उन्होंने गरीब लोगों के वस्त्रों को लिया और वे उन पर गलीचे की तरह तब तक बैठे जब तक वे वेदी पर पूजा करते रहे। उन्होंने गरीबों को उनके वस्त्र गिरवी रख कर सिक्के उधार दिये। उन्होंने लोगों को जुर्माना देने को मजबूर किया और उस जुर्माने की रकम से अपने परमेश्वर के मन्दिर में पीने के लिये दाखमधु खरीदी।