तुम लोगों को ऐसा समझाती हो कि मैं महत्वपूर्ण नहीं हूँ। तुम्हें उन्हें मुट्ठी भर जौ और रोटी के कुछ टुकड़ों के लिये मेरे विरुद्ध करती हो। तुम मेरे लोगों से झूठ बोलती हो। वे लोग झूठ सुनना पसन्द करते हैं। तुम उन व्यक्तियों को मार डालती हो जिन्हें जीवित रहना चाहिये और तुम ऐसे लोगों को जीवित रहने देना चाहती हो जिन्हें मर जाना चाहिये!