“जब कोई दुष्टात्मा किसी मनुष्य से बाहर निकलती है तो विश्राम को खोजते हुए सूखे स्थानों से होती हुई जाती हैं और जब उसे आराम नहीं मिलता तो वह कहती हैं, ‘मैं अपने उसी घर लौटूँगी जहाँ से गयी हूँ।’
“जब प्रेत किसी व्यक्ति में से बाहर निकलता है, वह सूखे स्थानों में विश्राम की खोज में भटकता रहता है और न मिलने पर वह विचार करता है, ‘मैं उसी घर में लौट जाऊँगा, जिसमें से मैं निकला था.’