वे इसकी परवाह नहीं करते थे कि याजकों से लोगों के प्रति कैसे व्यवहार की आशा की जाती है। याजकों को लोगों के लिये यह करना चाहिए: जब कभी कोई व्यक्ति बलि—भेंट लाये, तो याजक को एक बर्तन में माँस को उबालना चाहिये। याजक के सेवक को अपने हाथ में विशेष काँटा जिसके तीन नोंक हैं, लेकर आना चाहिए।