फिर वह उसे ढूँढ कर अन्ताकिया ले आया। सारे साल वे कलीसिया से मिलते जुलते और विशाल जनसमूह को उपदेश देते रहे। अन्ताकिया में सबसे पहले इन्हीं शिष्यों को “मसीही” कहा गया।
शाऊल के मिल जाने पर वह उन्हें लेकर अन्तियोख़ नगर आ गए. वहाँ कलीसिया में एक वर्ष तक रह कर दोनों ने अनेक लोगों को शिक्षा दी. अन्तियोख़ नगर में ही सबसे पहले मसीह येशु के शिष्य मसीही कहलाए.