं। मैं उन लोगों पर क्रोधित हूँ। मैं उनके विरुद्ध हो गया हूँ। इसलिये वहाँ मैं असंख्य लोगों को मार डालूँगा। बाबुल की सेना यरूशलेम के विरुद्ध लड़ने के लिये आएगी। यरूशलेम के घरों में असंख्य शव होंगे।
6 “‘किन्तु उसके बाद मैं उस नगर में लोगों को स्वस्थ बनाऊँगा। मैं उन लोगों को शान्ति और सुरक्षा का आनन्द लेने दूँगा। 7 मैं इस्राएल और यहूदा में फिर से सब कुछ अच्छा घटित होने दूँगा। मैं उन लोगों को अतीत की तरह शक्तिशाली बनाऊँगा। 8 उन्होंने मेरे विरुद्ध पाप किये, किन्तु मैं उस पाप को धो दूँगा। वे मेरे विरुद्ध लड़े, किन्तु मैं उन्हें क्षमा कर दूँगा। 9 तब यरूशलेम आश्चर्यचकित करने वाला स्थान हो जायेगा। लोग सुखी होंगे और अन्य राष्ट्रों के लोग इसकी प्रशंसा करेंगे। यह उस समय होगा जब लोग यह सुनेंगे कि वहाँ सब अच्छा हो रहा है। वे उन अच्छे कामों को सुनेंगे जिन्हें मैं यरूशलेम के लिये कर रहा हूँ।’
10 “तुम लोग यह कह रहे हो, ‘हमारा देश सूनी मरुभूमि है। वहाँ कोई व्यक्ति या कोई जानवर जीवित नहीं रहे।’ अब यरूशलेम की सड़कों और यहूदा के नगरों में निर्जन शान्ति है। किन्तु वहाँ शीघ्र ही चहल—पहल होगी। 11 वहाँ सुख और आनन्द की किलोलें होंगी। वहाँ वर—वधु की उमंग भरी चुहल होगी। वहाँ यहोवा के मन्दिर में अपनी भेंट लाने वाले की मधुर वाणी होगी। वे लोग कहेंगे, सर्वशक्तिमान यहोवा की स्तुति करो! यहोवा दयालु है! यहोवा की दया सदा बनी रहती है! लोग ये बातें कहेंगे क्योंकि मैं फिर यहूदा के लिये अच्छे काम करुँगा। यह वैसा ही होगा जैसा आरम्भ में था।” ये बातें यहोवा ने कही।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यह स्थान अब सूना है। यहाँ कोई लोग या जानवर नहीं रह रहें। किन्तु अब यहूदा के सभी नगरों में लोग रहेंगे। वहाँ गडरिये होंगे और चरागाहें होंगी जहाँ वे अपनी रेवड़ों को आराम करने देंगे। 13 गडरिये अपनी भेड़ों को तब गिनते हैं जब भेड़ें उनके आगे चलती हैं। लोग अपनी भेड़ों को पूरे देश में चारों ओर पहाड़ी प्रदेश, पश्चिमी पर्वत चरण, नेगव और यहूदा के सभी नगरों में गिनेंगे।”
अच्छी शाखा
14 यह सन्देश यहोवा का है: “मैंने इस्राएल और यहूदा के लोगों को विशेष वचन दिया है। वह समय आ रहा है जब मैं वह करूँगा जिसे करने का वचन मैंने दिया है। 15 उस समय मैं दाऊद के परिवार से एक अच्छी शाखा उत्पन्न करुँगा। वह अच्छी शाखा वह सब करेगी जो देश के लिये अच्छा और उचित होगा। 16 इस शाखा के समय यहूदा के लोगों की रक्षा हो जाएगी। लोग यरूशलेम में सुरक्षित रहेंगे। उस शाखा का नाम ‘यहोवा हमारी धार्मिकता (विजय) हैं।’”
17 यहोवा कहता है, “दाऊद के परिवार का कोई न कोई व्यक्ति सदैव सिंहासन पर बैठेगा और इस्राएल के परिवार पर शासन करेगा 18 और लेवी के परिवार से याजक सदैव होंगे। वे याजक मेरे सामने सदा रहेंगे और मुझे होमबलि, अन्नबलि और बलिभेंट करेंगे।”
19 यहोवा का यह सन्देश यिर्मयाह को मिला। 20 यहोवा कहता है, “मैंने रात और दिन से वाचा की है। मैंने वाचा की कि वह सदैव रहेगी। तुम उस वाचा को बदल नहीं सकते। दिन और रात सदा ठीक समय पर आएंगे। यदि तुम उस वाचा को बदल सकते हो 21 तो तुम दाऊद और लेवी के साथ की गई मेरी वाचा को भी बदल सकते हो। तब दाऊद और लेवी के परिवार के वंशज राजा और पुरोहित नहीं हो सकेंगे। 22 किन्तु मैं अपने सेवक दाऊद को और लेवी के परिवार समूह को अनेक वंशज दूँगा। वे उतने होंगे जितने आकाश में तारे हैं, और आकाश के तारों को कोई गिन नहीं सकता और वे इतने होंगे जितने सागर तट पर बालू के कण होते हैं और उन बालू के कणों को कोई गिन नहीं सकता।”
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