Bible in 90 Days
यरूशलेम के प्रति परमेश्वर का प्रेम
29 परमेशवर कहता है, “अरीएल को देखो! अरीएल वह स्थान हैं जहाँ दाऊद ने छावनी डाली थी। वर्ष दो वर्ष साथ उत्सवों के पूरे चक्र तक गुजर जाने दो। 2 तब मैं अरीएल को दण्ड दूँगा। वह नगरी दु:ख और विलाप से भर जायेगी। वह एक ऐसी मेरी बलि वेदी होगी जिस पर इस नगरी के लोग बलि चढ़ायेंगे!
3 “अरीएल तेरे चारों तरफ मैं सेनाएँ लगाऊँगा। मैं युद्ध के लिये तेरे विरोध में बुर्ज बनाऊँगा। 4 मैं तुझ को हरा दूँगा और धरती पर गिरा दूँगा। तू धरती से बोलेगा। मैं तेरी आवाज ऐसे सुनूँगा जैसे धरती से किसी भूत की आवाज उठ रही हो। धूल से मरी—मरी तेरी दुर्बल आवाज आयेगी।”
5 तेरे शत्रु धूल के कण की भाँति नगण्य होंगे। वहाँ बहुत से क्रूर व्यक्ति भूसे की तरह आँधी में उड़ते हुए होंगे। 6 सर्वशक्तिमान यहोवा मेघों के गर्जन से, धरती की कम्पन से, और महाध्वनियों से तेरे पास आयेगा। यहोवा दण्डित करेगा। यहोवा तूफान, तेज आँधी और अग्नि का प्रयोग करेगा जो जला कर सभी नष्ट कर देगी। 7 फिर बहुत बहुत देशों का अरीएल के साथ नगर और उसके किले के विरोध में लड़ना रात के स्वप्न सा होगा। जो अचानक विलीन होता है। 8 किन्तु उन सेनाओं को भी यह एक स्वप्न जैसा होगा। वे सेनाएँ वे वस्तु न पायेंगी जिनको वे चाहते हैं। यह वैसा ही होगा जैसे भूखा व्यक्ति भोजन का स्वप्न देखे औऱ जागने पर वह अपने को वैसा ही भूखा पाये। यह वैसा ही होगा जैसे कोई प्यासा पानी का स्वप्न देखे और जब जागे तो वह अपने को प्यासा का प्यासा ही पाये। सिय्योन के विरोध में लड़ते हुए सभी देश सचमुच ऐसे ही होंगे। यह बात उन पर खरी उतरेगी। देशों को वे वस्तु नहीं मिलेगी जिनकी उन्हें चाह है।
9 आश्चर्यचकित हो जाओ और अचरज मे भर जाओ।
तुम सभी धुत्त होगे किन्तु दाखमधु से नहीं।
देखो और अचरज करो!
तुम लड़खड़ाओगे और गिर जाओगे किन्तु सुरा से नहीं।
10 यहोवा ने तुमको सुलाया है।
यहोवा ने तुम्हारी आँखें बन्द कर दी। (नबी तुम्हारी आँखें है।)
तुम्हारी बुद्धि पर यहोवा ने पर्दा डाल दिया है। (नबी तुम्हारी बुद्धि हैं।)
11 मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि ये बातें घटेंगी। किन्तु तुम मुझे नहीं समझ रहे। मेरे शब्द उस पुस्तक के समान है, जो बन्द हैं और जिस पर एक मुहर लगी है। 12 तुम उस पुस्तक को एक ऐसे व्यक्ति को दे सकते हो जो पढ़ पुस्तक है और उस व्यक्ति से कह सकते हो कि वह उस पुस्तक को पढ़े। किन्तु वह व्यक्ति कहेगा, “मैं पुस्तक को पढ़ नहीं सकता क्योंकि यह बन्द है और मैं इसे खोल नहीं सकता।” अथवा तुम उस पुस्तक को किसी भी ऐसे व्यक्ति को दे सकते हो जो पढ़ नहीं सकता, और उस व्यक्ति से कह सकते हो कि वह उस पुस्तक को पढ़े। तब वह व्यक्ति कहेगा, “मैं इस किताब को नहीं पढ़ सकता क्योंकि मैं पढ़ना नहीं जानता।”
13 मेरा स्वामी कहता है, “ये लोग कहते हैं कि वे मुझे प्रेम करते हैं। अपने मुख के शब्दों से वे मेरे प्रति आदर व्यक्त करते हैं। किन्तु उनके मन मुझ से बहुत दूर है। वह आदर जिसे वे मेरे प्रति दिखाते हैं, बस कोरे मानव नियम हैं जिन्हें उन्होंने कंठ कर रखा हैं। 14 सो मैं इन लोगों को शक्ति से पूर्ण और अचरज भरी बातें करते हुए आश्चर्यचकित करता रहूँगा। उनके बुद्धिमान पुरुष अपना विवेक छोड़ बैठेंगे। उनके बुद्धिमान पुरुष समझने में असमर्थ हो जायेंगे।”
15 धिक्कार है उन लोगों को जो यहोवा से बातें छिपाने का जतन करेंगे। वे सोचते हैं कि यहोवा तो समझेगा नहीं। वे लोग अन्धेरे में पाप करते हैं। वे लोग अपने मन में कहा करते हैं, “हमें कोई देख नहीं सकता। हम कौन हैं, इसे कोई व्यक्ति नहीं जानेगा।”
16 तुम भ्रम में पड़े हो। तुम सोचा करते हो, कि मिट्टी कुम्हार के बराबर है। तुम सोचा करते हो कि कृति अपने कर्ता से कह सकती है “तूने मेरी रचना नहीं की है!” यह वैसा ही है, जैसे घड़े का अपने बनाने वाले कुम्हार से यह कहना, “तू समझता नहीं है तू क्या कर रहा है।”
एक उत्तम समय आ रहा है
17 यह सच है: कि लबानोन थोड़े दिनों बाद, अपने विशाल ऊँचे पेड़ों को लिये सपाट जुते खेतों में बदल जायेगा और सपाट खेत ऊँचे—ऊँचे पेड़ों वाले सघन वनों का रुप ले लेंगे। 18 पुस्तक के शब्दों को बहरे सुनेंगे, अन्धे अन्धेरे और कोहरे में से भी देख लेंगे। 19 यहोवा दीन जनों को प्रसन्न करेगा। दीन जन इस्राएल के उस पवित्रतम में आनन्द मनायेंगे।
20 ऐसा तब होगा जब नीच और क्रूर व्यक्ति समाप्त हो जायेंगे। ऐसा तब होगा जब बुरा काम करने में आनन्द लेने वाले लोग चले जायेंगे। 21 (वे लोग दूसरे लोगों के बारे में झूठ बोला करते हैं। वे न्यायालय में लोगों को फँसाने का यत्न करते हैं। वे भोले भाले लोगों को नष्ट करने में जुटे रहते हैं।)
22 सो यहोवा ने याकूब के परिवार से कहा। (यह वही यहोवा है जिसने इब्राहीम को मुक्त किया था।) यहोवा कहता है, “अब याकूब (इस्राएल के लोग) को लज्जित नहीं होना होगा। अब उसका मुँह कभी पीला नहीं पड़ेगा। 23 वह अपनी सभी संतानों को देखेगा और कहेगा कि मेरा नाम पवित्र है। इन संतानो को मैंने अपने हाथों से बनाया है और ये संतानें मानेंगी कि याकूब का पवित्र (परमेश्वर) वास्तव में पवित्र है और यें सन्ताने इस्राएल के परमेशवर को आदर देंगी। 24 वे लोग जो गलतियाँ करते रहे हैं, अब समझ जायेंगे। वे लोग जो शिकायत करते रहे हैं अब निर्देशों को स्वीकार करेंगे।”
इस्राएल को परमेश्वर पर विश्वास रखना चाहिये, मिस्र पर नहीं
30 यहोवा ने कहा, “मेरे इन बच्चों को देखो, ये मेरी बात नहीं मानते। ये योजनाएँ बनाते हैं किन्तु मेरी सहायता नहीं लेना चाहते। ये दूसरी जातियों के साथ समझौता करते हैं जबकि मेरी आत्मा उन समझौतों को नहीं चाहती। ये लोग अपने सिर पर पाप का बोझ बढ़ाते चले आ रहे हैं। 2 ये बच्चे सहायता के लिये मिस्र की ओर चले जा रहे हैं, किन्तु ये मुझ से कुछ नहीं पूछते कि क्या ऐसा करना उचित है। उन्हें उम्मीद है कि फिरौन उन्हें बचा लेगा। वे चाहते हैं कि वे मिस्र उन्हें बचा ले।
3 “किन्तु मैं तुम्हें बताता हूँ कि मिस्र में शरण लेने से तुम्हारा बचाव नहीं होगा। मिस्र तुम्हारी रक्षा करने में समर्थ नहीं होगा। 4 तुम्हारे अगुआ सोअन में गये हैं और तुम्हारे राजदूत हानेस को चले गये हैं। 5 किन्तु उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी। वे एक ऐसे राष्ट्र पर विश्वास कर रहे हैं जो उन्हें नहीं बचा पायेगी। मिस्र बेकार है, मिस्र कोई सहायता नहीं देगा। मिस्र के कारण उन्हें अपमानित और लज्जित होना पड़ेगा।”
यहूदा को परमेश्वर का सन्देश
6 दक्षिण के पशुओं के लिए दु:खद सन्देश:
नेगव विपत्तियों और खतरों से भरा एका देश है। यह प्रदेश सिंहों, नागों और उड़ने वाले साँपों से भरा पड़ा है। किन्तु कुछ लोग नेगव से होते हुए यात्रा कर रहे हैं—वे मिस्र की ओर जा रहे हैं। उन लोगों ने गधों की पीठों पर अपनी धन दौलत लादी हुई है। उन लोगों ने अपना खज़ाना ऊँटों की पीठों पर लाद रखा है अर्थात् ये लोग एक ऐसे देश पर भरोसा रखे हैं जो उन्हें नहीं बचा सकता। 7 मिस्र ही वह बेकार का देश है। मिस्र की सहायता बेकार है। इसलिये मैं मिस्र को एक ऐसा रहाब कहता हूँ जो निठल्ला पड़ा रहता है।
8 अब इसे एक चिन्ह पर लिख दो ताकि सभी लोग इसे देख सकें। इसे एक पुस्तक में लिख दो। इन्हे अन्तिम दिनों के लिये लिख दो। ये बातें सुदूर भविष्य के साक्षी होंगी:
9 ये लोग उन बच्चों के जैसे हैं जो अपने माता—पिता की बात नहीं मानते। वे झूठे हैं और यहोवा की शिक्षाओं को सुनना तक नहीं चाहते। 10 वे नबियों से कहा करते हैं, “हमें जो करना चाहिये, उनके बारे में दर्शन मत किया करो! हमें सच्चाई मत बताओ! हमसे ऐसी अच्छी अच्छी बातें कहो, जो हमें अच्छी लगे! हमारे लिये केवल अच्छी बातें ही देखो। 11 जो बातें सचमुच घटने को हैं, उन्हें देखना बन्द करो! हमारे रास्ते से हट जाओ! इस्राएल के उस पवित्र परमेश्वर के बारे में हमें बताना बन्द करो।”
यहूदा की सहायता केवल परमेश्वर से आती है
12 इस्राएल का पवित्र (परमेश्वर) कहता है, “तुम लोगों ने यहोवा से इस सन्देश को स्वीकार करने से मना कर दिया है। तुम लोग सहायता के लिये लड़ाई—झगड़ों और झूठ पर निर्भर रहना चाहते हो। 13 तुम क्योंकि इन बातों के लिए अपराधी हो, इसलिए तुम एक ऐसी ऊँची दीवार के समान हो जिसमें दरारें आ चुकी हैं। वह दीवार ढह जायेगी और छोटे—छोटे टुकड़ों में टूट कर ढेर हो जायेगी। 14 तुम मिट्टी के उस बड़े बर्तन के समान हो जाओगे जो टूट कर छोटे—छोटे टुकड़ों में बिखर जाता है। ये टुकड़ें बेकार होते हैं। इन टुकड़ों से तुम न तो आग से जलता कोयला ही उठा सकते हो और न ही किसी जोहड़ से पानी।”
15 इस्राएल का वह पवित्र, मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “यदि तुम मेरी ओर लौट आओ तो तुम बच जाओगे। यदि तुम मुझ पर भरोसा रखोगे तभी तुम्हें तुम्हारा बल प्राप्त होगा किन्तु तुम्हें शांत रहना होगा।”
किन्तु तुम तो वैसा करना ही नहीं चाहते! 16 तुम कहते हो, “नहीं, हमें घोड़ों की आवश्यकता है जिन पर चढ़ कर हम दूर भाग जायें!” यह सच है—तुम घोड़ों पर चढ़ कर दूर भाग जाओगे किन्तु शत्रु तुम्हारा पीछा करेगा और वह तुम्हारे घोड़ों से अधिक तेज़ होगा। 17 एक शत्रु ललकारेगा और तुम्हारे हज़ारों लोग भाग खड़े होंगे। पाँच शत्रु ललकारेंगे और तुम्हारे सभी लोग उनके सामने से भाग जायेंगे। वहाँ तुम ऐसे ही अकेले बचे रह जाओगे, जैसे पहाड़ी पर लगा तुम्हारे झण्डे का डण्डा।
परमेश्वर अपने लोगों की सहायता करेगा
18 यहोवा तुम पर अपनी करुणा दर्शाना चाहता है। यहोवा बाट जोह रहा है। यहोवा तुम्हें सुख चैन देने के लिए तैयार खड़ा है। यहोवा खरा परमेश्वर है और हर वह व्यक्ति जो यहोवा की सहायता की प्रतीक्षा में है, धन्य (आनन्दित) होगा।
19 हाँ, हे सिय्योन पर्वत पर रहने वालो, हे यरूशलेम के निवासियों, तुम लोग रोते बिलखते नहीं रहोगे। यहोवा तुम्हारे रोने को सुनेगा और वह तुम पर दया करेगा। यहोवा तुम्हारी सुनेगा और वह तुम्हारी सहायता करेगा।
20 यद्यपि मेरा यहोवा परमेश्वर तुम्हें दु:ख और कष्ट दे सकता है ऐसे ही जैसे मानों वह ऐसा रोटी—पानी हो, जिसे तुम हर दिन खाते—पीते हो। किन्तु वास्तव में परमेश्वर तो तुम्हारा शिक्षक है, और वह तुमसे छिपा नहीं रहेगा। तुम स्वयं अपनी आँखों से अपने उस शिक्षक को देखोगे। 21 तब यदि तुम बुरे काम करोगे और बुरा जीवन जीओगे (दाहिनी ओर अथवा बायीं ओर) तो तुम अपने पीछे एक आवाज़ को कहते सुनोगे, “खरी राह यह है। तुझे इसी राह में चलना है।”
22 तुम्हारे पास चाँदी सोने से मढ़े मूर्ति हैं। उन झूठे देवों ने तुमको बुरा (पापपूर्ण) बना दिया है। लेकिन तुम उन झूठे देवों की सेवा करना छोड़ दोगे। तुम उन देवों को कूड़े कचरे और मैले चिथड़ों के समान दूर फेंक दोगे।
23 उस समय, यहोवा तुम्हारे लिये वर्षा भेजेगा। तुम खेतों में बीज बोओगे, और धरती तुम्हारे लिये भोजन उपजायेगी। तुम्हें भरपूर उपज मिलेगा। तुम्हारे पशुओं के लिए खेतों में भरपूर चारा होगा। तुम्हारे पशुओं के लिये वहाँ बड़ी—बड़ी चरागाहें होंगी। 24 तुम्हारे मवेशियों और तुम्हारे गधों को जैसे चारे की आवश्यकता होगी, वह सब उन्हें मिलेगा। खाने की इतनी बहुतायत होगी कि तुम्हें अपने पशुओं के खाने के लिए भी फावड़ों और पंजों से चारा को फैलाना होगा। 25 हर पर्वत और पहाड़ियों पर पानी से भरी जलधाराएँ होंगी। ये बातें तब घटेंगी जब बहुत से लोग मर चुकेंगे और मीनारें ढह चुकेंगी।
26 उस समय चाँद की चाँदनी सूरज की धूप सी उजली हो जायेगी। सूर्य का प्रकाश आज से सात गुणा अधिक उज्ज्वल हो जायेगा। सूर्य एक दिन में उतना प्रकाश देने लगेगा जितना वह पूरे सप्ताह में देता है। ये बातें उस समय घटेंगी जब यहोवा अपनी टूटे लोगों की मरहम पट्टी करेगा और सजा के कारण जो चोटें उन्हें आई हैं, उन्हें अच्छा करेगा।
27 देखो! दूर से यहोवा का नाम आ रहा है। उसका क्रोध एक ऐसी अग्नि के समान है जो धुएँ के काले बादलों से युक्त है। यहोवा का मुख क्रोध से भरा हुआ है। उसकी जीभ एक जलती हुई लपट जैसी है। 28 यहोवा की साँस (आत्मा) एक ऐसी विशाल नदी के समान है जो तब तक चढ़ती रहती है, जब तक वह गले तक नहीं पहुँच जाती। यहोवा सभी राष्ट्रों का न्याय करेगा। यह वैसा ही होगा जैसे वह उन्हें विनाश की छलनी से छान डाले। यहोवा उनका नियन्त्रण करेगा। यह नियन्त्रण वैसा ही होगा, जैसे पशु पर नियन्त्रण पाने के लिए लगाम लगायी जाती है। वह उन्हें उनके विनाश की ओर ले जाएगा।
29 उस समय, तुम खुशी के गीत गाओगे। वह समय उन रातों के जैसा होगा जब तुम अपने उत्सव मनाना शुरु करते हो। तुम उन व्यक्तियों के समान प्रसन्न होओगे जो इस्राएल की चट्टान यहोवा के पर्वत पर जाते समय बांसुरी को सुनते हुए प्रसन्न होते हैं।
30 यहोवा सभी लोगों को अपनी महान वाणी सुनने को विवश करेगा। यहोवा लोगों को क्रोध के साथ नीचे आती हुई अपनी शक्तिशाली भुजा देखने को विवश करेगा। यह भुजा उस महा अग्नि के समान होगी जो सब कुछ भस्म कर डालती है। यहोवा की शक्ति उस आंधी के जैसी होगी जो तेज़ वर्षा और ओलों के साथ आती है। 31 अश्शूर जब यहोवा की आवाज़ सुनेगा तो वह डर जायेगा। यहोवा लाठी से अश्शूर पर वार करेगा। 32 यहोवा अश्शूर को पीटेगा और यह पिटाई ऐसी होगी जैसे कोई नगाड़ों और वीणाओं पर संगीत बजा रहा हो। यहोवा अपने शक्तिशाली भुजा (शक्ति) से अश्शूर को पराजित करेगा।
33 तोपेत को बहुत पहले से ही तैयार कर लिया गया है। राजा के लिये यह तैयार है। यह भट्टी बहुत गहरी और बहुत चौड़ी बनायी गयी है। वहाँ लकड़ी का एक बहुत बड़ा ढेर और आग मौजूद है। यहोवा की आत्मा जलती हुई गंधक की नदी के रुप में आयेगी और इसे भस्म कर के नष्ट कर देगी।
इस्राएल को परमेश्वर की शक्ति पर भरोसा रखना चाहिये
31 उन लोगों को धिक्कार है जो सहायता पाने के लिये मिस्र की ओर उतर रहे हैं। ये लोग घोड़े चाहते हैं। उनका विचार है, घोड़े उन्हें बचा लेंगे। लोगों को आशा है कि मिस्र के रथ और घुड़सवार सैनिक उन्हें बचा लेंगे। लोग सोचते हैं कि वे सुरक्षित इसलिये हैं कि वह एक विशाल सेना है। लोग इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर भरोसा नहीं रखते। लोग यहोवा से सहायता नहीं माँगते।
2 किन्तु, यहोवा ही बुद्धिमान है और वह यहोवा ही है जो उन पर विपत्तियाँ ढायेगा। लोग यहोवा के आदेश को नहीं बदल पायेंगे। यहोवा बुरे लोगों (यहूदा) के विरुद्ध खड़ा होगा और युद्ध करेगा। यहोवा उन लोगों (मिस्र) के विरुद्ध युद्ध करेगा, जो उन्हें सहायता पहुँचाने का यत्न करते हैं।
3 मिस्र के लोग मात्र मनुष्य हैं परमेश्वर नहीं। मिस्र के घोड़े मात्र पशु हैं, आत्मा नहीं। यहोवा अपना हाथ आगे बढ़ायेगा और सहायक (मिस्र) पराजित हो जायेगा और सहायता चाहने वाले लोगों (यहूदा) का पतन होगा। वे सभी लोग साथ साथ मिट जायेंगे।
4 यहोवा ने मुझ से यह कहा, “जब कोई सिंह अथवा सिंह का कोई बच्चा किसी पशु को खाने के लिये पकड़ता है तो वह मरे हुए पशु पर खड़ा हो जाता है और दहाड़ता है। उस समय उस शक्तिशाली सिंह को कोई भी डरा नहीं पाता। यदि चरवाहे आयें और उस सिंह का हॉका करने लगे तो भी वह सिंह डरेगा नहीं। लोग कितना ही शोर करते रहें, किन्तु वह सिंह नहीं भागेगा।”
इसी प्रकार सर्वशक्तिमान यहोवा सिय्योन पर्वत पर उतरेगा। उस पर्वत पर यहोवा युद्ध करेगा। 5 सर्वशक्तिमान यहोवा वैसे ही यरूशलेम की रक्षा करेगा जैसे अपने घोंसलों के ऊपर उड़ती हुई चिड़ियाँ। यहोवा उसे बचायेगा और उसकी रक्षा करेगा। यहोवा ऊपर से होकर निकल जायेगा और यरूशलेम की रक्षा करेगा।
6 हे, इस्राएल के वंशज। तुमने परमेश्वर से विद्रोह किया। तुम्हें परमेश्वर की ओर मुड़ आना चाहिये। 7 तब लोग उन सोने चाँदी की मूर्तियों को पूजना छोड़ेंगे जिन्हें तुमने बनाया है। उन मूर्तियों को बनाकर तुमने सचमुच पाप किया था।
8 यह सच है कि तलवार के द्वारा अश्शूर को हरा दिया जायेगा। किन्तु वह तलवार किसी मनुष्य की तलवार नहीं होगी। अश्शूर नष्ट हो जायेगा किन्तु वह विनाश किसी मनुष्य की तलवार के द्वारा नहीं किया जायेगा। अश्शूर परमेश्वर की तलवार से भाग निकलेगा। वह उस तलवार से भागेगा। किन्तु उसके जवान पुरुषों को पकड़कर दास बना लिया जायेगा। 9 घबराहट में उनका शरण दाता गायब हो जायेगा। उनके नेता पराजित कर दिये जायेंगे और वे अपने झण्डे को छोड़ देंगे।
ये सभी बातें यहोवा ने कही थी। यहोवा की अग्नि स्थल (वेदी) सिय्योन पर है और यहोवा की भट्टी (वेदी) यरूशलेम में है।
मुखियाओं को खरा और सच्चा होना चाहिए
32 मैं जो बातें बता रहा हूँ, उन्हें सुनो! किसी राजा को ऐसे राज करना चाहिये जिससे भलाई आये। मुखियाओं को लोगों का नेतृत्व करते समय निष्पक्ष निर्णय लेने चाहिये। 2 यदि ऐसा होगा तो राजा उस स्थान के समान हो जायेगा जहाँ लोग आँधी और वर्षा से बचने के लिये आश्रय लेते हैं। यह सूखी धरती में जलधाराओं के समान होगा। यह ऐसा ही होगा जैसे गर्म प्रदेश में किसी बड़ी चट्टान की ठण्डी छाया। 3 फिर लोगों की वे आँखे जो देख सकती हैं, वे बंद नहीं रहेगी। उन के कान जो सुनते हैं, वे वास्तव में उस पर ध्यान देंगे। 4 वे लोग जो उतावले हैं, वे सही फैसले लेंगे। वे लोग जो अभी साफ़ साफ़ नहीं बोल पाते हैं, वे साफ़ साफ़ और जल्दी जल्दी बोलने लगेंगे। 5 मूर्ख लोग महान व्यक्ति नहीं कहलायेंगे। लोग षड़यन्त्र करने वालों को सम्मान योग्य नहीं कहेंगे।
6 एक मूर्ख व्यक्ति तो मूर्खतापूर्ण बातें ही कहता है और वह अपने मन में बुरी बातों की ही योजनाएँ बनाता है। मूर्ख व्यक्ति अनुचित कार्य करने की ही सोचता है। मूर्ख व्यक्ति यहोवा के बारे में ग़लत बातें कहता है। मूर्ख व्यक्ति भूखों को भोजन नहीं करने देता। मूर्ख व्यक्ति प्यासे लोगों को पानी नहीं पीने देता। 7 वह मूर्ख व्यक्ति बुराई को एक हथियार के रुप में इस्तेमाल करता है। वह निर्धन लोगों से झूठ के जरिए बरबाद करने के लिये बुरे बुरे रास्ते बताता रहता है। उसकी यें झूठी बातें गरीब लोगों को निष्पक्ष न्याय मिलने से दूर रखती हैं।
8 किन्तु एक अच्छा मुखिया अच्छे काम करने की योजना बनाता है और उसकी वे अच्छी बातें ही उसे एक अच्छा नेता बनाती हैं।
बुरा समय आ रहा है
9 तुममें से कुछ स्त्रियाँ अभी खुश हैं। तुम सुरक्षित अनुभव करती हो। किन्तु तुम्हें खड़े होकर जो वचन मैं बोल रहा उन्हें सुनना चाहिये। 10 स्त्रियों तुम अभी सुरक्षित अनुभव करती हो किन्तु एक वर्ष बाद तुम पर विपत्ति आने वाली है। क्यों क्योंकि तुम अगले वर्ष अँगूर इकट्ठे नहीं करोगी—इकट्ठे करने के लिये अँगूर होंगे ही नहीं।
11 स्त्रियों, अभी तुम चैन से हो, किन्तु तुम्हें डरना चाहिये! स्त्रियों, अभी तुम सुरक्षित अनुभव करती हो, किन्तु तुम्हें चिन्ता करनी चाहिये! अपने सुन्दर वस्त्रों को उतार फेंको और शोक वस्त्रों को धारण कर लो। उन वस्त्रों को अपनी कमर पर लपेट लो। 12 अपनी शोक से भरी छातियों पर उन शोक वस्त्रों को पहन लो।
विलाप करो क्योंकि तुम्हारे खेत उजड़े हुए हैं। तुम्हारे अँगूर के बगीचे जो कभी अँगूर दिया करते थे, अब खाली पड़े हैं। 13 मेरे लोगों की धरती के लिये विलाप करो। विलाप करो, क्योंकि वहाँ बस काँटे और खरपतवार ही उगा करेंगे। विलाप करो इस नगर के लिये और उन सब भवनों के लिये जो कभी आनन्द से भरे हुए थे।
14 लोग इस प्रमुख नगर को छोड़ जायेंगे। यह महल और ये मिनारें वीरान छोड़ दिये जायेंगे। वे जानवरों की माँद जैसे हो जाएँगे। नगर में जंगली गधे विहार करेंगे। वहाँ भेड़े घास चरती फिरेंगी।
15 तब तक ऐसा ही होता रहेगा, जब तक परमेश्वर ऊपर से हमें अपनी आत्मा नहीं देगा। अब धरती पर कोई अच्छाई नहीं है। यह रेगिस्तान सी बनी हुई हैं किन्तु आने वाले समय में यह रेगिस्तान उपजाऊ मैदान हो जायेगा। 16 यह उपजाऊ मैदान एक हरे भरे वन जैसा बन जायेगा। चाहे जंगल हो चाहे उपजाऊ धरती, हर कहीं न्याय और निष्पक्षता मिलेगी। 17 वह नेकी सदा—सदा के लिये शांति और सुरक्षा को लायेगी। 18 मेरे लोग शांति के इस सुन्दर क्षेत्र में निवास करेंगे। मेरे लोग सुरक्षा के तम्बुओं में रहा करेंगे। वे निश्चिंतता के साथ शांतिपूर्ण स्थानों में निवास करेंगे।
19 किन्तु यें बातें घटें इससे पहले उस वन को गिरना होगा। उस नगर को पराजित होना होगा। 20 तुममें से कुछ लोग हर जलधारा के निकट बीज बोतेहो। तुम अपने मवेशियों और अपने गधों को इधर—उधर चरने के लिए खुला छोड़ देते हो। तुम लोग बहुत प्रसन्न रहोगे।
बुराई से और अधिक बुराई ही पैदा होती है
33 देखो, तुम लोग लड़ाई करते हो और उन लोगों की वस्तुएँ लूटते हो और वह भी ऐसे लोगों कि जिन्होंने कभी कोई तुम्हारी वस्तु नहीं चोरी की। तुम ऐसे लोगों को धोखा देते रहे जिन्होंने कभी तुम्हें धोखा नहीं दिया। इसलिये जब तुम चोरी करना बन्द कर दोगे तो दूसरे लोग तुम्हारी वस्तुऐं चोरी करना शुरु कर देंगे। जब तुम लोगों को धोखा देना बंद कर दोगे तो लोग तुम्हें धोखा देना आरम्भ कर देंगे। तब तुम कहोगे।
2 हे यहोवा, हम पर दया कर।
हमने तेरे सहारे की बाट जोही है।
हे यहोवा, हर सुबह तू हमको शक्ति दे।
जब हम विपत्ति में हो, तू हम को बचा ले।
3 तेरी शक्तिशाली ध्वनि से लोग डरा करते हैं और वे तुझ से दूर भाग जाते हैं।
तेरी महानता के कारण राष्ट्र दूर भाग जाते हैं।
4 तुम लोग युद्ध में चोरी किया करते हो। वे सभी वस्तुएँ तुमसे ले ली जायेंगी। अनगिनत लोग आयेंगे और तुम्हारी धन—दौलत तुमसे छीन लेंगे। यह उस समय का जैसा होगा जब टिड्डी दल आता है और तुम्हारी सभी फसलों को चट कर जाता है।
5 यहोवा बहुत महान है। वह बहुत ऊँचे स्थान पर रहता है। यहोवा सिय्योन को खरेपन और सच्चाई से परिपूर्ण करता है।
6 हे यरूशलेम, तू सम्पन्न है। तू परमेश्वर के ज्ञान और विवेक से सम्पन्न है। तू मुक्ति से भरपूर है। तू यहोवा का आदर करता है और वही आदर तुझे सम्पन्न बनाता है। इसीलिए तू जान सकता है कि तू सदा बना रहेगा।
7 किन्तु सुनो! वीर पुरुष बाहर पुकार रहे हैं और सन्देशवाहक जो शांति लाते हैं, ज़ोर—ज़ोर से बोल रहे हैं। 8 रास्ते नष्ट हो गये हैं। गलियों में कोई नहीं चल फिर रहा है। लोगों ने जो सन्धियाँ की थी, वे उन्होंने तोड़ दिये हैं। लोग साक्षियों के प्रमाण पर विश्वास करने से मना करते हैं। कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति का आदर नहीं करता। 9 धरती बीमार है और मर रही है। लबानोन मर रहा है और शारोन की घाटी सूखी और उजाड़ है। बाशान और कर्मेल जो कभी एक सुन्दर वृक्ष के समान विकसित हो रहे थे, अब उन वृक्षों का विकास रुक गया है।
10 यहोवा कहता है, “मैं अब खड़ा होऊँगा और अपनी महानता दर्शाऊँगा। अब मैं लोगों के लिए महत्वपूर्ण बनूँगा। 11 तुम लोगों ने बेकार के काम किये हैं। वे चीजें भूसे और सूखी घास के जैसे हैं। वे बेकार हैं। तुम्हारी आत्मा अग्नि के समान हो जायेगी और तुम्हें जला डालेगी। 12 लोग तब तक जलते रहेंगे जब तक उनकी हड्डियाँ जल कर चूने जैसी नहीं हो जातीं। लोग काँटों और सूखी झाड़ियों के समान जल्दी ही जल जायेंगे।
13 “दूर देशों के लोगों, जो काम मैंने किये हैं, तुम उनके बारे में सुनते हो। हे मेरे पास के लोगों, तुम मेरी शक्ति को समझते हो।”
14 सिय्योन में पापी डरे हुए हैं। वे लोग जो बुरे काम किया करते हैं, डर से थर—थऱ काँप रहे हैं। वे कहते हैं, “क्या इस विनाशकारी आग से हम में से कोई बच सकता है कौन रह सकता है इस आग के निकट जो सदा—सदा के लिये जलती रहती है”
15 वे लोग ही इस आग में से बच पायेंगे जो अच्छे हैं, सच्चे हैं। वे लोग पैसे के लिये दूसरों को हानि नहीं पहुँचाना चाहते। वे लोग घूस नहीं लेते। दूसरे लोगों की हत्याओं की योजना को वे सुनने तक से मना कर देते हैं। बुरे काम करने की योजनाओं को वे देखना भी नहीं चाहते। 16 ऐसे लोग ऊँचे स्थानों पर सुरक्षा पूर्वक निवास करेंगे। ऊँची चट्टान की गढ़ियों में वे सुरक्षित रहेंगे। ऐसे लोगों के पास सदा ही खाने को भोजन और पीने को जल रहेगा।
17 तुम्हारी आँखे उस राजा (परमेश्वर) का, उसकी सुंदरता में दर्शन करेंगी। तुम उस महान धरती को देखोगे। 18-19 बीते हुए दिनों में तुमने जो कष्ट उठाये हैं, तुम उनके बारे में सोचोगे। तुम सोचोगे, “दूसरे देशों के वे लोग कहाँ हँ वे लोग ऐसी बोली बोला करते थे, जिसे हम समझ नहीं सकते थे। दूसरे देशों के वे सेवक और कर एकत्र करने वाले कहाँ है वे गुप्तचर जिन्होंने हमारी सुरक्षा मिनारों का लेखा जोखा लिया था, कहाँ हैं वे सब समाप्त हो गये!”
परमेश्वर यरूशलेम को बचायेगा
20 हमारे धर्मिक उत्सवों की नगरी, सिय्योन को देखो। विश्राम निवास के उस सुन्दरस्थान यरूशलेम को देखो। यरूशलेम उस तम्बू के समान है जिसे कभी उखाड़ा नहीं जायेगा। वे खूँटे जो उसे अपने स्थान पर थामे रखते हैं, कभी उखाड़े नहीं जायेंगें। उसके रस्से कभी टूटेंगे नहीं। 21-23 वहाँ हमारे लिए शक्तिशाली यहोवा विस्तृत झरनों और नदियों वाले एक स्थान के समान होगा। किन्तु उन नदियों पर कभी शत्रु की नौकाएँ अथवा शक्तिशाली जहाज़ नहीं होंगे। उन नौकाओं पर काम करने वाले तुम लोग रस्सियों को नहीं थामे रख सके। तुम मस्तूल को मजबूत नहीं बनाये रख सके। सो तुम अपनी पालों को भी नहीं खोल पाओगे। क्यों क्योंकि यहोवा हमारा न्यायकर्ता है। यहोवा हमारे लिए नियम बनाता है। यहोवा हमारा राजा है। वह हमारी रक्षा करता है। इसी से यहोवा हमें बहुत सा धन देगा। यहाँ तक कि अपाहिज लोग भी युद्ध में बहुत सा धन जीत लेंगे। 24 वहाँ रहने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं कहेगा, “मैं रोगी हूँ।” वहाँ रहने वाले लोग ऐसे लोग हैं जिनके पाप क्षमा कर दिये गये हैं।
परमेश्वर अपने शत्रुओं को दण्ड देगा
34 हे सभी देशों के लोगों, पास आओ और सुनो! तुम सब लोगों को ध्यान से सुनना चाहिये। हे धरती और धरती पर के सभी लोगों, हे जगत और जगत की सभी वस्तुओं, तुम्हें इन बातों पर कान देना चाहिये। 2 यहोवा सभी देशों और उनकी सेनाओं पर कुपित है। यहोवा उन सबको नष्ट कर देगा। वह उन सभी को मरवा डालेगा। 3 उनकी लाशें बाहर फेंक दी जायेंगी। लाशों से दुर्गन्ध उठेगी और पहाड़ के ऊपर से खून नीचे को बहेगा। 4 आकाश चर्म पत्र के समान लपेट कर मूंद दिये जायेंगे। ग्रह—तारे मर कर किसी अँगूर की बेल या अंजीर के पत्तों के समान गिरने लगेंगे। आकाश के सभी तारे पिघल जायेंगे। 5 यहोवा कहता है, “ऐसा उस समय होगा जब आकाश में मेरी तलवार खून में सन जायेगी।”
देखो! यहोवा की तलवार एदोम को काट डालेगी। यहोवा ने उन लोगों को अपराधी ठहराया है सो उन लोगों को मरना ही होगा। 6 क्यों क्योंकि यहोवा ने निश्चय किया कि बोस्रा और एदोम के नगरों में मार काट का एक समय आएगा। 7 सो मेढे, मवेशी और हट्टे कट्टे जंगली बैल मारे जायेंगे। धरती उनके खून से भर जायेगी। मिट्टी उनकी चर्बी से पट जायेगी।
8 ऐसी बातें घटेंगी क्योंकि यहोवा ने दण्ट देने का एक समय निश्चित कर लिया है। यहोवा ने एक वर्ष ऐसा चुन लिया है जिसमें लोग अपने उन बुरे कामों के लिये जो उन्होंने सिय्योन के विरुद्ध किये हैं, अवश्य ही भुगतान कर देंगे। 9 एदोम की नदियाँ ऐसी हो जायेंगी जैसे मानो वे गर्म तारकोल की हों। एदोम की धरती जलती हुई गंधक और तारकोल के समान हो जायेगी। 10 वे आगे रात दिन जला करेंगी। कोई भी व्यक्ति उस आग को रोक नहीं पायेगा। एदोम से सदा धुँआ उठा करेगा। वह धरती सदा—सदा के लिये नष्ट हो जायेगी। उस धरती से होकर फिर कभी कोई नहीं गुज़रा करेगा। 11 वह धरती परिंदों और छोटे—छोटे जानवरों की हो जायेंगी। वहाँ उल्लू और कौवों का वास होगा। परमेश्वर उस धरती को सूनी उजाड़ भूमि में बदल देगा। यह वैसी ही हो जायेगी जैसी यह सृष्टि से पहले थी। 12 स्वतन्त्र व्यक्ति और मुखिया लोग समाप्त हो जायेंगे। उन लोगों को शासन करने के लिए वहाँ कुछ भी नहीं बचेगा।
13 वहाँ के सभी सुन्दर भवनों में काँटे और जंगली झाड़ियाँ उग आयेंगी। जंगली कुत्ते और उल्लू उन मकानों में वास करेंगे। परकोटों से युक्त नगरों को जंगली जानवर अपना निवास बना लेंगे। वहाँ जो घास उगेगी उसमें बड़े—बड़े पक्षी रहेंगे। 14 वहाँ जंगली बिल्लयाँ और लकड़बघ्घे साथ रहा करेंगे तथा जंगली बकरियाँ वहाँ अपने मित्रों को बुलायेंगी। रात के जीव जन्तु वहाँ अपने लिए आश्रय खोजते फिरेंगे और वहीं विश्राम करने के लिए अपनी जगह बना लेंगे। 15 साँप वहाँ अपने घर बना लेंगे। वहाँ साँप अपने अण्डे दिया करेंगें। अण्डे फूटेंगे और उन अन्धकारपूर्ण स्थानों से रेंगते हुए साँप के बच्चे बाहर निकलेंगे। वँहा मरी वस्तुओं को खाने वाले पक्षी एक के बाद एक इकट्ठे होते चले जाएँगे।
16 यहोवा के चर्म पत्र को देखो। पढ़ो उसमें क्या लिखा है। कुछ भी नहीं छुटा है। उस चर्म पत्र में लिखा है कि वे सभी पशु पक्षी इकट्ठे हो जायेंगे। इसलिए परमेश्वर के मुख ने यह आदेश दिया और उसकी आत्मा ने उन्हें एक साथ इकट्ठा कर दिया। परमेश्वर की आत्मा उन्हें परस्पर एकत्र करेगी। 17 परमेश्वर उनके साथ क्या करेगा, यह उसने निश्चय कर लिया है। इसके बाद परमेश्वर ने उनके लिए एक जगह चुनी। परमेश्वर ने एक रेखा खींची और उन्हें उनकी धरती दिखा दी। इसलिए वह धरती सदा सदा पशुओं की हो जायेगी। वे वहाँ वर्ष दर रहते चले जायेंगे।
परमेश्वर अपने लोगों को सुख देगा
35 सूखा रेगिस्तान बहुत खुशहाल हो जायेगा। रेगिस्तान प्रसन्न होगा और एक फूल के समान विकसित होगा। 2 वह रेगिस्तान खिलते हुये फलों से भर उठेगा और अपनी प्रसन्नता दर्शाने लगेगा। ऐसा लगेगा जैसे रेगिस्तान आनन्द में भरा नाच रहा है। यह रेगिस्तान ऐसा सुन्दर हो जायेगा जैसा लबानोन का वन है, कर्मेल का पहाड़ है और शारोन की घाटी है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि सभी लोग यहोवा की महिमा का दर्शन करेंगे। लोग हमारे परमेश्वर की महानता को देखेंगे।
3 दुर्बल बाँहों को फिर से शक्तिपूर्ण बनाओ। दुर्बल घुटनों को मज़बूत करो। 4 लोग डरे हुए हैं और असमंजस में पड़े हैं। उन लोगों से कहो, “शक्तिशाली बनो! डरो मत!” देखो, तुम्हारा परमेश्वर आयेगा और तुम्हारे शत्रुओं को जो उन्होंने किया है, उसका दण्ड देगा। वह आयेगा और तुम्हें तुम्हारा प्रतिफल देगा और तुम्हारी रक्षा करेगा। 5 फिर तो अन्धे देखने लगेंगे। उनकी आँखें खुल जायेंगी। फिर तो बहरे लोग सुन सकेंगे। उन के कान खुल जायेंगे। 6 लूले—लंगड़े लोग हिरन की तरह नाचने लगेंगे और ऐसे लोग जो अभी गूंगे हैं, प्रसन्न गीत गाने में अपनी वाणी का उपयोग करने लगेंगे। ऐसा उस समय होगा जब मरूभूमि में पानी के झरने बहने लगेंगे। सूखी धरती पर झरने बह चलेंगे। 7 लोग अभी जल के रूप में मृग मरीचिका को देखते हैं किन्तु उस समय जल के सच्चे सरोवर होंगे। सूखी धरती पर कुएँ हो जायेंगे। सूखी धरती से जल फूट बहेगा। जहाँ एक समय जंगली जानवरों का राज था, वहाँ लम्बे लम्बे पानी के पौधे उग आयेंगे।
8 उस समय, वहाँ एक राह बन जायेगी और इस राजमार्ग का नाम होगा “पवित्र मार्ग”। उस राह पर अशुद्ध लोगों को चलने की अनुमति नहीं होगी। कोई भी मूर्ख उस राह पर नहीं चलेगा। बस परमेश्वर के पवित्र लोग ही उस पर चला करेंगे। 9 उस सड़क पर कोई खतरा नहीं होगा। लोगों को हानि पहुँचाने के लिये उस सड़क पर शेर नहीं होंगे। कोई भी भयानक जन्तु वहाँ नहीं होगा। वह सड़क उन लोगों के लिए होगी जिन्हें परमेश्वर ने मुक्त किया है।
10 परमेश्वर अपने लोगों को मुक्त करेगा और वे लोग फिर लौट कर वहाँ आयेंगे। लोग जब सिय्योन पर आयेंगे तो वे प्रसन्न होंगे। वे सदा सदा के लिए प्रसन्न हो जायेंगे। उनकी प्रसन्नता उनके माथों पर एक मुकुट के समान होगी। वे अपनी प्रसन्नता और आनन्द से पूरी तरह भर जायेंगे। शोक और दु:ख उनसे दूर बहुत दूर चले जायेंगे।
अश्शूर का यहूदा पर आक्रमण
36 हिजकिय्याह यहूदा का राजा था और सन्हेरीब अश्शूर का राजा था। हिजकिय्याह के शासन के चौदहवें वर्ष में सन्हेरीब ने यहूदा के किलाबन्द नगरों से युद्ध किया और उसने उन नगरों को हरा दिया। 2 सन्हेरीब ने अपने सेनापति को यरूशलेम से लड़ने को भेजा। वह सेनापति लाकीश को छोड़कर यरूशलेम में राजा हिजकिय्याह के पास गया। वह अपने साथ एक शक्तिशाली सेना को भी ले गया था। वह सेनापति अपनी सेना के साथ नहर के पास वाली सड़क पर गया। (यह सड़क उस नहर के पास है जो ऊपर वाले पोखर से आती है।)
3 यरूशलेम के तीन व्यक्ति सेनापति से बात करने के लिये बाहर निकल कर गये। ये लोग थे हिल्किय्याह का पुत्र एल्याकीम, आसाप का पुत्र योआह और शेब्ना। एल्याकीम महल का सेवक था। योआह कागज़ात को संभाल कर रखने का काम करता था और शेब्ना राजा का सचिव था।
4 सेनापति ने उनसे कहा, “तुम लोग, राजा हिजकिय्याह से जाकर ये बातें कहो: महान राजा, अश्शूर का राजा कहता है:
“तुम अपनी सहायता के लिये किस पर भरोसा रखते हो 5 मैं तुम्हें, बताता हूँ कि यदि युद्ध में तुम्हारा विश्वास शक्ति और कुशल योजनाओं पर है तो वह व्यर्थ है। वे कोरे शब्दों के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं। इसलिए तुम मुझ से युद्ध क्यों कर रहे हो 6 अब मैं तुमसे पूछता हूँ, तुम सहायता पाने के लिये किस पर भरोसा करते हो क्या तुम सहायता के लिये मिस्र पर निर्भर हो मिस्र तो एक टूटी हुई लाठी के समान है। यदि तुम सहारा पाने को उस पर टिकोगे तो वह तुम्हें बस हानि ही पहुँचायेगी और तुम्हारे हाथ में एक छेद बना देगी। मिस्र के राजा फिरौन पर किसी भी व्यक्ति के द्वारा सहायता पाने के लिये भरोसा नहीं किया जा सकता।
7 “किन्तु हो सकता है तुम कहो, ‘हम सहायता पाने के लिये अपने यहोवा परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं।’ किन्तु मेरा कहना है कि हिजकिय्याह ने यहोवा की वेदियों को और पूजा के ऊँचे स्थानों को नष्ट कर दिया है। यह सत्य है, सही है यह सत्य है कि यहूदा और यरूशलेम से हिजकिय्याह ने ये बातें कही थीं: ‘तुम यहाँ यरूशलेम में बस एक इसी वेदी पर उपासना किया करोगे।’
8 “यदि तुम अब भी मेरे स्वामी से युद्ध करना चाहते हो तो अश्शूर का राजा तुमसे यह सौदा करना चाहेगा: राजा का कहना है, ‘यदि युद्ध में तुम्हारे पास घुड़सवार पूरे हैं तो मैं तुम्हें दो हजार घोड़े दे दूँगा।’ 9 किन्तु इतना होने पर भी तुम मेरे स्वामी के ऐक सेवक तक को नहीं हरा पाओगे। उसके किसी छोटे से छोटे अधिकारी तक को तुम नहीं हरा पाओगे। इसलिए तुम मिस्र के घुड़सवार और रथों पर अपना भरोसा क्यों बनाये रखते हो।
10 “और अब देखो जब मैं इस देश में आया था और मैंने युद्ध किया था, यहोवा मेरे साथ था। जब मैंने नगरों को उजाड़ा, यहोवा मेरे साथ था। यहोवा मुझसे कहा करता था, ‘खड़ा हो। इस नगरी में जा और इसे ध्वस्त कर दे।’”
11 यरूशलेम के तीनों व्यक्तियों, एल्याकीम, शेब्ना और योआह ने सेनापति से कहा, “कृपा करके हमारे साथ अरामी भाषा में ही बात कर। क्योंकि इसे हम समझ सकते हैं। तू यहूदी भाषा में हमसे मत बोल। यदि तू यहूदी भाषा का प्रयोग करेगा तो नगर परकोटे पर के सभी लोग तुझे समझ जायेंगे।”
12 इस पर सेनापति ने कहा, “मेरे स्वामी ने मुझे ये बातें बस तुम्हें और तुम्हारे स्वामी हिजकिय्याह को ही सुनाने के लिए नहीं भेजा है। मेरे स्वामी ने मुझे इन बातों को उन्हें बताने के लिए भेजा है जो लोग नगर परकोटे पर बैठे हैं। उन लोगों को न तो पूरा खाना मिलता है और न पानी। सो उन्हें अपने मलमूत्र को तुम्हारी ही तरह खाना—पीना होगा।”
13 फिर सेनापति ने खड़े हो कर ऊँचे स्वर में कहा। वह यहूदी भाषा में बोला। 14 सेनापति ने कहा, “महासम्राट अश्शूर के राजा के शब्दों को सुनो:
“‘तुम अपने आप को हिजकिय्याह के द्वारा मूर्ख मत बनने दो, वह तुम्हें बचा नहीं पायेगा। 15 हिजकिय्याह जब यह कहता है, “यहोवा में विश्वास रखो! यहोवा अश्शूर के राजा से हमारी रक्षा करेगा। यहोवा अश्शूर के राजा को हमारे नगर को हराने नहीं देगा तो उस पर विश्वास मत करो।”
16 “‘हिजकिय्याह के इन शब्दों की अनसुनी करो। अश्शूर के राजा की सुनो! अश्शूर के राजा का कहना है, “हमे एक सन्धि करनी चाहिये। तुम लोग नगर से बाहर निकल कर मेरे पास आओ। फिर हर व्यक्ति अपने घर जाने को स्वतन्त्र होगा। हर व्यक्ति अपने अँगूर की बेलों से अँगूर खाने को स्वतन्त्र होगा और हर व्यक्ति अपने अंजीर के पेंड़ों के फल खाने को स्वतन्त्र होगा। स्वयं अपने कुँए का पानी पीने को हर व्यक्ति स्वतन्त्र होगा। 17 जब तक मैं आकर तुम्हें तुम्हारे ही जैसे एक देश में न ले जाऊँ, तब तक तुम ऐसा करते रह सकते हो। उस नये देश में तुम अच्छा अनाज और नया दाखमधु पाओगे। उस धरती पर तुम्हें रोटी और अँगूर के खेत मिलेंगे।”
18 “‘हिजकिय्याह को तुम अपने को मूर्ख मत बनाने दो। वह कहता है, “यहोवा हमारी रक्षा करेगा।” किन्तु मैं तुमसे पूछता हूँ क्या किसी दूसरे देश का कोई भी देवता वहाँ के लोगों को अश्शूर के राजा की शक्ति से बचा पाया नहीं! हमने वहाँ के हर व्यक्ति को हरा दिया। 19 हमात और अर्पाद के देवता आज कहाँ हैं उन्हें हरा दिया गया है। सपर्वेम के देवता कहाँ हैं वे हरा दिये गये हैं और क्या शोमरोन के देवता वहाँ के लोगों को मेरी शक्ति से बचा पाये नहीं। 20 किसी भी देश अथवा जाति के ऐसे किसी भी एक देवता का नाम मुझे बताओ जिसने वहाँ के लोगों को मेरी शक्ति से बचाया है। मैंने उन सब को हरा दिया। इसलिए देखो मेरी शक्ति से यरूशलेम को यहोवा नहीं बचा पायेगा।’”
21 यरूशलेम के लोग एक दम चुप रहे। उन्होंने सेनापति को कोई उतर नहीं दिया। हिजकिय्याह ने लोगों को आदेश दिया था कि वे सेनापति को कोई उत्तर न दें।
22 इसके बाद महल के सेवक (हिल्किय्याह के पुत्र एल्याकीम) राजा के सचिव (शेब्ना) और दफतरी (आसाप के पुत्र योआह) ने अपने वस्त्र फाड़ डाले। इससे यह प्रकट होता है कि वे बहुत दु:खी थे वे तीनों व्यक्ति हिजकिय्याह के पास गये और सेनापति ने जो कुछ उनसे कहा था, वह सब उसे कह सुनाया।
हिजकिय्याह की परमेश्वर से प्रार्थना
37 हिजकियाह ने जब सेनापति का सन्देश सुना तो उसने अपने वस्त्र फाड़ लिये। फिर विशेष शोक वस्त्र धारण करके वह यहोवा के मन्दिर में गया।
2 हिजकिय्याह ने महल के सेवक एल्याकीम को राजा के सचिव शेब्ना को और याजकों के अग्रजों को आमोस के पुत्र यशायाह नबी के पास भेजा। इन तीनों ही लोगों ने विशेष शोक—वस्त्र पहने हुए थे। 3 इन लोगों ने यशायाह से कहा, “राजा हिजकिय्याह ने कहा है कि आज का दिन शोक और दु:ख का एक विशेष दिन होगा। यह दिन एक ऐसा दिन होगा जैसे जब एक बच्चा जन्म लेता है। किन्तु बच्चे को जन्म देने वाली माँ में जितनी शक्ति होनी चाहिये उसमें उतनी ताकत नहीं होती। 4 सम्भव है तुम्हारा परमेश्वर यहोवा, सेनापति द्वारा कही बातों को सुन ले। अश्शूर के राजा ने सेनापति को साक्षात परमेश्वर को अपमानित करने भेजा है। हो सकता है तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उन बुरी अपमानपूर्ण बातों को सुन लिया है और वह उन्हें इसका दण्ड देगा। कृपा करके इस्राएल के उन थोड़े से लोगों के लिये प्रार्थना करो जो बचे हुए हैं।”
5 हिजकिय्याह के सेवक यशायाह के पास गये। 6 यशायाह ने उनसे कहा, “अपने मालिक को यह बता देना: यहोवा कहता है, ‘तुमने सेनापति से जो सुना है, उन बातों से मत डरना। अश्शूर के राजा के “लड़कों” ने मेरा अपमान करने के लिये जो बुरी बातें कही हैं, उन से मत डरना। 7 देखो अश्शूर के राजा को मैं एक अफवाह सुनावाऊँगा। अश्शूर के राजा को एक ऐसी रपट मिलेगी जो उसके देश पर आने वाले खतरे के बारे मे होगी। इससे वह अपने देश वापस लौट जायेगा। उस समय मैं उसे, उसके अपने ही देश में तलवार से मौत के घाट उतार दूँगा।’”
अश्शूर की सेना का यरूशलेम को छोड़ना
8 अश्शूर के राजा को एक सूचना मिली, सूचना में कहा गया था, “कूश का राजा तिर्हाका तुझसे युद्ध करने आ रहा है।” 9 सो अश्शूर का राजा लाकीश को छोड़ कर लिबना चला गया। सेनापति ने यह सुना और वह लिबना नगर को चला गया जहाँ अश्शूर का राजा युद्ध कर रहा था।
फिर अश्शूर के राजा ने हिजकिय्याह के पास दूत भेजे। 10 राजा ने उन दूतों से कहा, “यहूदा के राजा हिजकिय्याह से तुम ये बातें कहना:
‘जिस देवता पर तुम्हारा विश्वास है, उससे तुम मूर्ख मत बनो। ऐसा मत कहो, “अश्शूर के राजा से परमेश्वर यरूशलेम को पराजित नहीं होने देगा।” 11 देखो, तुम अश्शूर के राजाओं के बारे में सुन ही चुके हो। उन्होंने हर किसी देश में लोगों के साथ क्या कुछ किया है। उन्हें उन्होंने बुरी तरह हराया है। क्या तुम उनसे बच पाओगे नहीं, कदापि नहीं! 12 क्या उन लोगों के देवताओं ने उनकी रक्षा की थी नहीं! मेरे पूर्वजों ने उन्हें नष्ट कर दिया था। मेरे लोगों ने गोजान, हारान और रेसेप के नगरों को हरा दिया था और उन्होंने एदेन के लोगों जो तलस्सार में रहा करते थे, उन्हें भी हरा दिया था। 13 हमात और अर्पाद के राजा कहाँ गये सपर्वैम का राजा आज कहाँ है हेना और इव्वा के राजा अब कहाँ हैं उनका अंत कर दिया गया! वे सभी नष्ट कर दिये गये!’”
हिजकिय्याह की परमेश्वर से प्रार्थना
14 हिजकिय्याह ने उन लोगों से वह सन्देश ले लिया और उसे पढ़ा। फिर हिजकिय्याह यहोवा के मन्दिर में चला गाय। हिजकिय्याह ने उस सन्देश को खोला और यहोवा के सामने रख दिया। 15 फिर हिजकिय्याह यहोवा से प्रार्थना करने लगा। हिजकिय्याह बोला: 16 “इस्राएल के परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा, तू राजा के समान करुब (स्वर्गदूतों) पर विराजता है। तू और बस केवल तू ही परमेश्वर है, जिसका धरती के सभी राज्यों पर शासन है। तूने स्वर्गों और धरती की रचना की है। 17 मेरी सुन! अपनी आँखें खोल और देख, कान लगाकर सुन इस सन्देश के शब्दों को, जिसे सन्हेरीब ने मुझे भेजा है। इसमें तुझ साक्षात परमेश्वर के बारे में अपमानपूर्ण बुरी—बुरी बातें कही हैं। 18 हे यहोवा, अश्शूर के राजाओं ने वास्तव में सभी देशों और वहाँ की धरती को तबाह कर दिया है। 19 अश्शूर के राजाओं ने उन देशों के देवताओं को जला डाला है किन्तु वे सच्चे देवता नहीं थे। वे तो केवल ऐसे मूर्ती थे जिन्हें लोगों ने बनाया था। वे तो कोरी लकड़ी थे, कोरे पत्थर थे। इसलिये वे समाप्त हो गये। वे नष्ट हो गये। 20 सो अब हे हमारे परमेश्वर यहोवा। अब कृपा करके अश्शूर के राजा की शक्ति से हमारी रक्षा कर। ताकि धरती के सभी राज्यों को भी पता चल जाये कि तू यहोवा है और तू ही हमारा एकमात्र परमेश्वर है!”
हिजकिय्याह को परमेश्वर का उत्तर
21 फिर आमोस के पुत्र यशायाह ने हिजकिय्याह के पास यह सन्देश भेजा, “यह वह है जिसे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने कहा, ‘अश्शूर के राजा सन्हेरीब के बारे में तूने मुझसे प्रार्थना की है।’
22 “सो मुझे यहोवा ने जो सन्हेरीब के विरोध में कहा, वह यह है:
‘सिय्योन की कुवाँरी पुत्री (यरूशलेम के लोग)
तुझे तुच्छ जानती है।
वह तेरी हँसी उड़ाती है।
यरूशलेम की पुत्री तेरी हँसी उड़ाती है।
23 तूने मेरे लिये मेरे विरोध में बुरी बातें कही।
तू बोलता रहा।
तू अपनी आवाज मेरे विरोध में उठायी थी!
तूने मुझ इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) को अभिमान भी आँखों से घूरा था।
24 मेरे स्वामी यहोवा के विषय में तूने बुरी बातें कहलवाने के लिये तूने अपने सेवकों का प्रयोग किया।
तूने कहा, “मैं बहुत शक्तिशाली हूँ! मेरे पास बहुत से रथ हैं।
मैंने अपनी शक्ति से लबानोन को हराया जब मैं अपने रथों को लबानोन के महान पर्वत के ऊँचे शिखरों के ऊपर ले आया।
मैंने लबानोन के सभी महान पेड़ काट डाले।
मैं उच्चतम शिखर से लेकर
गहरे जंगलों तक प्रवेश कर चुका हूँ।
25 मैंने विदेशी धरती पर कुँए खोदे और पानी पिया।
मैंने मिस्र की नदियाँ सुखा दी और उस देश पर चल कर गया है!”
26 ‘ये वह जो तूने कहा।
क्या तूने यह नहीं सुना कि परमेश्वर ने क्या कहा
मैंने (परमेश्वर ने) बहुत बहुत पहले ही यह योजना बना ली थी।
बहुत—बहुत पहले ही मैंने इसे तैयार कर लिया था
अब इसे मैंने घटित किया है।
मैंने ही तुम्हें उन नगरों को नष्ट करने दिया
और मैंने ही तुम्हें उन नगरों को पत्थरों के ढेर में बदलने दिया।
27 उन नगरों के निवासी कमजोर थे।
वे लोग भयभीत और लज्जित थे।
वे खेत के पौधे के जैसे थे,
वे नई घास के जैसे थे।
वे उस घास के समान थे जो मकानों की छतों पर उगा करती है।
वह घास लम्बी होने से पहले ही रेगिस्तान की गर्म हवा से झुलसा दी जाती है।
28 तेरी सेना और तेरे युद्धों के बारे में मैं सब कुछ जानता हूँ।
मुझे पता है जब तूने विश्राम किया था।
जब तू युद्ध के लिये गया था, मुझे तब का भी पता है।
तू युद्ध से घर कब लौटा, मैं यह भी जानता हूँ।
मुझे इसका भी ज्ञान है कि तू मुझ पर क्रोधित है।
29 तू मुझसे खुश नहीं है
और मैंने तेरे अहंकारपूर्ण अपमानों को सुना है।
सो मैं तुझे दण्ड दूँगा।
मैं तेरी नाक मे नकेल डालूँगा।
मैं तेरे मुँह पर लगाम लगाऊँगा और तब मैं तुझे विवश करुँगा कि तू जिस मार्ग से आया था,
उसी मार्ग से मेरे देश को छोड़ कर वापस चला जा!’”
30 इस पर यहोवा ने हिजकिय्याह से कहा, “हिजकिय्याह, तुझे यह दिखाने के लिये कि ये शब्द सच्चे हैं, मैं तुझे एक संकेत दूँगा। इस वर्ष तू खाने के लिए कोई अनाज नहीं बोयेगा। सो इस वर्ष तू पिछले वर्ष की फसल से यूँ ही उग आये अनाज को खायेगा। अगले वर्ष भी ऐसी ही होगा किन्तु तीसरे वर्ष तू उस अनाज को खायेगा जिसे तूने उगाया होगा। तू अपनी फसलों को काटेगा। तेरे पास खाने को भरपूर होगा। तू अँगूर की बेलें रोपेगा और उनके फल खायेगा।
31 “यहूदा के परिवार के कुछ लोग बच जायेंगे। वे ही लोग बढ़ते हुए एक बहुत बड़ी जाति का रुप ले लेंगे। वे लोग उन वृक्षों के समान होंगे जिनकी जड़ें धरती में बहुत गहरी जाती हैं और जो बहुत तगड़े हो जाते हैं और बहुत से फल (संतानें) देते हैं। 32 यरूशलेम से कुछ ही लोग जीवित बचकर बाहर जा पाएँगे। सिय्योन पर्वत से बचे हुए लोगों का एक समूह ही बाहर जा जाएगा।” सर्वशक्तिमान यहोवा का सुदृढ़ प्रेम ही ऐसा करेगा।
33 सो यहोवा ने अश्शूर के राजा के बारे में यह कहा,
“वह इस नगर में नहीं आ पायेगा,
वह इस नगर पर एक भी बाण नहीं छोड़ेगा,
वह अपनी ढालों का मुहँ इस नगर की ओर नहीं करेगा।
इस नगर के परकोटे पर हमला करने के लिए वह मिट्टी का टीला खड़ा नहीं करेगा।
34 उसी रास्ते से जिससे वह आया था, वह वापस अपने नगर को लौट जायेगा।
इस नगर में वह प्रवेश नहीं करेगा।
यह सन्देश यहोवा की ओर से है।
35 यहोवा कहता है, मैं बचाऊँगा और इस नगर की रक्षा करुँगा।
मैं ऐसा स्वयं अपने लिये और अपने सेवक दाऊद के लिए करुँगा।”
36 सो यहोवा के दूत ने अश्शूर की छावनी में जा कर एक लाख पचासी हज़ार सैनिकों को मार डाला। अगली सुबह जब लोग उठे, तो उन्होंने देखा कि उनके चारों ओर मरे हुए सैनिकों की लाशें बिखरी हैं। 37 इस पर अश्शूर का राजा सन्हेरीब वापस लौट कर अपने घर नीनवे चला गया और वहीं रहने लगा।
38 एक दिन, जब सन्हेरीब अपने देवता निस्रोक के मन्दिर में उसकी पूजा कर रहा था, उसी समय उसके पुत्र अद्रम्मेलेक और शरेसेर ने तलवार से उसकी हत्या कर दी और फिर वे अरारात को भाग खड़े हुए। इस प्रकार सन्हेरीब का पुत्र एसर्हद्देन अश्शूर का नया राजा बन गया।
हिजकिय्याह की बीमारी
38 उस समय के आसपास हिजकिय्याह बहुत बीमार पड़ा। इतना बीमार कि जैसे वह मर ही गया हो। सो आमोस का पुत्र यशायाह उससे मिलने गया। यशायाह ने राजा से कहा, “यहोवा ने तुम्हें ये बातें बताने के लिये कहा है: ‘शीघ्र ही तू मर जायेगा। सो जब तू मरे, परिवार वाले क्या करें, यह तुझे उन्हें बता देना चाहिये। अब तू फिर कभी अच्छा नहीं होगा।’”
2 हिजकिय्याह ने उस दीवार की तरफ करवट ली जिसका मुँह मन्दिर की तरफ था। उसने यहोवा की प्रार्थना की, उसने कहा, 3 “हे यहोवा, कृपा कर, याद कर कि मैंने सदा तेरे सामने विश्वासपूर्ण और सच्चे हृदय के साथ जीवन जिया है। मैंने वे बातें की हैं जिन्हें तू उत्तम कहता है।” इसके बाद हिजकिय्याह ने ऊँचे स्वर में रोना शुरु कर दिया।
4 यशायाह को यहोवा से यह सन्देश मिळा: 5 “हिजकिय्याह के पास जा और उससे कह दे: ये बातें वे हैं जिन्हें तुम्हारे पिता दाऊद का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘मैंने तेरी प्रार्थना सुनी है और तेरे दु:ख भरे आँसू देखे हैं। तेरे जीवन में मैं पन्द्रह वर्ष और जोड़ रहा हूँ। 6 अश्शूर के राजा के हाथों से मैं तुझे छुड़ा डालूँगा और इस नगर की रक्षा करुँगा।’”
21 [a] फिर इस पर यशायाह ने कहा, “अंजीरों को आपस में मसलवा कर उसके फोड़ों पर बाँध। इससे वह अच्छा हो जायेगा।”
22 [b] किन्तु हिजकिय्याह ने यशायाह से पूछा, “यहोवा की ओर से ऐसा कौन सा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं अच्छा हो जाऊँगा कौन सा ऐसा संकेत है जो प्रमाणित करता है कि मैं यहोवा के मन्दिर में जाने योग्य हो जाऊँगा”
7 तुझे यह बताने के लिए कि जिन बातों को वह कहता है, उन्हें वह पूरा करेगा। यहोवा की ओर से यह संकेत है: 8 “देख, आहाज़ की धूप घड़ी की वह छाया जो अंशों पर पड़ी हैं, मैं उसे दस अंश पीछे हटा दूँगा। सूर्य की वह छाया दस अंश तक पीछे चली जायेगी।”
9 यह हिजकिय्याह का वह पत्र है जो उसने बीमारी से अच्छा होने के बाद लिखा था:
10 मैंने अपने मन में कहा कि मैं तब तक जीऊँगा जब तक बूढ़ा होऊँगा।
किन्तु मेरा काल आ गया था कि मैं मृत्यु के द्वार से गुजरुँ।
अब मैं अपना समय यहीं पर बिताऊँगा।
11 इसलिए मैंने कहा, “मैं यहोवा याह को फिर कभी जीवितों की धरती पर नहीं देखूँगा।
धरती पर जीते हुए लोगों को मैं नहीं देखूँगा।
12 मेरा घर, चरवाहे के अस्थिर तम्बू सा उखाड़ कर गिराया जा रहा है और मुझसे छीना जा रहा है।
अब मेरा वैसा ही अन्त हो गया है जैसे करघे से कपड़ा लपेट कर काट लिया जाता है।
क्षणभर में तूने मुझ को इस अंत तक पहुँचा दिया!
13 मैं भोर तक अपने को शान्त करता रहा।
वह सिंह की नाई मेरी हड्डियों को तोड़ता है।
एक ही दिन में तू मेरा अन्त कर डालता है!
14 मैं कबूतर सा रोता रहा। मैं एक पक्षी जैसा रोता रहा।
मेरी आँखें थक गयी तो भी मैं लगातर आकाश की तरफ निहारता रहा।
मेरे स्वामी, मैं विपत्ति में हूँ मुझको उबारने का वचन दे।”
15 मैं और क्या कह सकता हूँ मेरे स्वामी ने मुझ को बताया है जो कुछ भी घटेगा,
और मेरा स्वामी ही उस घटना को घटित करेगा।
मैंने इन विपत्तियों को अपनी आत्मा में झेला है इसलिए मैं जीवन भर विनम्र रहूँगा।
16 हे मेरे स्वामी, इस कष्ट के समय का उपयोग फिर से मेरी चेतना को सशक्त बनाने में कर।
मेरे मन को सशक्त और स्वस्थ होने में मेरी सहायता कर!
मुझको सहारा दे कि मैं अच्छा हो जाऊँ! मेरी सहायता कर कि मैं फिर से जी उठूँ!
17 देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है।
तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया।
तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
18 तेरी स्तुति मरे व्यक्ति नहीं गाते!
मृत्यु के देश में पड़े लोग तेरे यशगीत नहीं गाते।
वे मरे हुए व्यक्ति जो कब्र में समायें हैं, सहायता पाने को तुझ पर भरोसा नहीं रखते।
19 वे लोग जो जीवित हैं जेसा आज मैं हूँ तेरा यश गाते हैं।
एक पिता को अपनी सन्तानों को बताना चाहिए कि तुझ पर भरोसा किया जा सकता है।
20 इसलिए मैं कहता हूँ:
“यहोवा ने मुझ को बचाया है सो हम अपने जीवन भर यहोवा के मन्दिर में गीत गायेंगे और बाजे बजायेंगे।”
बाबुल के सन्देश वाहक
39 उस समय, बलदान का पुत्र मरोदक बलदान बाबुल का राजा हुआ करता था। मरोदक ने हिजकिय्याह के पास पत्र और उपहार भेजे। मरोदक ने उसके पास इसलिये उपहार भेजे थे कि उसने सुना था कि हिजकिय्याह बीमार था और फिर अच्छा हो गया था। 2 इन उपहारों को पाकर हिजकिय्याह बहुत प्रसन्न हुआ। इसलिये हिजकिय्याह ने मरोदक के लोगों को अपने खज़ाने की मूल्यवान वस्तुएँ दिखाई। हिजकिय्याह ने उन लोगों को अपनी सारी सम्पत्ति दिखाई। चाँदी, सोना, मूल्यवान तेल और इत्र उन्हें दिखाये। हिजकिय्याह ने उन्हें युद्ध में काम आने वाली तलवारें और ढालें भी दिखाई। हिजकिय्याह ने उन्हें वे सभी वस्तुएँ दिखाई जो उसने जमा कर रखी थीं। हिजकिय्याह ने अपने घर की और अपने राज्य की हर वस्तु उन्हें दिखायी।
3 यशायाह नबी राजा हिजकिय्याह के पास गया और उससे बोला, “ये लोग क्या कह रहे हैं ये लोग कहाँ से आये हैं”
हिजकिय्याह ने कहा, “ये लोग दूर देश से मेरे पास आये हैं। ये लोग बाबुल से आये हैं।”
4 इस पर यशायाह ने उससे पूछा, “उन्होंने तेरे महल में क्या देखा”
हिजकिय्याह ने कहा, “मेरे महल की हर वस्तु उन्होंने देखी। मैंने अपनी सारी सम्पत्ति उन्हें दिखाई थी।”
5 यशायाह ने हिजकिय्याह से यह कहा: “सर्वशक्तिमान यहोवा के शब्दों को सुनो। 6 ‘भविष्य में जो कुछ तेरे घर में हैं, वह सब कुछ बाबुल ले जाया जायेगा। और तेरे बुजुर्गों की वह सारी धन दौलत जो अचानक उन्होंने एकत्र की है, ले ली जायेगी। तेरे पास कुछ नहीं छोड़ा जायेगा। सर्वशक्तिमान यहोवा ने यह कहा है। 7 बाबुल का राजा तेरे पुत्रों को ले जायेगा। वे पुत्र जो तुझसे पैदा होंगे। तेरे पुत्र बाबुल के राजा के महल में हाकिम बनेंगे।’”
8 हिजकिय्याह ने यशायाह से कहा, “यहोवा के इन वचनों का सुनना मेरे लिये बहुत उत्तम होगा।” (हिजकिय्याह ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसका विचार था, “जब मैं राजा होऊँगा, तब शांति रहेगी और कोई उत्पात नहीं होगा।”)
इस्राएल के दण्ड का अंत
40 तुम्हारा परमेश्वर कहता है,
“चैन दे, चैन दे मेरे लोगों को!
2 तू दया से बातें कर यरूशलेम से!
यरूशलेम को बता दे,
‘तेरी दासता का समय अब पूरा हो चुका है।
तूने अपने अपराधों की कीमत दे दी है।’
यहोवा ने यरूशलेम के किये हुए पापों का दुगना दण्ड उसे दिया है!”
3 सुनो! एक व्यक्ति का जोर से पुकारता हुआ स्वर:
“यहोवा के लिये बियाबान में एक राह बनाओ!
हमारे परमेश्वर के लिये बियाबान में एक रास्ता चौरस करो!
4 हर घाटी को भर दो।
हर एक पर्वत और पहाड़ी को समतल करो।
टेढ़ी—मेढ़ी राहों को सीधा करो।
उबड़—खाबड़ को चौरस बना दो।
5 तब यहोवा की महिमा प्रगट होगी।
सब लोग इकट्ठे यहोवा के तेज को देखेंगे।
हाँ, यहोवा ने स्वयं ये सब कहा है।”
6 एक वाणी मुखरित हुई, उसने कहा, “बोलो!”
सो व्यक्ति ने पूछा, “मैं क्या कहूँ” वाणी ने कहा, “लोग सर्वदा जीवित नहीं रहेंगे।
वे सभी रेगिस्तान के घास के समान है।
उनकी धार्मिकता जंगली फूल के समान है।
7 एक शक्तिशाली आँधी यहोवा की ओर से उस घास पर चलती है,
और घास सूख जाती है, जंगली फूल नष्ट हो जाता है। हाँ सभी लोग घास के समान हैं।
8 घास मर जाती है और जंगली फूल नष्ट हो जाता है।
किन्तु हमारे परमेश्वर के वचन सदा बने रहते हैं।”
मुक्ति: परमेश्वर का सुसन्देश
9 हे, सिय्योन, तेरे पास सुसन्देश कहने को है,
तू पहाड़ पर चढ़ जा और ऊँचे स्वर से उसे चिल्ला!
यरूशलेम, तेरे पास एक सुसन्देश कहने को है।
भयभीत मत हो, तू ऊँचे स्वर में बोल!
यहूदा के सारे नगरों को तू ये बातें बता दे: “देखो, ये रहा तुम्हारा परमेश्वर!”
10 मेरा स्वामी यहोवा शक्ति के साथ आ रहा है।
वह अपनी शक्ति का उपयोग लोगों पर शासन करने में लगायेगा।
यहोवा अपने लोगों को प्रतिफल देगा।
उसके पास देने को उनकी मजदूरी होगी।
11 यहोवा अपने लोगों की वैसे ही अगुवाई करेगा जैसे कोई गड़ेरिया अपने भेड़ों की अगुवाई करता है।
यहोवा अपने बाहु को काम में लायेगा और अपनी भेड़ों को इकट्ठा करेगा।
यहोवा छोटी भेड़ों को उठाकर गोद में थामेगा, और उनकी माताऐं उसके साथ—साथ चलेंगी।
संसार परमेश्वर ने रचा: वह इसका शासक है।
12 किसने अँजली में भर कर समुद्र को नाप दिया किसने हाथ से आकाश को नाप दिया
किसने कटोरे में भर कर धरती की सारी धूल को नाप दिया
किसने नापने के धागे से पर्वतों
और चोटियों को नाप दिया यह यहोवा ने किया था!
13 यहोवा की आत्मा को किसी व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि उसे क्या करना था।
यहोवा को किसी ने यह नहीं बताया कि उसे जो उसने किया है, कैसे करना था।
14 क्या यहोवा ने किसी से सहायता माँगी?
क्या यहोवा को किसी ने निष्पक्षता का पाठ पढ़ाया है?
क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को ज्ञान सिखाया है?
क्या किसी व्यक्ति ने यहोवा को बुद्धि से काम लेना सिखाया है? नहीं!
इन सभी बातों का यहोवा को पहले ही से ज्ञान है!
15 देखो, जगत के सारे देश घड़े में एक छोटी बूंद जैसे हैं।
यदि यहोवा सुदूरवर्ती देशों तक को लेकर अपनी तराजू पर धर दे, तो वे छोटे से रजकण जैसे लगेंगे।
16 लबानोन के सारे वृक्ष भी काफी नहीं है कि उन्हें यहोवा के लिये जलाया जाये।
लबानोन के सारे पशु काफी नहीं हैं कि उनको उसकी एक बलि के लिये मारा जाये।
17 परमेश्वर की तुलना में विश्व के सभी राष्ट्र कुछ भी नहीं हैं।
परमेश्वर की तुलना में विश्व के सभी राष्ट्र बिल्कुल मूल्यहीन हैं।
परमेश्वर क्या है लोग कल्पना भी नहीं कर सकते
18 क्या तुम परमेश्वर की तुलना किसी भी वस्तु से कर सकते हो नहीं! क्या तुम परमेश्वर का चित्र बना सकते हो नहीं!
19 कुन्तु कुछ लोग ऐसे हैं जो पत्थर और लकड़ी की मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें देवता कहते हैं।
एक कारीगर मूर्ति को बनाता है।
फिर दूसरा कारीगर उस पर सोना मढ़ देता है और उसके लिये चाँदी की जंजीरे बनता है!
20 सो वह व्यक्ति आधार के लिये एक विशेष प्रकार की लकड़ी चुनता है जो सड़ती नहीं है।
तब वह एक अच्छे लकड़ी चुनता है जो सड़ती नहीं है।
तब वह एक अच्छे लकड़ी के कारीगर को ढूँढता है।
वह कारीगर एक ऐसा “देवता” बनाता है जो ढुलकता नहीं है!
21 निश्चय ही, तुम सच्चाई जानते हो, बोलो निश्चय ही तुमने सुना है!
निश्चय ही बहुत पहले किसी ने तुम्हें बताया है! निश्चय ही तुम जानते हो कि धरती को किसने बनाया है!
22 यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है!
वही धरती के चक्र के ऊपर बैठता है!
उसकी तुलना में लोग टिड्डी से लगते हैं।
उसने आकाशों को किसी कपड़े के टुकड़े की भाँति खोल दिया।
उसने आकाश को उसके नीचे बैठने को एक तम्बू की भाँति तान दिया।
23 सच्चा परमेश्वर शासकों को महत्त्वहीन बना देता है।
वह इस जगत के न्यायकर्ताओं को पूरी तरह व्यर्थ बना देता है!
24 वे शासक ऐसे हैं जेसे वे पौधे जिन्हें धरती में रोपा गया हो,
किन्तु इससे पहले की वे अपनी जड़े धरती में जमा पाये,
परमेश्वर उन को बहा देता है
और वे सूख कर मर जाते हैं।
आँधी उन्हें तिनके सा उड़ा कर ले जाती है।
25 “क्या तुम किसी से भी मेरी तुलना कर सकते हो नहीं!
कोई भी मेरे बराबर का नहीं है।”
26 ऊपर आकाशों को देखो।
किसने इन सभी तारों को बनाया
किसने वे सभी आकाश की सेना बनाई
किसको सभी तारे नाम—बनाम मालूस हैं
सच्चा परमेश्वर बहुत ही सुदृढ़ और शक्तिशाली है
इसलिए कोई तारा कभी निज मार्ग नहीं भूला।
27 हे याकूब, यह सच है!
हे इस्राएल, तुझको इसका विश्वास करना चाहिए!
सो तू क्यों ऐसा कहता है कि “जैसा जीवन मैं जीता हूँ उसे यहोवा नहीं देख सकता!
परमेश्वर मुझको पकड़ नहीं पायेगा और न दण्ड दे पायेगा।”
28 सचमुच तूने सुना है और जानता है कि यहोवा परमेश्वर बुद्धिमान है।
जो कुछ वह जानता है उन सभी बातों को मनुष्य नहीं सीख सकता।
यहोवा कभी थकता नहीं,
उसको कभी विश्राम की आवश्यकता नहीं होती।
यहोवा ने ही सभी दूरदराज के स्थान धरती पर बनाये।
यहोवा सदा जीवित है।
29 यहोवा शक्तिहीनों को शक्तिशाली बनने में सहायता देता है।
वह ऐसे उन लोगों को जिनके पास शक्ति नहीं है, प्रेरित करता है कि वह शक्तिशाली बने।
30 युवक थकते हैं और उन्हें विश्राम की जरुरत पड़ जाती है।
यहाँ तक कि किशोर भी ठोकर खाते हैं और गिरते हैं।
31 किन्तु वे लोग जो यहोवा के भरोसे हैं फिर से शक्तिशाली बन जाते हैं।
जैसे किसी गरुड़ के फिर से पंख उग आते हैं।
ये लोग बिना विश्राम चाहे निरंतर दौड़ते रहते हैं।
ये लोग बिना थके चलते रहते हैं।
यहोवा सृजनहार है: वह अमर है
41 यहोवा कहा करता है,
“सुदूरवर्ती देशों, चुप रहो और मेरे पास आओ!
जातियों, फिर से सुदृढ़ बनों।
मेरे पास आओ और मुझसे बातें करो।
आपस में मिल कर हम
निश्चय करें कि उचित क्या है।
2 किसने उस विजेता को जगाया है, जो पूर्व से आयेगा
कौन उससे दूसरे देशों को हरवाता और राजाओं को अधीन कर देता
कौन उसकी तलवारों को इतना बढ़ा देता है
कि वे इतनी असंख्य हो जाती जितनी रेत—कण होते हैं
कौन उसके धनुषों को इतना असंख्य कर देता जितना भूसे के छिलके होते हैं
3 यह व्यक्ति पीछा करेगा और उन राष्ट्रों का पीछा बिना हानि उठाये करता रहेगा
और ऐसे उन स्थानों तक जायेगा जहाँ वह पहले कभी गया ही नहीं।
4 कौन ये सब घटित करता है किसने यह किया
किसने आदि से सब लोगों को बुलाया मैं यहोवा ने इन सब बातों को किया!
मैं यहोवा ही सबसे पहला हूँ।
आदि के भी पहले से मेरा अस्तित्व रहा है,
और जब सब कुछ चला जायेगा तो भी मैं यहाँ रहूँगा।
5 सुदूरवर्ती देश इसको देखें
और भयभीत हों।
दूर धरती के छोर के लोग
फिर आपस में एक जुट होकर
भय से काँप उठें!
6 “एक दूसरे की सहायता करेंगें। देखो! अब वे अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए एक दूसरे की हिम्मत बढ़ा रहे हैं। 7 मूर्ति बनानें के लिए एक कारीगर लकड़ी काट रहा है। फिर वह व्यक्ति सुनार को उत्साहित कर रहा है। एक कारीगर हथौड़ें से धातु का पतरा बना रहा है। फिर वह कारीगर निहायी पर काम करनेवाले व्यक्ति को प्रेरित कर रहा है। यह अखिरी कारीगर कह रहा है, काम अच्छा है किन्तु यह धातु पिंड कहीं उखड़ न जाये। इसलिए इस मूर्ति को आधार पर कील से जड़ दों! उससे मूर्ति गिरेगी नहीं, वह कभी हिलडुल तक नहीं पायेगो।”
यहोवा ही हमारी रक्षा कर सकता है
8 यहोवा कहता है: “किन्तु तू इस्राएल, मेरा सेवक है।
याकूब, मैंने तुझ को चुना है
तू मेरे मित्र इब्राहीम का वंशज है।
9 मैंने तुझे धरती के दूर देशों से उठाया।
मैंने तुम्हें उस दूर देश से बुलाया।
मैंने कहा, ‘तू मेरा सेवक है।’
मैंने तुझे चुना है
और मैंने तुझे कभी नहीं तजा है।
10 तू चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ।
तू भयभीत मत हो, मैं तेरा परमेश्वर हूँ।
मैं तुझे सुदृढ़ करुँगा।
मैं तुझे अपने नेकी के दाहिने हाथ से सहारा दूँगा।
11 देख, कुछ लोग तुझ से नाराज हैं किन्तु वे लजायेंगे।
जो तेरे शत्रु हैं वे नहीं रहेंगे, वे सब खो जायेंगे।
12 तू ऐसे उन लोगों की खोज करेगा जो तेरे विरुद्ध थे।
किन्तु तू उनको नहीं पायेगा।
वे लोग जो तुझ से लड़े थे, पूरी तरह लुप्त हो जायेंगे।
13 मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ।
मैंने तेरा सीधा हाथ थाम रखा है।
मैं तुझ से कहता हूँ कि मत डर! मैं तुझे सहारा दूँगा।
14 मूल्यवान यहूदा, तू निर्भय रह! हे मेरे प्रिय इस्राएल के लोगों।
भयभीत मत रहो।”
सचमुच मैं तुझको सहायता दूँगा।
स्वयं यहोवा ही ने यें बातें कहीं थी।
इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) ने
जो तुम्हारी रक्षा करता है, कहा था:
15 देख, मैंने तुझे एक नये दाँवने के यन्त्र सा बनाया है।
इस यन्त्र में बहुत से दाँते हैं जो बहुत तीखे हैं।
किसान इसको अनाज के छिलके उतारने के काम में लाते है।
तू पर्वतों को पैरों तले मसलेगा और उनको धूल में मिला देगा।
तू पर्वतों को ऐसा कर देगा जैसे भूसा होता है।
16 तू उनको हवा में उछालेगा और हवा उनको उड़ा कर दूर ले जायेगी और उन्हें कहीं छितरा देगी।
तब तू यहोवा में स्थित हो कर आनन्दित होगा।
तुझको इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर पहुत गर्व होगा।
17 “गरीब जन, और जरुरत मंद जल ढूँढ़ते हैं किन्तु उन्हें जल नहीं मिलता है।
वे प्यासे हैं और उनकी जीभ सूखी है। मैं उनकी विनतियों का उत्तर दूँगा।
मैं उनको न ही तजूँगा और न ही मरने दूँगा।
18 मैं सूखे पहाड़ों पर नदियाँ बहा दूँगा।
घाटियों में से मैं जलस्रोत बहा दूँगा।
मैं रेगिस्तान को जल से भरी झील में बदल दूँगा।
उस सूखी धरती पर पानी के सोते मिलेंगे।
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