Bible in 90 Days
होमबलि के नियम
1 हबक्कूक की परमेश्वर से शिकायत यह वह संदेश है जो हबक्कूक नबी को दिया गया था।
2 हे यहोवा, मैं निरंतर तेरी दुहाई देता रहा हूँ। तू मेरी कब सुनेगा मैं इस हिंसा के बारे में तेरे आगे चिल्लाता रहा हूँ किन्तु तूने कछ नहीं किया! 3 लोग लूट लेते हैं और दूसरे लोगों को हानि पहुँचाते हैं। लोग वाद विवाद करते हैं और झगड़ते हैं। हे यहोवा! तू ऐसी भयानक बातें मुझे क्यों दिखा रहा है 4 व्यवस्था असहाय हो चुकी है और लोगों के साथ न्याय नहीं कर पा रही है। दुष्ट लोग सज्जनों के साथ लड़ाईयाँ जीत रहे हैं। सो, व्यवस्था अब निष्पक्ष नहीं रह गयी है!
हबक्कूक को परमेश्वर का उत्तर
5 यहोवा ने उत्तर दिया, “दूसरी जातियों को देख! उन्हें ध्यान से देख, तुझे आश्चर्य होगा। मैं तेरे जीवन काल में ही कुछ ऐसा करूँगा जो तुझे चकित कर देगा। इस पर विश्वास करने के लिये तुझे यह देखना ही होगा। यदि तुझे उसके बारे में बताया जाये तो तू उस पर भरोसा ही नहीं कर पायेगा। 6 मैं बाबुल के लोगों को एक बलशाली जाति बना दूँगा। वे लोग बड़े दुष्ट और शक्तिशाली योद्धा हैं। वे आगे बढ़ते हुए सारी धरती पर फैल जायेंगे। वे उन घरों और उन नगरों पर अधिकार कर लेंगे जो उनके नहीं हैं। 7 बाबुल के लोग दूसरे लोगों को भयभीत करेंगे। बाबुल के लोग जो चाहेंगे, सो करेंगे और जहाँ चाहेंगे, वहाँ जायेंगे। 8 उनके घोड़े चीतों सें भी तेज़ दौड़ने वाले होंगे और सूर्य छिप जाने के बाद के भेड़ियों से भी अधिक खूंखार होंगे। उनके घुड़सवार सैनिक सुदूर स्थानों से आयेंगे। वे अपने शत्रुओं पर वैसे टूट पड़ेंगे जैसे आकाश से कोई भूखा गिद्ध झपट्टा मारता है। 9 वे सभी बस युद्ध के भूखे होंगे। उनकी सेनाएँ मरूस्थल की हवाओं की तरह नाक की सीध में आगे बढ़ेंगी। बाबुल के सैनिक अनगिनत लोगों को बंदी बनाकर ले जायेंगे। उनकी संख्या इतनी बड़ी होगी जितनी रेत के कणों की होती है।
10 “बाबुल के सैनिक दूसरे देशों के राजाओं की हँसी उड़ायेंगे। दूसरे देशों के राजा उनके लिए चुटकुले बन जायेंगे। बाबुल के सैनिक ऊँचे सुदृढ़ परकोटे वाले नगरों पर हँसेंगे। वे सैनिक उन अन्धे परकोटों पर मिट्टी के दमदमे बांध कर उन नगरों को सरलता से हरा देंगे। 11 फिर वे दूसरे स्थानों पर युद्ध के लिये उन स्थानों को छोड़ कर ऐसे ही आगे बढ़ जायेंगे जैसे आंधी आती है और आगे बढ़ जाती है। बाबुल के वे लोग बस अपनी शक्ति को ही पूजेंगे।”
परमेश्वर से हबक्कूक के प्रश्न
12 फिर हबक्कूक ने कहा, “हे यहोवा, तू अमर यहोवा है!
तू मेरा पवित्र परमेश्वर है जो कभी भी नहीं मरता!
हे यहोवा, तूने बाबुल के लोगों को अन्य लोगों को दण्ड देने को रचा है।
हे हमारी चट्टान, तूने उनको यहूदा के लोगों को दण्ड देने के लिये रचा है।
13 तेरी भली आँखें कोई दोष नहीं देखती हैं।
तू पाप करते हुए लोगों के नहीं देख सकता है।
सौ तू उन पापियों की विजय कैसे देख सकता है
तू कैसे देख सकता है कि सज्जन को दुर्जन पराजित करे?”
14 तूने ही लोगों को ऐसे बनाया है जैसे सागर की अनगिनत मछलियाँ
जो सागर के छुद्र जीव हैं बिना किसी मुखिया के।
15 शत्रु काँटे और जाल डाल कर उनको पकड़ लेता है।
अपने जाल में फँसा कर शत्रु उन्हें खींच ले जाता है
और शत्रु अपनी इस पकड़ से बहुत प्रसन्र होता है।
16 यह फंदे और जाल उसके लिये ऐसा जीवन जीने में जो धनवान का होता है
और उत्तम भोजन खाने में उसके सहायक बनते हैं।
इसलिये वह शत्रु अपने ही जाल और फंदों को पूजता है।
वह उन्हें मान देने के लिये बलियाँ देता है और वह उनके लिये धूप जलाता है।
17 क्या वह अपने जाल से इसी तरह मछलियाँ बटोरता रहेगा?
क्या वह (बाबुल की सेना) इसी तरह निर्दय लोगों का नाश करता रहेगा?
2 “मैं पहरे की मीनार पर जाकर खड़ा होऊँगा।
मैं वहाँ अपनी जगह लूँगा और रखवाली करूँगा।
मैं यह देखने की प्रतीक्षा करूँगा कि यहोवा मुझसे क्या कहता है।
मैं प्रतीक्षा करूँगा और यह जान लूँगा कि वह मेरे प्रश्नों का क्या उत्तर देता है।”
परमेश्वर द्वारा हबक्कूक की सुनवाई
2 यहोवा ने मुझे उत्तर दिया, “मैं तुझे जो कछ दर्शाता हूँ, तू उसे लिख ले। सूचना शिला पर इसे साफ़—साफ़ लिख दे ताकि लोग आसानी से उसे पढ़ सकें। 3 यह संदेश आगे आने वाले एक विशेष समय के बारे में है। यह संदेश अंत समय के बारे में है और यह सत्य सिद्ध होगा! ऐसा लग सकता है कि वैसा समय तो कभी आयेगा ही नहीं। किन्तु धीरज के साथ उसकी प्रतीक्षा कर। वह समय आयेगा और उसे देर नहीं लगेगी। 4 यह संदेश उन लोगों की सहायता नहीं कर पायेगा जो इस पर कान देने से इन्कार करते हैं। किन्तु सज्जन इस संदेश पर विश्वास करेगा और अपने विश्वास के कारण सज्जन जीवित रहेगा।”
5 परमेश्वर ने कहा, “दाखमधु व्यक्ति को भरमा सकती है। इसी प्रकार किसी शक्तिशाली पुरूष को उसका अहंकार मूर्ख बना देता है। उस व्यक्ति को शांति नहीं मिलेगी। मृत्यु के समान कभी उसका पेट नहीं भरता, वह हर समय अधिक से अधिक की इच्छा करता रहता है। मृत्यु के समान ही उसे कभी तृप्ति नहीं मिलेगी। वह दूसरे देशों को हराता रहेगा। वह दूसरे देशों के उन लोगों को अपनी प्रजा बनाता रहेगा। 6 निश्चय ही, ये लोग उसकी हँसी उड़ाते हुये यह कहेंगे, ‘उस पर हाय पड़े जो इतने दिनों तक लूटता रहा है। जो ऐसे उन वस्तुओं को हथियाता रहा है जो उसकी नहीं थी! जो कितने ही लोगों को अपने कर्ज के बोझ तले दबाता रहा है।’
7 “हे पुरूष, तूने लोगों से धन ऐंठा है। एक दिन वे लोग उठ खड़े होंगे और जो कुछ हो रहा है, उन्हें उसका अहसास होगा और फिर वे तेरे विरोध में खड़े हो जायेंगे। तब वे तुझसे उन वस्तुओं को छीन लेंगे। तू बहुत भयभीत हो उठेगा। 8 तूने बहुत से देशों की वस्तुएं लूटी हैं। सो वे लोग तुझसे और अधिक लेंगे। तूने बहुत से लोगों की हत्या की है। तूने खेतों और नगरों का विनाश किया है। तूने वहाँ सभी लोगों को मार डाला है।
9 “हाँ! जो व्यक्ति बुरे कामों के द्वारा धनवान बनता है, उसका यह धनवान बनना, उसके लिये बहुत बुरा होगा। ऐसा व्यक्ति सुरक्षापूर्वक रहने के लिये ऐसे काम करता है। वह सोचा करता है कि वह उसकी वस्तुएं चुराने से दूसरे व्यक्तियों को रोक सकता है। किन्तु बुरी बातें उस पर पड़ेंगी ही। 10 तूने बहुत से लोगों के नाश की योजनाएँ बना रखी हैं। इससे तेरे अपने लोगों की निन्दा होगी और तुझे भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा। 11 तेरे घर की दीवारों के पत्थर तेरे विरोध में चीख—चीख कर बोलेंगे। यहाँ तक कि तेरे अपने ही घऱ की छत की कड़ियाँ यह मनाते लगेंगी कि तू बुरा है।
12 “हाय पड़े उस बुरे अधिकारी पर जो खून बहाकर एक नगर का निर्माण करता है और दुष्टता के आधार पर चहारदीवारी से यक्त एक नगर को सुदृढ़ बनाता है। 13 सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह ठान ली है कि उन लोगों ने जो कुछ बनाया था, उस सब कुछ को एक आग भस्म कर देगी। उनका समूचा श्रम बेकार हो जायेगा। 14 फिर सब कहीं के लोग यहोवा की महिमा को जान जायेंगे और इसका समाचार ऐसे ही फैल जायेगा जैसे समुद्र में पानी फैला हो। 15 उस पर हाय पड़े जो अपने क्रोध में लोगों को उन्हें अपमानित करने के लिये मारता—पीटता है और उन्हें तब तक मारता रहता है जब तक वे लड़खड़ा न जायें।
16 “किन्तु उसे यहोवा के क्रोध का पता चल जायेगा। वह क्रोध विष के एक ऐसे प्याले के समान होगा जिसे यहोवा ने अपने दाहिने हाथ मे लिया हुआ है। उस व्यक्ति को उस क्रोध के विष को चखना होगा और फिर वह किसी धुत्त व्यक्ति के समान धरती पर गिर पड़ेगा।
“ओ दुष्ट शासक, तुझे विष के उसी प्याले में से पीना होगा। तेरी निन्दा होगी। तुझे आदर नहीं मिलेगा। 17 लबानोन में तूने बहुत से लोगों की हत्या की है। तूने वहाँ बहुत से पशु लूटे हैं। सो तू जो लोग मारे गये थे, उनसे भयभीत हो उठेगा और तूने उस देश के प्रति जो बुरी बातें की; उनके कारण तू डर जायेगा। उन नगरों के साथ और उन नगरों में रहने वाले लोगों के साथ जो कुछ तूने किया, उससे तू डर जायेगा।”
मूर्तियों की निरर्थकता का सन्देश
18 उसका यह झूठा देवता, उसकी रक्षा नहीं कर पायेगा क्योंकि वह तो बस एक ऐसी मूर्ति है जिसे किसी मनुष्य ने धातु से मढ़ दिया है। वह मात्र एक मूर्ति है। इसलिये जो व्यक्ति स्वयं उसका निर्माता करता है, उससे सहायता की अपेक्षा नहीं कर सकता। वह मूर्ति तो बोल तक नहीं सकता! 19 धिक्कार है उस व्यक्ति को जो एक कठपुतली से कहता है, “ओ देवता, जाग उठ!” उस व्यक्ति को धिक्कार है जो एक ऐसी पत्थर की मूर्ति से जो बोल तक नहीं पाती, कहता है, “ओ देवता, उठ बैठ!” क्या वह कुछ बोलेगी और उसे राह दिखाएगी वह मूर्ति चाहे सोने से मढ़ा हो, चाहे चाँदी से, किन्तु उसमें प्राण तो है ही नहीं।
20 किन्तु यहोवा इससे भिन्न है! यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में रहता है। इसलिये यहोवा के सामने सम्पूर्ण पृथ्वी धरती को चुप रह कर उसके प्रति आदर प्रकट करना चाहिए।
हबक्कूक की प्रार्थना
3 हबक्कूक नबी के लिये शिग्योनीत प्रार्थना:
2 हे यहोवा, मैंने तेरे विषय में सुना है।
हे यहोवा, बीते समय में जो शक्तिपूर्ण कार्य तूने किये थे, उनपर मुझको आश्चर्य है।
अब मेरी तुझसे विनती है कि हमारे समय में तू फिर उनसे भी बड़े काम कर।
मेरी तुझसे विनती है कि तू हमारे अपने ही दिनों में उन बातों को प्रकट करेगा
किन्तु जब तू जोश में भर जाये
तब भी तू हम पर दया को दर्शाना याद रख।
3 परमेश्वर तेमान की ओर से आ रहा है।
वह पवित्र परान के पहाड़ से आ रहा है।
आकाश प्रतिबिंबित तेज से भर उठा।
धरती पर उसकी महिमा छा गई है!
4 वह महिमा ऐसी है जैसे कोई उज्जवल ज्योति हो।
उसके हाथ से ज्योति की किरणें फूट रहीं हैं और उसके हाथ में उसकी शक्ति छिपी है।
5 उसके सामने महामारियाँ चलती हैं
और उसके पीछे विध्वंसक नाश चला करता है।
6 यहोवा खड़ा हुआ और उसने धरती को कँपा दिया।
उसने अन्य जातियों के लोगों पर तीखी दृष्टि डाली और वे भय से काँप उठे।
जो पर्वत अनन्त काल से अचल खड़े थे,
वे पर्वत टूट—टूट कर गिरे और चकनाचूर हो गये।
पुराने, अति प्राचीन पहाड़ ढह गये थे।
परमेश्वर सदा से ही ऐसा रहा है!
7 मुझको ऐसा लगा जैसे कुशान के नगर दु:ख में हैं।
मुझको ऐसा दिखा जैसे मिद्यान के भवन डगमगा गये हों।
8 हे यहोवा, क्या तूने नदियों पर कोप किया क्या जलधाराओं पर तुझे क्रोध आया था
क्या समुद्र तेरे क्रोध का पात्र बन गया?
जब तू अपने विजय के घोड़ों पर आ रहा था,
और विजय के रथों पर चढ़ा था, क्या तू क्रोध से भरा था?
9 तूने अपना धनुष ताना
और तीरों ने अपने लक्ष्य को बेध दिया।
जल की धाराएँ धरती को चीरने के लिए फूट पड़ी।
10 पहाड़ों ने तुझे देखा और वे काँप उठे।
जल धरती को फोड़ कर बहने लगा था।
धरती से ऊँचे फव्वारे
गहन गर्जन करते हुए फूट रहे थे।
11 सूर्य और चाँद ने अपना प्रकाश त्याग दिया।
उन्होंने जब तेरी भव्य बिजली की कौंधों को देखा, तो चमकना छोड़ दिया।
वे बिजलियाँ ऐसी थी जैसे भाले हों और जैसे हवा में छुटे हुए तीर हों।
12 क्रोध में तूने धरती को पाँव तले रौंद दिया
और देशों को दण्डित किया।
13 तू ही अपने लोगों को बचाने आया था।
तू ही अपने चुने राजा को विजय की राह दिखाने को आया था।
तूने प्रदेश के हर बुरे परिवार का मुखिया,
साधारण जन से लेकर अति महत्वपूर्ण व्यक्ति तक मार दिया।
14 उन सेनानायकों ने हमारे नगरों पर
तूफान की तरह से आक्रमण किया।
उनकी इच्छा थी कि वे हमारे असहाय लोगों को
जो गलियों के भीतर वैसे डर कर छुपे बैठे हैं
जैसे कोई भिखारी छिपा हुआ है खाना कुचल डाले।
किन्तु तूने उनके सिर को मुगदर की मार से फोड़ दिया।
15 किन्तु तूने सागर को अपने ही घोड़ों से पार किया था
और तूने महान जलनिधि को उलट—पलट कर रख दिया।
16 मैंने ये बातें सुनी और मेरी देह काँप उठी।
जब मैंने महा—नाद सुनी, मेरे होंठ फड़फड़ाने लगे!
मेरी हड्डियाँ दुर्बल हुई, मेरी टाँगे काँपने लगीं।
इसीलिये धैर्य के साथ मैं उस विनाश के दिन की बाट जोहूँगा।
ऐसे उन लोगों पर जो हम पर आक्रमण करते हैं, वह दिन उतर रहा है।
यहोवा में सदा आनन्दित रहो
17 अंजीर के वृक्ष चाहे अंजीर न उपजायें,
अंगूर की बेलों पर चाहे अंगूर न लगें,
वृक्षों के ऊपर चाहे जैतून न मिलें
और चाहे ये खेत अन्न पैदा न करें,
बाड़ों में चाहे एक भी भेड़ न रहे
और पशुशाला पशुधन से खाली हों।
18 किन्तु फिर भी मैं तो यहोवा में मग्न रहूँगा।
मैं अपने रक्षक परमेश्वर में आनन्द लूँगा।
19 यहोवा, जो मेरा स्वामी है, मुझे मेरा बल देता है।
वह मुझको वेग से हिरण सा भागने में सहायता देता है।
वह मुझको सुरक्षा के साथ पहाड़ों के ऊपर ले जाता है।
1 यह सन्देश है जिसे यहोवा ने सपन्याह को दिया। सपन्याह ने यह सन्देश तब पाया जब अमोन का पुत्र योशिय्याह यहूदा का राजा था। सपन्याह कूशी का पुत्र था। कूशी गदल्याह का पुत्र था। गदल्याह अमर्याह का पुत्र था। अमर्याह हिजकिय्याह का पुत्र था।
लोगों का न्याय करने का यहोवा का दिन
2 यहोवा कहता है, “मैं पृथ्वी की हर चीज़ को नष्ट कर दूँगा! 3 मैं सभी लोगों और सभी जानवरों को नष्ट करूँगा। मैं आकाश की चिड़ियों और सागर की मछलियों को नष्ट करूँगा। मैं पापी लोगों को और उन सभी चीज़ों को, जो उन्हें पापी बनाती है, नष्ट करूँगा। मैं सभी लोगों का इस धरती पर से नाम निशान मिटा दूँगा।” यहोवा ने यह सब कहा।
4 यहोवा ने कहा, “मैं यहूदा और यरूशलेम के निवासियों को दण्ड दूँगा: मैं इन चीज़ों को उस स्थान से हटा दूँगा: मैं बाल—पूजन के अन्तिम चिन्हों को हटा दूँगा। मैं उन पुरोहितों और उन सभी लोगों को जो अपनी छतों पर तारों की पूजा करने जाते हैं, विदा करूँगा। 5 लोग उन झूठे पुरोहितों के बारे में भूल जाएंगे। कछ लोग कहते हैं कि वे मेरी उपसाना करते हैं। उन लोगों ने मेरी उपासना करने की प्रतिज्ञा की किन्तु अब वे झूठे देवता मोलेक की पूजा करते हैं। अत: मैं उन लोगों को उस स्थान से हटाऊँगा। 6 कुछ लोग यहोवा से विमुख हो गये। उन्होंने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया। उन लोगों ने यहोवा से सहायता मांगना भी बन्द कर दिया। अत: मैं उन लोगों को उस स्थान से हटाऊंगा।”
7 मेरे स्वामी यहोवा के आगे चुप रह! क्यों क्योंकि लोगों को न्याय करने का यहोवा का दिन जल्द ही आ रहा है! यहोवा ने अपनी भेंट—बलि (यहूदा के लोग) तैयार कर ली है और उसने अपने बुलाये हुए मेहमानों (यहूदा के शत्रुओं) से तैयार करने के लिए कह दिया है।
8 यहोवा ने कहा, “यहोवा के बलि के दिन, मैं राजपुत्रों और अन्य प्रमुखों को दण्ड दूंगा। मैं अन्य देशों के वस्त्रों को पहनने वाले सभी लोगों को दण्ड दूंगा। 9 उस समय मैं उन सभी लोगों को दण्ड दूँगा जो देहली पर कूदते हैं। मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जो अपने स्वामी के गृह को कपट और हिंसा से इकट्ठे किए गए धन से भरते हैं।”
10 यहोवा ने यह भी कहा, “उस समय, लोग यरूशलेम में मत्स्य—द्वार पर सहायता के लिये पुकार रहे होंगे। नगर के अन्य भागों में भी लोग चिल्ला रहे होंगे और लोग नगर के चारों ओर की पहाड़ियों में चीज़ों के नष्ट होने की भारी आवाज़े सुन रहे होंगे। 11 नगर के निचले भागों में रहने वाले लोगों, तुम चिल्लाओगे। क्यों क्योंकि कारोबारी और धनी व्यापारी नष्ट कर दिये जायेंगे।
12 “उस समय, मैं एक दीपक लूंगा और यरूशलेम में रहकर खोज करूँगा। मैं उन सभी लोगों को ढूँढूंगा जो अपने ही तरीके से रहने में सन्तुष्ट हैं। वे लोग कहते हैं, ‘यहोवा कुछ नहीं करता। वे न सहायता करते हैं न चोट ही पहुँचाते हैं!’ मैं उन लोगों का पता लगाऊंगा और उन्हें दण्ड दूँगा! 13 तब अन्य लोग उनकी सारी सम्पत्ति लेंगे तथा उनके घरों को नष्ट करेंगे। उस समय जिन लोगों ने घर बनाए होंगे, वे उनमें नहीं रहेंगे और जिन लोगों ने अंगूर की बेलें खेतों में रोपी होंगी, वे उन अंगूरों का दाखमधु नहीं पीएंगे, उन चीज़ों को अन्य लोग लेंगे।”
14 यहोवा के न्याय का विशेष दिन शीघ्र आ रहा है! वह दिन निकट है, और तेज़ी से आ रहा है। यहोवा के न्याय के विशेष दिन लोग चीखों भरे स्वर सुनेंगे। यहाँ तक कि वीर योद्धा भी चीख उठेंगे! 15 उस समय परमेश्वर अपना क्रोध प्रकट करेगा। यह भयंकर विपत्तियों का समय होगा। यह विध्वंस का समय होगा। यह काले, घिरे हुए बादल और तूफानी दिन के अन्धकार का समय होगा। 16 यह युद्ध के ऐसे समय की तरह होगा जब लोग सुरक्षा मीनारों और सुरक्षित नगरों से सीगों और तुरही का नाद सुनेंगे।
17 यहोवा ने कहा, “मैं लोगों का जीवन बहुत दूभर कर दूँगा। लोग उन अन्धों की तरह चारों ओर जाएंगे जिन्हें यह भी मालूम नहीं कि वे कहाँ जा रहे हैं क्यों क्योंकि उन लोगों ने यहोवा के विरूद्ध पाप किये। अनेक लोग मार डाले जाएंगे। उनका खून जमीन पर बहेगा। उनके शव गोबर की तरह जमीन पर पड़े सड़ते रहेंगे। 18 उनका सोना—चाँदी उनकी सहायता नहीं कर पाएंगे! उस समय, यहोवा बहुत क्षुब्द और क्रोधित होगा। यहोवा पूरे संसार को अपने क्रोध की अग्नि में जलाकर नष्ट कर देगा! यहोवा पूरी तरह पृथ्वी पर सब कुछ नष्ट कर देगा!”
परमेश्वर लोगों से जीवन—पद्धति बदलने को कहता है
2 लज्जाहीन लोगों, मुरझाये और मरते फूलों की तरह होने के पहले 2 अपने जीवन को बदल डालो। दिन की गर्मी में कोई फूल मुरझायेगा और मर जाएगा। तुम वैसे ही होगे जब यहोवा अपना भयंकर क्रोध प्रकट करेगा। अत: अपने जीवन को, यहोवा द्वारा तुम्हारे विरूद्ध क्रोध प्रकट करने के पहले, बदल डालो! 3 तुम सभी विनम्र लोगों, यहोवा के पास आओ! उसके नियमों को मानो। अच्छे काम करना सीखो। विनम्र होना सीखो। संभव है तब तुम सुरक्षित रह सको जब यहोवा अपना क्रोध प्रकट करे।
यहोवा इस्राएल के पड़ोसियों को दण्ड देगा
4 अज्जा नगर में कोई भी नहीं बचेगा। अश्कलोन नष्ट किया जायेगा। दोपहर तक लोग अशदोद छोड़ने को विवश किये जायेंगे। एक्रोन सूना होगा! 5 पलिश्ती लोगों, सागर के तट पर रहने वाले लोगों, यहोवा का यह सन्देश तुम्हारे लिये है। कनान देश, पलिश्ती देश, तुम नष्ट कर दिये जाओगे, वहाँ कोई नहीं रहेगा! 6 समुद्र के किनारे की तुम्हारी भूमि तुम्हारे गडेरियों और उनकी भेड़ों के लिये खाली खेत हो जाएंगे। 7 तब वह भूमि यहूदा के बचे हुए लोगों के लिये होगी। यहोवा यहूदा के उन लोगों को याद रखेगा। वे लोग विदेश में बन्दी हैं। किन्तु यहोवा उन्हें वापस लाएगा। तब यहूदा के लोग उन खेतों में अपनी भेड़ों को घास चरने देंगे। शाम को वे अश्कलोन के खाली घरों में लेटेंगे।
8 यहोवा कहता है, “मैं जानता हूँ कि मोआब और अम्मोन के लोगों ने क्या किया! उन लोगों ने हमारे लोगों को लज्जित किया। उन लोगों ने अपने देश को और अधिक बड़ा करने के लिये उनकी भूमि ली। 9 अत: जैसा कि मैं शाश्वत हूँ, मोआब और अम्मोन के लोग सदोम और अमोरा की तरह नष्ट किये जाएंगे। मैं सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर हूं। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि वे देश सदैव के लिये पूरी तरह नष्ट किये जाएंगे। उनकी भूमि में जंगली घासें उगेंगी। उनकी भूमि मृत सागर के नमक से ढकी भूमि जैसी होगी। मेरे लोगों में से बचे हुए उस भूमि को तथा इसमें छोड़ी गई हर चीज़ को लेंगे।”
10 वे बातें, मोआब और अम्मोन के लोगों के लिये घटित होंगी क्योंकि उन्होंने सर्वशक्तिमान यहोवा के लोगों को लज्जित किया। 11 वे लोग यहोवा से डरेंगे! क्यों क्योंकि यहोवा उनके देवताओं को नष्ट करेगा। तब सभी दूर—दराज़ के देश यहोवा की उपासना करेंगे। 12 कूश के लोगों, इसका अर्थ तुम भी हो। यहोवा की तलवार तुम्हारे लोगों को मार डालेगी 13 और यहोवा उत्तर की ओर अपना हाथ बढ़ाएगा और अश्शूर को दण्ड देगा। वे नीनवे को नष्ट करेगा, वह नगर खाली सूखी मरूभूमि जैसा होगा। 14 तब केवल भेड़ें और जंगली जानवर उस बर्बाद नगर में रहेंगे। उल्लू और कौवे उन स्तम्भों पर बैठेंगे जो खड़े छोड़ दिये गए हैं। उनकी ध्वनि खिड़कियों से आती सुनाई पड़ेगी। कौवे द्वारों की सीढ़ियों पर बैठेंगे। उन सूने घरों में काले पक्षी बैठेंगे। 15 नीनवे इन दिनों इतना अधिक घमण्डी है। यह ऐसा प्रसन्न नगर है। लोग समझते हैं कि वे सुरक्षित हैं। वे समझते हैं कि नीनवे संसार में सबसे बड़ा स्थान है। किन्तु वह नगर नष्ट किया जायेगा! यह एक सूना स्थान होगा, जहाँ केवल जंगली जानवर आराम करने जाते हैं। जब लोग उधर से गुजरेंगे और देखेंगे कि कितनी बुरी तरह नगर नष्ट किया गया है तब वे सीटियाँ बजाएंगे और सिर हिलायेंगे।
यरूशलेम का भविष्य
3 यरूशलेम, तुम्हारे लोग परमेश्वर के विरूद्ध लड़े! तुम्हारे लोगों ने अन्य लोगों को चोट पहुँचाई और तुम पाप से कलंकित हो!
2 तुम्हारे लोग मेरी एक नहीं सुनते! वे मेरी शिक्षा को स्वीकार नहीं करते। यरूशलेम यहोवा में विश्वास नहीं रखता। यरूशलेम अपने परमेश्वर तक को नहीं जानती। 3 यरूशलेम के प्रमुख गुरर्ाते सिंह जैसे है। इसके न्यायायधीश ऐसे भूखे भेड़ियों की तरह हैं जो भेड़ों पर आक्रमण करने शाम को आते हैं, और प्रात: काल कुछ बचा नहीं रहता। 4 उसके नबी अपनी गुप्त योजनायें सदा अधिक से अधिक पाने के लिये बना रहे हैं। उसके याजकों ने पवित्र चीज़ों को अशुद्ध करता है। उन्होंने परमेश्वर की शिक्षा के प्रति बुरे काम किये हैं। 5 किन्तु परमेश्वर अब भी उस नगर में है और वह उनके प्रति लगातार न्यायपूर्ण बना रहा है। परमेश्वर कुछ भी बुरा नहीं करता। वह अपने लोगों की भलाई करता चला आ रहा है। लगातार हर सुबह वह अपने लोगों के साथ न्याय करता है। किन्तु बुरे लोग अपने किये बुरे कामों के लिये लज्जित नहीं हैं।
6 परमेश्वर कहता है, “मैंने पूरे राष्टों को नष्ट कर दिया है। मैंने उनकी रक्षा मीनारों को नष्ट किया है। मैंने उनकी सड़कें नष्ट की हैं और अब वहां कोई नहीं जाता। उनके नगर सूने हैं, उनमें अब कोई नहीं रहता। 7 मैं तुमसे यह इसलिए कह रहा हूँ ताकि तुम शिक्षा लो। मैं चाहता हूँ कि तुम मुझसे डरो और मेरा सम्मान करो। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारा घर नष्ट नहीं होगा। यदि तुम ऐसा करोगे तो मैं अपनी बनाई योजना के अनुसार तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा।” किन्तु वे बुरे लोग वैसे ही बुरे काम और अधिक करना चाहते हैं जिन्हें उन्होंने पहले ही कर रखा हैं!
8 यहोवा ने कहा, “अत: तनिक प्रतीक्षा करो! मेरे खड़े होने और अपने न्याय किये जाने के लिये मेरी प्रतीक्षा करो। अनेक राष्ट्रों से लोगों को लाने और तुमको दण्ड देने के लिये उनका उपयोग करने का निर्णय मेरा है। मैं उन लोगों का उपयोग अपना क्रोध तुम्हारे विरूद्ध प्रकट करने के लिये करूँगा। मैं उनका उपयोग यह दिखाने के लिये करूँगा कि मैं कितना क्षुब्ध हूँ, और यहूदा का पूरा प्रदेश नष्ट होगा! 9 तब मैं अन्य राष्ट्रों के लोगों की सहायता साफ—साफ बोलने के लिये करूँगा और वे यहोवा के नाम की प्रशंसा करेंगे। वे सभी एक साथ मेरी उपासना के नाम की प्रशंसा करेंगे। वे सभी एक साथ मेरी उपासना करेंगे। 10 लोग कूश में नदी की दूसरी ओर से पूरा रास्ता तय करके आएंगे। मेरे बिखरे लोग मेरे पास आएंगे। मेरे उपासक मेरे पास आएंगे और अपनी भेंट लाएंगे।
11 “यरूशलेम, तब तुम आगे चलकर उन बुरे कामों के लिये लज्जित होना बन्द कर दोगे। क्यों क्योंकि मैं यरूशलेम से उन सभी बुरे लोगों को निकाल बाहर करूँगा। मैं उन सभी घमण्डी लोगों को दूर कर दूँगा। उन घमण्डी लोगों में से कोई भी मेरे पवित्र पर्वत पर नहीं रह जाएगा। 12 मैं केवल सीधे और विनम्र लोगों को अपने नगर (यरूशलेम) में रहने दूँगा और वे यहोवा के नाम में विश्वास करेंगे। 13 इस्राएल के बचे लोग बुरा काम नहीं करेंगे। वे झूठ नहीं बोलेंगे। वे झूठ बोलकर लोगों को ठगना नहीं चाहेंगे। वे उन भेड़ों की तरह होंगे जो खाती हैं और शान्त लेटती है, और कोई भी उन्हें तंग नहीं करेगा।”
आनन्द सन्देश
14 हे यरूशलेम, गाओ और आनन्दित होओ!
हे इस्राएल, आनन्द से घोष करो!
यरूशलेम, प्रसन्न होओ, तमाशे करो!
15 क्यों क्योंकि यहोवा ने तुम्हारा दण्ड रोक दिया!
उन्होंने तुम्हारे शत्रुओं की दृढ़ मीनारों को नष्ट कर दिया!
इस्राएल के राजा, यहोवा तुम्हारे साथ है।
तुम्हें किसी बुरी घटना के होने के बारे में चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं!
16 उस समय यरूशलेम से कहा जाएगा,
“दृढ़ बनो, डरो नहीं।”
17 तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ हैं।
वह शक्तिशाली सैनिक सा हैं।
वह तुम्हारी रक्षा करेगा।
वह दिखायेगा कि वह तुम से कितना प्यार करता है।
वह दिखायेगा कि वह तुम्हारे साथ कितने प्रसन्न है।
वे हसेगा और तुम्हारे बारे में ऐसे प्रसन्न होगा,
18 जैसे लोग दावत में होते हैं।
“मैं तुम्हारी लज्जा को दूर करूँगा।
मैं तुम्हारे दुर्भाग्य को तुम से दूर कर दूँगा।
19 उस समय, मैं उन लोगों को दण्ड दूँगा जिन्होंने तुम्हें चोट पहुँचाई।
मैं अपने घायल लोगों की रक्षा करूँगा।
मैं उन लोगों को वापस लाऊँगा,
जो भागने को विवश किये गए थे और मैं उन्हें प्रसिद्ध करूँगा।
लोग सर्वत्र उनकी प्रशंसा करेंगे।
20 उस समय मैं तुम्हें वापस लाऊँगा।
मैं तुम्हें एक साथ वापस लाऊँगा।
मैं तुम्हें प्रसिद्ध बनाऊँगा।
सर्वत्र लोग तुम्हारी प्रशंसा करेंगे।
यह तब होगा जब मैं तुम्हारी आँखों के सामने तुम बन्दियों को वापस लाऊँगा!”
यहोवा ने यह सब कहा।
मंदिर बनाने का समय
1 परमेश्वर यहोवा का सन्देश नबी हाग्गै के द्वारा शालतीएल के पुत्र यहूदा के शासक जरुब्बाबेल और यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू को मिला। यह सन्देश फारस के राजा दारा के दूसरे वर्ष के छठें महीने के प्रथम दिन मिला था। इस सन्देश में कहा गया: 2 सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, “लोग कहते हैं कि यहोवा का मंदिर बनाने के लिये समय नहीं आया है।”
3 तब यहोवा का संदेश नबी हाग्गै के द्वारा आया, जिसमें कहा गया था: 4 “क्या यह तुम्हारे स्वयं के लिये लकड़ी मढ़े मकानों में रहने का समय है जबकि यह मंदिर अभी खाली पड़ा है 5 यही कारण है कि सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: जो कुछ तुम्हारे साथ घट रहा हैं उस के बारे में सोचो! 6 तुमने बोया बहुत है, पर तुम काटते हो नहीं के बराबर। तुम खाते हो, पर तुम्हारा पेट नहीं भरता। तुम पीते हो, पर तुम्हें नशा नहीं होता। तुम वस्त्र पहनते हो, किन्तु तुम्हें पर्याप्त गरमाहट नहीं मिलती। तुम जो थोड़ा बहुत कमाते हो पता नहीं कहां चला जाता है; लगता है जैसे जेबों में छेद हो गए हैं!”
7 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “जो कुछ तुम्हारे साथ घट रहा है उसके बारे में सोचो! 8 पर्वत पर चढ़ो। लकड़ी लाओ और मंदिर को बनाओ। तब मैं मंदिर से प्रसन्न होऊँगा, और सम्मानित होऊँगा।” यहोवा यह सब कहता है।
9 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “तुम बहुत अधिक पाने की चाह में रहते हो, किन्तु तुम्हें नहीं के बराबर मिलता हैं। तुम जो कुछ भी घर पर लाते हो, मैं इसे उड़ा ले जाता हूँ! क्यों क्योंकि मेरा मंदिर खंडहर पड़ा है। किन्तु तुम लोगों में हर एक को अपने अपने घरों की पड़ी है। 10 यही कारण है कि आकाश अपनी ओस तक रोक लेता है, और इसी कारण भूमि अपनी फसल नहीं देती। ऐसा तुम्हारे कारण हो रहा हैं।”
11 यहोवा कहता है, “मैंने धरती और पर्वतों पर सूखा पड़ने का आदेश दिया है। अनाज, नया दाखमधु, जैतून का तेल, या वह सभी कुछ जिसे यह धरती पैदा करती है, नष्ट हो जायेगा! तथा सभी लोग और सभी मवेशी कमजोर पड़ जायेंगे।”
नये मंदिर के कार्य का आरम्भ
12 तब शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल और यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू ने सब बचे हुये लोगों के साथ अपने परमेश्वर यहोवा का सन्देश और उसके भेजे हुये नबी हाग्गै के वचनो को स्वीकार किया और लोग अपने परमेश्वर यहोवा से भयभीत हो उठे।
13 परमेश्वर यहोवा के सन्देशवाहक हाग्गै ने लोगों को यहोवा का सन्देश दिया। उसने यह कहा, “मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
14 तब परमेश्वर यहोवा ने शालतीएल के पुत्र यहूदा के शासक जरूब्बाबेल को प्रेरित किया और परमेश्वर यहोवा ने यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू को भी प्रेरित किया और परमेश्वर यहोवा ने बाकी के सभी लोगों को भी प्रेरित किया। तब वे आये और अपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा के मंदिर के निर्माण में काम करने लगे। 15 उन्होंने यह राजा दारा के दूसरे वर्ष के छठें महीने के चौबीसवें दिन किया।
यहोवा का लोगों को प्रेरित करना
2 यहोवा का सन्देश सातवें महीने के इक्कीसवें दिन हाग्गै को मिला। सन्देश में कहा गया, 2 “अब यहूदा के शासक शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल, यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू और जो लोग बचे हैं उनसे बातें करो और कहो: 3 ‘क्या तुममे कोई ऐसा बचा हैं जिसने उस मंदिर को अपने पहले के वैभव में देखा है। अब तुमको यह कैसा लग रहा है क्या खण्डहर हुआ यह मन्दिर उस पहले वैभवशाली मन्दिर की तुलना में कहीं भी ठहर पाता हैं’ 4 किन्तु जरुब्बाबेल, अब तुम साहसी बनों! यहोवा यह कहता है, ‘यहोसादाक के पुत्र महायाजक यहोशू, तुम भी साहसी बनो और देश के सभी लोगों तुम भी साहसी बनो!’ यहोवा यह कहता है, ‘काम करो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ!’ सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है!
5 “यहोवा कहता है, ‘जहाँ तक मेरी प्रतिज्ञा की बात है, जो मैंने तुम्होरे मिस्र से बाहर निकलने के समय तुमसे की है, वह मेरी आत्मा तुममें हैं। डरो नहीं!’ 6 क्यों क्योकि सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘एक बार फिर मैं शीघ्र ही पृथ्वी और आकाश एवं समुद्र और सूखी भूमि को कम्पित करूँगा! 7 मैं सभी राष्ट्रों को कंपा दूंगा और वे सभी राष्ट्र अपनी सम्पत्ति के साथ तुम्हारे पास आएंगे। तब मैं इस मंदिर को गौरव से भर दूंगा!’ सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है। 8 ‘उनकी चाँदी मेरी हैं और उनका सोना मेरा है।’ सर्वशक्तिमान यहोवा यही कहता है। 9 ‘इस मंदिर का पर्वर्ती गौरव प्रथम मंदिर के गौरव से बढ़कर होगा।’ सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘और इस स्थान पर मैं शान्ति स्थापित करूँगा।’” सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है!
कार्य आरंभ हो चुका है वरदान प्राप्त होगा
10 यहोवा का सन्देश दारा के दूसरे वर्ष के नौवें महीने के चौबीसवें दिन नबी हाग्गै को मिला। सन्देश में कहा गया था, 11 “सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘अब याजक से पूछो कि व्यवस्था क्या है?’ 12 ‘संभव है कोई व्यक्ति अपने कपड़ों की तहों में पवित्र मांस ले चले। संभव है कि उस कपड़े की तह से जिसमें वह पवित्र मांस ले जा रहा हो, रोटी, या पका भोजन, दाखमधु, तेल या किसी अन्य भोजन का स्पर्श हो जाये। क्या वह चीज जिसका स्पर्श तह से होता है पवित्र हो जायेगी?’”
याजक ने उत्तर दिया, “नहीं।”
13 तब हाग्गै ने कहा, “संभव है कोई व्यक्ति किसी शव को छूले। तब वह अपवित्र हो जाएगा। किन्तु यदि वह किसी चीज को छूएगा तो क्या वह अपवित्र हो जायेगी”
तब याजक ने उत्तर दिया, “हाँ, वह अपवित्र हो जाएगी।”
14 तब हाग्गै ने उत्तर दिया, “परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मेरे सामने इन लोगों के प्रति वही नियम है, और वही नियम इस राष्ट्र के प्रति है! उसके हाथो ने जो कुछ किया वही नियम उसके लिए भी है। जो कुछ वे अपने हाथों भेंट करेंगे वह भी अपवित्र होगा।
15 “‘किन्तु अब कृपया सोचें, आज के पहले क्या हुआ, इसके पूर्व कि यहोवा, परमेश्वर के मंदिर में एक पत्थर पर दूसरा पत्थर रखा गया था 16 एक व्यक्ति बीस माप अनाज की ढेर के पास आता है, किन्तु वहाँ उसे केवल दस ही मिलते हैं और जब एक व्यक्ति दाखमधु के पीपे के पास पचास माप निकालने आता है तो वहाँ वह केवल बीस ही पाता है! 17 मैंने, तुम्हें और तुम्हारे हाथों ने जो कुछ किया उसे दण्ड दिया। मैंने तुमको उन बीमारियों से, जो पौधों को मारती है, और फफूंदी एवं ओलो से, दण्डित किया। किन्तु तुम फिर भी मेरे पास नहीं आए।’ यहोवा यह कहता है।”
18 यहोवा कहता है, “इस दिन से आगे सोचो अर्थात नौवें महीने के चौबीसवें दिन से जिस दिन यहोवा, के मंदिर की नींव तैयार की गई। सोचो। 19 क्या बीज अब भी भण्डार—गृह में है क्या अंगूर की बेलें, अंजीर के वृक्ष, अनार और जैतून के वृक्ष अब तक फल नहीं दे रहे हैं नहीं! किन्तु आज के दिन से, आगे के लिये मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।”
20 तब महीने के चौबीसवें दिन हाग्गै को दूसरी बार यहोवा का सन्देश मिला। सन्देश में कहा गया, 21 “यहूदा के प्रशासक जरुब्बाबेल से कहो, ‘मैं आकाश और पृथ्वी को कंपाने जा रहा हूँ 22 और मैं राज्यों के सिंहासनों को उठा फेंकूंगा और राष्ट्रों के राज्यों की शक्ति को नष्ट कर दूंगा और मैं रथों और उनके सवारों को नीचे फेंक दूंगा। तब घोड़े और उनके घुड़सवार गिरेंगे। भाई, भाई का दुश्मन हो जाएगा।’ 23 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मैं उस दिन शालतीएल के पुत्र, अपने सेवक, जरुब्बाबेल को लूंगा।’ यहोवा परमेश्वर यह कहता है, ‘और मैं तुम्हें मुद्रा अंकित करने की अंगूठी बनाऊँगा। क्यों? क्योंकि मैंने तुम्हें चुना है!’”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा है।
यहोवा अपने लोगों की वापसी चाहता है
1 बेरेक्याह के पुत्र जकर्याह ने यहोवा का सन्देश पाया। फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के आठवें महीने में यह हुआ। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था। बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है:
2 यहोवा तुम्हारे पूर्वजों पर बहुत क्राधित हुआ है। 3 अत: तुम्हें लोगों से यह सब कहना चाहिये। यहोवा कहता हैं, “मेरे पास वापस आओ तो मैं तम्हारे पास वापस लौटूंगा।” यह सब सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा।
4 यहोवा ने कहा, “अपने पूर्वजों के समान न बनो। बीते समय में, नबी ने उनसे बातें कीं। उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा चाहता है कि तुम अपने बुरे रहन सहन को छोङ दो। बुरे काम बन्द कर दो!’ किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी एक न सुनी।” यहोवा ने यह बातें कही।
5 परमेश्वर ने कहा, “तुम्हारे पूर्वज जा चुके और वे नबी सदैव जीवित न रहे। 6 नबी मेरे सेवक थे। मैंने उनका उपयोग तुम्हारे पूर्वजों को अपने व्यवस्था और अपनी शिक्षा देने के लिये किया और तम्हारे पूर्वजों ने अन्त में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कहा, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा ने वह किया जिसे करने को उसने कहा था। उसने हमारे बुरे रहन—सहन और सभी बुरे किये गए कामों के लिये दण्ड दिया।’ इस प्रकार वे परमेश्वर के पास वापस लौटे।”
घोड़ों का दर्शन
7 जकर्याह ने फारस में दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष के ग्यारहवें महीने के चौबीसवें दिन (अर्थात् शबात) यहोवा का दूसरा सन्देश पाया। (जकर्याह बेरेक्याह का पुत्र था और बेरेक्याह इद्दो नबी का पुत्र था।) सन्देश यह है:
8 रात को, मैंने एक व्यक्ति को लाल घोड़े पर बैठे देखा। वह घाटी में कुछ मालती की झाड़ियों के बीच खड़ा था। उसके पीछे लाल, भूरे और श्वेत रंग के घोड़े थे। 9 मैंने पूछा, “महोदय, ये घोड़े किसलिये हैं”
तब मुझसे बात करते हुए, स्वर्गदूत ने कहा, “मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि ये घोड़े किसलिये हैं।”
10 तब मालती की झाड़ियों के बीच स्थित उस व्यक्ति ने कहा, “यहोवा ने इन घोड़ों को पृथ्वी पर इधर—उधर घूमने के लिये भेजे हैं।”
11 तब घोड़ों ने मालती की झाड़ियों में स्थित यहोवा के दूत से बातें कीं। उन्होंने कहा, “हम लोग पृथ्वी पर इधर—उधर घूम चुके हैं, और सब कुछ शान्त और व्यवस्थित हैं।”
12 तब यहोवा के दूत ने कहा, “यहोवा, आप यरूशलेम और यहूदा के नगर को कब तक आराम दिलायेंगे अब तो आप इन नगरों पर सत्तर वर्ष तक अपना क्रोध प्रकट कर चुके हैं।”
13 तब यहोवा ने उस दूत को उत्तर दिया जो मुझसे बातें कर रहा था। यहोवा ने अच्छे शान्तिदायक शब्द कहे।
14 तब यहोवा के दूत ने मुझे लोगों से यह सब कहने को कहा:
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है:
“मैं यरूशलेम और सिय्योन से विशेष प्रेम रखता हूँ
15 और मैं उन राष्ट्रों पर बहुत क्रोधित हूँ जो अपने को इतना सुरक्षित अनुभव करते हैं।
मैं कुछ क्रोधित हो गया था
और मैंने उन राष्ट्रों का उपयोग अपने लोगों को दण्ड देने के लिये किया।
किन्तु उन राष्ट्रों ने बहुत अधिक विनाश किया।”
16 अत: यहोवा कहता है, “मैं यरूशलेम लौटूँगा और उसे आराम दूँगा।”
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलम का निर्माण पुन: होगा।
और वहां मेरा मंदिर बनेगा।”
17 स्वर्गदूत ने कहा, “लोगों से यह भी कहो:
‘सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
मेरे नगर फिर सम्पन्न होंगे, मैं सिय्योन को आराम दूँगा।
मैं यरूशलेम को अपना विशेष नगर चुनूँगा।’”
सींगों का दर्शन
18 तब मैंने ऊपर नजर उठाई और चार सींगों को देखा। 19 तब मैंने उस दूत से जो मुझसे बातें कर रहा था, पूछा, “इन सींगों का अर्थ क्या हैं”
उसने कहा, “ये वे सींगे है, जिन्होंने इस्राइल, यहूदा और यरूशलेम के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया।”
20 तब यहोवा ने मुझे चार कारीगर दिखाये। 21 मैंने उनसे पूछा, “ये चार कारीगर क्या करने आ रहे हैं”
उसने कहा, “ये लोग उन सींगों को नष्ट करने आए हैं। उन सींगों ने यहूदा के लोगों को विदेशों में जाने को विवश किया। उन सींगों ने किसी पर दया नहीं दिखाई। ये सींगे उन राष्ट्रों का प्रतीक है जिन्होंने यहूदा के लोगों पर आक्रमण किया था और उन्हें विदेशों में जाने को विवश किया था।”
यरूशलेम को मापने का दर्शन
2 तब मैंने ऊपर निगाह उठाई और मैंने एक व्यक्ति को नापने की रस्सी को लिये हुए देखा। 2 मैंने उससे पूछा, “तुम कहाँ जा रहे हो”
उसन मुझे उत्तर दिया, “यरूशलेम को नापने जा रहा हूँ, कि वह कितना लम्बा तथा कितना चौङा है।”
3 तब वह दूत, जो मुझसे बातें कर रहा था, चला गया और उससे बातें करने को दूसरा दूत बाहर गया। 4 उसने उससे कहा, “दौड़कर जाओ और उस युवक से कहो कि यरूशलम इतना विशाल है कि उसे नापा नहीं जा सकता। उससे यह कहो,
‘यरूशलेम बिना चहारदीवारी का नगर होगा।
क्यों क्योंकि वहाँ असंख्य लोग और जानवर रहेंगे।’
5 यहोवा कहता है,
‘मैं उसकी चारों ओर उसकी रक्षा के लिये आग की दीवार बनूँगा,
और उस नगर को गौरव देने के लिये वहीं रहूँगा।’”
परमेश्वर अपने लोगों को घर बुलाता है
यहोवा कहता है,
6 “जल्दी करो! उत्तर देश से भाग निकलो!
हाँ यह सत्य है कि मैंने तुम्हारे लोगों को चारों ओर बिखेरा।
7 सिय्योन के लोगों, तुम बाबुल में बन्दी हो।
किन्तु अब भाग निकलो! उस नगर से भाग जाओ!”
8 सर्वशक्तिमान यहोवा ने मेरे बारे में यह कहा, “उसने मुझे भेजा है, जिन्होंने उन राष्ट्रों में युद्ध में तुमसे चीज़ें छीनीं!
उसने तुझे प्रतिष्ठा देने को मुझे भेजा है।”
किन्तु उसके बाद, यहोवा मुझे उनके विरूद्ध भेजेगा।
क्यों? क्योंकि यदि वे तुम्हें चोट पहुँचायेंगे तो
वह यहोवा की आँख की पुतली को चोट पहुँचाना होगा।
9 और मैं उन लोगों के विरूद्ध अपना हाथ उठाऊँगा
और उनके दास उनकी सम्पत्ति लेंगे।
तब तुम समझोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझे भेजा है।
10 यहोवा कहता है,
“सिय्योन, प्रसन्न हो! क्यों? क्योंकि मैं आ रहा हूँ,
और मैं तुम्हारे नगर में रहूँगा।
11 उस समय अनेक राष्ट्रों के लोग
मेरे पास आएंगे
और वे मेरे लोग हो जायेंगे।
मैं तुम्हारे नगर में रहूँगा
और तुम जानोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने
मुझे तुम्हारे पास भजा है।”
12 यहोवा यरूशलेम को फिर से अपना विशेष नगर चुनेगा
और यहूदा, पवित्र—भूमि का उनका हिस्सा होगा।
13 सभी व्यक्ति, शान्त हो जाओ!
यहोवा अपने पवित्र घर से बाहर आ रहा है।
महायाजक के बारे में दर्शन
3 तब दूत ने मुझे महायाजक यहोशू को दिखाया। यहोशू यहोवा के दूत के सामने खङा था और शैतान यहोशू की दायीं ओर खड़ा था। शैतान वहाँ यहोशू द्वारा किये गए बुरे कामों के लिये दोष देने को था। 2 तब यहोवा के दूत ने कहा, “शैतान, यहोवा तुम्हें फटकारे। यहोवा तुम्हें अपराधी घोषित करे! यहोवा ने यरूशलेम को अपना विषेश नगर चुना हैं। उन्होंने उस नगर को बचाया—जैसे जलती लकङी को आग से बाहर निकाल दिया जाये।”
3 यहोशू दूत के सामने खङा था और यहोशू गन्दे वस्त्र पहने था। 4 तब अपने समीप खङे अन्य दूतों से दूत ने कहा, “यहोशू के गन्दे वस्त्रों को उतार लो।” तब दूत ने यहोशू से बातें कीं। उसने कहा, “मैंने तुम्हारे अपराधों को हर लिया है और मैं तुम्हें नये वस्त्र बदलने को देता हूँ।”
5 तब मैंने कहा, “उसके सिर पर एक नयी पगड़ी बाँधो।” अत: उन्होंने एक नयी पगड़ी उसे बांधी। यहोवा के दूत के खड़े रहते ही उन्होंने उसे नये वस्त्र पहनाये। 6 तब यहोवा के दूत ने यहोशू से यह कहा:
7 सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा,
“वैसे ही रहो जैसा मैं कहूँ,
और मैं जो कहूँ वह सब करो
और तुम मेरे मंदिर के उच्चाधिकारी होगे।
तुम इसके आँगन की देखभाल करोगे
और मैं अनुमति दूँगा कि
तुम यहाँ खड़े स्वर्गदूतों के बीच स्वतन्त्रता से घूमो।
8 अत: यहोशू, तुम्हें और तुम्हारे साथ के लोगों को मेरी बातें सुननी होंगी।
तुम महायाजक हो, और तम्हारे साथ के लोग दूसरों के समक्ष एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं
और मैं सच ही, अपने विशेष सेवक को लाऊँगा,
उसे शाख कहते हैं।
9 देखो, मैं एक विशेष पत्थर यहोशू के सामने रखता हूँ।
उस पत्थर के सात पहलू है
और मैं उस पत्थर पर विशेष सन्देश खोदूँगा।
वह इस तथ्य को प्रकट करेगा कि मैं एक दिन में इस देश के सभी पापों को दूर कर दूँगा।”
10 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“उस समय, लोग बैठेंगे और अपने मित्रों
एवं पड़ोसियों को अपने उद्यानों में आमंन्त्रित करेंगे।
हर व्यक्ति अपने अंजीर के पेड़
तथा अंगूर की बेल के नीचे अमन—चैन से रहेगा।”
दीपाधार और दो जैतून के पेड़
4 तब जो दूत मझसे बातें कर रहा था, मेरे पास आया और उसने मुझे जगाया। मैं नींद से जागे व्यक्ति की तरह लग रहा था। 2 तब दूत ने पूछा, “तुम क्या देखते हो?”
मैंने कहा, “मैं एक ठोस सोने का दीवाधार देखता हूँ। उस दीपाधार पर सात दीप हैं और दीपाधार के ऊपरी सिरे पर एक प्याला है। प्याले में से सात नल निकल रहे हैं। हर एक नल हर एक दीप तक जा रहा है। वे नल तेल को हर एक दीप के प्याले तक लाते हैं। 3 और दो जैथ्द्यन के पेड़, एक दायी और दूसरा बायीं ओर प्याले के सहारे हैं।” 4 और तब मैंने, उस दूत से जो मुझसे बातें कर रहा था, पूछा, “महोदय, इन सब का अर्थ क्या है?”
5 मुझसे बातें करने वाले दूत ने कहा, “क्या तुम नहीं जानते कि ये सब चीज़ें क्या हैं”
मैंने कहा, “नहीं महोदय।”
6 तब उसने मुझसे कहा, “यह सन्देश यहोवा की ओर से जरुब्बाबेल को है: ‘तुम्हारी शक्ति और प्रभुत्ता से सहायता नहीं मिलेगी। वरन, तुम्हें सहायता मेरी आत्मा से मिलेगी।’ सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा! 7 वह ऊँचा पर्वत जरूब्बाबेल के लिये समतल भूमि—सा होगा। वह मंदिर को बनायेगा और जब अन्तिम पत्थर उस स्थान पर रखा जाएगा तब लोग चिल्ला उठेंगे—‘सुन्दर! अति सुन्दर।’”
8 मुझे यहोवा से मिले सन्देश में भी कहा गया, 9 “जरूब्बाबेल मेरे मंदिर की नींव रखेगा और जरूब्बाबेल मंदिर को बनाना पूरा करेगा। लोगों तब तुम समझोगे कि सर्वशक्तिमान यहोवा ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है। 10 लोग उस सामान्य आरम्भ से लज्जित नहीं होंगे और वे सचमुच तब प्रसन्न होंगे, जब वे जरूब्बाबेल को पूरी की गई भवन को साहुल से नापते और जांच करते देखेंगे। अत: पत्थर के सात पहलू जिन्हें तुमने देखा वे यहोवा की आँखों के प्रतीक हैं जो हर दिशा में देख रहीं हैं। वे पृथ्वी पर सब कुछ देखती हैं।”
11 तब मैंने (जकर्याह) उससे कहा, “मैंने एक जैतून का पेड़ दीपाधार की दायी ओर एक बायीं ओर देखा। उन दोनों जैतून के पेड़ों का तात्पर्य क्या है?”
12 मैंने उससे यह भी कहा, “मैंने जैतून की दो शाखायें सोने के रंग के तेल को ले जाते, सोने के नलों के सहारे देखीं। इन चीजो का तात्पर्य क्या है?”
13 तब दूत ने मुझ से कहा, “क्या तुम नहीं जानते कि इन चीजों का तात्पर्य क्या है?”
मैंने कहा, “नहीं महोदय।”
14 अत: उसने कहा, “वे उन दो व्यक्तियों के प्रतीक है, जो सारे संसार में यहोवा की सेवा के लिये चुने गए थे।”
उड़ता हुआ गोल लिपटा पत्रक
5 मैंने फिर निगाह ऊची की और मैंने एक उङता हुआ गोल पत्रक देखा। 2 दूत ने मुझसे पूछा, “तुम क्या देखते हो?” मैंने कहा, “मैं एक उङता हुआ गोल लिपटा पत्रक देख रहा हूँ।”
“यह गोल लिपटा पत्रक तींस फुट लम्बा और पन्द्रह फूट चौङा है।”
3 तब दुत ने मुझ से कहा, “उस गोल लिपटे पत्रक पर एक शाप लिखा हैं। और दुसरी ओर उन लोगों को शाप है, जो प्रतिज्ञा करके झुट बोलते हैं। 4 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘मैं इस गोल लिपटे पत्रक को चोरों के घर और उन लोगों के घर भेजूँगा जा गलत प्रतिज्ञा करते समय मेरे नाम का उपयाग करते हैं। वह गोल लिपटा पत्रक वहीं रहेगा। यहाँ तक कि पत्थर और लकङी के खम्भे भी नष्ट हो जाएंगे।’”
स्त्री और टोकरी
5 तब मेरे साथ बात करने वाला दूत गया। उसने मुझ से कहा, “देखो! तुम क्या होता हुआ देख रहे हो?”
6 मैंने कहा, “मैं नही जानता, कि यह क्या हैं?”
उसने कहा, “वह मापक टोकरी हैं।” उसने यह भी कहा, “यह टोकरी इस देश के लोगों के पापों को नापने के लिये हैं।”
7 टोकरी का ढक्कन सीसे का था जब वह खोला गया, तब उसके भीतर बैठी स्त्री मिली। 8 दूत ने कहा स्त्री बुराई का प्रतीक है। “तब दुत ने स्त्री को टोकरी में धक्का दे डाला और सीसे के ढक्कन को उसके मुख में रख दिया।” इससे यह प्रकट होता था, कि पाप बहुत भरी (बुरा) है। 9 तब मैंने नजर उठाई और दो स्त्रियों को सारस के समान पंख सहित देखा। वे उङी और अपने पंखों में हवा के साथ उन्होंने टोकरी को उठा लि या। वे टोकरी लिये हवा में उङती रहीं। 10 तब मैंने बातें करने वाले उस दूत से पूछा, “वे टोकरी को कहाँ ले जा रही हैं?”
11 दुत ने मुझ से कहा, “वे शिनार में इसके लिये एक मंदिर बनाने जा रही हैं जब वे मंदिर बना लेंगी तो वे उस टोकरी को वहाँ रखेंगी।”
चार रथ
6 तब मैं चारों ओर घुम गया। मैंने निगाह उठाई और मैंने चार रथों को चार कांसे के पर्वतों के बीच के जाते देखा। 2 प्रथम रथ को लाल घोङे खींच रहे थे। दुसरे रथ को काले घोङे खींच रहे थे। 3 तीसरे रथ को श्वेत घोङे खींच रहे थे और चौथे रथ को लाल धब्बे वाले घोङे खींच रहे थे। 4 तब मैंने बात करने वाले उस दुत से पुछा, “महोदय, इन चीजों का तात्पर्य क्या है?”
5 दुत ने कहा, “ये चारों दिशाओं की हवाओं के प्रतीक हैं। वे अभी सारे संसार के स्वामी के यहाँ से आये 6 हैं। काले घोङे उत्तर को जाएंगे। लाल घोङे पूर्व को जाएंगे। श्वेत घोङे पश्चिम को जाएंगे और लाल धब्बेदार घोङे दक्षिण को जाएंगे।”
7 लाल धब्बेदार घोङे अपने हिस्से की पृथ्वी को देखते हुए जाने को उत्सुक थे अत: दुत ने उनसे कहा, “जाओ पृथ्वी का चक्कर लगाओ।” अत: वह अपने हिस्से की पृथ्वी पर टहलते हुए गए।
8 तब यहोवा ने मुझे जोर से पुकारा। उन्होंने कहा, “देखो, वे घोङे, जो उत्तर को जा रहे थे, अपना काम बाबुल में पुरा कर चुके। उन्होंने मेरी आत्मा को शान्त कर दिया—अब मैं क्ररोधित नहीं हूँ।”
याजक यहोशू एक मुकुट पाता है
9 तब मैंने यहावा का एक अन्य सन्देश प्राप्त किया। उसने कहा, 10 “हेल्दै, तोबिय्याह और यदायाह बाबुल के बन्दियों में से आ गए हैं। उन लोगों से चाँदी और सोना लो और तब सपन्याह के पुत्र योशियाह के घर जाओ। 11 उस सोने—चाँदी का उपयोग एक मुकुट बनाने में करो। उस मुकुट को यहोश के सिर पर रखो। (यहोशू महायाजक था। यहोशू यहोसादाक पुत्र था।) तब यहोशु से ये बातें कहो: 12 सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है,
‘शाख नामक एक व्यक्ति है।
वह शक्तिशाली हो जाएगा।
13 वह यहोवा का मंदिर बनाएगा,
और वह सम्मान पाएगा।
वह अपने राजसिंहासन पर बैठेगा, और शासक होगा।
उसके सिंहासन के बगल में एक याजक खङा होगा।
और ये दोनों व्यक्ति शान्तिपूर्वक एक साथ काम करेंगे।’
14 वे मुकुट को मंदिर में रखेंगे जिससे लोगों को याद रखने में सहायता मिलेगी। वह मुकुट हेल्दै, तोबिय्याह, यदायाह और सपन्याह के पुत्र योशियाह को सम्मान प्रदान करेगा।”
15 दूर के निवासी लोग आएंगे और मंदिर को बनाएंगे। लोगों, समझोगे कि यहोवा ने मुझे तुम लोगों के पास है। यह सब घटित होगा, यदि तुम वह करोगे, जिसे करने को यहोवा कहता है।
यहोवा दया और करूणा चाहता है
7 फारस में दारा के राज्याकाल के चौथे वर्ष, जकर्याह को यहोवा का एक संदेश मिला। यह नौवे महीने का चौथा दिन था। (अर्थात् किस्लव।) 2 बेतेल के लोगों ने शेरसेर, रेगेम्मेलेक और अपने साथियों को यहोवा से एक प्रश्न पूछने को भेजा। 3 वे सर्वशक्तिमान यहोवा के मंदिर में नबियों और याजकों के पास गए। उन लोगों ने ने उनसे यह प्रश्न पूछा: “हम ने कई वर्ष तक मंदिर के ध्वस्त होने का शोक मनाया है। हर वर्ष के पाँचवें महीने में, रोने और उपवास रखने का हम लोगों का विशेष समय रहा हैं। क्या हमें इसे करते रहना चाहिये?”
4 मैंने सर्वशक्तिमान यहोवा का यह सन्देश पाया है: 5 “याजकों और इस देश के अन्य लोगों से यह कहो: जो उपवास और शोक पिछले सत्तर वर्ष से वर्ष के पाँचवें और सातवें महीने में तुम करते आ रहे हो, क्या वह उपवास, सच ही, मेरे लिये थानहीं! 6 और जब तुमने खाया और दाखमधु पिया तब क्या वह मेरे लिये था। नहीं यह तुम्हारी अपनी भलाई के लिये था। 7 परमेश्वर ने प्रथम नबियों का उपयोग बहुत पहले यही बात तब कही थी, जब यरूशलेम मनुष्यों से भरा—पूरा सम्पत्तिशाली था। परमेश्वर ने यह बातें तब कहीं थीं, जब यरूशलेम के चारों ओर के नगरों में तथा नेगव एवं पश्चिंमी पहाङियों की तराईयों में लोग शान्तिपूर्वक रहते थे।”
8 जकर्याह को यहोवा का यह सन्दोशहै:
9 “सर्वशक्तिमान यहोवा ने ये बातें कहीं,
‘तुम्हें जो सत्य और उचित हो, करना चाहिये।
तम्हें हर एक को एक दुसरे के प्रति दयालु
और करूणापूर्ण होना चाहिये।
10 विधवाओ, अनाथों, अजनबियों या
दीन लोगों को चोट न पहुँचाओ।
एक दुसरे का बुरा करने का विचार भी मन में न आने दो!’”
11 किन्तु उनलोगों ने अन सुनी की।
उन्होंने उसे करने से इन्कार किया जिसे वे चाहते थे।
उन्होंने अपने कान बन्द कर लिये,
जिससे वे, परमेश्वर जो कहे, उसे न सुन सकें।
12 वे बङे हठी थे।
उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करना
अस्वीकार कर दिया।
अपनी आत्मशक्ति से सर्वशक्तिमान यहावा ने
नबियों द्धारा अपने लोगों को सन्देश भेजे।
किन्तु लोगों ने उसे नहीं सुना,
अत: सर्वशक्तिमान यहोवा बहुत क्रारोधित हुआ।
13 अत: सर्वशक्तिमान यहावा ने कहा,
“मैं ने उन्हें पुकारा
और उन्होंने उत्तर नहीं दिया।
इसलिये अब यदि वे मुझे पुकारेंगे,
तो मैं उत्तर नहीं दूँगा।
14 मैं अन्य राष्ट्रों को तुफान की तरह उनके विरूद्ध लाऊँगा।
वे उन्हें नहीं जानते,
किन्तु जब वे देश से गुजरेंगे,
तो उजङ जाएगा।”
यहोवा यरूशलेम को आशीर्वाद देने की प्रतिज्ञा करता है
8 यह सन्देश सर्वशक्तिमान यहावा का है 2 सर्वशक्तिमान यहावा कहता है, “मैं सच ही, सिय्योन से प्रेम करता हूँ। मैं उससे इतना प्रेम करता हूँ कि जब वह मेरी विशवासपात्र न रही, तब मैं उस पर क्रोधित हो गया।” 3 यहोवा कहता है, “मैं सिय्योन के पास वापस आ गया हूँ। मैं यरूशलेम में रहने लगा हूँ। यरूशलेम विशवास नगर कहलाएगा। मेरा पर्वत, पवित्र पर्वत कहलाएगा।”
4 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “यरूशलेम में फिर बुढे स्त्री—पुरूष समाजिक स्थलों में दिखाई पङेंगे। लोग इतनी लम्बी आयु तक जीवीत रहेंगेकि उन्हें सहरे की छङी की आवश्यकता होगी 5 और नगर सङकों पर खेलने वाले बच्चों से भरा होगा। 6 बचे हुये लोग इसे आश्चर्यजनक मानेंगे और मैं भी इसे आश्चर्यजनक मानूँगा!”
7 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “देखो, मैं पूर्व और पश्चिम के देशो से अपने लोगों को बचा ले चल रहा हूँ। 8 मैं उन्हें यहाँ वापस लाऊँगा और वे यरूशलेम में रहेंगे। वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका अच्छा और विश्वसनीय परमेश्वर होऊँगा!”
9 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शक्तिशाली बनो! लोगों, तुम आज वही सन्देश सुन रहे हो, जिसे नबियों ने तब दिया था जब सर्वशक्तिमान यहोवा ने अपने मंदिर को फिर से बनाने के लिये नींव डाली। 10 उस समय के पहले लोगों के पास श्रमिकों को मजदुरी पर रखने या जानवर को किराये पर रखने के लिये धन नहीं था और मनुष्यों का आवागमन सुरक्षित नही था। सारी आपत्तियों से किसी प्रकार की मुक्ति नही थी। मैंने हर एक को पङोसी के विरूद्ध कर दिया था। 11 किन्तु अब वैसा नही है। बचे हुओं के लिए अब वैसा नही होगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह बाते कहीं।
12 “ये लोग शान्ति के साथ फसल लगाऐगे। उनके अंगुर के बाग अंगूर देंगे। भुमि अच्छी फसल देगी तथा आकाश वर्षा देगा। मैं यह सभी चीजें अपने इन लोगों को दूँगा। 13 लाग अपने शापों में यरूशलेम और यहुदा का नाम लेने लगे हैं। किन्तु मैं इस्राइल और यहुदा को बचाऊँगा और उनके नाम वरदान के रूप मैं प्रमाणित होने लगेंगे। अत: डरो नही। शक्तिशाली बनो!”
14 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “तुम्हारे पूर्वजों ने मुझे क्रोधित किया था। अत: मैंने उन्हें नष्ट करने का निर्णय लिया। मैंने अपने इरादे को न बदलने का निश्यच किया।” सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह सब कहा। 15 “किन्तु अब मैने अपना इरादा बदल दिया है और उसी तरह मैंने यरूशलेम और यहूदा के लोगों के प्रति अच्छा बने रहने का निशच्य किया है। अत: डरो नहीं! 16 किन्तु तुम्हें यह करना चाहिए: अपने पङोसीयों से सत्य बोलो। जब तुम अपने नगरों में निर्णय लो, तो वह करो जो सत्य और शान्ति लाने वाला हो। 17 अपने पङोसियों को चाट पहुँचाने के लिये गुप्त योजनायें न बनाओ! झुठी प्रतिज्ञायें न करो! ऐसा करने में तुम्हें आन्नद नही लेना चाहिये। क्यों क्योंकि मैं उन बातों से घृणा करता हूँ।” यहोवा ने यह सब कहा।
18 मैंने सर्वशक्तिमान यहोवा का यह सन्देश पाया। 19 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शोक मनाने और उपवास के विशेष दिन चौथे महीने, पाँचवें महीने, सातवें महीने और दसवें महीने में हैं। वे शोक के दिन प्रसन्नता के दिन में बदल जाने चाहिये। वे अच्छे और प्रसन्ननता के दिन में बदल जाने चाहिये। वो अच्छे और प्रसन्ननता के पवित्र दिन होंगे और तम्हें सत्य और शान्ति से प्रेम करना चाहिये!”
20 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है,
“भविष्य में, अनेक नगरों से लोग यरूशलेम आएंगे।
21 एक नगर के लोग दुसरे नगर के मोलने वाले लोगों से कहेंगे,
‘हम सर्वशक्तिमान यहोवा की उपासना करने जा रहे हैं,’
‘हमारे साथ आओ!’”
22 अनेक लोग और अनेक शक्तिशाली राष्ट्र सर्वशक्तिमान यहोवा की खाज में यरूशलेम आएंगे। वे वहाँ उपासना करने आएंगे। 23 सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “उस समय विभन्न राष्ट्रों से विभन्न भाषाओ को बदलने वाले दस व्यक्ति एक यहुदी के चादर का पल्ला पकङेंगे और कहेंगे हमने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है। क्या हम उसकी उपासना करने तम्हारे साथ आ सकते हैं।”
अन्य राष्ट्रों के विरूद्ध न्याय
9 एक दु:ख पूर्ण सन्देश। यह यहोवा का सन्देश हद्राक के देश और उसकी राजधानी दमिश्क के बारे में है: “इस्राइल के परिवार समूह के लोग ही एक मात्र वे लोग नहीं है जो परमेश्वर के बारे में जानते हैं। हर एक व्यक्ति सहायता के लिये उनकी ओर दख सकता है। 2 हद्राक के देश की सीमा हमात है और सोर तथा सीदोन भी यही करते हैं। वे लोग बहुत बुद्धिमान हैं। 3 सोर एक किले की तरह बना है। वहाँ के लोगों ने चाँदी इतना इकट्ठा की है, कि वह धूलि के समान सुलभ है और सोना इतना सामान्य है जितनी मिट्टी। 4 किन्तु हमारे स्वामी यहोवा यह सब ले लेगा। वे उसकी शक्तिशाली नौसेना को नष्ट करेगा और वह नगर आग से नष्ट होजाएगा!
5 “अश्कलोन में रहने वाले लोग इन घटनाओं को देखेंगे और वे डरेंगे। अज्जा के लोग भय से काँप उठेगे और एक्रोन के लोग सारी आशएँ छोङ देंगे, जब वे उन घटनाओं को घटित होते देखेंगे। अज्जा में कोई राजा बचा नहीं रहेगा। कोई भी व्यक्ति अब अश्कलोन में नहीं रहेगा। 6 अश्दाद में लोग यह भी नही जानेंगे कि उनके अपने पिता कौन हैं मैं गर्वीले पलिश्ती लोगों को पूरी तरह नष्ट कर दूँगा। 7 वे रक्त सहित माँस को या कोई भी वर्जीत भोजन नहीं खायेंगे। कोई भी बचा पलिश्ती हमारे राष्ट्र का अंग बनेगा। वे यहूदा में एक नया परिवार समूह होंगे। एक्रोन के लोग हमारे लोगों के एक भाग होंगे जैसा कि यबूसी लोग बन गए। मैं अपने देश की रक्षा करूँगा। 8 मैं शत्रु की सेनाओ को यहा से होकर नहीं निकल ने दूँग। मैं उन्हें अपने लोगों को और अधिक चाट नहीं पहुचाने दूँगा। मैंने अपनी आँखों से देखा कि अतित में मेरे लोगों ने कितना कष्ट उठाया।”
भविष्य का राजा
9 सिय्योन, आनन्दित हो!
यरूशलेम के लोगों आनन्दघोष करो!
देखो तुम्हारा राजा तम्हारे पास आ रहा है!
वह विजय पानेवाला एक अच्छा राजा है। किन्तु वह विनम्र है।
वह गधे के बच्चे पर सवार है, एक गधे के बच्चे पर सवार है।
10 राजा कहता है, “मैंने एप्रैम में रथों को
और यरूशलेम में घुङसवारों को नष्ट किया।
मैंने युद्ध में प्रयोग किये गये धनुषों को नष्ट किया।”
अन्य राष्ट्रों ने शान्ति—संधि की बातें सुनीं।
वह राजा सागर से सागर तक राज्य करेगा।
वह नदी से लेकर पृथ्वी के दूरतम सेथानों पर राज्यकरेगा।
यहोवा अपने लोगों की रक्षा करेगा
11 यरूशलेम हमने अपनी वाचा को खून से मुहरबन्द किया अत:
मैने तम्हारे बन्दियों को स्वतन्त्र कर दिया, तम्हारे लोग उस सूने बन्दिगृह में अब नहीं रह गए हैं।
12 बन्दियों, अपने घर जाओ!
अब तुम्हारे लिये कुछ आशा का अवसर है।
अब मैं तुमसे कह रहा हूँ,
मैं तुम्हारे पास लौट रहा हूँ!
13 यहुदा, मैं तम्हारा उपयोग एक धनुष—जैसा करूँगा।
एप्रैम, मैं तम्हारा उपयाग बाणों जैसा करूँगा।
इस्राइल, मैं तुम्हारा उपयोग
यूनान से लङने के लिए दृढ तलवार जैसा करूँगा।
14 यहोवा उसके सामने प्रकट होगा
और वह अपने बाण बिजली की तरह चलायेगा।
यहोवा, मेरे स्वामी तरही बजाएगा
और सेना मरूभूमि के तूफान के समान आगे बढ़ेगी।
15 सर्वशक्तिमान यहोवा उनकी रक्षा करेगा।
सैनिक पत्थर और गुलेल का उपयोग शत्रु को पराजित करने में करेंगे।
वे अपने शत्रुओं का खुन बहायेंगे,
यह दाखमधु जैसा बहेगा।
यह वेदी के कानों पर फेंके गए खून जैसा होगा!
16 उस समय, उनके परमेश्वर यहोवा
अपने लोगों को वैसे ही बचाएगा,
जैसे गङेरिया भेङों को बचाता है।
वे उनके लिये बहुत मूल्यावान होंगे।
वे उनके हाथो में जगमगाते रत्न—से होंगे।
17 हर एक चीज अच्छी और सुन्दर होगी!
वहाँ अदभुत फसल होगी,
किन्तु वहाँ केवल अन्न और दाखधु नहीं होगी।
वहाँ युवक युवतीयाँ होंगी!
यहोवा की प्रतिज्ञायें
10 बसन्त ऋतु में यहोवा से वर्षा के लिये प्रार्थना करो। यहोवा बिजली भेजेगा और वर्षा होगी। और परमेश्वर हर एक व्यक्ति के खेत में उगायेगा।
2 ये जादुगर अपनी छोटी मूर्तियों और जादू का उपयोग भविष्य की घटनाओं को जानने के लिए करते हैं, किन्तु यह सब व्यर्थ है। वे लोग दर्शन करते हैं और अपने स्वपनों के बारे में कुछ कहते हैं, किन्तु यह सब व्यर्थ झुठ के अलावा कुछ नहीं हैं। अत: लोग भेङों की तरह इधर—उधर सहायता के लिये पुकारते हुए भटक रहे हैं। किन्तु उनको रास्ता दिखाने वाला कोई गङेरया नहीं।
3 यहोवा कहता है, “मैं गङेरियों (प्रमुखों) पर बहुत क्रोधित हूँ। मैंने उन प्रमुखों को अपनी भेङो (लोगों) की दखभाल का उत्तरदायित्व सौंपा था।” (यहुदा के लोग परमेश्वर की रेवङ है और सर्वशक्तिमान यहुवा, सचमुच, अपने रेवङ की दखभाल करता है। वह उनकी ऐसा दखभाल करता है, जैसा कोई सैनिक अपने घोङे की रखता है।)
4 “कोने का पत्थर, डेरे की खूँटी, यद्ध का धनुष और आग बढते सैनिक सभी यहुदा के साथ आएंगे। वे अपने शत्रुओ को पराजित करेंगे, यह कीचङ मैं आगे बढ़ते सैनिकों जैसा होंगे। 5 वे युद्ध करेंगे, और यहोवा उनके साथ है। अत: वे शत्रु के घुङसवारों को भी हरायेंगे। 6 मैं यहुदा के परिवार को शक्तिशाली बनाऊँगा। मैं युसुफ को परिवार को युद्ध में विजयी बनाऊँगा। मैं उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित वापस लाऊँगा। मैं उन्हें आराम दूँगा। यह ऐसा होगा, मानों मैंने उन्हें कभी नही छोङा। मैं यहोवा, उनका परमेश्वर हूँ और मैं उनकी सहायता करूँगा। 7 एप्रैम के लोग शक्तिशाली पुरूष होंगे और ऐसे प्रसन्न होंगे, जैसे वे सैनीक जिन्हें पीने के लिये बहुत अधिक मिल गया हो। उनकी सन्तानें आन्नद मनायेंगी और वे सभी प्रसन्न रहेंगे। वे सभी यहोवा के साथ आन्नद का अवसर पाएंगे।
8 “मैं उनको सीटी दे कर सभी को एक साथ बुलाऊँगा। मै, सच ही, उन्हें बचााऊँगा। ये लोग असंख्य हो जाएंगे। 9 हाँ, मैं सभी राष्ट्रों में अपंने लोगों को बिखेर रहा हुँ। किन्तु मुझे उन देशो में याद करेंगे वे और उनकी सन्तानें बचीं रहेंगी। और वे वापस आएंगे। 10 मैं उन्हें मिस्र और अश्शूर से वापस लाऊँगा मैं उन्हें गिलाद क्षेत्र में लाऊँगा और क्योंकि वहा काफी जगह नहीं होगी। अत: मैं उन्हें समीप के लबानोन में भी रहने दुँगा। 11 (यह वैसा ही होगा, जैसा यह पहले तब था, जब परमेश्वर उन्हें मिस्र से निकाल लाया था। उसने समुद्र की तरंगों पर चोट की थी। समुद्र फट गया था और लोग विपत्ति के समुद्र को पैदल पार कर गए थे। यहोवा नदियों की धाराओंको सुखा दगा। वे अश्शूर के गर्व और मिस्र की शक्ति को नष्ट कर देगा) 12 यहोवा अपने लोगों को शक्तिशाली बनाएगा और वे उनके और उनके नाम के लिये जीवीत रहेंगे।” यहोवा ने यह सब कहा।
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