Bible in 90 Days
19 मरुभूमि में देवदार के, कीकार के, जैतून के, सनावर के, तिघारे के, चीड़ के पेड़ उगेंगे!
20 लोग ऐसा होते हुए देखेंगे और वे जानेंगे कि
यहोवा की शक्ति ने यह सब किया है।
लोग इनको देखेंगे और समझना शुरु करेंगे कि
इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) ने यह बातें की हैं।”
यहोवा की झूठे देवताओं को चेतावनी
21 याकूब का राजा यहोवा कहता है, “आ, और मुझे अपनी युक्तियाँ दे। अपना प्रमाण मुझे दिखा और फिर हम यह निश्चय करेंगे कि उचित बातें क्या हैं 22 तुम्हारे मूर्तियों को हमारे पास आकर, जो घट रहा है, वह बताना चाहिये। प्रारम्भ में क्या कुछ घटा था और भविष्य में क्या घटने वाला है। हमें बताओं हम बड़े ध्यान से सुनेंगे। जिससे हम यह जान जायें कि आगे क्या होने वाला है। 23 हमें उन बातों को बताओ जो घटनेवाली हैं। जिन्हें जानने का हमें इन्तज़ार है ताकि हम विश्वास करें कि सममुच तुम देवता हो। कुछ करो! कुछ भी करो। चाहे भला चाहे बुरा ताकि हम देख सकें और जान सके कि तुम जीवित हो और तुम्हारा अनुसरण करें।
24 “देखो झूठे देवताओं, तुम बेकार से भी ज्यादा बेकार हो! तुम कुछ भी तो नहीं कर सकते। केवल बेकार के भ्रष्ट लोग ही तुम्हें पूजना चाहते हैं!”
बस यहोवा ही परमेश्वर है
25 “उत्तर में मैंने एक व्यक्ति को उठाया है।
वह पूर्व से जहाँ सूर्य उगा करता है, आ रहा है।
वह मेरे नाम की उपासना किया करता है।
जैसे कुम्हार मिट्टी रौंदा करता है वैसे ही वह विशेष व्यक्ति राजाओं को रौंदेगा।”
26 “यह सब घटने से पहले ही हमें जिसने बताया है, हमें उसे परमेश्वर कहना चाहिए।
क्या हमें ये बातें तुम्हारे किसी मूर्ति ने बतायी नहीं!
किसी भी मूर्ति ने कुछ भी हमको नहीं बताया था।
वे मूर्ति तो एक भी शब्द नहीं बोल पाते हैं।
वे झूठे देवता एक भी शब्द जो तुम बोला करते हो नहीं सुन पाते हैं।
27 मैं यहोवा सिय्योन को इन बातों के विषय में बताने वाला पहला था।
मैंने एक दूत को इस सन्देश के साथ यरूशलेम भेजा था कि: ‘देखो, तुम्हारे लोग वापस आ रहे हैं!’”
28 मैंने उन झूठे देवों को देखा था, उनमें से कोई भी इतना बुद्धिमान नहीं था जो कुछ कह सके।
मैंने उनसे प्रश्न पूछे थे वे एक भी शब्द नहीं बोल पाये थे।
29 वे सभी देवता बिल्कुल ही व्यर्थ हैं!
वे कुछ नहीं कर पाते वे पूरी तरह मूल्यहीन हैं!
यहोवा का विशेष सेवक
42 “मेरे दास को देखो!
मैं ही उसे सभ्भाला हूँ।
मैंने उसको चुना है, मैं उससे अति प्रसन्न हूँ।
मैं अपनी आत्मा उस पर रखता हूँ।
वह ही सब देशों में न्याय खरेपन से लायेगा।
2 वह गलियों में जोर से नहीं बोलेगा।
वह नहीं चिल्लायेगा और न चीखेगा।
3 वह कोमल होगा।
कुचली हुई घास का तिनका तक वह नहीं तोड़ेगा।
वह टिमटिमाती हुई लौ तक को नहीं बुझायेगा।
वह सच्चाई से न्याय स्थापित करेगा।
4 वह कमजोर अथवा कुचला हुआ तब तक नहीं होगा
जब तक वह न्याय को दुनियाँ में न ले आये।
दूर देशों के लोग उसकी शिक्षाओं पर विश्वास करेंगे।”
यहोवा जगत का सृजन हार और शासक है
5 सच्चे परमेश्वर यहोवा ने ये बातें कही हैं: (यहोवा ने आकाशों को बनाया है। यहोवा ने आकाश को धरती पर ताना है। धरती पर जो कुछ है वह भी उसी ने बनाया है। धरती पर सभी लोगों में वही प्राण फूँकता है। धरती पर जो भी लोग चल फिर रहे हैं, उन सब को वही जीवन प्रदान करता है।)
6 “मैं यहोवा ने तुझ को खरे काम करने को बुलाया है।
मैं तेरा हाथ थामूँगा और तेरी रक्षा करुँगा।
तू एक चिन्ह यह प्रगट करने को होगा कि लोगों के साथ मेरी एक वाचा है।
तू सब लोगों पर चमकने को एक प्रकाश होगा।
7 तू अन्धों की आँखों को प्रकाश देगा और वे देखने लगेंगे।
ऐसे बहुत से लोग जो बन्दीगृह में पड़े हैं, तू उन लोगों को मुक्त करेगा।
तू बहुत से लोगों को जो अन्धेरे में रहते हैं उन्हें उस कारागार से तू बाहर छुड़ा लायेगा।”
8 “मैं यहोवा हूँ! मेरा नाम यहोवा है।
मैं अपनी महिमा दूसरे को नहीं दूँगा।
मैं उन मूर्तियों (झूठे देवों) को वह प्रशंसा,
जो मेरी है, नहीं लेने दूँगा।
9 प्रारम्भ में मैंने कुछ बातें जिनको घटना था,
बतायी थी और वे घट गयीं।
अब तुझको वे बातें घटने से पहले ही बताऊँगा
जो आगे चल कर घटेंगी।”
परमेश्वर की स्तुति
10 यहोवा के लिये एक नया गीत गाओ,
तुम जो दूर दराज के देशों में बसे हो,
तुम जो सागर पर जलयान चलाते हो,
तुम समुद्र के सभी जीवों,
दूरवर्ती देशों के सभी लोगों,
यहोवा का यशगान करो!
11 हे मरुभूमि एवं नगरों और केदार के गाँवों,
यहोवा की प्रशंसा करो!
सेला के लोगों,
आनन्द के लिये गाओ!
अपने पर्वतों की चोटी से गाओ।
12 यहोवा को महिमा दो।
दूर देशों के लोगों उसका यशगान करो!
13 यहोवा वीर योद्धा सा बाहर निकलेगा उस व्यक्ति सा जो युद्ध के लिये तत्पर है।
वह बहुत उत्तेजित होगा।
वह पुकारेगा और जोर से ललकारेगा
और अपने शत्रुओं को पराजित करेगा।
परमेश्वर धीरज रखता है
14 “बहुत समय से मैंने कुछ भी नहीं कहा है।
मैंने अपने ऊपर नियंन्त्रण बनाये रखा है और मैं चुप रहा हूँ।
किन्तु अब मैं उतने जोर से चिल्लाऊँगा जितने जोर से बच्चे को जनते हुए स्त्री चिल्लाती है!
मैं बहुत तीव्र और जोर से साँस लूँगा।
15 मैं पर्वतों—पहाड़ियों को नष्ट कर दूँगा।
मैं जो पौधे वहाँ उगते हैं। उनको सुखा दूँगा।
मैं नदियों को सूखी धरती में बदल दूँगा।
मैं जल के सरोवरों को सुखा दूँगा।
16 फिर मैं अन्धों को ऐसी राह दिखाऊँगा जो उनको कभी नहीं दिखाई गयी।
नेत्रहीन लोगों को मैं ऐसी राह दिखाऊँगा जिन पर उनका जाना कभी नहीं हुआ।
अन्धेरे को मैं उनके लिये प्रकाश में बदल दूँगा।
ऊँची नीची धरती को मैं समतल बनाऊँगा।
मैं उन कामों को करुँगा जिनका मैंने वचन दिया है!
मैं अपने लोगों को कभी नहीं त्यागूँगा।
17 किन्तु कुछ लोगों ने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया।
उन लोगों के पास वे मूर्तियाँ हैं जो सोने से मढ़ी हैं।
उन से वे कहा करते हैं कि ‘तुम हमारे देवता हो।’
वे लोग अपने झूठे देवताओं के विश्वासी हैं।
किन्तु ऐसे लोग बस निराश ही होंगे!”
इस्राएल ने परमेश्वर की नहीं सुनी
18 “तुम बहरे लोगों को मेरी सुनना चाहिए!
तुम अंधे लोगों को इधर दृष्टि डालनी चाहिए और मुझे देखना चाहिए!
19 कौन है उतना अन्धा जितना मेरा दास है कोई नहीं।
कौन है उतना बहरा जितना मेरा दूत है जिसे को मैंने इस संसार में भेजा है कोई नहीं!
यह अन्धा कौन है जिस के साथ मैंने वाचा की ये इतना अन्धा है जितना अन्धा यहोवा का दास है।
20 वह देखता बहुत है,
किन्तु मेरी आज्ञा नहीं मानता।
वह अपने कानों से साफ साफ सुन सकता है
किन्तु वह मेरी सुनने से इन्कार करता है।”
21 यहोवा अपने सेवक के साथ सच्चा रहना चाहता है।
इसलिए वह लोगों के लिए अद्भुत उपदेश देता है।
22 किन्तु दूसरे लोगों की ओर देखो।
दूसरे लोगों ने उनको हरा दिया और जो कुछ उनका था, छीन लिया।
काल कोठरियों में वे सब फँसे हैं,
कारागरों के भीतर वे बन्दी हैं।
लोगों ने उनसे उनका धन छीन लिया है
और कोई व्यक्ति ऐसा नहीं जो उनको बचा ले।
दूसरे लोगों ने उनका धन छीन लिया
और कोई व्यक्ति ऐसा नहीं जो कहे “इसको वापस करो!”
23 तुममें से क्या कोई भी इसे सुनता है क्या तुममें से किसी को भी इस बात की परवाह है और क्या कोई सुनता है कि भविष्य में तुम्हारे साथ क्या होनेवाला है 24 याकूब और इस्राएल की सम्पत्ति लोगों को किसने लेने दी यहोवा ने ही उन्हें ऐसा करने दिया! हमने यहोवा के विरुद्ध पाप किया था। सो यहोवा ने लोगों को हमारी सम्पत्ति छीनने दी। इस्राएल के लोग उस ढंग से जीना नहीं चाहते थे जिस ढंग से यहोवा चाहता था। इस्राएल के लोगों ने उसकी शिक्षा पर कान नहीं दिया। 25 सो यहोवा उन पर क्रोधित हो गया। यहोवा ने उनके विरुद्ध भयानक लड़ाईयाँ भड़कवा दीं। यह ऐसे हुआ जैसे इस्राएल के लोग आग में जल रहे हों और वे जान ही न पाये हों कि क्या हो रहा है। यह ऐसा था जैसे वे जल रहे हों। किन्तु उन्होंने जो वस्तुएँ घट रही थीं, उन्हें समझने का जतन ही नहीं किया।
परमेश्वर सदा अपने लोगों के साथ रहता है
43 याकूब, तुझको यहोवा ने बनाया था! इस्राएल, तेरी रचना यहोवा ने की थी और अब यहोवा का कहना है: “भयभीत मत हो! मैंने तुझे बचा लिया है। मैंने तुझे नाम दिया है। तू मेरा है। 2 जब तुझ पर विपत्तियाँ पड़ती हैं, मैं तेरे साथ रहता हूँ। जब तू नदी पार करेगा, तू बहेगा नहीं। तू जब आग से होकर गुज़रेगा, तो तू जलेगा नहीं। लपटें तुझे हानि नहीं पहुँचायेंगी। 3 क्यों क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं इस्राएल का पवित्र तेरा उद्धारकर्ता हूँ। तेरी बदले में मैंने मिस्र को दे कर तुझे आज़ाद कराया है। मैंने कूश और सबा को तुझे अपना बनाने को दे डाला है। 4 तू मेरे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसलिये मैं तेरा आदर करूँगा। मैं तुझे प्रेम करता हूँ, ताकि तू जी सके, और मेरा हो सके। इसके लिए मैं सभी मनुष्यों और जातियों को बदले में दे दूँगा।”
परमेश्वर अपनी संतानों को घर लायेगा
5 “इसलिये डर मत! मैं तेरे साथ हूँ। तेरे बच्चों को इकट्ठा करके मैं उन्हें तेरे पास लाऊँगा। मैं तेरे लोगों को पूर्व और पश्चिम से इकट्ठा करूँगा। 6 मैं उत्तर से कहूँगा: मेरे बच्चे मुझे लौटा दे।” मैं दक्षिण से कहूँगा: “मेरे लोगों को बंदी बना कर मत रख। दूर—दूर से मेरे पुत्र और पुत्रियों को मेरे पास ले आ! 7 उन सभी लोगों को, जो मेरे हैं, मेरे पास ले आ अर्थात् उन लोगों को जो मेरा नाम लेते हैं। मैंने उन लोगों को स्वयं अपने लिये बनाया है। उनकी रचना मैंने की है और वे मेरे हैं।”
8 “ऐसे लोगों को जिनकी आँखे तो हैं किन्तु फिर भी वे अन्धे हैं, उन्हें निकाल लाओ। ऐसे लोगों को जो कानों के होते हुए भी बहरे हैं, उन्हें निकाल लाओ। 9 सभी लोगों और सभी राष्ट्रों को एक साथ इकट्ठा करो। यदि किसी भी मिथ्या देवता ने कभी इन बातों के बारे में कुछ कहा है और भूतकाल में यह बताया था कि आगे क्या कुछ होगा तो उन्हें अपने गवाह लाने दो और उन (मिथ्या देवताओं) को प्रमाणित सिद्ध करने दो। उन्हें सत्य बताने दो और उन्हें सुनो।”
10 यहोवा कहता है, “तुम ही लोग तो मेरे साक्षी हो। तू मेरा वह सेवक है जिसे मैंने चुना है। मैंने तुझे इसलिए चुना है ताकि तू समझ ले कि ‘वह मैं ही हूँ’ और मुझ में विश्वास करे। मैं सच्चा परमेश्वर हूँ। मुझसे पहले कोई परमेश्वर नहीं था और मेरे बाद भी कोई परमेश्वर नहीं होगा। 11 मैं स्वयं ही यहोवा हूँ। मेरे अतिरिक्त और कोई दूसरा उद्धारकर्ता नहीं है, बस केवल मैं ही हूँ। 12 वह मैं ही हूँ जिसने तुझसे बात की थी। तुझे मैंने बचाया है। वे बातें तुझे मैंने बतायी थीं। जो तेरे साथ था, वह कोई अनजाना देवता नहीं था। तू मेरा साक्षी है और मैं परमेश्वर हूँ।” (ये बातें स्वयं यहोवा ने कही थीं) 13 “मैं तो सदा से ही परमेश्वर रहा हूँ। जब मैं कुछ करता हूँ तो मेरे किये को कोई भी व्यक्ति नहीं बदल सकता और मेरी शक्ति से कोई भी व्यक्ति किसी को बचा नहीं सकता।”
14 इस्राएल का पवित्र यहोवा तुझे छुड़ाता है। यहोवा कहता है, “मैं तेरे लिये बाबुल में सेनाएँ भेजूँगा। सभी ताले लगे दरवाजों को मैं तोड़ दूँगा। कसदियों के विजय के नारे दु:खभरी चीखों में बदल जाएँगे। 15 मैं तेरा पवित्र यहोवा हूँ। इस्राएल को मैंने रचा है। मैं तेरा राजा हूँ।”
यहोवा फिर अपने लोगों की रक्षा करेगा
16 यहोवा सागर में राहें बनायेगा। यहाँ तक कि पछाड़ें खाते हुए पानी के बीच भी वह अपने लोगों के लिए राह बनायेगा। यहोवा कहता है, 17 “वे लोग जो अपने रथों, घोड़ों और सेनाओं को लेकर मुझसे युद्ध करेंगे, पराजित हो जायेंगे। वे फिर कभी नहीं उठ पायेंगे। वे नष्ट हो जायेंगे। वे दीये की लौ की तरह बुझ जायेंगे। 18 सो उन बातों को याद मत करो जो प्रारम्भ में घटी थीं। उन बातों को मत सोचो जो कभी बहुत पहले घटी थीं। 19 क्यों क्योंकि मैं नयी बातें करने वाला हूँ! अब एक नये वृक्ष के समान तुम्हारा विकास होगा। तुम जानते हो कि यह सत्य है। मैं मरूभूमि में सचमुच एक मार्ग बनाऊँगा। मैं सचमुच सूखी धरती पर नदियाँ बहा दूँगा। 20 यहाँ तक कि बनैले पशु और उल्लू भी मेरा आदर करेंगे। विशालकाय पशु और पक्षी मेरा आदर करेंगे। जब मरूभूमि में मैं पानी रख दूँगा तो वे मेरा आदर करेंगे। सूखी धरती में जब मैं नदियों की रचना कर दूँगा तो वे मेरा आदर करेंगे। मैं ऐसा अपने लोगों को पानी देने के लिये करूँगा। उन लोगों को जिन्हें मैंने चुना है। 21 यें वे लोग हैं जिन्हें मैंने बनाया है और ये लोग मेरी प्रशंसा के गीत गाया करेंगे।
22 “याकूब, तूने मुझे नहीं पुकारा। क्यों क्योंकि हे इस्राएल, तेरा मन मुझसे भर गया था। 23 तुम लोग भेड़ की अपनी बलियाँ मेरे पास नहीं लाये। तुमने मेरा मान नहीं रखा। तुमने मुझे बलियाँ नहीं अर्पित कीं। मुझे अन्न बलियाँ अर्पित करने के लिए मैं तुम पर ज़ोर नहीं डालता। तुम मेरे लिए धूप जलाते—जलाते थक जाओ, इसके लिए मैं तुम पर दबाव नहीं डालता। 24 तुम अपनी बलियों की चर्बी से मुझे तृप्त नहीं करते मुझे आदर देने के लिये वस्तुएँ मोल लेने के लिए अपने धन का उपयोग नहीं करते। अपनी बलियों की चर्बी से मुझे तृप्त नहीं करते। किन्तु तुम मुझ पर दबाव डालते हो कि मैं तुम्हारे दास का सा आचरण करूँ। तुम तब तक पाप करते चले गये जब तक मैं तुम्हारे पापों से पूरी तरह तंग नहीं आ गया।
25 “मैं वही हूँ जो तुम्हारे पापों को धो डालता हूँ। स्वयं अपनी प्रसन्नता के लिये ही मैं ऐसा करता हूँ। मैं तुम्हारे पापों को याद नहीं रखूँगा। 26 मेरे विरोध में तुम्हारें जो आक्षेप हैं, उन्हें लाओ, आओ, हम दोनों न्यायालय को चलें। तुमने जो कुछ किया है, वह तुम्हें बताना चाहिये और दिखाना चाहिये कि तुम उचित हो। 27 तुम्हारे आदि पिता ने पाप किया था और तुम्हारे हिमायतियों ने मेरे विरूद्ध काम किये थे। 28 मैंने तुम्हारे पवित्र शासकों को अपवित्र बना दिया। मैंने याकूब के लोगों को अभिशप्त बनाया। मैंने इस्राएल का अपमान कराया।”
केवल यहोवा ही परमेश्वर है
44 “याकूब, तू मेरा सेवक है। इस्राएल, मेरी बात सुन! मैंने तुझे चुना है। जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान दे! 2 मैं यहोवा हूँ और मैंने तुझे बनाया है। तू जो कुछ है, तुझे बनाने वाला मैं ही हूँ। जब तू माता की देह में ही था, मैंने तभी से तेरी सहायता की है। मेरे सेवक याकूब! डर मत! यशूरून (इस्राएल) तुझे मैंने चुना है।
3 “प्यासे लोगों के लिये मैं पानी बरसाऊँगा। सूखी धरती पर मैं जलधाराएँ बहाऊँगा। तेरी संतानों में मैं अपनी आत्मा डालूँगा। तेरे परिवार पर वह एक बहती जलधारा के समान होगी। 4 वे संसार के लोगों के बीच फलेंगे—फूलेंगे। वे जलधाराओं के साथ—साथ लगे बढ़ते हुए चिनार के पेड़ों के समान होंगे।
5 “लोगों में कोई कहेगा, ‘मैं यहोवा का हूँ।’ तो दूसरा व्यक्ति ‘याकूब’ का नाम लेगा। कोई व्यक्ति अपने हाथ पर लिखेगा, ‘मैं यहोवा का हूँ’ और दूसरा व्यक्ति ‘इस्राएल’ नाम का उपयोग करेगा।”
6 यहोवा इस्राएल का राजा है। सर्वशक्तिमान यहोवा इस्राएल की रक्षा करता है। यहोवा कहता है, “परमेश्वर केवल मैं ही हूँ। अन्य कोई परमेश्वर नहीं है। मैं ही आदि हँ। मैं ही अंत हूँ। 7 मेरे जैसा परमेश्वर कोई दूसरा नहीं है और यदि कोई है तो उसे अब बोलना चाहिये। उसको आगे आ कर कोई प्रमाण देना चाहिये कि वह मेरे जैसा है। भविष्य में क्या कुछ होने वाला है उसे बहुत पहले ही किसने बता दिया था तो वे हमें अब बता दें कि आगे क्या होगा?
8 “डरो मत, चिंता मत करो! जो कुछ घटने वाला है, वह मैंने तुम्हें सदा ही बताया है। तुम लोग मेरे साक्षी हो। कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है। केवल मैं ही हूँ। कोई अन्य ‘शरणस्थान’ नहीं है। मैं जानता हूँ केवल मैं ही हूँ।”
झूठे देवता बेकार हैं
9 कुछ लोग मूर्ति (झूठे देवता) बनाया करते हैं। किन्तु वे बेकार हैं। लोग उन बुतों से प्रेम करते हैं किन्तु वे बुत बेकार हैं। वे लोग उन बुतों के साक्षी हैं किन्तु वे देख नहीं पाते। वे कुछ नहीं जानते। वे लज्जित होंगे।
10 इन झूठे देवताओं को कोई क्यों गढ़ेगा इन बेकार के बुतों को कोई क्यों ढ़ालेगा 11 उन देवताओं को कारीगरों ने गढ़ा है और वे कारीगर तो मात्र मनुष्य हैं, न कि देवता। यदि वे सभी लोग एकजुट हो पंक्ति में आयें और इन बातों पर विचार विनिमय करें तो वे सभी लज्जित होंगे और डर जायेंगे।
12 कोई एक कारीगर कोयलों पर लोहे को तपाने के लिए अपने औजारों का उपयोग करता है। यह व्यक्ति धातु को पीटने के लिए अपना हथौड़ा काम में लाता है। इसके लिए वह अपनी भुजाओं की शक्ति का प्रयोग करता है। किन्तु उसी व्यक्ति को जब भूख लगती है, उसकी शक्ति जाती रहती है। वही व्यक्ति यदि पानी न पिये तो कमज़ोर हो जाता है।
13 दूसरा व्यक्ति अपने रेखा पटकने के सूत का उपयोग करता है। वह तख्ते पर रेखा खींचने के लिए परकार को काम में लाता है। यह रेखा उसे बताती है कि वह कहाँ से काटे। फिर वह व्यक्ति निहानी का प्रयोग करता है और लकड़ी में मूर्तियों को उभारता है। वह मूर्तियों को नापने के लिए अपने नपाई के यन्त्र का प्रयोग करता है और इस तरह वह कारीगर लकड़ी को ठीक व्यक्ति का रूप दे देता है और फिर व्यक्ति का सा यह मूर्ति मठ में बैठा दिया जाता है।
14 कोई व्यक्ति देवदार, सनोवर, अथवा बांज के वृक्ष को काट गिराता है। (किन्तु वह व्यक्ति उन पेड़ों को उगाता नहीं। ये पेड़ वन में स्वयं अपने आप उगते हैं। यदि कोई व्यक्ति चीड़ का पेड़ उगाये तो उसकी बढ़वार वर्षा करती है।)
15 फिर वह मनुष्य उस पेड़ को अपने जलाने के काम में लाता है। वह मनुष्य उस पेड़ को काट कर लकड़ी की मुढ्ढियाँ बनाता है और उन्हें खाना बनाने और खुद को गरमाने के काम में लाता है। व्यक्ति थोड़ी सी लकड़ी की आग सुलगा कर अपनी रोटियाँ सेंकता है। किन्तु तो भी मनुष्य उसी लकड़ी से देवता की मूर्ति बनाता है और फिर उस देवता की पूजा करने लगता है। यह देवता तो एक मूर्ति है जिसे उस व्यक्ति ने बनाया है! किन्तु वही मनुष्य उस मूर्ति के आगे अपना माथा नवाता है! 16 वही मनुष्य आधी लकड़ी को आग में जला देता है और उस आग पर माँस पका कर भर पेट खाता है और फिर अपने आप को गरमाने के लिए मनुष्य उसी लकड़ी को जलाता है और फिर वही कहता है, “बहुत अच्छे! अब मैं गरम हूँ और इस आग की लपटों को देख सकता हूँ।” 17 किन्तु थोड़ी बहुत लकड़ी बच जाती है। सो उस लकड़ी से व्यक्ति एक मूर्ति बना लेता है और उसे अपना देवता कहने लगता है। वह उस देवता के आगे माथा नवाता है और उसकी पूजा करता है। वह उस देवता से प्रार्थना करते हुए कहता है, “तू मेरा देवता है, मेरी रक्षा कर!”
18 ये लोग यह नहीं जानते कि यें क्या कर रहे हैं ये लोग समझते ही नहीं। ऐसा है जैसे इनकी आँखें बंद हो और ये कुछ देख ही न पाते हों। इनका मन समझने का जतन ही नहीं करता। 19 इन वस्तुओं के बारे में ये लोग कुछ सोचते ही नहीं है। ये लोग नासमझ हैं। इसलिए इन लोगों ने अपने मन में कभी नहीं सोचा: “आधी लकड़ियाँ मैंने आग में जला डालीं। दहकते कोयलों का प्रयोग मैंने रोटी सेंकने और माँस पकाने में किया। फिर मैंने माँस खाया और बची हुई लकड़ी का प्रयोग मैंने इस भ्रष्ट वस्तु (मूर्ति) को बनाने में किया। अरे, मैं तो एक लकड़ी के टुकड़े की पूजा कर रहा हूँ!”
20 यह तो बस उस राख को खाने जैसा ही है। वह व्यक्ति यह नहीं जानता कि वह क्या कर रहा है वह भ्रम में पड़ा हुआ है। इसीलिए उसका मन उसे गलत राह पर ले जाता है। वह व्यक्ति अपना बचाव नहीं कर पाता है और वह यह देख भी नहीं पाता है कि वह गलत काम कर रहा है। वह व्यक्ति नहीं कहेगा, “यह मूर्ति जिसे मैं थामे हूँ एक झूठा देवता है।”
सच्चा परमेश्वर यहोवा इस्राएल का सहायक है
21 “हे याकूब, ये बातें याद रख!
इस्राएल, याद रख कि तू मेरा सेवक है।
मैंने तुझे बनाया।
तू मेरा सेवक है।
इसलिए इस्राएल, मैं तुझको नहीं भूलाऊँगा।
22 तेरे पाप एक बड़े बादल जैसे थे।
किन्तु मैंने तेरे पापों को उड़ा दिया।
तेरे पाप बादल के समान वायु में विलीन हो गये।
मैंने तुझे बचाया और तेरी रक्षा की।
इसलिए मेरे पास लौट आ!”
23 आकाश प्रसन्न है, क्योंकि यहोवा ने महान काम किये।
धरती और यहाँ तक कि धरती के नीचे बहुत गहरे स्थान भी प्रसन्न हैं!
पर्वत परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए गाओ।
वन के सभी वृक्ष, तुम भी खुशी गाओ!
क्यों क्योंकि यहोवा ने याकूब को बचा लिया है।
यहोवा ने इस्राएल के लिये महान कार्य किये हैं।
24 जो कुछ भी तू है वह यहोवा ने तुझे बनाया।
यहोवा ने यह किया जब तू अभी माता के गर्भ में ही था।
यहोवा तेरा रखवाला कहता है।
“मैं यहोवा ने सब कुछ बनाया! मैंने ही वहाँ आकाश ताना है, और अपने सामने धरती को बिछाया!”
25 झूठे नबी शगुन दिखाया करते हैं किन्तु यहोवा दर्शाता है कि उनके शगुन झूठे हैं। जो लोग जादू टोना कर के भविष्य बताते हैं, यहोवा उन्हें मूर्ख सिद्ध करेगा। यहोवा तथाकथित बुद्धिमान मनुष्यों तक को भ्रम में डाल देता है। वे सोचते हैं कि वे बहुत कुछ जानते हैं किन्तु यहोवा उन्हें ऐसा बना देता है कि वे मूर्ख दिखाई दें। 26 यहोवा अपने सेवकों को लोगों को सन्देश सुनाने के लिए भेजता है और फिर यहोवा उन सन्देशों को सच कर देता है। यहोवा लोगों को क्या करना चाहिये उन्हें यह बताने के लिए दूत भेजता है और फिर यहोवा दिखा देता है कि उनकी सम्मति अच्छी है।
परमेश्वर कुस्रू को यहूदा के पुन: निर्माण के लिये चुनता है
यहोवा यरूशलेम से कहता है, “लोग तुझ में आकर फिर बसेंगे!”
यहोवा यहूदा के नगरों से कहता है, “तुम्हारा फिर से निर्माण होगा!”
यहोवा ध्वस्त हुए नगरों से कहता है, “मैं तुम नगरों को फिर से उठाऊँगा!”
27 यहोवा गहरे सागर से कहता है, “सूख जा!
मैं तेरी जलधाराओं को सूखा बना दूँगा!”
28 यहोवा कुस्रू से कहता है, “तू मेरा चरवाहा है।
जो मैं चाहता हूँ तू वही काम करेगा।
तू यरूशलेम से कहेगा, ‘तुझको फिर से बनाया जायेगा!’
तू मन्दिर से कहेगा, ‘तेरी नीवों का फिर से निर्माण होगा!’”
परमेश्वर कुस्रू को इस्राएल की मुक्ति के लिये चुनता है
45 ये वे बातें हैं जिन्हें यहोवा अपने चुने हुए राजा कुस्रू से कहता है:
“मैं कुस्रू का दाहिना हाथ थामूँगा।
मैं राजाओं की शक्ति छीनने में उसकी सहायता करूँगा।
नगर द्वार कुस्रू को रोक नहीं पायेंगे।
मैं नगर के द्वार खोल दूँगा, और कुस्रू भीतर चला जायेगा।
2 कुस्रू, तेरी सेनाएँ आगे बढ़ेंगी और मैं तेरे आगे चलूँगा।
मैं पर्वतों को समतल कर दूँगा।
मैं काँसे के नगर—द्वारों को तोड़ डालूँगा।
मैं द्वार पर लगी लोहे की आँगल को काट डालूँगा।
3 मैं तुझे अन्धेरे में रखी हुई दौलत दूँगा।
मैं तुझको छिपी हुई सम्पत्ति दूँगा।
मैं ऐसा करूँगा ताकि तुझको पता चल जाये कि मैं इस्राएल का परमेश्वर हूँ, और मैं तुझको तेरे नाम से पुकार रहा हूँ!
4 मैं ये बातें अपने सेवक याकूब के लिये करता हूँ।
मैं ये बातें इस्राएल के अपने चुने हुए लोगों के लिये करता हूँ।
कुस्रू, मैं तुझे नाम से पुकार रहा हूँ।
तू मुझको नहीं जानता है, किन्तु मैं तुझको सम्मान की उपाधि दे रहा हूँ।
5 मैं यहोवा हूँ! मैं ही मात्र एक परमेश्वर हूँ।
मेरे सिवा दूसरा कोई परमेश्वर नहीं है।
मैं तुझे तेरा कमरबन्ध पहनाता हूँ, किन्तु फिर भी तू मुझको नहीं पहचानता है।
6 मैं यह काम करता हूँ ताकि सब लोग जान जायें कि मैं ही मात्र परमेश्वर हूँ।
पूर्व से पश्चिम तक सभी लोग ये जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ और मेरे सिवा दूसरा कोई परमेश्वर नहीं।
7 मैंने प्रकाश को बनाया और मैंने ही अन्धकार को रचा।
मैंने शान्ति को सृजा और विपत्तियाँ भी मैंने ही बनायीं हैं।
मैं यहोवा हूँ।
मैं ही ये सब बातें करता हूँ।
8 “उपर आकाश से पुण्य ऐसे बरसता है जैसे मेघ से वर्षा धरती पर बरसती है!
धरती खुल जाती है और पुण्य कर्म उसके साथ—साथ उग आते हैं जो मुक्ति में फलते फूलते हैं।
मैंने, मुझ यहोवा ने ही यह सब किया है।
परमेश्वर अपनी सृष्टि का नियन्त्रण करता हैं
9 “धिक्कार है इन लोगों को, यें उसी से बहस कर रहे हैं जिसने इन्हें बनाया है। ये किसी टूटे हुए घड़े के ठीकरों के जैसे हैं। कुम्हार नरम गीली मिट्टी से घड़ा बनाता है पर मिट्टी उससे नहीं पूछती ‘अरे, तू क्या कर रहा है?’ वस्तुएँ जो बनायी गयी हैं, वे यह शक्ति नहीं रखतीं कि अपने बनाने वाले से कोई प्रश्न पूछे। ये लोग भी मिट्टी के टूटे घड़े के ठीकरों के जैसे हैं। 10 अरे, एक पिता जब अपने पुत्रों को माता में जन्म दे रहा होता है तो बच्चे उससे यह नहीं पूछ सकते कि, ‘तू हमें जन्म क्यों दे रहा है?’ बच्चे अपनी माँ से यह सवाल नहीं कर सकते हैं कि, ‘तू हमें क्यों पैदा कर रही है?’”
11 परमेश्वर यहोवा इस्राएल का पवित्र है। उसने इस्राएल को बनाया। यहोवा कहता है,
“क्या तू मुझसे मेरे बच्चों के बारे में पूछेगा अथवा तू मुझे आदेश देगा उनके ही बारे में जिस को मैंने अपने हाथों से रचा।
12 सो देख, मैंने धरती बनायी और वे सभी लोग जो इस पर रहते हैं, मेरे बनाये हुए हैं।
मैंने स्वयं अपने हाथों से आकाशों की रचना की, और मैं आकाश के सितारों को आदेश देता हूँ।
13 कुस्रू को मैंने ही उसकी शक्ति दी है ताकि वह भले कार्य करे।
उसके काम को मैं सरल बनाऊँगा।
कुस्रू मेरे नगर को फिर से बनायेगा और मेरे लोगों को वह स्वतन्त्र कर देगा।
कुस्रू मेरे लोगों को मुझे नहीं बेचेगा।
इन कामों को करने के लिये मुझे उसको कोई मोल नहीं चुकाना पड़ेगा।
लोग स्वतन्त्र हो जायेंगे और मेरा कुछ भी मोल नहीं लगेगा।”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कहीं।
14 यहोवा कहता है, “मिस्र और कूश ने बहुत वस्तुएँ बनायी थी,
किन्तु हे इस्राएल, तुम वे वस्तुएँ पाओगे।
सेबा के लम्बे लोग तुम्हारे होंगे।
वे अपने गर्दन के चारों ओर जंजीर लिये हुए तुम्हारे पीछे पीछे चलेंगे।
वे लोग तुम्हारे सामने झुकेंगे,
और वे तुमसे विनती करेंगे।”
इस्राएल, परमेश्वर तेरे साथ है,
और उसे छोड़ कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है।
15 हे परमेश्वर, तू वह परमेश्वर है जिसे लोग देख नहीं सकते।
तू ही इस्राएल का उद्धारकर्ता है।
16 बहुत से लोग मिथ्या देवता बनाया करते हैं।
किन्तु वे लोग तो निराश ही होंगे।
वे सभी लोग तो लज्जित हो जायेंगे।
17 किन्तु इस्राएल यहोवा के द्वारा बचा लिया जायेगा।
वह मुक्ति युगों तक बनी रहेगी।
फिर इस्राएल कभी भी लज्जित नहीं होगा।
18 यहोवा ही परमेश्वर है।
उसने आकाश रचे हैं, और उसी ने धरती बनायी है।
यहोवा ही ने धरती को अपने स्थान पर स्थापित किया है।
जब यहोवा ने धरती बनाई उसने ये नहीं चाहा कि धरती खाली रहे।
उसने इसको रचा ताकि इसमें जीवन रहे। मैं यहोवा हूँ।
मेरे सिवा कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है।
19 मैंने अकेले ये बातें नहीं कीं। मैंने मुक्त भाव से कहा है।
संसार के किसी भी अन्धेरे में मैं अपने वचन नहीं छुपाता।
मैंने याकूब के लोगों से नहीं कहा कि वे मुझे विरान स्थानों पर ढूँढे।
मैं परमेश्वर हूँ, और मैं सत्य बोलता हूँ।
मैं वही बातें कहता हूँ जो सत्य हैं।
यहोवा सिद्ध करता है कि वह ही परमेश्वर है
20 “तुम लोग दूसरी जातियों से बच भागे। सो आपस में इकट्ठे हो जाओ और मेरे सामने आओ। (यें लोग अपने साथ मिथ्या देवों के मूर्ति रखते हैं और इन बेकार के देवताओं से प्रार्थना करते हैं। किन्तु यें लोग यह नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं 21 इन लोगों को मेरे पास आने को कहो। इन लोगों को अपने तर्क पेश करने दो।)
“वे बातें जो बहुत दिनों पहले घटी थीं, उनके बारे में तुम्हें किसने बताया बहुत—बहुत दिनों पहले से ही इन बातों को निरन्तर कौन बताता रहा वह मैं यहोवा ही हूँ जिसने ये बातें बतायी थीं। मैं ही एक मात्र यहोवा हूँ। मेरे अतिरिक्त कोई और परमेश्वर नहीं है क्या ऐसा कोई और है जो अपने लोगों की रक्षा करता है नहीं, ऐसा कोई अन्य परमेश्वर नहीं है! 22 हे हर कहीं के लोगों, तुम्हें इन झूठे देवताओं के पीछे चलना छोड़ देना चाहिये। तुम्हें मेरा अनुसरण करना चाहिये और सुरक्षित हो जाना चाहिये। मैं परमेश्वर हूँ। मुझ से अन्य कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है। परमेश्वर केवल मैं ही हूँ।
23 “मैंने स्वयं अपनी शक्ति को साक्षी करके प्रतिज्ञा की है। यह एक उत्तम वचन है। यह एक आदेश है जो पूरा होगा ही। हर व्यक्ति मेरे (परमेश्वर के) आगे झुकेगा और हर व्यक्ति मेरा अनुसरण करने का वचन देगा। 24 लोग कहेंगे, ‘नेकी और शक्ति बस यहोवा से मिलती है।’”
कुछ लोग यहोवा से नाराज़ हैं, किन्तु यहोवा का साक्षी आयेगा और यहोवा ने जो किया है, उसे बतायेगा। इस प्रकार वे नाराज़ लोग निराश होंगे। 25 यहोवा अच्छे काम करने के लिए इस्राएल के लोगों को विजयी बनाएगा और लोग उसकी प्रशंसा करेंगे।
झुठे देव व्यर्थ हैं
46 बेल और नबो तेरे आगे झुका दिए गये हैं। झूठे देवता तो बस केवल मूर्ति हैं।
“लोगों ने इन बुतों को जानवरों की पीठों पर लाद दिया है। ये बुत बस एक बोझ हैं, जिन्हें ढोना ही है। ये झूठे देवता कुछ नहीं कर सकते। बस लोगों को थका सकते हैं। 2 इन सभी झूठे देवताओं को झुका दिया जाएगा। ये बच कर कहीं नहीं भाग सकेंगे। उन सभी को बन्दियों की तरह ले जाया जायेगा।
3 “याकूब के परिवार, मेरी सुन! हे इस्राएल के लोगों जो अभी जीवित हो, सुनो! मैं तुम्हें तब से धारण किए हूँ जब अभी तुम माता के गर्भ में ही थे। 4 मैं तुम्हें तब से धारण किए हूँ जब से तुम्हारा जन्म हुआ है और मैं तुम्हें तब भी धारण करूँगा, जब तुम बूढ़े हो जाओगे। तुम्हारे बाल सफेद हो जायेंगे, मैं तब भी तुम्हें धारण किए रहूँगा क्योंकि मैंने तुम्हारी रचना की है। मैं तुम्हें निरन्तर धारण किए रहूँगा और तुम्हारी रक्षा करूँगा।
5 “क्या तुम किसी से भी मेरी तुलना कर सकते हो नहीं! कोई भी व्यक्ति मेरे समान नहीं है। मेरे बारे में तुम हर बात नही समझ सकते। मेरे जैसा तो कुछ है ही नहीं। 6 कुछ लोग सोने और चाँदी से धनवान हैं। सोने चाँदी के लिए उन्होंने अपनी थैलियों के मुँह खोल दिए हैं। वे अपनी तराजुओं से चाँदी तौला करते हैं। ये लोग लकड़ी से झूठे देवता बनाने के लिये कलाकारों को मजदूरी देते हैं और फिर वे लोग उसी झुठे देवता के आगे झुकते हैं और उसकी पूजा करते हैं। 7 वे लोग झूठे देवता को अपने कन्धों पर रख कर ले चलते हैं। वह झूठा देवता तो बेकार है। लोगों को उसे ढोना पड़ता है। लोग उस झूठे देवता को धरती पर स्थापित करते हैं। किन्तु वह झूठा देवता हिल—डुल भी नहीं पाता। वह झूठा देवता अपने स्थान से चल कर कहीं नहीं जाता। लोग उसके सामने चिल्लाते हैं किन्तु वह कभी उत्तर नहीं देगा। वह झूठा देवता तो बस मूर्ति है। वह लोगों को उनके कष्टों से नहीं उबार सकता।
8 “तुम लोगों ने पाप किये हैं। तुम्हें इन बातों को फिर से याद करना चाहिये। इन बातों को याद करो और सुदृढ़ हो जाओ। 9 उन बातों को याद करो जो बहुत पहले घटी थीं। याद रखो कि मैं परमेश्वर हूँ। कोई दूसरा अन्य परमेश्वर नहीं है। वे झूठे देवता मेरे जैसे नहीं हैं।
10 “प्रारम्भ में मैंने तुम्हें उन बातों के बारे में बता दिया था जो अंत में घटेगी। बहुत पहले से ही मैंने तुम्हें वे बातें बता दी हैं, जो अभी घटी नहीं हैं। जब मैं किसी बात की कोई योजना बनाता हूँ तो वह घटती है। मैं वही करता हूँ जो करना चाहता हूँ। 11 देखो, पूर्व दिशा से मैं एक व्यक्ति को बुला रहा हूँ। वह व्यक्ति एक उकाब के समान होगा। वह एक दूर देश से आयेगा और वह उन कामों को करेगा जिन्हें करने की योजना मैंने बनाई है। मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि मैं इसे करूँगा और मैं उसे करूँगा ही। क्योंकि उसे मैंने ही बनाया है। मैं उसे लाऊँगा ही!
12 “तुम में से कुछ सोचा करते हो कि तुम में महान शक्ति है किन्तु तुम भले काम नहीं करते हो। मेरी सुनों। 13 मैं भले काम करूँगा! मैं शीघ्र ही अपने लोगों की रक्षा करूँगा। मैं अपने सिय्योन और अपने अद्भुत इस्राएल के लिये उद्धार लाऊँगा।”
बाबुल को परमेश्वर का सन्देश
47 “हे बाबुल की कुमारी पुत्री,
नीचे धूल में गिर जा और वहाँ पर बैठ जा!
अब तू रानी नहीं है!
लोग अब तुझको कोमल और सुन्दर नहीं कहा करेंगे।
2 अब तुझको अपना कोमल वस्त्र उतार कर कठिन परिश्रम करना चाहिए।
अब तू चक्की ले और उस पर आटा पीस।
तू अपना घाघरा इतना ऊपर उठा कि लोगों को तेरी टाँगे दिखने लग जाये और नंगी टाँगों से तू नदी पार कर।
तू अपना देश छोड़ दे!
3 लोग तेरे शरीर को देखेंगे और वे तेरा भोग करेंगे।
तू अपमानित होगी।
मैं तुझसे तेरे बुरे कर्मों का मोल दिलवाऊँगा जो तूने किये हैं।
तेरी सहायता को कोई भी व्यक्ति आगे नहीं आयेगा।”
4 “मेरे लोग कहते हैं, ‘परमेश्वर हम लोगों को बचाता है।
उसका नाम, इस्राएल का पवित्र सर्वशक्तिमान है।’”
5 “यहोवा कहता है, हे बाबुल, तू बैठ जा और कुछ भी मत कह।
बाबुल की पुत्री, चली जा अन्धेरे में।
क्यों? क्योंकि अब तू और अधिक ‘राज्यों की रानी’ नहीं कहलायेगी।
6 “मैंने अपने लोगों पर क्रोध किया था।
ये लोग मेरे अपने थे, किन्तु मैं क्रोधित था,
इसलिए मैंने उनको अपमानित किया।
मैंने उन्हें तुझको दे दिया, और तूने उन्हें दण्ड दिया।
तूने उन पर कोई करूणा नहीं दर्शायी
और तूने उन बूढ़ों पर भी बहुत कठिन काम का जुआ लाद दिया।
7 तू कहा करती थी, ‘मैं अमर हूँ।
मैं सदा रानी रहूँगी।’
किन्तु तूने उन बुरी बातों पर ध्यान नहीं दिया जिन्हें तूने उन लोगों के साथ किया था।
तूने कभी नहीं सोचा कि बाद में क्या होगा।
8 इसलिए अब, ओ मनोहर स्त्री, मेरी बात तू सुन ले!
तू निज को सुरक्षित जान और अपने आप से कह।
‘केवल मैं ही महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हूँ।
मेरे समान कोई दूसरा बड़ा नहीं है।
मुझको कभी भी विधवा नहीं होना है।
मेरे सदैव बच्चे होते रहेंगे।’
9 ये दो बातें तेरे साथ में घटित होंगी:
प्रथम, तेरे बच्चे तुझसे छूट जायेंगे और फिर तेरा पति भी तुझसे छूट जायेगा।
हाँ, ये बातें तेरे साथ अवश्य घटेंगी।
तेरे सभी जादू और शक्तिशाली टोने तुझको नहीं बचा पायेंगे।
10 तू बुरे काम करती है, फिर भी तू अपने को सुरक्षित समझती है।
तू कहा करती है, ‘तेरे बुरे काम को कोई नहीं देखता।’
तू बुरे काम करती है किन्तु तू सोचती है कि तेरी बुद्धि और तेरा ज्ञान तुझको बचा लेंगे।
तू स्वयं को सोचती है कि, ‘बस एक तू ही महत्त्वपूर्ण है।
तेरे जैसा और कोई भी दूसरा नहीं है।’
11 “किन्तु तुझ पर विपत्तियाँ आयेंगी।
तू नहीं जानती कि यह कब हो जायेगा, किन्तु विनाश आ रहा है।
तू उन विपत्तियों को रोकने के लिये कुछ भी नहीं कर पायेगी।
तेरा विनाश इतना शीघ्र होगा कि तुझको पता तक भी न चलेगा कि क्या कुछ तेरे साथ घट गया।
12 जादू और टोने को सीखने में तूने कठिन श्रम करते हुए जीवन बिता दिया।
सो अब अपने जादू और टोने को चला।
सम्भव है, टोने—टोटके तुझको बचा ले।
सम्भव है, उनसे तू किसी को डरा दे।
13 तेरे पास बहुत से सलाहकार हैं।
क्या तू उनकी सलाहों से तंग आ चुकी है तो फिर उन लोगों को जो सितारे पढ़ते हैं, बाहर भेज।
जो बता सकते हैं महीना कब शुरू होता है।
सो सम्भव है वे तुझको बता पाये कि तुझ पर कब विपत्तियाँ पड़ेंगी।
14 किन्तु वे लोग तो स्वयं अपने को भी बचा नहीं पायेंगे।
वे घास के तिनकों जैसे भक से जल जायेंगे।
वे इतने शीघ्र जलेंगे कि अंगार तक कोई नहीं बचेगा जिसमें रोटी सेकी जा सके।
कोई आग तक नहीं बचेगी जिसके पास बैठ कर वे खुद को गर्मा ले।
15 ऐसा ही हर वस्तु के साथ में घटेगा जिनके लिये तूने कड़ी मेहनत की।
तेरे जीवन भर जिन से तेरा व्यापार रहा, वे ही व्यक्ति तुझे त्याग जायेंगे।
हर कोई अपनी—अपनी राह चला जायेगा।
कोई भी व्यक्ति तुझको बचाने को नहीं बचेगा।”
परमेश्वर अपने जगत पर राज करता है
48 यहोवा कहता है,
“याकूब के परिवार, तू मेरी बात सुन।
तुम लोग अपने आप को ‘इस्राएल’ कहा करते हो।
तुम यहूदा के घराने से वचन देने के लिये यहोवा का नाम लेते हो।
तुम इस्राएल के परमेश्वर की प्रशंसा करते हो।
किन्तु जब तुम ये बातें करते हो तो सच्चे नहीं होते हो
और निष्ठावान नहीं रहते।
2 “तुम लोग अपने को पवित्र नगरी के नागरिक कहते हो।
तुम इस्राएल के परमेश्वर के भरोसे रहते हो।
उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।
3 “मैंने तुम्हें बहुत पहले उन वस्तुओं के बारे में तुम्हें बताया था जो आगे घटेंगी।
मैंने तुम्हें उस वस्तुओं के बारे में बताया था,
और फिर अचानक मैंने बातें घटा दीं।
4 मैंने इसलिए वह किया था क्योंकि मुझको ज्ञात था कि तुम बहुत जिद्दी हो।
मैंने जो कुछ भी बताया था उस पर विश्वास करने से तुमने मना किया।
तुम बहुत जिद्दी थे, जैसे लोहे की छड़ नहीं झुकती है।
यह बात ऐसी थी जैसे तुम्हारा सिर काँसे का बना हुआ है।
5 इसलिए मैंने तुमको पहले ही बता दिया था, उन सभी ऐसी बातों को जो घटने वाली हैं।
जब वे बातें घटी थी उससे बहुत पहले मैंने तुम्हें वह बता दी थीं।
मैंने ऐसा इसलिए किया था ताकि तू कह न सके कि,
‘ये काम हमारे देवताओं ने किये,
ये बातें हमारे देवताओं ने, हमारी मूर्तियों ने घटायी हैं।’”
इस्राएल को पवित्र करने के लिए परमेश्वर का ताड़ना
6 “तूने उन सभी बातों को जो हो चुकी हैं,
देखा और सुना है।
ए तुझको ये समाचार दूसरों को बताना चाहिए।
अब मैं तुझे नयी बातें बताना आरम्भ करता हूँ
जिनको तू अभी नहीं जानता है।
7 ये वे बातें नहीं हैं जो पहले घट चुकी है।
ये बातें ऐसी हैं जो अब शुरू हो रही हैं।
आज से पहले तूने ये बातें नहीं सुनी।
सो तू नहीं कह सकता, ‘हम तो इसे पहले से ही जानते हैं।’
8 किन्तु तूने कभी उस पर कान नहीं दिया जो मैंने कहा।
तूने कुछ नहीं सीखा।
तूने मेरी कभी नहीं सुनी, किन्तु मैंने तुझे उन बातों के बारे में बताया
क्योंकि मैं जानता न था कि तू मेरे विरोध में होगा।
अरे! तू तो विद्रोही रहा जब से तू पैदा हुआ।
9 “किन्तु मैं धीरज धरूँगा। ऐसा मैं अपने लिये करूँगा।
मुझको क्रोध नहीं आया इसके लिये लोग मेरा यश गायेंगे।
मैं अपने क्रोध पर काबू करूँगा कि तुम्हारा नाश न करूँ।
तुम मेरी बाट जोहते हुए मेरा गुण गाओगे।
10 “देख, मैं तुझे पवित्र करूँगा।
चाँदी को शुद्ध करने के लिये लोग उसे आँच में डालते हैं!
किन्तु मैं तुझे विपत्ति की भट्टी में डालकर शुद्ध करूँगा।
11 यह मैं स्वयं अपने लिये करूँगा!
तू मेरे साथ ऐसे नहीं बरतेगा, जैसे मेरा महत्त्व न हो।
किसी मिथ्या देवता को मैं अपनी प्रशंसा नहीं लेने दूँगा।
12 “याकूब, तू मेरी सुन!
हे इस्राएल के लोगों, मैंने तुम्हें अपने लोग बनने को बुलाया है।
तुम इसलिए मेरी सुनों!
मैं परमेश्वर हूँ, मैं ही आरम्भ हूँ
और मैं ही अन्त हूँ।
13 मैंने स्वयं अपने हाथों से धरती की रचना की।
मेरे दाहिने हाथ ने आकाश को बनाया।
यदि मैं उन्हें पुकारूँ तो
दोनों साथ—साथ मेरे सामने आयेंगे।
14 “इसलिए तुम सभी जो आपस में इकट्ठे हुए हो मेरी बात सुनों!
क्या किसी झूठे देव ने तुझसे ऐसा कहा है कि आगे चल कर ऐसी बातें घटित होंगी नहीं।”
यहोवा इस्राएल से जिसे, उस ने चुना है, प्रेम करता है।
वह जैसा चाहेगा वैसा ही बाबुल और कसदियों के साथ करेगा।
15 यहोवा कहता है कि मैंने तुझसे कहा था, “मैं उसको बुलाऊँगा
और मैं उसको लाऊँगा
और उसको सफल बनाऊँगा!
16 मेरे पास आ और मेरी सुन!
मैंने आरम्भ में साफ—साफ बोला ताकि लोग मुझे सुन ले
और मैं उस समय वहाँ पर था जब बाबुल की नींव पड़ी।”
इस पर यशायाह ने कहा,
अब देखो, मेरे स्वामी यहोवा ने इन बातों को तुम्हें बताने के लिये मुझे और अपनी आत्मा को भेजा है। 17 यहोवा जो मुक्तिदाता है और इस्राएल का पवित्र है, कहता है,
“तेरा यहोवा परमेश्वर हूँ।
मैं तुझको सिखाता हूँ कि क्या हितकर है।
मैं तुझको राह पर लिये चलता हूँ जैसे तुझे चलना चाहिए।
18 यदि तू मेरी मानता तो तुझे उतनी शान्ति मिल जाती जितनी नदी भर करके बहती है।
तुझ पर उत्तम वस्तुएँ ऐसी छा जाती जैसे समुद्र की तरंग हों।
19 यदि तू मेरी मानता तो तेरी सन्तानें बहुत बहुत होतीं।
तेरी सन्तानें वैसे अनगिनत हो जाती जैसे रेत के असंख्य कण होते हैं।
यदि तू मेरी मानता तो तू नष्ट नहीं होता।
तू भी मेरे साथ में बना रहता।”
20 हे मेरे लोगों, तुम बाबुल को छोड़ दो!
हे मेरे लोगों तुम कसदियों से भाग जाओ!
प्रसन्नता में भरकर तुम लोगों से इस समाचार को कहो!
धरती पर दूर दूर इस समाचार को फैलाओ! तुम लोगों को बता दो,
“यहोवा ने अपने दास याकूब को उबार लिया है!”
21 यहोवा ने अपने लोगों को मरूस्थल में राह दिखाई,
और वे लोग कभी प्यासे नहीं रहे!
क्यों क्योंकि उसने अपने लोगों के लिये चट्टान फोड़कर पानी बहा दिया!
22 किन्तु परमेश्वर कहता है,
“दुष्टों को शांति नहीं है!”
अपने विशेष सेवक को परमेश्वर का बुलावा
49 हे दूर देशों के लोगों,
मेरी बात सुनों हे धरती के निवासियों,
तुम सभी मेरी बात सुनों!
मेरे जन्म से पहले ही यहोवा ने मुझे अपनी सेवा के लिये बुलाया।
जब मैं अपनी माता के गर्भ में ही था, यहोवा ने मेरा नाम रख दिया था।
2 यहोवा अपने बोलने के लिये मेरा उपयोग करता है।
जैसे कोई सैनिक तेज तलवार को काम में लाता है वैसे ही वह मेरा उपयोग करता है किन्तु वह अपने हाथ में छुपा कर मेरी रक्षा करता है।
यहोवा मुझको किसी तेज तीर के समान काम में लेता है किन्तु वह अपने तीरों के तरकश में मुझको छिपाता भी है।
3 यहोवा ने मुझे बताया है, “इस्राएल, तू मेरा सेवक है।
मैं तेरे साथ में अद्भुत कार्य करूँगा।”
4 मैंने कहा, “मैं तो बस व्यर्थ ही कड़ी मेहनत करता रहा।
मैं थक कर चूर हुआ।
मैं काम का कोई काम नहीं कर सका।
मैंने अपनी सब शक्ति लगा दी।
सचमुच, किन्तु मैं कोई काम पूरा नहीं कर सका।
इसलिए यहोवा निश्चय करे कि मेरे साथ क्या करना है।
परमेश्वर को मेरे प्रतिफल का निर्णय करना चाहिए।
5 यहोवा ने मुझे मेरी माता के गर्भ में रचा था।
उसने मुझे बनाया कि मैं उसकी सेवा करूँ।
उसने मुझको बनाया ताकि मैं याकूब और इस्राएल को उसके पास लौटाकर ले आऊँ।
यहोवा मुझको मान देगा।
मैं परमेश्वर से अपनी शक्ति को पाऊँगा।”
यह यहोवा ने कहा था।
6 “तू मेरे लिये मेरा अति महत्त्वपूर्ण दास है।
इस्राएल के लोग बन्दी बने हुए हैं।
उन्हें मेरे पास वापस लौटा लाया जायेगा
और तब याकूब के परिवार समूह मेरे पास लौट कर आयेंगे।
किन्तु तेरे पास एक दूसरा काम है।
वह काम इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण है!
मैं तुझको सब राष्ट्रों के लिये एक प्रकाश बनाऊँगा।
तू धरती के सभी लोगों की रक्षा के लिये मेरी राह बनेगा।”
7 इस्राएल का पवित्र यहोवा, इस्राएल की रक्षा करता है और यहोवा कहता है, “मेरा दास विनम्र है।
वह शासकों की सेवा करता है, और लोग उससे घृणा करते हैं।
किन्तु राजा उसका दर्शन करेंगे और उसके सम्मान में खड़े होंगे।
महान नेता भी उसके सामने झुकेंगे।”
ऐसा घटित होगा क्योंकि इस्राएल का वह पवित्र यहोवा ऐसा चाहता है, और यहोवा के भरोसे रहा जा सकता है। वह वही है जिसने तुझको चुना।
8 यहोवा कहता है,
“उचित समय आने पर मैं तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर दूँगा।
मैं तुमको सहारा दूँगा।
मुक्ति के दिनों में मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और तुम इसका प्रमाण होगे कि लोगों के साथ में मेरी वाचा है।
अब देश उजड़ चुका है, किन्तु तुम यह धरती इसके स्वामियों को लौटवाओगे।
9 तुम बन्दियों से कहोगे, ‘तुम अपने कारागार से बाहर निकल आओ!’
तुम उन लोगों से जो अन्धेरे में हैं, कहोगे, ‘अन्धेरे से बाहर आ जाओ।’
वे चलते हुए राह में भोजन कर पायेंगे।
वे वीरान पहाड़ों में भी भोजन पायेंगे।
10 लोग भूखे नहीं रहेंगे, लोग प्यासे नहीं रहेंगे।
गर्म सूर्य, गर्म हवा उनको दु:ख नहीं देंगे।
क्यों क्योंकि वही जो उन्हें चैन देता है, (परमेश्वर) उनको राह दिखायेगा।
वही लोगों को पानी के झरनों के पास—पास ले जायेगा।
11 मैं अपने लोगों के लिये एक राह बनाऊँगा।
पर्वत समतल हो जायेंगे और दबी राहें ऊपर उठ आयेंगी।
12 देखो, दूर दूर देशों से लोग यहाँ आ रहे हैं।
उत्तर से लोग आ रहे हैं और लोग पश्चिम से आ रहे हैं।
लोग मिस्र में स्थित असवान से आ रहे हैं।”
13 हे आकाशों, हे धरती, तुम प्रसन्न हो जाओ!
हे पर्वतों, आनन्द से जयकारा बोलो!
क्यों क्योंकि यहोवा अपने लोगों को सुख देता है।
यहोवा अपने दीन हीन लोगों के लिये बहुत दयालु है।
सिय्योन: त्यागी गई स्त्री
14 किन्तु अब सिय्योन ने कहा, “यहोवा ने मुझको त्याग दिया।
मेरा स्वामी मुझको भूल गया।”
15 किन्तु यहोवा कहता है, “क्या कोई स्त्री अपने ही बच्चों को भूल सकती है नहीं!
क्या कोई स्त्री उस बच्चे को जो उसकी ही कोख से जन्मा है, भूल सकती है नहीं!
सम्भव है कोई स्त्री अपनी सन्तान को भूल जाये।
परन्तु मैं (यहोवा) तुझको नहीं भूल सकता हूँ।
16 देखो जरा, मैंने अपनी हथेली पर तेरा नाम खोद लिया है।
मैं सदा तेरे विषय में सोचा करता हूँ।
17 तेरी सन्तानें तेरे पास लौट आयेंगी।
जिन लोगों ने तुझको पराजित किया था, वे ही व्यक्ति तुझको अकेला छोड़ जायेंगे।”
इस्राएलियों की वापसी
18 ऊपर दृष्टि करो, तुम चारों ओर देखो! तेरी सन्तानें सब आपस में इकट्ठी होकर तेरे पास आ रही हैं।
यहोवा का यह कहना है,
“अपने जीवन की शपथ लेकर मैं तुम्हें ये वचन देता हूँ, तेरी सन्तानें उन रत्नों जैसी होंगी जिनको तू अपने कंठ में पहनता है।
तेरी सन्तानें वैसी ही होंगी जैसा वह कंठहार होता है जिसे दुल्हिन पहनती है।
19 आज तू नष्ट है और आज तू पराजित है।
तेरी धरती बेकार है किन्तु कुछ ही दिनों बाद तेरी धरती पर बहुत बहुत सारे लोग होंगे और वे लोग जिन्होंने तुझे उजाड़ा था, दूर बहुत दूर चले जायेंगे।
20 जो बच्चे तूने खो दिये, उनके लिये तुझे बहुत दु:ख हुआ किन्तु वही बच्चे तुझसे कहेंगे।
‘यह जगह रहने को बहुत छोटी है!
हमें तू कोई विस्तृत स्थान दे!’
21 फिर तू स्वयं अपने आप से कहेगा,
‘इन सभी बच्चों को मेरे लिये किसने जन्माया यह तो बहुत अच्छा है।
मैं दु:खी था और अकेला था।
मैं हारा हुआ था।
मैं अपने लोगों से दूर था।
सो ये बच्चे मेरे लिये किसने पाले हैं देखो जरा,
मैं अकेला छोड़ा गया।
ये इतने सब बच्चे कहाँ से आ गये?’”
22 मेरा स्वामी यहोवा कहता है,
“देखो, अपना हाथ उठाकर हाथ के इशारे से मैं सारे ही देशों को बुलावे का संकेत देता हूँ।
मैं अपना झण्डा उठाऊँगा कि सब लोग उसे देखें।
फिर वे तेरे बच्चों को तेरे पास लायेंगे।
वे लोग तेरे बच्चों को अपने कन्धे पर उठायेंगे और वे उनको अपनी बाहों में उठा लेंगे।
23 राजा तेरे बच्चों के शिक्षक होंगे और राजकन्याएँ उनका ध्यान रखेंगी।
वे राजा और उनकी कन्याएँ दोनों तेरे सामने माथा नवायेंगे।
वे तेरे पाँवों भी धूल का चुम्बन करेंगे।
तभी तू जानेगा कि मैं यहोवा हूँ।
तभी तुझको समझ में आयेगा कि हर ऐसा व्यक्ति जो मुझमें भरोसा रखता है, निराश नहीं होगा।”
24 जब कोई शक्तिशाली योद्धा युद्ध में जीतता है तो क्या कोई उसकी जीती हुई वस्तुओं को उससे ले सकता है जब कोई विजेता सैनिक किसी बन्दी पर पहरा देता है, तो क्या कोई पराजित बन्दी बचकर भाग सकता है
25 किन्तु यहोवा कहता है, “उस बलवान सैनिक से बन्दियों को छुड़ा लिया जायेगा और जीत की वस्तुएँ उससे छीन ली जायेंगी।
यह भला क्यों कर होगा मैं तुम्हारे युद्धों को लड़ूँगा और तुम्हारी सन्तानें बचाऊँगा।
26 ऐसे उन लोगों को जो तुम्हें कष्ट देते हैं मैं ऐसा कर दूँगा कि वे आपस में एक दूसरे के शरीरों को खायें। उनका खून दाखमधु बन जायेगा जिससे वे धुत्त होंगे।
तब हर कोई जानेगा कि मैं वही यहोवा हूँ जो तुमको बचाता है।
सारे लोग जान जायेंगे कि तुमको बचाने वाला याकूब का समर्थ है।”
इस्राएल को उसके पापों का दण्ड
50 यहोवा कहता है,
“हे इस्राएल के लोगों, तुम कहा करते थे कि मैंने तुम्हारी माता यरूशलेम को त्याग दिया।
किन्तु वह त्यागपत्र कहाँ है जो प्रमाणित कर दे कि मैंने उसे त्यागा है।
हे मेरे बच्चों, क्या मुझको किसी का कुछ देना है
क्या अपना कोई कर्ज चुकाने के लिये मैंने तुम्हें बेचा है नहीं!
देखो जरा, तुम बिके थे इसलिए कि तुमने बुरे काम किये थे।
इसलिए तुम्हारी माँ (यरूशलेम) दूर भेजी गई थी।
2 जब मैं घर आया था, मैंने वहाँ किसी को नहीं पाया।
मैंने बार—बार पुकारा किन्तु किसी ने उत्तर नहीं दिया।
क्या तुम सोचते हो कि तुमको मैं नहीं बचा सकता हूँ
मैं तुम्हारी विपत्तियों से तुम्हें बचाने की शक्ति रखता हूँ।
देखो, यदि मैं समुद्र को सूखने को आदेश दूँ तो वह सूख जायेगा।
मछलियाँ प्राण त्याग देंगी क्योंकि वहाँ जल न होगा
और उनकी देह सड़ जायेंगी।
3 मैं आकाशों को काला कर सकता हूँ।
आकाश वैसे ही काले हो जायेंगे जैसे शोकवस्त्र होते हैं।”
परमेश्वर का सेवक परमेश्वर के भरोसे
4 मेरे स्वामी यहोवा ने मुझे शिक्षा देने की योग्यता दी है। इसी से अब इन दु:खी लोगों को मैं सशक्त बना रहा हूँ। हर सुबह वह मुझे जगाता है और एक शिष्य के रूप में शिक्षा देता है। 5 मेरा स्वामी यहोवा सीखने में मेरा सहायक है और मैं उसका विरोधी नहीं बना हूँ। मैं उसके पीछे चलना नहीं छोड़ूँगा। 6 उन लोगों को मैं अपनी पिटाई करने दूँगा। मैं उन्हें अपनी दाढ़ी के बाल नोचने दूँगा। वे लोग जब मेरे प्रति अपशब्द कहेंगे और मुझ पर थूकेंगे तो मैं अपना मुँह नहीं मोड़ूँगा। 7 मेरा स्वामी, यहोवा मेरी सहायता करेगा। इसलिये उनके अपशब्द मुझे दु:ख नहीं पहुँचायेंगे। मैं सुदृढ़ रहूँगा। मैं जानता हूँ कि मुझे निराश नहीं होना पड़ेगा।
8 यहोवा मेरे साथ है। वह दर्शाता है कि मैं निर्दोष हूँ। इसलिये कोई भी व्यक्ति मुझे अपराधी नहीं दिखा पायेगा। यदि कोई व्यक्ति मुझे अपराधी प्रमाणित करने का जतन करना चाहता है तो वह व्यक्ति मेरे पास आये। हम इसके लिये साथ साथ मुकद्दमा लड़ेंगे। 9 किन्तु देख, मेरा स्वामी यहोवा मेरी सहायता करता है, सो कोई भी व्यक्ति मुझे दोषी नहीं दिखा सकता। वे सभी लोग मूल्यहीन पुराने कपड़ों जैसे हो जायेंगे। कीड़े उन्हें चट कर जायेंगे।
10 जो व्यक्ति यहोवा का आदर करता है उसे उसके सेवक की भी सुननी चाहिये। वह सेवक, आगे क्या होगा, इसे जाने बिना ही परमेश्वर में पूरा विश्वास रखते हुए अपना जीवन बिताता है। वह सचमुच यहोवा के नाम में विश्वास रखता है और वह सेवक अपने परमेश्वर के भरोसे रहता है।
11 “देखो, तुम लोग अपने ही ढंग से जीना चाहते हो। अपनी अग्नि और अपनी मशालों का तुम स्वयं जलाते हो। तुम अपने ही ढंग से रहना चाहते। किन्तु तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। तुम अपनी ही आग में गिरोगे और तुम्हारी अपनी ही मशालें तुम्हें जला डालेंगी। ऐसी घटना मैं घटवाऊँगा।”
इस्राएल को इब्राहीम के जैसा होना चाहिए
51 “तुममें से कुछ लोग उत्तम जीवन जीने का कठिन प्रयत्न करते हो। तुम सहायता पाने को यहोवा के निकट जाते हो। मेरी सुनो। तुम्हें अपने पिता इब्राहीम की ओर देखना चाहिये। इब्राहीम ही वह पत्थर की खदान है जिससे तुम्हें काटा गया है। 2 इब्राहीम तुम्हारा पिता है और तुम्हें उसी की ओर देखना चाहिये। तुम्हें सारा की ओर निहारना चाहिये क्योंकि सारा ही वह स्त्री है जिसने तुम्हें जन्म दिया है। इब्राहीम को जब मैंने बुलाया था, वह अकेला था। तब मैंने उसे वरदान दिया था और उसने एक बड़े परिवार की शुरूआत की थी। उससे अनगिनत लोगों ने जन्म लिया।”
3 सिय्योन पर्वत को यहोवा वैसे ही आशीर्वाद देगा। यहोवा को यरूशलेम और उसके खंडहरों के लिये खेद होगा और वह उस नगर के लिये कोई बहुत बड़ा काम करेगा। यहोवा रेगिस्तान को बदल देगा। वह रेगिस्तान अदन के उपवन के जैसे एक उपवन में बदल जायेगा। वह उजाड़ स्थान यहोवा के बगीचे के जैसा हो जाएगा। लोग अत्याधिक प्रसन्न होंगे। लोग वहाँ अपना आनन्द प्रकट करेंगे। वे लोग धन्यवाद और विजय के गीत गायेंगे।
4 “हे मेरे लोगों, तुम मेरी सुनो!
मेरी व्यवस्थाएँ प्रकाश के समान होंगी जो लोगों को दिखायेंगी कि कैसे जिया जाता है।
5 मैं शीघ्र ही प्रकट करूँगा कि मैं न्यायपूर्ण हूँ।
मैं शीघ्र ही तुम्हारी रक्षा करूँगा।
मैं अपनी शक्ति को काम में लाऊँगा और मैं सभी राष्ट्रों का न्याय करूँगा।
सभी दूर—दूर के देश मेरी बाट जोह रहे हैं।
उनको मेरी शक्ति की प्रतीक्षा है जो उनको बचायेगी।
6 ऊपर आकाशों को देखो।
अपने चारों ओर फैली हुई धरती को देखो,
आकाश ऐसे लोप हो जायेगा जैसे धुएँ का एक बादल खो जाता है
और धरती ऐसे ही बेकार हो जायेगी
जैसे पुराने वस्त्र मूल्यहीन होते हैं।
धरती के वासी अपने प्राण त्यागेंगे किन्तु मेरी मुक्ति सदा ही बनी रहेगी।
मेरी उत्तमता कभी नहीं मिटेगी।
7 अरे ओ उत्तमता को समझने वाले लोगों, तुम मेरी बात सुनो।
अरे ओ मेरी शिक्षाओं पर चलने वालों, तुम वे बातें सुनों जिनको मैं बताता हूँ।
दुष्ट लोगों से तुम मत डरो।
उन बुरी बातों से जिनको वे तुमसे कहते हैं, तुम भयभीत मत हो।
8 क्यों क्योंकि वे पुराने कपड़ों के समान होंगे और उनको कीड़े खा जायेंगे।
वे ऊन के जैसे होंगे और उन्हें कीड़े चाट जायेंगे,
किन्तु मेरा खरापन सदैव ही बना रहेगा
और मेरी मुक्ति निरन्तर बनी रहेगी।”
परमेश्वर का सामर्थ्य उसके लोगों का रक्षा करता है
9 यहोवा की भुजा (शक्ति) जाग—जाग।
अपनी शक्ति को सज्जित कर!
तू अपनी शक्ति का प्रयोग कर।
तू वैसे जाग जा जैसे तू बहुत बहुत पहले जागा था।
तू वही शक्ति है जिसने रहाब के छक्के छुड़ाये थे।
तूने भयानक मगरमच्छ को हराया था।
10 तूने सागर को सुखाया!
तूने गहरे समुद्र को जल हीन बना दिया।
तूने सागर के गहरे सतह को एक राह में बदल दिया और तेरे लोग उस राह से पार हुए और बच गये थे।
11 यहोवा अपने लोगों की रक्षा करेगा।
वे सिय्योन पर्वत की ओर आनन्द मनाते हुए लौट आयेंगे।
ये सभी आनन्द मग्न होंगे।
सारे ही दु:ख उनसे दूर कहीं भागेंगे।
12 यहोवा कहता है, “मैं वही हूँ जो तुमको चैन दिया करता है।
इसलिए तुमको दूसरे लोगों से क्यों डरना चाहिए वे तो बस मनुष्य है जो जिया करते हैं और मर जाते हैं।
वे बस मानवमात्र हैं।
वे वैसे मर जाते हैं जैसे घास मर जाती है।”
13 यहोवा ने तुम्हें रचा है।
उसने निज शक्ति से इस धरती को बनाया है!
उसने निज शक्ति से धरती पर आकाश तान दिया किन्तु तुम उसको और उसकी शक्ति को भूल गये।
इसलिए तुम सदा ही उन क्रोधित मनुष्यों से भयभीत रहते हो जो तुम को हानि पहुँचाते हैं।
तुम्हारा नाश करने को उन लोगों ने योजना बनाई किन्तु आज वे कहाँ हैं (वे सभी चले गये!)
14 लोग जो बन्दी हैं, शीघ्र ही मुक्त हो जायेंगे।
उन लोगों की मृत्यु काल कोठरी में नहीं होगी और न ही वे कारागार में सड़ते रहेंगे।
उन लोगों के पास खाने को पर्याप्त होगा।
15 “मैं ही यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूँ।
मैं ही सागर को झकोरता हूँ और मैं ही लहरें उठाता हूँ।”
(उसका नाम सर्वशक्तिमान यहोवा है।)
16 “मेरे सेवक, मैं तुझे वे शब्द दूँगा जिन्हें मैं तुझसे कहलवाना चाहता हूँ। मैं तुझे अपने हाथों से ढक कर तेरी रक्षा करूँगा। मैं तुझसे नया आकाश और नयी धरती बनवाऊँगा। मैं तुम्हारे द्वारा सिय्योन (इस्राएल) को यह कहलवाने के लिए कि ‘तुम मेरे लोग हो,’ तेरा उपयोग करूँगा।”
परमेश्वर ने इस्राएल को दण्ड दिया
17 जाग! जाग!
यरूशलेम, जाग उठ!
यहोवा तुझसे बहुत ही कुपित था।
इसलिए तुझको दण्ड दिया गया था।
वह दण्ड ऐसा था जैसा जहर का कोई प्याला हो
और वह तुझको पीना पड़े और उसे तूने पी लिया।
18 यरूशलेम में बहुत से लोग हुआ करते थे किन्तु उनमें से कोई भी व्यक्ति उसकी अगुवाई नहीं कर सका। उसने पाल—पोस कर जिन बच्चों को बड़ा किया था, उनमें से कोई भी उसे राह नहीं दिखा सका। 19 दो जोड़े विपत्ति यरूशलेम पर टूट पड़ी हैं, लूटपाट और अनाज की परेशानी तथा भयानक भूख और हत्याएँ।
जब तू विपत्ति में पड़ी थी, किसी ने भी तुझे सहारा नहीं दिया, किसी ने भी तुझ पर तरस नहीं खाया। 20 तेरे लोग दुर्बल हो गये। वे वहाँ धरती पर गिर पड़े हैं और वहीं पड़े रहेंगे। वे लोग वहाँ हर गली के नुक्कड़ पर पड़े हैं। वे लोग ऐसे हैं जैसे किसी जाल में फंसा हिरण हो। उन लोगों पर यहोवा के कोप की मार तब तक पड़ती रही, जब तक वे ऐसे न हो गये कि और दण्ड झेल ही न सकें। परमेश्वर ने जब कहा कि उन्हें और दण्ड दिया जायेगा तो वे बहुत कमज़ोर हो गये।
21 हे बेचारे यरूशलेम, तू मेरी सुन। तू किसी धुत्त व्यक्ति के समान दुर्बल है किन्तु तू दाखमधु पी कर धुत्त नहीं हुआ है, बल्कि तू तो ज़हर के उस प्याले को पीकर ऐसा दुर्बल हो गया है।
22 तुम्हारा परमेश्वर और स्वामी वह यहोवा अपने लोगों के लिये युद्ध करेगा। वह तुमसे कहता है, “देखो! मैं ‘ज़हर के इस प्याले’ (दण्ड) को तुमसे दूर हटा रहा हूँ। मैं अपने क्रोध को तुम पर से हटा रहा हूँ। अब मेरे क्रोध से तुम्हें और अधिक दण्ड नहीं भोगना होगा। 23 अब मैं अपने क्रोध की मार उन लोगों पर डालूँगा जो तुम्हें दु:ख पहुँचाते हैं। वे लोग तुम्हें मार डालना चाहते थे। उन लोगों ने तुमसे कहा था, ‘हमारे आगे झुक जाओ। हम तुम्हें कुचल डालेंगे!’ अपने सामने झुकाने के लिये उन्होंने तुम्हें विवश किया। फिर उन लोगों ने तुम्हारी पीठ को ऐसा बना डाला जैसे धूल—मिट्टी हो ताकि वे तुम्हें रौंद सकें। उनके लिए चलने के वास्ते तुम किसी राह के जैसे हो गये थे।”
इस्राएल का उद्धार होगा
52 जाग उठो! जाग उठो हे सिय्योन!
अपने वस्त्र को धारण करो! तुम अपनी शक्ति सम्भालो!
हे पवित्र यरूशलेम, तुम खड़े हो जाओ!
ऐसे वे लोग जिनको परमेश्वर का अनुसरण करना स्वीकार्य नहीं हैं और जो स्वच्छ नहीं हैं,
तुझमें फिर प्रवेश नहीं कर पायेंगे।
2 तू धूल झाड़ दे! तू अपने सुन्दर वस्त्र धारण कर!
हे यरूशलेम, हे सिय्योन की पुत्री, तू एक बन्दिनी थी
किन्तु अब तू स्वयं को अपनी गर्दन में बन्धी जंजीरों से मुक्त कर!
3 यहोवा का यह कहना है,
“तुझे धन के बदले में नहीं बेचा गया था।
इसलिए धन के बिना ही तुझे बचा लिया जायेगा।”
4 मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मेरे लोग बस जाने के लिए पहले मिस्र में गये थे, और फिर वे दास बन गये। बाद में अश्शूर ने उन्हें बेकार में ही दास बना लिया था। 5 अब देखो, यह क्या हो गया है! अब किसी दूसरे राष्ट्र ने मेरे लोगों को ले लिया है। मेरे लोगों को ले जाने के लिए इस देश ने कोई भुगतान नहीं किया था। यह देश मेरे लोगों पर शासन करता है और उनकी हँसी उड़ाता है। वहाँ के लोग सदा ही मेरे प्रति बुरी बातें कहा करते हैं।”
6 यहोवा कहता है, “ऐसा इसलिये हुआ था कि मेरे लोग मेरे बारे में जानें। मेरे लोगों को पता चल जायेगा कि मैं कौन हूँ मेरे लोग मेरा नाम जान जायेंगे और उन्हें यह भी पता चल जायेगा कि वह मैं ही हूँ जो उनसे बोल रहा हूँ।”
7 सुसमाचार के साथ पहाड़ों के ऊपर से आते हुए सन्देशवाहक को देखना निश्चय ही एक अद्भुत बात है। किसी सन्देशवाहक को यह घोषणा करते हुए सुनना कितना अद्भुत है: “वहाँ शांति का निवास है, हम बचा लिये गये हैं! तुम्हारा परमेश्वर राजा है!”
8 नगर के रखवाले जयजयकार करने लगे हैं।
वे आपस में मिलकर आनन्द मना रहे हैं!
क्यों क्योंकि उनमें से हर एक यहोवा को सिय्योन को लौटकर आते हुए देख रहा है।
9 यरूशलेम, तेरे वे भवन जो बर्बाद हो चुके हैं फिर से प्रसन्न हो जायेंगे।
तुम सभी आपस में मिल कर आनन्द मनाओगे।
क्यों क्योंकि यहोवा यरूशलेम पर दयालू हो जायेगा, यहोवा अपने लोगों का उद्धार करेगा।
10 यहोवा सभी राष्ट्रों के ऊपर अपनी पवित्र शक्ति दर्शाएगा
और सभी वे देश जो दूर—दूर बसे हैं, देखेंगे कि परमेश्वर अपने लोगों की रक्षा कैसे करता है।
11 तुम लोगों को चाहिए कि बाबुल छोड़ जाओ!
वह स्थान छोड़ दो! हे लोगों,
उन वस्तुओं को ले चलने वाले जो उपासना के काम आती हैं,
अपने आप को पवित्र करो।
ऐसी कोई भी वस्तु जो पवित्र नहीं है, उसको मत छुओ।
12 तुम बाबुल छोड़ोगे किन्तु जल्दी में छोड़ने का तुम पर कोई दबाव नहीं होगा।
तुम पर कहीं दूर भाग जाने का कोई दबाव नहीं होगा।
तुम चल कर बाहर जाओगे और यहोवा तुम्हारे साथ साथ चलेगा।
तुम्हारी अगुवाई यहोवा ही करेगा
और तुम्हारी रक्षा के लिये इस्राएल का परमेश्वर पीछे—पीछे भी होगा।
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