“बल्कि अपने शत्रु को भी प्यार करो, उनके साथ भलाई करो। कुछ भी लौट आने की आशा छोड़ कर उधार दो। इस प्रकार तुम्हारा प्रतिफल महान होगा और तुम परम परमेश्वर की संतान बनोगे क्योंकि परमेश्वर अकृतज्ञों और दुष्ट लोगों पर भी दया करता है।
सही तो यह है कि तुम अपने शत्रुओं से प्रेम करो, उनका उपकार करो और कुछ भी वापस प्राप्त करने की आशा किए बिना उन्हें कर्ज़ दे दो. तब तुम्हारा ईनाम असाधारण होगा और तुम परमप्रधान की सन्तान ठहराए जाओगे क्योंकि वह उनके प्रति भी कृपालु हैं, जो उपकार नही मानते और बुरे हैं.