लोग खतरे की सुनकर डर से काँप जायेंगे। कुछ लोग भाग जायेंगे किन्तु वे गके और फँदों में जा गिरेंगे और उन गकों से कुछ चढ़कर बच निकल आयेंगे। किन्तु वे फिर दूसरे फँदों में फँसेंगे। ऊपर आकाश की छाती फट जायेगी जैसे बाढ़ के दरवाजे खुल गये हो। बाढ़े आने लगेंगी और धरती की नींव डगमग हिलने लगेंगी।