तुमने, जो बंदीगृह में पड़े थे, उनसे सहानुभूति की तथा अपनी सम्पत्ति का जब्त किया जाना सहर्ष स्वीकार किया क्योंकि तुम यह जानते थे कि स्वयं तुम्हारे अपने पास उनसे अच्छी और टिकाऊ सम्पत्तियाँ हैं।
तुमने उन पर सहानुभूति व्यक्त की, जो बन्दी बनाए गए थे तथा तुमने सम्पत्ति के छिन जाने को भी इसलिए सहर्ष स्वीकार कर लिया कि तुम्हें यह मालूम था कि निश्चित ही उत्तम और स्थायी है तुम्हारी सम्पदा.