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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
यिर्मयाह 10:14-23:8

14 लोग इतने बेवकूफ हैं!
    सुनार उन देवमूर्तियों से मूर्ख बनाए गये हैं
जिन्हें उन्होंने स्वयं बनाया है।
    ये मूर्तियाँ झूठ के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं, वे निष्क्रिय हैं।
15 वे देवमूर्तियाँ किसी काम की नहीं।
    वे कुछ ऐसी हैं जिनका मजाक उड़ाया जा सके।
न्याय का समय आने पर वे देवमूर्तियाँ नष्ट कर दी जाएंगी।
16 किन्तु याकूब का परमेश्वर उन देवमूर्तियों के समान नहीं है।
    परमेश्वर ने सभी वस्तुओं की सृष्टि की,
और इस्राएल वह परिवार है जिसे परमेश्वर ने अपने लोग के रूप में चुना।
    परमेश्वर का नाम “सर्वशक्तिमान यहोवा” है।

विनाश आ रहा है

17 अपनी सभी चीज़ें लो और जाने को तैयार हो जाओ।
यहूदा के लोगों, तुम नगर में पकड़ लिये गए हो
    और शत्रु ने इसका घेरा डाल लिया है।
18 यहोवा कहता है,
“इस समय मैं यहूदा के लोगों को इस देश से बाहर फेंक दूँगा।
    मैं उन्हें पीड़ा और परेशानी दूँगा।
    मैं ऐसा करूँगा जिससे वे सबक सीख सकें।”

19 ओह, मैं (यिर्मयाह) बुरी तरह घायल हूँ।
    घायल हूँ और मैं अच्छा नहीं हो सकता।
तो भी मैंने स्वयं से कहा, “यह मेरी बीमारी है,
    मुझे इससे पीड़ित होना चाहिये।”
20 मेरा डेरा बरबाद हो गया।
    डेरे की सारी रस्सियाँ टूट गई हैं।
मेरे बच्चे मुझे छोड़ गये।
    वे चले गये।
कोई व्यक्ति मेरा डेरा लगाने को नहीं बचा है।
    कोई व्यक्ति मेरे लिये शरण स्थल बनाने को नहीं बचा है।
21 गडेरिये (प्रमुख) मूर्ख हैं।
    वे यहोवा को प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं करते।
वे बुद्धिमान नहीं है,
    अत: उनकी रेवड़ें (लोग) बिखर गई और नष्ट हो गई हैं।
22 ध्यान से सुनो! एक कोलाहल!
    कोलाहल उत्तर से आ रहा है।
यह यहूदा के नगरों को नष्ट कर देगा।
    यहूदा एक सूनी मरुभूमि बन जायेगा।
यह गीदड़ों की माँद बन जायेगा।

23 हे यहोवा, मैं जानता हूँ कि व्यक्ति सचमुच अपनी
    जिन्दगी का मालिक नहीं है।
लोग सचमुच अपने भविष्य की योजना नहीं बना सकते हैं।
    लोग सचमुच नहीं जानते कि कैसे ठीक जीवित रहा जाये।
24 हे यहोवा, हमें सुधार! किन्तु न्यायी बन!
    क्रोध में हमे दण्ड न दे! अन्यथा तू हमें नष्ट कर देगा!
25 यदि तू क्रोधित है तो अन्य राष्ट्रों को दण्ड दे।
    वे, न तुझको जानते हैं न ही तेरा सम्मान करते हैं।
वे लोग तेरी आराधना नहीं करते।
    उन राष्ट्रों ने याकूब के परिवार को नष्ट किया।
उन्होंने इस्राएल को पूरी तरह नष्ट कर दिया।
    उन्होंने इस्राएल की जन्मभूमि को नष्ट किया।

वाचा टूटी

11 यह वह सन्देश है जो यिर्मयाह को मिला। यहोवा का यह सन्देश आया: “यिर्मयाह इस वाचा के शब्दों को सुनो। इन बातों के विषय में यहूदा के लोगों से कहो। ये बातें यरूशलेम में रहने वाले लोगों से कहो। यह वह है, जो इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘जो व्यक्ति इस वाचा का पालन नहीं करेगा उस पर विपत्ति आएगी। मैं उस वाचा के बारे में कह रहा हूँ जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों के साथ की। मैंने वह वाचा उनके साथ तब की जब मैं उन्हें मिस्र से बाहर लाया। मिस्र अनेक मुसीबतों की जगह थी यह लोहे को पिघला देने वाली गर्म भट्टी की तरह थी।’ मैंने उन लोगों से कहा, ‘मेरी आज्ञा मानो और वह सब करो जिसका मैं तुम्हें आदेश दूँ। यदि तुम यह करोगे तो तुम मेरे लोग रहोगे और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।’

“मैंने यह तुम्हारे पूर्वजों को दिये गये वचन को पूरा करने के लिये किया। मैंने उन्हें बहुत उपजाऊ भूमि देने की प्रतिज्ञा की, ऐसी भूमि जिसमें दूध और शहद की नदी बहती हो और आज तुम उस देश में रह रहे हो।”

मैं (यिर्मयाह) ने उत्तर दिया, “यहोवा, आमीन।”

यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, इस सन्देश की शिक्षा यहूदा के नगरों और यरूशलेम की सड़कों पर दो। सन्देश यह है, ‘इस वाचा की बातों को सुनो और तब उन नियमों का पालन करो। मैंने तुम्हारे पूर्वजों को मिस्र देश से बाहर लाने के समय एक चेतावनी दी थी। मैंने बार बार ठीक इसी दिन तक उन्हें चेतावनी दी। मैंने उनसे अपनी आज्ञा का पालन करने के लिये कहा। किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी एक न सुनी। वे हठी थे और वही किया जो उनके अपने बुरे हृदय ने चाहा। वाचा में यह कहा गया है कि यदि वे आज्ञा का पालन नहीं करेंगे तो विपत्तियाँ आएंगे। अत: मैंने उन सभी विपत्तियों को उन पर आने दिया। मैंने उन्हें वाचा को मानने का आदेश दिया, किन्तु उन्होंने नहीं माना।’”

यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, मैं जानता हूँ कि यहूदा के लोगों और यरूशलेम के निवासियों ने गुप्त योजनायें बना रखी हैं। 10 वे लोग वैसे ही पाप कर रहे हैं जिन्हें उनके पूर्वजों ने किया था। उनके पूर्वजों ने मेरे सन्देश को सुनने से इन्कार किया। उन्होंने अन्य देवताओं का अनुसरण किया और उन्हें पूजा। इस्राएल के परिवार और यहूदा के परिवार ने उस वाचा को तोड़ा है जिसे मैंने उनके पूर्वजों के साथ की थी।”

11 अत: यहोवा कहता है: “मैं यहूदा के लोगों पर शीघ्र ही भयंकर विपत्ति ढाऊँगा। वे बचकर भाग नहीं पाएंगे और वे सहायता के लिये मुझे पुकारेंगे। किन्तु मैं उनकी एक न सुनूँगा। 12 यहूदा के नगरों के लोग और यरूशलेम नगर के लोग जाएंगे और अपनी देवमूर्तियों के प्रार्थना करेंगे। वे लोग उन देवमूर्तियों को सुगन्धि धूप जलाते हैं। किन्तु वे देवमूर्तियाँ यहूदा के लोगों की सहायता नहीं कर पाएंगी जब वह भयंकर विपत्ति का समय आयेगा।

13 “यहूदा के लोगों, तुम्हारे पास बहुत सी देवमूर्तियाँ हैं, वहाँ उतनी देवमूर्तियाँ हैं जितने यहूदा में नगर हैं। तुमने उस घृणित बाल की पूजा के लिये बहुत सी वेदियाँ बना रखी हैं यरूशलेम में जितनी सड़के हैं उतनी ही वेदियाँ हैं।

14 “यिर्मयाह, जहाँ तक तुम्हारी बात है, यहूदा के इन लोगों के लिये प्रार्थना न करो। उनके लिये याचना न करो। उनके लिये प्रार्थनायें न करो। मैं सुनूँगा नहीं। वे लोग कष्ट उठायेंगे और तब वे मुझे सहायता के लिये पुकारेंगे। किन्तु मैं सुनूँगा नहीं।

15 “मेरी प्रिया (यहूदा) मेरे घर (मन्दिर)
    में क्यों है उसे वहाँ रहने का अधिकार नहीं है।
उसने बहुत से बुरे काम किये हैं,
    यहूदा, क्या तुम सोचती हो कि विशेष प्रतिज्ञायें
और पशु बलि तुम्हें नष्ट होने से बचा लेंगी
    क्या तुम आशा करती हो कि तुम मुझे बलि भेंट करके दण्ड पाने से बच जाओगी
16 यहोवा ने तुम्हें एक नाम दिया था।
    उन्होंने तुम्हें कहा, ‘हरा भरा जैतून वृक्ष कहा था जिसकी सुन्दरता देखने योग्य है।’
किन्तु एक प्रबल आँधी के गरज के साथ, यहोवा उस वृक्ष में आग लगा देगा
    और इसकी शाखायें जल जाएंगी।
17 सर्वशक्तिमान यहोवा ने तुमको रोपा,
    और उसने यह घोषणा की है कि तुम पर बरबादी आएगी।
क्यों क्योंकि इस्राएल के परिवार
    और यहूदा के परिवार ने बुरे काम किये हैं।
उन्होंने बाल को बलि भेंट करके
    मुझको क्रोधित किया है!”

यिर्मयाह के विरुद्ध बुरी योजनाएं

18 यहोवा ने मुझे दिखाया कि अनातोत के व्यक्ति मेरे विरुद्ध षडयन्त्र कर रहे हैं। यहोवा ने मुझे वह सब दिखाया जो वे कर रहे थे। अत: मैंने जाना कि वे मेरे विरुद्ध थे। 19 जब यहोवा ने मुझे दिखाया कि लोग मेरे विरुद्ध हैं इसके पहले मैं उस भोले मेमने के समान था जो काट दिये जाने की प्रतीक्षा में हो। मैं नहीं समझता था कि वे मेरे विरुद्ध हैं। वे मेरे बारे में यह कह रहे थे: “आओ, हम लोग पेड़ और उसके फल को नष्ट कर दें। आओ हम उसे मार डालें। तब लोग उसे भूल जाएंगे।” 20 किन्तु यहोवा तू एक न्यायी न्यायाधीश है। तू लोगों के हृदय और मन की परीक्षा करना जानता है। मैं अपने तकर्ों को तेरे सामने प्रस्तुत करूँगा और मैं तुझको उन्हें दण्ड देने को कहूँगा जिसके वे पात्र हैं।

21 अनातोत के लोग यिर्मयाह को मार डालने की योजना बना रहे थे। उन लोगों ने यिर्मयाह से कहा, “यहोवा के नाम भविष्यवाणी न करो वरना हम तुम्हें मार डालेंगे।” यहोवा ने अनातोत के उन लोगों के बारे में एक निर्णय किया। 22 सर्वशक्तिमान यहोवा ने कहा, “मैं शीघ्र ही अनातोत के उन लोगों को दण्ड दूँगा उनके युवक युद्ध में मारे जाएंगे। उनके पुत्र और उनकी पुत्रियाँ भूखों मरेंगी। 23 अनातोत नगर में कोई भी व्यक्ति नहीं बचेगा। कोई व्यक्ति जीवित नहीं रहेगा। मैं उन्हें दण्ड दूँगा। मैं उनके साथ कुछ बुरा घटित होने दूँगा।”

यिर्मयाह परमेश्वर से शिकायत करता है

12 यहोवा यदि मैं तुझसे तर्क करता हूँ,
    तू सदा ही सही निकलता है।
किन्तु मैं तुझसे उन सब के बारे में पूछना चाहता हूँ
    जो सही नहीं लगतीं।
दुष्ट लोग सफल क्यों हैं जो तुझ पर विश्वास नहीं करते,
    उनका उतना जीवन सुखी क्यों है
तूने उन दुष्ट लोगों को यहाँ बसाया है।
    वे दृढ़ जड़ वाले पौधे जैसे हैं जो बढ़ते तथा फल देते हैं।
अपने मुँह से वे तुझको अपने समीपी और प्रिय कहते हैं।
    किन्तु अपने हृदय से वे वास्तव में तुझसे बहुत दूर हैं।
किन्तु मेरे यहोवा, तू मेरे हृदय को जानता है।
    तू मुझे और मेरे मन को देखता और परखता है,
मेरा हृदय तेरे साथ है।
उन दुष्ट लोगों को मारी जाने वाली भेड़ के समान घसीट।
    बलि दिवस के लिये उन्हें चुन।
कितने अधिक समय तक भूमि प्यासी पड़ी रहेगी
    घास कब तक सूखी और मरी रहेगी
इस भूमि के जानवर और पक्षी मर चुके हैं
    और यह दुष्ट लोगों का अपराध है।
फिर भी वे दुष्ट लोग कहते हैं,
    “यिर्मयाह हम लोगों पर आने वाली विपत्ति को
    देखने को जीवित नहीं रहेगा।”

परमेश्वर का यिर्मयाह को उत्तर

“यिर्मयाह, यदि तुम मनुष्यों की पग दौड़ में थक जाते हो
    तो तुम घोड़ों के मुकाबले में कैसे दौड़ोगे
यदि तुम सुरक्षित देश में थक जाते हो
    तो तुम यरदन नदी के तटों पर उगी भयंकर कंटीली झाड़ियों
में पहुँचकर क्या करोगे
ये लोग तुम्हारे अपने भाई हैं।
    तुम्हारे अपने परिवार के सदस्य तुम्हारे विरुद्ध योजना बना रहे हैं।
तुम्हारे अपने परिवार के लोग तुम पर चीख रहे हैं।
    यदि वे मित्र सच भी बोलें, उन पर विश्वास न करो।”

यहोवा अपने लोगों अर्थात् यहूदा को त्यागता है

“मैंने (यहोवा) अपना घर छोड़ दिया है।
    मैंने अपनी विरासत अस्वीकार कर दी है।
मैंने जिससे (यहूदा) प्यार किया है,
    उसे उसके शत्रुओं को दे दिया है।
मेरे अपने लोग मेरे लिये जंगली शेर बन गये हैं।
    वे मुझ पर गरजते हैं, अत: मैं उनसे घृणा करता हूँ।
मेरे अपने लोग गिद्धों से घिरा, मरता हुआ जानवर बन गये हैं।
    वे पक्षी उस पर मंडरा रहे हैं। जंगली जानवरों आओ।
आगे बढ़ो, खाने को कुछ पाओ।
10 अनेक गडेरियों (प्रमुखों) ने मेरे अंगूर के खेतों को नष्ट किया है।
    उन गडेरियों ने मेरे खेत के पौधों को रोंदा है।
उन गडेरियों ने मेरे सुन्दर खेत को सूनी मरुभूमि में बदला है।
11 उन्होंने मेरे खेत को मरुभूमि में बदल दिया है।
    यह सूख गया और मर गया।
कोई भी व्यक्ति वहाँ नहीं रहता।
    पूरा देश ही सूनी मरुभूमि है।
उस खेत की देखभाल करने वाला कोई व्यक्ति नहीं बचा है।
12 अनेक सैनिक उन सूनी पहाड़ियों को रौंदते गए हैं।
    यहोवा ने उन सेनाओं का उपयोग उस देश को दण्ड देने के लिये किया।
देश के एक सिरे से दूसरे सिरे तक के लोग दण्डित किये गये हैं।
    कोई व्यक्ति सुरक्षित न रहा।
13 लोग गेहूँ बोएंगे, किन्तु वे केवल काँटे ही काटेंगे।
    वे अत्याधिक थकने तक काम करेंगे,
किन्तु वे अपने सारे कामों के बदले कुछ भी नहीं पाएंगे।
    वे अपनी फसल पर लज्जित होंगे। यहोवा के क्रोध ने यह सब कुछ किया।”

इस्राएल के पड़ोसियों को यहोवा का वचन

14 यहोवा जो कहता है, वह यह है: “मैं तुम्हें बताऊँगा कि मैं इस्राएल देश के चारों ओर रहने वाले सभी लोगों के लिये क्या करुँगा। वे लोग बहुत दुष्ट हैं। उन्होंने उस देश को नष्ट किया जिसे मैंने इस्राएल के लोगों को दिया था। मैं उन दुष्ट लोगों को उखाडूँगा और उनके देश से उन्हें बाहर फेंक दूँगा। मैं उनके साथ यहूदा के लोगों को भी उखाड़ूँगा। 15 किन्तु उन लोगों को उनके देश से उखाड़ फेंकने के बाद मैं उनके लिये अफसोस करुँगा। मैं हर एक परिवार को उनकी अपनी सम्पत्ति और अपनी भूमि पर वापस लाऊँगा। 16 मैं चाहता हूँ कि वे लोग अब मेरे लोगों की तरह रहना सीख लें। बीते समय में उन लोगों ने हमारे लोगों को शपथ खाने के लिये बाल के नाम का उपयोग करना सिखाया। अब, मैं चाहता हूँ कि वे लोग अपना पाठ ठीक वैसे ही अच्छी तरह पढ़ लें। मैं चाहता हूँ कि वे लोग मेरे नाम का उपयोग करना सीखें। मैं चाहता हूँ कि वे लोग कहें, ‘क्योंकि यहोवा शाश्वत है।’ यदि वे लोग वैसा करते हैं तो मैं उन्हें सफल होने दूँगा और उन्हें अपने लोगों के बीच रहने दूँगा। 17 किन्तु यदि कोई राष्ट्र मेरे सन्देश को अनसुना करता है तो मैं उसे पूरी तरह नष्ट कर दूँगा। मैं उसे सूखे पौधे की तरह उखाड़ डालूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।

अधोवस्त्र

13 जो यहोवा ने मुझसे कहा वह यह है: “यिर्मयाह, जाओ और एक सन (बहुमूल्य सूती वस्त्र) का अधोवस्त्र खरीदो। तब इसे अपनी कमर में लपेटो। अधोवस्त्र को गीला न होने दो।”

अत: मैंने एक सन (बहुमूल्य सूती वस्त्र) का अधोवस्त्र खरीदा, जैसा कि यहोवा ने करने को कहा था और मैंने इसे अपनी कमर में लपेटा। तब यहोवा का सन्देश मेरे पास दुबारा आया। सन्देश यह था: “यिर्मयाह, अपने खरीदे गये और पहने गये अधोवस्त्र को लो और परात को जाओ। अधोवस्त्र को चट्टानों की दरार में छिपा दो।”

अत: मैं परात गया और जैसा यहोवा ने कहा था, मैंने अधोवस्त्र को वहाँ छिपा दिया। कई दिनों बाद यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, अब तुम परात जाओ। उस अधोवस्त्र को लो जिसे मैंने छिपाने को कहा था।”

अत: मैं परात को गया और मैंने खोदकर अधोवस्त्र को निकाला, मैंने उसे चट्टानों की दरार से निकाला जहाँ मैंने उसे छिपा रखा था। किन्तु अब मैं अधोवस्त्र को पहन नहीं सकता था क्योंकि वह गल चुका था, वह किसी भी काम का नहीं रह गया था।

तब यहोवा का सन्देश मुझे मिला। यहोवा ने जो कहा, वह यह है: “अधोवस्त्र गल चुका है और किसी भी काम का नहीं रह गया है। इसा प्रकार मैं यहूदा और यरूशलेम के घमंडी लोगों को बरबाद करुँगा। 10 मैं उन घमंडी और दुष्ट यहूदा के लोगों को नष्ट करूँगा। उन्होंने मेरे सन्देशों को अनसुना किया है। वे हठी हैं और वे केवल वह करते हैं जो वे करना चाहते हैं। वे अन्य देवताओं का अनुसरण और उनकी पूजा करते हैं। वे यहूदा के लोग इन सन के अधोवस्त्र की तरह हो जाएंगे। वे बरबाद होंगे और किसी काम के नहीं रहेंगे। 11 अधोवस्त्र व्यक्ति के कमर से कस कर लपेटा जाता है। उसी प्रकार मैंने पूरे इस्राएल और यहूदा के परिवारों को अपने चारों ओर लपेटा।” यह सन्देश यहोवा के यहाँ से है। “मैंने वैसा इसलिये किया कि वे लोग मेरे लोग होंगे। तब मेरे लोग मुझे यश, प्रशंसा और प्रतिष्ठा प्रदान करेंगे। किन्तु मेरे लोगों ने मेरी एक न सुनी।”

यहूदा को चेतावनियाँ

12 “यिर्मयाह, यहूदा के लोगों से कहो: ‘इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जो कहता है, वह यह है: हर एक दाखमधु की मशक दाखमधु से भरी जानी चाहिये।’ वे लोग हँसेंगे और तुमसे कहेंगे, ‘निश्चय ही हम जानते हैं कि हर एक दाखमधु की मशक दाखमधु से भरी जानी चाहिये।’ 13 तब तुम उनसे कहोगे, ‘यहोवा जो कहता है वह यह है: मैं इस देश के हर एक रहने वाले को मदमत्त सा असहाय करुँगा। मैं उन राजाओं के बारे में कह रहा हूँ जो दाऊद के सिंहासन पर बैठते हैं। मैं यरूशलेम के निवासी याजकों, नबियों और सभी लोगों के बारे में कह रहा हूँ। 14 मैं यहूदा के लोगों को ठोकर खाने और एक दूसरे पर गिरने दूँगा। पिता और पुत्र एक दूसरे पर गिरेंगे।’ यह सन्देश यहोवा का है। ‘मैं उनके लिए अफसोस नहीं करूँगा और न उन पर दया। मैं करुणा को, यहूदा के लोगों को नष्ट करने से रोकने नहीं दूँगा।’”

15 सुनो और ध्यान दो।
    यहोवा ने तुम्हें सन्देश दिया है।
    घमण्डी मत बनो।
16 अपने परमेश्वर यहोवा का सम्मान करो,
उसकी स्तुति करो नहीं तो वह अंधकार लाएगा।
अंधेरी पहाड़ियों पर लड़खड़ाने
    और गिरने से पहले उसकी स्तुति करो।
यहूदा के लोगों, तुम प्रकाश की आशा करते हो।
    किन्तु यहोवा प्रकाश को घोर अंधकार में बदलेगा।
    यहोवा प्रकाश को अति गहन अंधकार से बदल देगा।
17 यहूदा के लोगों, यदि तुम यहोवा की अनसुनी करते हो
    तो मैं छिप जाऊँगा और रोऊँगा।
तुम्हारा घमण्ड मुझे रूलायेगा।
    मैं फूट—फूट कर रोऊँगा।
मेरा आँखें आँसुओं से भर जाएंगी।
    क्यों क्योंकि यहोवा की रेवड़ पकड़ी जाएगी।
18 ये बातें राजा और उसकी पत्नी से कहो,
    “अपने सिंहासनों से उतरो।
    तुम्हारे सुन्दर मुकुट तुम्हारे सिरों से गिर चुके हैं।”
19 नेगव मरुभूमि के नगरों में ताला पड़ चुका है,
    उन्हें कोई खोल नहीं सकता।
यहूदा के लोगों को देश निकाला दिया जा चुका है।
    उन सभी को बन्दी के रूप में ले जाया गया है।
20 यरूशलेम, ध्यान से देखो!
    शत्रुओं को उत्तर से आते देखो।
तुम्हारी रेवड़ कहाँ है परमेश्वर ने तुम्हें सुन्दर रेवड़ दी थी।
    तुमसे उस रेवड़ की देखभाल की आशा थी।
21 जब यहोवा उस रेवड़ का हिसाब तुमसे माँगेगा
    तो तुम उसे क्या उत्तर दोगे तुमसे आशा थी कि
तुम परमेश्वर के बारे में लोगों को शिक्षा दोगे।
    तुम्हारे नेताओं से लोगों का नेतृत्व करने की आशा थी।
लेकिन उन्होंने यह कार्य नहीं किये।
    अत: तुम्हें अत्यन्त दुःख व पीड़ा भुगतनी होगी।
22 तुम अपने से पूछ सकते हो,
    “यह बुरी विपत्ति मुझ पर क्यों आई”
ये विपत्तियाँ तुम्हारे अनेक पापों के कारण आई।
    तुम्हारे पापों के कारण तुम्हें निर्वस्त्र किया गया
    और जूते ले लिये गए।
उन्होंने यह तुम्हें लज्जित करने को किया।
23 एक काला आदमी अपनी चमड़ी का रंग बदल नहीं सकता।
    और कोई चीता अपने धब्बे नहीं बदल सकता।
ओ यरूशलेम, उसी तरह तुम भी बदल नहीं सकते,
    अच्छा काम नहीं कर सकते।
    तुम सदैव बुरा काम करते हो।

24 “मैं तुम्हें अपना घर छोड़ने को विवश करुँगा,
    जब तुम भागोगे तब हर दिशा में दौड़ोगे।
तुम उस भूसे की तरह होगे
    जिसे मरुभूमि की हवा उड़ा ले जाती है।
25 ये वे सब चीज़ें हैं जो तुम्हारे साथ होंगी,
    यह मेरी योजना का तुम्हारा हिस्सा है।”
    यह सन्देश यहोवा का है।
“यह क्यों होगा क्योंकि तुम मुझे भूल गए,
    तुमने असत्य देवताओं पर विश्वास किया।
26 यरूशलेम, मैं तुम्हारे वस्त्र उतारुँगा
    लोग तुम्हारी नग्नता देखेंगे
    और तुम लज्जा से गड़ जाओगे।
27 मैंने उन भयंकर कामों को देखा जो तुमने किये।
    मैंने तुम्हें हँसते और अपने प्रेमियों के साथ शारीरिक सम्बन्ध करते देखा।
मै जानता हूँ कि तुमने वेश्या की तरह दुष्कर्म किया है।
    मैंने तुम्हें पहाड़ियों और खेतों में देखा है।
यरूशलेम, यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा।
    मुझे बताओ कि तुम कब तक अपने गंदे पापों को करते रहोगे”

सूखा पड़ना और झूठे नबी

14 यह यिर्मयाह को सूखे के बारे में यहोवा का सन्देश है:

“यहूदा राष्ट्र उन लोगों के लिये रो रहा है जो मर गये हैं।
    यहूदा के नगर के लोग दुर्बल, और दुर्बल होते जा रहे हैं।
वे लोग भूमि पर लेट कर शोक मनाते हैं।
    यरूशलेम नगर से एक चीख परमेश्वर के पास पहुँच रही है।
लोगों के प्रमुख अपने सेवकों को पानी लाने के लिये भेजते हैं।
    सेवक कण्डों पर जाते हैं।
    किन्तु वे कछ भी पानी नहीं पैंते।
सेवक खाली बर्तन लेकर लौटते हैं। अत:
    वे लज्जित और परेशान हैं।
    वे अपने सिर को लज्जा से ढक लेते हैं।
कोई भी फसल के लिए भूमि तैयार नहीं करता।
    भूमि पर वर्षा नहीं होती, किसान हताश हैं।
अत: वे अपना सिर लज्जा से ढकते हैं।
यहाँ तक कि हिरनी भी अपने नये जन्मे बच्चे को
    खेत में अकेला छोड़ देती है।
वह वैसा करती है क्योंकि वहाँ घास नहीं है।
जंगली गधे नंगी पहाड़ी पर खड़े होते हैं।
    वे गीदड़ की तरह हवा सूंघते हैं।
किन्तु उनकी आँखों को कोई चरने की चीज़ नहीं दिखाई पड़ती।
    क्योंकि चरने योग्य वहाँ कोई पौधे नहीं हैं।

“हम जानते हैं कि यह सब कुछ हमारे अपराध के कारण है।
    हम अब अपने पापों के कारण कष्ट उठा रहे हैं।
हे यहोवा, अपने अच्छे नाम के लिये हमारी कुछ मदद कर।
    हम स्वीकार करते हैं कि हम लोगों ने तुझको कई बार छोड़ा है।
हम लोगों ने तेरे विरुद्ध पाप किये हैं।
परमेश्वर, तू इस्राएल की आशा है।
    विपत्ति के दिनों में तूने इस्राएल को बचाया।
किन्तु अब ऐसा लगता है कि तू इस देश में अजनबी है।
    ऐसा प्रतीत होता है कि तू वह यात्री है जो एक रात यहाँ ठहरा हो।
तू उस व्यक्ति के समान लगता है जिस पर अचानक हमला किया गया हो।
    तू उस सैनिक सा लगता है जिसके पास किसी को बचाने की शक्ति न हो।
किन्तु हे यहोवा, तू हमारे साथ है।
    हम तेरे नाम से पुकारे जाते हैं, अत: हमें असहाय न छोड़।”

10 यहूदा के लोगों के बारे में यहोवा जो कहता है, वह यह है: “यहूदा के लोग सचमुच मुझे छोड़ने में प्रसन्न हैं। वे लोग मुझे छोड़ना अब भी बन्द नहीं करते। अत: अब यहोवा उन्हें नहीं अपनायेगा। अब यहोवा उनके बुरे कामों को याद रखेगा जिन्हें वे करते हैं। यहोवा उन्हें उनके पापों के लिये दण्ड देगा।”

11 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, यहूदा के लोगों के लिये कुछ अच्छा हो, इसकी प्रार्थना न करो।” 12 यहूदा के लोग उपवास कर सकते हैं और मुझसे प्रार्थना कर सकते हैं। किन्तु मैं उनकी प्रार्थनायें नहीं सुनूँगा। यहाँ तक कि यदि ये लोग होमबलि और अन्न भेंट चढ़ायेंगे तो भी मैं उन लोगों को नहीं अपनाऊँगा। मैं यहूदा के लोगों को युद्ध में नष्ट करुँगा। मैं उनका भोजन छीन लूँगा और यहूदा के लोग भूखों मरेंगे और मैं उन्हें भयंकर बीमारियों से नष्ट करुँगा।

13 किन्तु मैंने यहोवा से कहा, “हमारे स्वामी यहोवा! नबी लोगों से कुछ और ही कह रहे थे। वे यहूदा के लोगों से कह रहे थे, ‘तुम लोग शत्रु की तलवार से दु:ख नहीं उठाओगे। तुम लोगों को कभी भूख से कष्ट नहीं होगा। यहोवा तुम्हें इस देश में शान्ति देगा।’”

14 तब यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, वे नबी मेरे नाम पर झूठा उपदेश दे रहे हैं। मैंने उन नबियों को नहीं भेजा मैंने उन्हें कोई आदेश या कोई बात नहीं की वे नबी असत्य कल्पनायें, व्यर्थ जादू और अपने झूठे दर्शन का उपदेश कर रहे हैं। 15 इसलिये उन नबियों के विषय में जो मेरे नाम पर उपदेश दे रहे हैं, मेरा कहना यह है। मैंने उन नबियों को नहीं भेजा। उन नबियों ने कहा, ‘कोई भी शत्रु तलवार से इस देश पर आक्रमण नहीं करेगा। इस देश में कभी भुखमरी नहीं होगी।’ वे नबी भूखों मरेंगे और शत्रु की तलवार के घाट उतारे जाएंगे 16 और जिन लोगों से वे नबी बातें करते हैं सड़कों पर फेंक दिये जाएंगे। वे लोग भूखों मरेंगे और शत्रु की तलवार के घाट उतारे जाएंगे। कोई व्यक्ति उनको या उनकी पत्नियों या उनके पुत्रों अथवा उनकी पुत्रियों को दफनाने को नहीं रहेगा। मैं उन्हें दण्ड दूँगा।

17 “यिर्मयाह, यह सन्देश यहूदा के लोगों को दो:
    ‘मेरी आँखें आँसुओं से भरी हैं।
मैं बिना रूके रात—दिन रोऊँगा।
मैं अपनी कुमारी पुत्री के लिये रोऊँगा।
    मैं अपने लोगों के लिए रोऊँगा।
क्यों क्योंकि किसी ने उन पर प्रहार किया
    और उन्हें कुचल डाला।
    वे बुरी तरह घायल किये गए हैं।
18 यदि मैं देश में जाता हूँ तो मैं उन लोगों को देखता हूँ
    जो तलवार के घाट उतारे गए हैं।
यदि मैं नगर में जाता हूँ,
    मैं बहुत सी बीमारियाँ देखता हूँ,
क्योंकि लोगों के पास भोजन नहीं है।
    याजक और नबी विदेश पहुँचा दिये गये हैं।’”

19 हे यहोवा, क्या तूने पूरी तरह यहूदा राष्ट्र को त्याग दिया है यहोवा,
    क्या तू सिय्योन से घृणा करता है
तूने इसे बुरी तरह से चोट की है
    कि हम फिर से अच्छे नहीं बनाए जा सकते।
तूने वैसा क्यों किया हम शान्ति की आशा रखते थे,
    किन्तु कुछ भी अच्छा नहीं हुआ।
हम लोग घाव भरने के समय की प्रतीक्षा कर रहे थे,
    किन्तु केवल त्रास आया।
20 हे यहोवा, हम जानते हैं कि हम बहुत बुरे लोग हैं,
    हम जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने बुरे काम किये।
हाँ, हमने तेरे विरुद्ध पाप किये।
21 हे यहोवा, अपने नाम की अच्छाई के लिये
    तू हमें धक्का देकर दूर न कर।
अपने सम्मानीय सिंहासन के गौरव को न हटा।
    हमारे साथ की गई वाचा को याद रख और इसे न तोड़।
22 विदेशी देवमूर्तियों में वर्षा लाने की शक्ति नहीं हैं,
    आकाश में पानी बरसाने की शक्ति नहीं है।
केवल तू ही हमारी आशा है, एकमात्र तू ही है
    जिसने यह सब कुछ बनाया है।

15 यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, यदि मूसा और शमूएल भी यहूदा के लोगों के लिये प्रार्थना करने वाले होते, तो भी मैं इन लोगों के लिये अफसोस नहीं करता। यहूदा के लोगों को मुझसे दूर भेजो। उनसे जाने को कहो। वे लोग तुमसे पूछ सकते हैं, ‘हम लोग कहाँ जाएंगे’ तुम उनसे यह कहो, यहोवा जो कहता है, वह यह है:

“मैंने कुछ लोगों को मरने के लिये निश्चित किया है।
    वे लोग मरेंगे।
मैंने कुछ लोगों को तलवार के घाट उतारना निश्चित किया है,
    वे लोग तलवार के घाट उतारे जाएंगे।
मैंने कुछ को भूख से मरने के लिये निश्चित किया है।
    वे लोग भूख से मरेंगे। मैंने कुछ लोगों का बन्दी होना
और विदेश ले जाया जाना निश्चित किया है।
    वे लोग उन विदेशों में बन्दी रहेंगे।
यहोवा कहता है कि मैं चार प्रकार की विनाशकारी शक्तियाँ उनके विरुद्ध भेजूँगा।
यह सन्देश यहोवा का है।
‘मैं शत्रु को तलवार के साथ मारने के लिए भेजूँगा।
मैं कुत्तों को उनका शव घसीट ले जाने को भेजूँगा।
    मैं हवा में उड़ते पक्षियों और जंगली जानवरों को
उनके शवों को खाने और नष्ट करने को भेजूँगा।
मैं यहूदा के लोगों को ऐसा दण्ड दूँगा
    कि धरती के लोग इसे देख कर काँप जायेंगे।
मैं यहूदा के लोगों के साथ यह,
    मनश्शे ने यरूशलेम में जो कुछ किया, उसके कारण करुँगा।
    मनश्शे, राजा हिलकिय्याह का पुत्र था।
    मनश्शे यहूदा राष्ट्र का एक राजा था।’

“यरूशलेम नगर, तुम्हारे लिये कोई अफसोस नहीं करेगा।
    कोई व्यक्ति तुम्हारे लिए न दु:खी होगा, न ही रोएगा।
    कौन तुम्हारा कुशल क्षेम पूछने तुम्हारे पास आयेगा!
    यरूशलेम, तुमने मुझे छोड़ा।”
यह सन्देश यहोवा का है।
“तुमने मुझे बार बार त्यागा।
    अत: मैं दण्ड दूँगा और तुझे नष्ट करुँगा
    मैं तुम पर दया करते हुए थक गया हूँ।
मैं अपने सूप से यहूदा के लोगों को फटक दूँगा।
    मैं देश के नगर द्वार पर उन्हें बिखेर दूँगा।
मेरे लोग बदले नहीं हैं।
    अत: मैं उन्हें नष्ट करूँगा।
मैं उनके बच्चों को ले लूँगा।
अनेक स्त्रियाँ अपने पतियों को खो देंगी।
    सागर के बालू से भी अधिक वहाँ विधवायें होंगी।
मैं एक विनाशक को दोपहरी में लाऊँगा।
    विनाशक यहूदा के युवकों की माताओं पर आक्रमण करेगा।
मैं यहूदा के लोगों को पीड़ा और भय दूँगा।
    मैं इसे अतिशीघ्रता से घटित कराऊँगा।
शत्रु तलवार से आक्रमण करेगा और लोगों को मारेगा।
    वे यहूदा के बचे लोगों को मार डालेंगे।
एक स्त्री के सात पुत्र हो सकते हैं, किन्तु वे सभी मरेंगे।
    वह रोती, और रोती रहेगी, जब तक वह दुर्बल नहीं हो जाती
और वह साँस लेने योग्य भी नहीं रहेगी।
    वह लज्जा और अनिश्चयता में होगी,
उसके उजले दिन दु:ख से काले होंगे।”

यिर्मयाह फिर परमेश्वर से शिकायत करता है

10 हाय माता, तूने मुझे जन्म क्यों दिया
    मैं (यिर्मयाह) वह व्यक्ति हूँ
जो पूरे देश को दोषी कहे और आलोचना करे।
    मैंने न कुछ उधार दिया है और न ही लिया है।
किन्तु हर एक व्यक्ति मुझे अभिशाप देता है।
11 यहोवा सच ही, मैंने तेरी ठीक सेवा की है।
    विपत्ति के समय में मैंने अपने शत्रुओं के बारे में तुझसे प्रार्थना की।

परमेश्वर यिर्मयाह को उत्तर देता है

12 “यिर्मयाह, तुम जानते हो कि कोई व्यक्ति लोहे के
    टुकड़े को चकनाचूर नहीं कर सकता।
मेरा तात्पर्य उस लोहे से है जो उत्तर का है
    और कोई व्यक्ति काँसे के टुकड़े को भी चकनाचूर नहीं कर सकता।
13 यहूदा के लोगों के पास सम्पत्ति और खजाने हैं।
    मैं उस सम्पत्ति को अन्य लोगों को दूँगा।
उन अन्य लोगों को वह सम्पत्ति खरीदनी नहीं पड़ेगी।
    मैं उन्हें वह सम्पत्ति दूँगा।
क्यों क्योंकि यहूदा ने बहुत पाप किये हैं।
    यहूदा ने देश के हर एक भाग में पाप किया है।
14 यहूदा के लोगों, मैं तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं का दास बनाऊँगा।
    तुम उस देश में दास होगे जिसे तुमने कभी जाना नहीं।
मैं बहुत क्रोधित हुआ हूँ। मेरा क्रोध तप्त अग्नि सा है
    और तुम जला दिये जाओगे।”

15 हे यहोवा, तू मुझे समझता है।
    मुझे याद रख और मेरी देखभाल कर।
लोग मुझे चोट पहुँचाते हैं।
    उन लोगों को वह दण्ड दे जिसके वह पात्र हैं।
तू उन लोगों के प्रति सहनशील है।
    किन्तु उनके प्रति सहनशील रहते समय मुझे नष्ट न कर दे।
मेरे बारे में सोच।
    यहोवा उस पीड़ा को सोच जो मैं तेरे लिये सहता हूँ।
16 तेरा सन्देश मुझे मिला और मैं उसे निगल गया।
    तेरे सन्देश ने मुझे बहुत प्रसन्न कर दिया।
मैं प्रसन्न था कि मुझे तेरे नाम से पुकारा जाता है।
    तेरा नाम यहोवा सर्वशक्तिमान है।
17 मैं कभी भीड़ में नहीं बैठा क्योंकि उन्होंने हँसी उड़ाई और मजा लिया।
    अपने ऊपर तेरे प्रभाव के कारण मैं अकेला बैठा।
तूने मेरे चारों ओर की बुराइयों पर मुझे क्रोध से भर दिया।
18 मैं नहीं समझ पाता कि मैं क्यों अब तक घायल हूँ
    मैं नहीं समझ पाता कि मेरा घाव अच्छा क्यों नहीं होता
और भरता क्यों नहीं हे यहोवा,
    मैं समझता हूँ कि तू बदल गया है।
तू सोते के उस पानी की तरह है जो सूख गया हो।
    तू उस सोते की तरह है जिसका पानी सूख गया हो।

19 तब यहोवा ने कहा, “यिर्मयाह, यदि तुम बदल जाते हो
    और मेरे पास आते हो, तो मैं तुम्हें दण्ड नहीं दूँगा।
यदि तुम बदल जाते हो और मेरे पास आते हो तो
    तुम मेरी सेवा कर सकते हो।
यदि तुम महत्वपूर्ण बात कहते हो
    और उन बेकार बातों को नहीं कहते, तो तुम मेरे लिये कह सकते हो।
यिर्मयाह, यहूदा के लोगों को बदलना चाहिये
    और तुम्हारे पास उन्हें आना चाहिये।
किन्तु तुम मत बदलो और उनकी तरह न बनो।
20 मैं तुम्हें शक्तिशाली बनाऊँगा।
    वे लोग सोचेंगे कि तुम काँसे की बनी दीवार
जैसे शक्तिशाली हो यहूदा के लोग तुम्हारे विरुद्ध लड़ेंगे,
    किन्तु वे तुम्हें हरायेंगे नहीं।
वे तुमको नहीं हरायेंगे।
    क्यों क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ।
मैं तुम्हारी सहायता करुँगा, तुम्हारा उद्धार करुँगा।”
    यह सन्देश यहोवा को है।
21 “मैं तुम्हारा उद्धार उन बुरे लोगों से करूँगा।
    वे लोग तुम्हें डराते हैं। किन्तु मैं तुम्हें उन लोगों से बचाऊँगा।”

विनाश का दिन

16 यहोवा का सन्देश मुझे मिला। “यिर्मयाह, तुम्हें विवाह नहीं करना चाहिये। तुम्हें इस स्थान पर पुत्र या पुत्री पैदा नहीं करना चाहिये।”

यहूदा देश में जन्म लेने वाले पुत्र—पुत्रियों के बारे में यहोवा यह कहता है, और उन बच्चों के माता—पिता के बारे में जो यहोवा कहता है, वह यह है: “वे लोग भयंकर मृत्यु के शिकार होंगे। उन लोगों के लिये कोई रोएगा नहीं। कोई भी व्यक्ति उन्हें दफनायेगा नहीं। उनके शव जमीन पर गोबर की तरह पड़े रहेंगे। वे लोग शत्रु की तलवार के घाट उतरेंगे या भूखों मरेंगे। उनके शव आकाश के पक्षियों और भूमि के जंगली जानवरों का भोजन बनेंगे।”

अत: यहोवा कहता है, “यिर्मयाह, उन घरों में न जाओ जहाँ लोग अन्तिम क्रिया की दावत खा रहे हैं। वहाँ मरे के लिये रोने या अपना शोक प्रकट करने न जाओ। ये सब काम न करो। क्यों क्योंकि मैंने अपना आशीर्वाद वापस ले लिया है। मैं यहूदा के इन लोगों पर दया नहीं करूँगा। मैं उनके लिये अफसोस नहीं करूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।

“यहूदा देश में महत्वपूर्ण लोग और साधारण लोग मरेंगे। कोई व्यक्ति उन लोगों को न दफनायेगा न ही उनके लिये रोएगा। इन लोगों के लिये शोक प्रकट करने को न तो कोई अपने को काटेगा और न ही अपने सिर के बाल साफ करायेगा। कोई व्यक्ति उन लोगों के लिये भोजन नहीं लाएगा जो मरे के लिए रो रहे होंगे। जिनके माता पिता मर गए होंगे उन लोगों को कोई व्यक्ति समझाये बुझायेगा नहीं। जो मरे के लिये रो रहे होंगे उन्हें शान्त करने के लिये कोई व्यक्ति दाखमधु नहीं पिलायेगा।”

“यिर्मयाह, उस घर में न जाओ जहाँ लोग दावत खा रहे हो। उस घर में न जाओ और उनके साथ बैठकर न खाओ न दाखमधु पीओ। इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिशाली यहोवा यह कहता है: ‘मजा उड़ाने वाले लोगों के शोर को शीघ्र ही मैं बन्द कर दूँगा। विवाह की दावत में लोगों के हँसी मजाक की किलकारियों को मैं बन्द कर दूँगा। यह तुम्हारे जीवनकाल में होगा। मैं ये काम शीघ्रता से करूँगा।’

10 “यिर्मयाह, तुम यहूदा के लोगों को ये बातें बताओगे और लोग तुमसे पूछेंगे, ‘यहोवा ने हम लोगों के लिये इतनी भयंकर बातें क्यों कही हैं हमने क्या गलत काम किया है हम लोगों ने यहोवा अपने परमेश्वर के विरुद्ध कौन सा पाप किया है?’ 11 तुम्हें उन लोगों से यह कहना चाहिये, ‘तुम लोगों के साथ भयंकर घटनायें घटेंगी क्योंकि तुम्हारे पूर्वजों ने मेरा अनुसरण करना छोड़ा और अन्य देवताओं का अनुसरण करना तथा सेवा करना आरम्भ किया। उन्होंने उन अन्य देवताओं की पूजा की। तुम्हारे पूर्वजों ने मुझे छोड़ा और मेरे नियमों का पालन करना त्यागा। 12 किन्तु तुम लोगों ने अपने पूर्वजों से भी अधिक बुरे पाप किये हैं। तुम लोग बहुत हठी हो और तुम केवल वही करते हो जिसे तुम करना चाहते हो। तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं कर रहे हो। 13 अत: मैं तुम्हें इस देश से बाहर निकाल फेंकूँगा। मैं तुम्हें विदेश में जाने को विवश करुँगा। तुम ऐसे देश में जाओगे जिसे तुमने और तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं जाना। उस देश में तुम उन सभी असत्य देवताओं की पूजा कर सकते हो जिन्हें तुम चाहते हो। मैं न तो तुम्हारी सहायता करूँगा और न ही तुम्हारे प्रति कोई सहानुभूति दिखाऊँगा।’ यह सन्देश यहोवा का है।

14 “लोग प्रतिज्ञा करते हैं और कहते हैं, ‘यहोवा निश्चय ही शाश्वत है। केवल वही है जो इस्राएल के लोगों को मिस्र देश से बाहर लाया’ किन्तु समय आ रहा है,” जब लोग ऐसा नहीं कहेंगे। “यह सन्देश यहोवा का है। 15 लोग कुछ नया कहेंगे। वे कहेंगे, ‘निश्चय ही यहोवा शाश्वत है। वह ही केवल ऐसा है जो इस्राएल के लोगों को उत्तरी देश से ले आया। वह उन्हें उन सभी देशों से लाया जिनमें उसने उन्हें भेजा था।’ लोग ये बातें क्यों कहेंगे क्योंकि मैं इस्राएल के लोगों को उस देश में वापस लाऊँगा जिसे मैंने उनके पूर्वजों को दिया था।

16 “मैं शीघ्र ही अनेकों मछुवारों को इस देश में आने के लिये बुलाऊँगा।” यह सन्देश यहोवा का है। “वे मछुवारे यहूदा के लोगों को पकड़ लेंगे। यह होने के बाद मैं बहुत से शिकारियों को इस देश में आने के लिये बुलाऊँगा। वे शिकारी यहूदा के लोगों का शिकार हर एक पहाड़, पहाड़ी और चट्टानों की दरारों में करेंगे। 17 मैं वह सब जो वे करते हैं, देखता हूँ। यहूदा के लोग उन कामों को मुझसे छिपा नहीं सकते जिन्हें वे करते हैं। उनके पाप मुझसे छिपे नहीं हैं। 18 मैं यहूदा के लोगों ने जो बुरे काम किये हैं, उसका बदला चुकाऊँगा। मैं हर एक पाप के लिये दो बार उनको दण्ड दूँगा। मैं यह करुँगा क्योंकि उन्होंने मेरे देश को ‘गन्दा’ बनाया है। उन्होंने मेरे देश को भयंकर मूर्तियों से गन्दा किया है। मैं उन देवमूर्तियों से घृणा करता हूँ। किन्तु उन्होंने मेरे देश को अपनी देवमूर्तियों से भर दिया है।”

19 हे यहोवा, तू मेरी शक्ति और गढ़ है।
    विपत्ति के समय भाग कर बचने की तू सुरक्षित शरण है।
सारे संसार से राष्ट्र तेरे पास आएंगे।
    वे कहेंगे, “हमारे पिता असत्य देवता रखते थे।
उन्होंने उन व्यर्थ देवमूर्तियों की पूजा की,
    किन्तु उन देवमूर्तियों ने उनकी कोई सहायता नहीं की।
20 क्या लोग अपने लिये सच्चे देवता बना सकते हैं नहीं,
    वे मूर्तियाँ बना सकते हैं, किन्तु वे मूर्तियाँ सचमुच देवता नहीं है।”

21 “अत: मैं उन लोगों को सबक सिखाऊँगा,
    जो देवमूर्तियों को देवता बनाते हैं।
अब मैं सीधे अपनी शक्ति और प्रभुता के बारे में शिक्षा दूँगा।
    तब वे समझेंगे कि मैं परमेश्वर हूँ। वे जानेंगे कि मेरा नाम यहोवा है।

हृदय पर लिखा अपराध

17 “यहूदा के लोगों का पाप वहाँ लिखा है जहाँ से उसे मिटाया नहीं जा सकता।
    वे पाप लोहे की कलम से पत्थरों पर लिखे गये थे।
उनके पाप हीरे की नोकवाली कलम से लिखे गए थे, और वह पत्थर उनका हृदय है।
    वे पाप उनकी वेदी के सींगों के बीच काटे गए थे।
उनके बच्चे असत्य देवताओं को अर्पित की गई वेदी को याद रखते हैं।
    वे अशेरा को अर्पित किये गए लकड़ी के खंभे को याद रखते हैं।
वे उन चीज़ों को हरे पेड़ों के नीचे
    और पहाड़ियों पर याद करते हैं।
वे उन चीजों को खुले स्थान के पहाड़ों पर याद करते हैं।
    यहूदा के लोगों के पास सम्पत्ति और खजाने हैं।
मैं उन चीज़ों को दूसरे लोगों को दूँगा।
    मैं तुम्हारे देश के सभी उच्च स्थानों को नष्ट करुँगा।
तुमने उन स्थानों पर पूजा करके पाप किया है।
तुम उस भूमि को खोओगे जिसे मैंने तुम्हें दी।
    मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हें उनके दास की तरह
उस भूमि में ले जाने दूँगा जिसके बारे में तुम नहीं जानते।
    क्यों क्योंकि मैं बहुत क्रोधित हूँ।
मेरा क्रोध तप्त अग्नि सा है,
    और तुम सदैव के लिये जल जाओगे।”

जनता में विश्वास एवं परमेश्वर में विश्वास

यहोवा यह सब कहता है,
“जो लोग केवल दूसरे लोगों में विश्वास करते हैं
    उनका बुरा होगा।
जो शक्ति के लिये केवल दूसरों के सहारे रहते हैं
    उनका बुरा होगा।
क्यों क्योंकि उन लोगों ने यहोवा पर विश्वास करना छोड़ दिया है।
वे लोग मरुभूमि की झाड़ी की तरह हैं।
    वह झाड़ी उस भूमि पर है जहाँ कोई नहीं रहता।
वह झाड़ी गर्म और सूखी भूमि में है।
    वह झाड़ी खराब मिट्टी में है।
वह झाड़ी उन अच्छी चीज़ों को नहीं जानती जिन्हें परमेश्वर दे सकता हैं।

“किन्तु जो व्यक्ति यहोवा में विश्वास करता है,
    आशीर्वाद पाएगा।
क्यों क्योंकि यहोवा उसको ऐसा दिखायेगा कि
    उन पर विश्वास किया जा सके।
वह व्यक्ति उस पेड़ की तरह शक्तिशाली होगा
    जो पानी के पास लगाया गया हो।
उस पेड़ की लम्बी जड़ें होती हैं जो पानी पाती हैं।
    वह पेड़ गर्मी के दिनों से नहीं डरता
इसकी पत्तियाँ सदा हरी रहती हैं।
    यह वर्ष के उन दिनों में परेशान नहीं होता जब वर्षा नहीं होती।
उस पेड़ में सदा फल आते हैं।

“व्यक्ति का दिमाग बड़ा कपटी होता है।
    दिमाग बहुत बीमार भी हो सकता है
और कोई भी व्यक्ति दिमाग को ठीक ठीक नहीं समझता।
10 किन्तु मैं यहोवा हूँ और मैं व्यक्ति के हृदय को जान सकता हूँ।
    मैं व्यक्ति के दिमाग की जाँच कर सकता हूँ।
अत: मैं निर्णय कर सकता हूँ कि हर एक व्यक्ति को क्या मिलना चाहिये
    मैं हर एक व्यक्ति को उसके लिये ठीक भुगतान कर सकता हूँ जो वह करता है।

11 “कभी कभी एक चिड़िया उस अंडे से बच्चा निकालती है
    जिसे उसने नहीं दिया।
वह व्यक्ति जो धन के लिये ठगता है,
    उस चिड़िया के समान है।
जब उस व्यक्ति की आधी आयु समाप्त होगी
    तो वह उस धन को खो देगा।
अपने जीवन के अन्त में यह स्पष्ट हो जाएगा कि
    वह एक मूर्ख व्यक्ति था।”

12 आरम्भ ही से हमारा मन्दिर परमेश्वर के लिये
    एक गौरवशाली सिंहासन था।
    यह एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है।
13 हे यहोवा, तू इस्राएल की आशा है।
    हे यहोवा, तू अमृत जल के सोते के समान है।
यदि कोई तेरा अनुसरण करना छोड़ेगा
    तो उसका जीवन बहुत घट जाएगा।

यिर्मयाह की तीसरी शिकायत

14 हे यहोवा, यदि तू मुझे स्वस्थ करता है,
    मैं सचमुच स्वस्थ हो जाऊँगा।
मेरी रक्षा कर, और मेरी सचमुच रक्षा हो जायेगी।
    हे यहोवा, मैं तेरी स्तुति करता हूँ!
15 यहूदा के लोग मुझसे प्रश्न करते रहते हैं।
    वे पूछते रहते हैं, “यिर्मयाह, यहोवा के यहाँ का सन्देश कहाँ है?
हम लोग देखें कि सन्देश सत्य प्रमाणित होता है”

16 हे यहोवा, मैं तुझसे दूर नहीं भागा,
    मैंने तेरा अनुसरण किया है।
तूने जैसा चाहा वैसा गडेरिया मैं बना।
    मैं नहीं चाहता कि भयंकर दिन आएं।
यहोवा तू जानता है जो कुछ मैंने कहा।
    जो हो रहा है, तू सब देखता है।
17 हे यहोवा, तू मुझे नष्ट न कर।
    मैं विपत्ति के दिनों में तेरा आश्रित हूँ।
18 लोग मुझे चोट पहुँचा रहे हैं।
    उन लोगों को लज्जित कर।
किन्तु मुझे निराश न कर।
    उन लोगों को भयभीत होने दो।
किन्तु मुझे भयभीत न कर।
    मेरे शत्रुओं पर भयंकर विनाश का दिन ला उन्हें तोड़ और उन्हें फिर तोड़।

सब्त दिवस को पवित्र रखना

19 यहोवा ने मुझसे ये बातें कहीं, “यिर्मयाह, जाओ और यरूशलेम के जन—द्वार पर खड़े हो जाओ, जहाँ से यहूदा के राजा अन्दर आते और बाहर जाते हैं। मेरे लोगों को मेरा सन्देश दो और तब यरूशलेम के अन्य सभी द्वारों पर जाओ और यही काम करो।”

20 उन लोगों से कहो: “यहोवा के सन्देश को सुनो। यहूदा के राजाओं, सुनो। यहूदा के तुम सभी लोगों, सुनो। इस द्वार से यरूशलेम में आने वाले सभी लोगों, मेरी बात सुनो। 21 यहोवा यह बात कहता है: इस बात में सावधान रहो कि सब्त के दिन सिर पर बोझ लेकर न चलो और सब्त के दिन यरूशलेम के द्वारों से बोझ न लाओ। 22 सब्त के दिन अपने घरों से बोझ बाहर न ले जाओ। उस दिन कोई काम न करो। मैंने यही आदेश तुम्हारे पूर्वजों को दिया था। 23 किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरे इस आदेश का पालन नहीं किया। उन्होंने मेरी ओर ध्यान नहीं दिया। तुम्हारे पूर्वज बहुत हठी थे। मैंने उन्हें दण्ड दिया किन्तु इसका कोई अच्छा फल नहीं निकला। उन्होंने मेरी एक न सुनी। 24 किन्तु तुम्हें मेरी आज्ञा का पालन करने में सावधान रहना चाहिये।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हें सब्त के दिन यरूशलेम के द्वारों से बोझ नहीं लाना चाहिये। तुम्हें सब्त के दिन को पवित्र दिन बनाना चाहिये। तुम, उस दिन कोई भी काम नहीं करोगे।

25 “‘यदि तुम इस आदेश का पालन करोगे तो राजा जो दाऊद के सिंहासन पर बैठेंगे, यरूशलेम के द्वारों से आएंगे। वे राजा अपने रथों और घोड़ों पर सवार होकर आएंगे। यहूदा और इस्राएल के लोगों के प्रमुख उन राजाओं के साथ होंगे। यरूशलेम नगर में सदैव रहने वाले लोग यहाँ होंगे। 26 यहूदा के नगरों से लोग यरूशलेम आएंगे। लोग यरूशलेम को उन छोटे गाँवों से आएंगे जो इसके चारों ओर हैं। लोग उस प्रदेश से आएंगे जहाँ बिन्यामीन का परिवार समूह रहता है। लोग पश्चिमी पहाड़ की तराइयों तथा पहाड़ी प्रदेशों से आएंगे और लोग नेगव से आएंगे। वे सभी लोग होमबलि, बलि, अन्नबलि, सुगन्धि और धन्यवाद भेंट लेकर आएंगे। वे उन भेंटों और बलियों को यहोवा के मन्दिर को लाएंगे।

27 “‘किन्तु यदि तुम मेरी बात नहीं सुनते और मेरे आदेश को नहीं मानते तो बुरी घटनायें होंगी। यदि तुम सब्त के दिन यरूशलेम के द्वार से बोझ ले जाते हो तब तुम उसे पवित्र दिन नहीं रखते। इस दशा में मैं ऐसे आग लगाऊँगा जो बुझाई नहीं जा सकती। वह आग यरूशलेम के द्वारों से आरम्भ होगी और महलों को भी जला देगी।’”

कुम्हार और मिट्टी

18 यह यहोवा का वह सन्देश है जो यिर्मयाह को मिला: “यिर्मयाह, कुम्हार के घर जाओ। मैं अपना सन्देश तुम्हें कुम्हार के घर पर दूँगा।”

अत: मैं कुम्हार के घर गया। मैंने कुम्हार को चाक पर मिट्टी से बर्तन बनाते देखा। वह एक बर्तन मिट्टी से बना रहा था। किन्तु बर्तन में कुछ दोष था। इसलिये कुम्हार ने उस मिट्टी का उपयोग फिर किया और उसने दूसरा बर्तन बनाया। उसने अपने हाथों का उपयोग बर्तन को वह रूप देने के लिये किया जो रूप वह देना चाहता था।

तब यहोवा से सन्देश मेरे पास आया, “इस्राएल के परिवार, तुम जानते हो कि मैं (परमेश्वर) वैसा ही तुम्हारे साथ कर सकता हूँ। तुम कुम्हार के हाथ की मिट्टी के समान हो और मैं कुम्हार की तरह हूँ।” “ऐसा समय आ सकता है, जब मैं एक राष्ट्र या राज्य के बारे में बाते करूँ। मैं यह कह सकता हूँ कि मैं उस राष्ट्र को उखाड़ फेंकूँगा या यह भी हो सकता है कि मैं यह कहूँ कि मैं उस राष्ट्र को उखाड़ गिराऊँगा और उस राष्ट्र या राज्य को नष्ट कर दूँगा। किन्तु उस राष्ट्र के लोग अपने हृदय और जीवन को बदल सकते हैं। उस राष्ट्र के लोग बुरे काम करना छोड़ सकते हैं। तब मैं अपने इरादे को बदल दूँगा। मैं उस राष्ट्र पर विपत्ति ढाने की अपनी योजना का अनुसरण करना छोड़ सकता हूँ। कभी ऐसा अन्य समय आ सकता है जब मैं किसी राष्ट्र के बारे में बातें करुँ। मैं यह कह सकता हूँ कि मैं उस राष्ट्र का निर्माण करुँगा और उसे स्थिर करुँगा। 10 किन्तु मैं यह देख सकता हूँ कि मेरी आज्ञा का पालन न करके वह राष्ट्र बुरा काम कर रहा है। तब मैं उस अच्छाई के बारे में फिर सोचूँगा जिसे देने की योजना मैंने उस राष्ट्र के लिये बना रखी है।

11 “अत: यिर्मयाह, यहूदा के लोगों और यरूशलेम में जो लोग रहते हैं उनसे कहो, ‘यहोवा जो कहता है वह यह है: अब मैं सीधे तुम लोगों के लिये विपत्ति का निर्माण कर रहा हूँ। मैं तुम लोगों के विरुद्ध योजना बना रहा हूँ। अत: उन बुरे कामों को करना बन्द करो जो तुम कर रहे हो। हर एक व्यक्ति को बदलना चाहिये और अच्छा काम करना आरम्भ करना चाहिये।’ 12 किन्तु यहूदा के लोग उत्तर देंगे, ‘एसी कोशिश करने से कुछ नहीं होगा। हम वही करते रहेंगे जो हम करना चाहते हैं। हम लोगों में हर एक वही करेगा जो हठी और बुरा हृदय करना चाहता है।’”

13 उन बातों को सुनो जो यहोवा कहता है,

“दूसरे राष्ट्र के लोगों से यह प्रश्न करो:
    ‘क्या तुमने कभी किसी की वे बुराई करते हुये सुना है जो इस्राएल ने किया है।’
अन्य के बारे में इस्राएल द्वारा की गई बुराई का करना सुना है
    इस्राएल परमेश्वर की दुल्हन के समान विशेष है।
14 तुम जानते हो कि चट्टानों कभी स्वत:
मैदान नहीं छोड़तीं।
    तुम जानते हो कि लबानोन के पहाड़ों के ऊपर की
    बर्फ कभी नहीं पिघलती।
तुम जानते हो कि शीतल बहने वाले झरने कभी नहीं सूखते।
15 किन्तु हमारे लोग हमें भूल चुके हैं,
    वे व्यर्थ देवमूर्तियों की बलि चढ़ाते हैं।
मेरे लोग जो कुछ करते हैं उनसे ठोकर खाकर गिरते हैं।
    वे अपने पूर्वजों की पुरानी राहों में ठोकर खाकर गिरते फिरते हैं।
मेरे लोगों को ऊबड़ खाबड़ सड़कों और तुच्छ
    राजमार्गों पर चलना शायद अधिक पसन्द है,
इसकी अपेक्षा कि वे मेरा अनुसरण अच्छी सड़क पर करें।
16 अत: यहूदा देश एक सूनी मरुभूमि बनेगा।
    इसके पास से गुजरते लोग हर बार सीटी बजाएंगे
और सिर हिलायेंगे।
इस बात से चकित होगें कि देश कैसे बरबाद किया गया।
17 मैं यहूदा के लोगों को उनके शत्रुओं के सामने बिखेरुँगा।
    प्रबल पूर्वी आँधी जैसे चीज़ों के चारों ओर उड़ती है वैसे ही मैं उनको बिखेरुँगा।
मैं उन लोगों को नष्ट करूँगा।
    उस समय वे मुझे अपनी सहायता के लिये आता नहीं देखेंगे।
    नहीं, वे मुझे अपने को छोड़ता देखेंगे।”

यिर्मयाह की चौथी शिकायत

18 तब यिर्मयाह के शत्रुओं ने कहा, “आओ, हम यिर्मयाह के विरुद्ध षडयन्त्र रचे। निश्चय ही, याजक द्वारा दी गई व्यवस्था की शिक्षा मिटेगी नहीं और बुद्धिमान लोगों की सलाह अब भी हम लोगों को मिलेगी। हम लोगों को नबियों के सन्देश भी मिलेंगे। अत: हम लोग उसके बारे में झूठ बोलें। उससे वह बरबाद होगा। वह जो कुछ कहता है, हम किसी पर ध्यान नहीं देंगे।”

19 हे यहोवा, मेरी सुन और मेरे विरोधियों की सुन,
    तब तय कर कि कौन ठीक है
20 मैंने यहूदा के लोगों के लिये अच्छा किया है।
    किन्तु अब वे उल्टे बदले में बुराई दे रहे हैं।
वे मुझे फँसा रहे हैं।
    वे मुझे धोखा देकर फँसाने और मार डालने का प्रयत्न कर रहे हैं।
21 अत: अब उनके बच्चों को अकाल में भूखों मरने दें।
    उनके शत्रुओं को उन्हें तलवार से हरा डालने दें।
उनकी पत्नियों को शिशु रहित होने दें।
    यहूदा के लोगों को मृत्यु के घाट उतारे जाने दें।
उनकी पत्नियों को विधवा होने दें।
    यहूदा के लोगों को मत्यु के घाट उतारे जाने दें।
युवकों को युद्ध में तलवार के घाट उतार दिये जाने दे।
22 उनके घरों में रूदन मचनें दे। उन्हें तब रोने दे
    जब तू अचानक उनके विरुद्ध शत्रु को लाए।
इसे होने दे क्योंकि हमारे शत्रुओं ने मुझे धोखा दे कर फँसाने की कोशिश की है।
    उन्होंने मेरे फँसने के लिये गुप्त जाल डाला है।
23 हे यहोवा, मुझे मार डालने की उनकी योजना को तू जानता है।
    उनके अपराधों को तू क्षमा न कर।
उनके पापों को मत धों। मेरे शत्रुओं को नष्ट कर।
    क्रोधित रहते समय ही उन लोगों को दण्ड दे।

टूटी सुराही

19 यहोवा ने मुझसे कहा: “यिर्मयाह, जाओ और किसी कुम्हार से एक मिट्टी का सुराही खरीदो। ठीकरा—द्वार के सामने के पास बेन हिन्नोम घाटी को जाओ। अपने साथ लोगों के अग्रजों (प्रमुखों) और कुछ याजकों को लो। उस स्थान पर उनसे वह कहो जो मैं तुमसे कहता हूँ। अपने साथ के लोगों से कहो, ‘यहूदा के राजाओं और इस्राएल के लोगों, यहोवा के यहाँ से यह सन्देश सुनो। इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा जो कहता है, वह यह है: मैं इस स्थान पर शीघ्र ही एक भयंकर घटना घटित कराऊँगा। हर एक व्यक्ति जो इसे सुनेगा, चकित और भयभीत होगा। मैं ये काम करुँगा क्योंकि यहूदा के लोगों ने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया है। उन्होंने इसे विदेशी देवताओं का स्थान बना दिया है। यहूदा के लोगों ने इस स्थान पर अन्य देवताओं के लिये बलियाँ जलाई हैं। बहुत पहले लोग उन देवताओं को नहीं पूजते थे। उनके पूर्वज उन देवताओं को नहीं पूजते थे। ये अन्य देशों के नये देवता हैं। यहूदा के राजाओं ने भोले बच्चों के खून से इस स्थान को रंगा है। यहूदा के राजाओं ने बाल देवता के लिये उच्च स्थान बनाए हैं। उन्होंने उन स्थानों का उपयोग अपने पुत्रों को आग में जलाने के लिये किया। उन्होंने अपने पुत्रों को बाल के लिये होमबलि के रूप में जलाया। मैंने उन्हें यह करने को नहीं कहा। मैंने तुमसे यह नहीं माँगा कि तुम अपने पुत्रों को बलि के रूप में भेंट करो। मैंने कभी इस सम्बन्ध में सोचा भी नहीं। अब लोग उस स्थान का हिन्नोम की घाटी तोपेत कहते हैं। किन्तु मैं तुम्हें यह चेतावनी देता हूँ, वे दिन आ रहे हैं। यह सन्देश यहोवा का है: जब लोग इस स्थान को वध की घाटी कहेंगे। इस स्थान पर मैं यहूदा और यरूशलेम के लोगों की योजनाओं को नष्ट करूँगा। शत्रु इन लोगों का पीछा करेगा और मैं इस स्थान पर यहूदा के लोगों को तलवार के घाट उतर जाने दूँगा और मैं उनके शवों को पक्षियों और जंगली जानवरों का भोजन बनाऊँगा। मैं इस नगर को पूरी तरह नष्ट करुँगा। जब लोग यरूशलेम से गुजरेंगे तो सीटी बजाएंगे और सिर हिलायेंगे। उन्हें विस्मय होगा जब वे देखेंगे कि नगर किस प्रकार ध्वस्त किया गया है। शत्रु अपनी सेना को नगर के चारों ओर लाएगा। वह सेना लोगों को भोजन लेने बाहर नहीं आने देगी। अत: नगर में लोग भूखों मरने लगेंगे। वे इतने भूखे हो जाएंगे कि अपने पुत्र और पुत्रियों के शरीर को खाने लगेंगे और तब वे एक दूसरे को खाने लगेंगे।’

10 “यिर्मयाह, तुम ये बातें लोगों से कहोगे और जब वे देख रहे हों तभी तुम उस सुराही को तोड़ना। 11 उस समय, तुम यह कहना, सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, ‘यहुदा राष्ट्र और यरूशलेम नगर को वैसे ही तोड़ूँगा जैसे कोई मिट्टी का सुराही तोड़ता है। यह सुराही फिर जोड़कर बनाया नहीं जा सकता। यहूदा राष्ट्र के लिये भी यही सब होगा। मरे लोग इस तोपेत में तब तक दफनाए जाएंगे जब तक यहाँ जगह नहीं रह जाएगी। 12 मैं यह इन लोगों और इस स्थान के साथ ऐसा करूँगा। मैं इस नगर को तोपेत की तरह कर दूँगा।’ ह सन्देश यहोवा का है। 13 ‘यरूशलेम के घर तथा राजा के महल इतने गन्दे होंगे जितना यह स्थान तोपेत है। राजा के महल इस स्थान तोपेत की तरह बरबाद होंगे। क्यों क्योंकि लोगों ने उन घरों की छत पर असत्य देवताओं की पूजा की। उन्होंने ग्रह—नक्षत्रों की पूजा की और उनके सम्मान में बलि जलाई। उन्होंने असत्य देवताओं को पेय भेंट दी।’”

14 तब यिर्मयाह ने तोपेत को छोड़ा जहाँ यहोवा ने उपदेश देने को कहा था। यिर्मयाह यहोवा के मन्दिर को गया और उसके आँगन में खड़ा हुआ। यिर्मयाह ने सभी लोगों से कहा, 15 “इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: ‘मैंने कहा है कि मैं यरूशलेम और उसके चारों ओर के गाँवों पर अनेक विपत्तियाँ ढाऊँगा। मैं इन्हें शीघ्र घटित कराऊँगा। क्यों क्योंकि लोग बहुत हठी हैं वे मेरी सुनने और मेरी आज्ञा का पालन करने से इन्कार करते हैं।’”

यिर्मयाह और पशहूर

20 पशहूर नामक एक व्यक्ति याजक था। वह यहोवा के मन्दिर में उच्चतम अधिकारी था। पशहूर इम्मेर नामक व्यक्ति का पुत्र था। पशहूर ने यिर्मयाह को मन्दिर के आँगन में उन बातों का उपदेश करते सुना। इसलिये उसने यिर्मयाह नबी को पिटवा दिया और उसने यिर्मयाह के हाथ और पैरों को विशाल काष्ठ के लट्ठों के बीच बन्द कर दिया। यह मन्दिर के ऊपरी बिन्यामीन द्वार पर था। अगले दिन पशहूर ने यिर्मयाह को काष्ठ के लट्ठों के बीच से निकाला। तब यिर्मयाह ने पशहूर से कहा, “यहोवा का दिया तुम्हारा नाम पशहूर नहीं है। अब यहोवा की ओर से तुम्हारा नाम सर्वत्र आतंक है। यही तुम्हारा नाम है, क्योंकि यहोवा कहता है, ‘मैं शीघ्र ही तुमको अपने आपके लिये आतंक बनाऊँगा। मैं शीघ्र ही तुम्हें तुम्हारे सभी मित्रों के लिये आतंक बनाऊँगा। तुम शत्रुओं द्वारा अपने मित्रों को तलवार के घाट उतारते देखोगे। मैं यहूदा के सभी लोगों को बाबुल के राजा को दे दूँगा। वह यहूदा के लोगों को बाबुल देश को ले जाएगा और उसकी सेना यहूदा के लोगों को अपनी तलवार के घाट उतारेगी। यहूदा के लोगों ने चीज़ों को बनाने में कठिन परिश्रम किया और धनी हो गए। किन्तु मैं वे सारी चीज़ें उनके शत्रुओं को दे दूँगा। यरूशलेम के राजा के पास बहुत से धन भण्डार हैं। किन्तु मैं उन सभी धन भण्डारों को शत्रु को दें दूँगा। शत्रु उन चीज़ों को लेगा और उन्हें बाबुल देश को ले जाएगा। और पशहूर तुम और तुम्हारे घर में रहने वाले सभी लोग यहाँ से ले जाए जाओगे। तुमको जाने को और बाबुल देश में रहने को विवश किया जायेगा। तुम बाबुल में मरोगे और तुम उस विदेश में दफनाए जाओगे। तुमने अपने मित्रों को झूठा उपदेश दिया। तुमने कहा कि ये घटनायें नहीं घटेंगीं। किन्तु तुम्हारे सभी मित्र भी मरेंगे और बाबुल में दफनाए जायेंगे।’”

यिर्मयाह की पाँचवीं शिकायत

हे यहोवा, तूने मुझे धोखा दिया
    और मैं निश्चय ही मूर्ख बनाया गया।
तू मुझसे अधिक शक्तिशाली है अत: तू विजयी हुआ।
    मैं मजाक बन कर रह गया हूँ।
लोग मुझ पर हँसते हैं
    और सारा दिन मेरा मजाक उड़ाते हैं।
जब भी मैं बोलता हूँ, चीख पड़ता हूँ।
    मैं लगातार हिंसा और तबाही के बारे में चिल्ला रहा हूँ।
मैं लोगों को उस सन्देश के बारे में बताता हूँ
    जिसे मैंने यहोवा से प्राप्त किया।
किन्तु लोग केवल मेरा अपमान करते हैं
    और मेरा मजाक उड़ाते हैं।
कभी—कभी मैं अपने से कहता हूँ:
    “मैं यहोवा के बारे में भूल जाऊँगा।
मैं अब आगे यहोवा के नाम पर नहीं बोलूँगा।”
    किन्तु यदि मैं ऐसा कहता हूँ तो यहोवा का सन्देश
मेरे भीतर भड़कती ज्वाला सी हो जाती है।
    मुझे ऐसा लगता है कि यह अन्दर तक मेरी हड्डियों को जला रही है।
मैं अपने भीतर यहोवा के सन्देश को रोकने के प्रयत्न में थक जाता हूँ
    और अन्तत: मैं इसे अपने भीतर रोकने में समर्थ नहीं हो पाता।
10 मैं अनेक लोगों को दबी जुबान अपने विरुद्ध बातें करता सुनता हूँ।
    सर्वत्र मैं वह सब सुनता हूँ जो मुझे भयभीत करते हैं।
यहाँ तक कि मेरे मित्र भी मेरे विरुद्ध बातें करते हैं।
    चलो हम अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करें।
लोग केवल इस प्रतीक्षा में हैं कि मैं कोई गलती करूँ।
    वे कह रहे हैं, “आओ हम झूठ बोलें
और कहें कि उसने कुछ बुरे काम किए हैं।
    सम्भव है हम यिर्मयाह को धोखा दे सकें।
तब वह हमारे साथ होगा। अन्तत: हम उससे छुटकारा पायेंगे।
    तब हम उसे दबोच लेंगे और उससे अपना बदला ले लेंगे।”
11 किन्तु यहोवा मेरे साथ है।
    यहोवा एक दृढ़ सैनिक सा है।
अत: जो लोग मेरा पीछा करते हैं, मुँह की खायेंगे।
    वे लोग मुझे पराजित नहीं कर सकेंगे।
वे लोग असफल होंगे। वे निराश होंगे।
    वे लोग लज्जित होंगे और लोग उस लज्जा को कभी नहीं भूलेंगे।
12 सर्वशक्तिमान यहोवा तू अच्छे लोगों की परीक्षा लेता है।
    तू व्यक्ति के दिल और दिमाग को गहराई से देखता है।
मैंने उन व्यक्तियों के विरुद्ध तूझे अनेकों तर्क दिये हैं।
    अत: मुझे यह देखना है कि तू उन्हें वह दण्ड देता है
    कि नहीं जिनके वे पात्र हैं।
13 यहोवा के लिये गाओ!
    यहोवा की स्तुति करो!
यहोवा दीनों के जीवन की रक्षा करता है!
    वह उन्हें दुष्ट लोगों की शक्ति से बचाता है!

यिर्मयाह की छठी शिकायत

14 उस दिन को धिक्कार है जिस दिन मेरा जन्म हुआ।
    उस दिन को बधाई न दो जिस दिन मैं माँ की कोख में आया।
15 उस व्यक्ति को अभिशाप दो जिसने मेरे पिता को यह सूचना दी कि मेरा जन्म हुआ है।
    उसने कहा था, “तुम्हारा लड़का हुआ है, वह एक लड़का है।”
    उसने मेरे पिता को बहुत प्रसन्न किया था जब उसने उनसे यह कहा था।
16 उस व्यक्ति को वैसा ही होने दो जैसे वे नगर जिन्हें यहोवा ने नष्ट किया।
    यहोवा ने उन नगरों पर कुछ भी दया नहीं की।
उस व्यक्ति को सवेरे युद्ध का उद्घोष सुनने दो,
    और दोपहर को युद्ध की चीख सुनने दो।
17 तूने मुझे माँ के पेट में ही, क्यों न मार डाला
    तब मेरी माँ की कोख कब्र बन जाती,
    और मैं कभी जन्म नहीं ले सका होता।
18 मुझे माँ के पेट से बाहर क्यों आना पड़ा
    जो कुछ मैंने पाया है वह परेशानी और दु:ख है
    और मेरे जीवन का अन्त लज्जाजनक होगा।

राजा सिदकिय्याह के निवेदन को परमेश्वर अस्वीकार करता है

21 यह यहोवा का वह सन्देश है जो यिर्मयाह को मिला। यह सन्देश तब आया जब यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने पशहूर नामक एक व्यक्ति तथा सपन्याह नामक एक याजक को यिर्मयाह के पास भेजा। पशहूर मल्किय्याह नामक व्यक्ति का पुत्र था। सपन्याह मासेयाह नामक व्यक्ति का पुत्र था। पशहूर और सपन्याह यिर्मयाह के लिये एक सन्देश लेकर आए। पशहूर और सपन्याह ने यिर्मयाह से कहा, “यहोवा से हम लोगों के लिए प्रार्थना करो। यहोवा से पूछो कि क्या होगा हम जानना चाहते हैं क्योंकि बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर हम लोगों पर आक्रमण कर रहा है। सम्भव है यहोवा हम लोगों के लिये वैसे ही महान कार्य करे जैसा उसने बीते समय में किया। सम्भव है कि यहोवा नबूकदनेस्सर को आक्रमण करने से रोक दे या उसे चले जाने दे।”

तब यिर्मयाह ने पशहूर और सपन्याह को उत्तर दिया। उसने कहा, “राजा सिदकिय्याह से कहो, ‘इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जो कहता है, यह वह है: तुम्हारे हाथों में युद्ध के अस्त्र शस्त्र हैं। तुम उन अस्त्र शस्त्रों का उपयोग अपनी सुरक्षा के लिये बाबुल के राजा और कसदियों के विरुद्ध कर रहे हो। किन्तु मैं उन अस्त्रों को व्यर्थ कर दूँगा।

“‘बाबुल की सेना नगर के चारों ओर दीवार के बाहर है। वह सेना नगर के चारों ओर है। शीघ्र ही मैं उस सेना को यरूशलेम में ले आऊँगा। मैं स्वयं यहूदा तुम लोगों के विरुद्ध लड़ूँगा। मैं अपने शक्तिशाली हाथों से तुम्हारे विरुद्ध लड़ूँगा। मैं तुम पर बहुत अधिक क्रोधित हूँ, अत: मैं अपनी शक्तिशाली भुजाओं से तुम्हारे विरुद्ध लड़ूँगा। मैं तुम्हारे विरुद्ध घोर युद्ध करुँगा और दिखाऊँगा कि मैं कितना क्रोधित हूँ। मैं यरूशलेम में रहने वाले लोगों को मार डालूँगा। मैं लोगों और जानवरों को मार डालूँगा। वे उस भयंकर बीमारी से मरेंगे जो पूरे नगर में फैल जाएगी। जब यह हो जायेगा तब उसके बाद,’” यह सन्देश यहोवा का है, “‘मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को दूँगा। मैं सिदकिय्याह के अधिकारियों को भी नबूकदनेस्सर को दूँगा। यरूशलेम के कुछ लोग भयंकर बीमारी से नहीं मरेंगे। कुछ लोग तलवार के घाट नहीं उतारे जाएंगे। उनमें से कुछ भूखों नहीं मरेंगे किन्तु मैं उन लोगों को नबूकदनेस्सर को दूँगा। मैं यहूदा के शत्रु को विजयी बनाऊँगा। नबूकदनेस्सर की सेना यहूदा के लोगों को मार डालना चाहती है। इसलिये यहूदा और यरूशलेम के लोग तलवार के घाट उतार दिए जाएंगे। नबूकदनेस्सर कोई दया नहीं दिखायेगा। वह उन लोगों के लिए अफसोस नहीं करेगा।’

“यरूशलेम के लोगों से ये बातें भी कहो। यहोवा ये बातें कहता है, ‘समझ लो कि मैं तुम्हें जीने और मरने में से एक को चुनने दूँगा। कोई भी व्यक्ति जो यरूशलेम में ठहरेगा, मरेगा। वह व्यक्ति तलवार, भूख या भयंकर बीमारी से मरेगा किन्तु जो व्यक्ति यरूशलेम के बाहर जायेगा और बाबुल की सेना को आत्म समर्पण करेगा, जीवित रहेगा। उस सेना ने नगर को घेर लिया है। अत: कोई व्यक्ति नगर में भोजन नहीं ला सकता। किन्तु जो कोई नगर को छोड़ देगा, वह अपने जीवन को बचा लेगा। 10 मैंने यरूशलेम नगर पर विपत्ति ढाने का निश्चय कर लिया है। मैं नगर की सहायता नहीं करुँगा। यह सन्देश यहोवा का है। मैं यरूशलेम के नगर को बाबुल के राजा को दूँगा। वह इसे आग से जलायेगा।’”

11 “यहूदा के राज परिवार से यह कहो, ‘यहोवा के सन्देश को सुनो। 12 दाऊद के परिवार यहोवा यह कहता है:

“‘तुम्हें प्रतिदिन लोगों का निष्पक्ष न्याय करना चाहिए।
    अपराधियों से उनके शिकारों की रक्षा करो।
यदि तुम ऐसा नहीं करते तो मैं बहुत क्रोधित होऊँगा।
    मेरा क्रोध ऐसे आग की तरह होगा जिसे कोई व्यक्ति बुझा नहीं सकता।
    यह घटित होगा क्योंकि तुमने बुरे काम किये हैं।’

13 “यरूशलेम, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।
    तुम पर्वत की चोटी पर बैठी हो।
    तुम इस घाटी के ऊपर एक रानी की तरह बैठी हो।
यरूशलेम के लोगों, तुम कहते हो,
    ‘कोई भी हम पर आक्रमण नहीं कर सकता।
    कोई भी हमारे दृढ़ नगर में घुस नहीं सकता।’”
किन्तु यहोवा के यहाँ से उस सन्देश को सुनो:

14 “तुम वह दण्ड पाओगे जिसके पात्र तुम हो।
    मैं तुम्हारे वनों में आग लगाऊँगा।
    वह आग तुम्हारे चारों ओर की हर एक चीज़ जला देगी।”

बुरे राजाओं के विरुद्ध न्याय

22 यहोवा ने कहा, “यिर्मयाह राजा के महल को जाओ। यहूदा के राजा के पास जाओ और वहाँ उसे इस सन्देश का उपदेश दो। ‘यहूदा के राजा, यहोवा के यहाँ से सन्देश सुनो। तुम दाऊद के सिंहासन से शासन करते हो, अत: सुनो। राजा, तुम्हें और तुम्हारे अधिकारियों को यह अच्छी तरह सुनना चाहिये। यरूशलेम के द्वारों से आने वाले सभी लोगों को यहोवा का सन्देश को सुनना चाहिये। यहोवा कहता है: वे काम करो जो अच्छे और न्यायपूर्ण हों। उस व्यक्ति की रक्षा जिसकी चोरी की गई हो उस व्यक्ति से करो जिसने चोरी की है। विदेशी अनाथ बच्चों और विधवाओं को मत मारो। यदि तुम इन आदेशों का पालन करते हो तो जो घटित होगा वह यह है: जो राजा दाऊद के सिंहासन पर बैठेंगे, वे यरूशलेम नगर में नगर द्वारों से आते रहेंगे। वे राजा नगर द्वारों से अपने अधिकारियों सहित आएंगे। वे राजा, उनके उत्तराधिकारी और उनके लोग रथों और घोड़ों पर चढ़कर आएंगे। किन्तु यदि तुम इन आदेशों का पालन नहीं करोगे तो यहोवा यह कहता है: मैं अर्थात् यहोवा प्रतिज्ञा करता हूँ कि राजा का महल ध्वस्त कर दिया जायेगा यह चट्टानों का एक ढेर रह जायेगा।’”

यहोवा उन महलों के बारे में यह कहता है जिनमें यहूदा के राजा रहते हैं:

“गिलाद वन की तरह यह महल ऊँचा है।
    यह लबानोन पर्वत के समान ऊँचा है।
किन्तु मैं इसे सचमुच मरुभूमि सा बनाऊँगा।
    यह महल उस नगर की तरह सूना होगा जिसमें कोई व्यक्ति न रहता हो।
मैं लोगों को महल को नष्ट करने भेजूँगा।
    हर एक व्यक्ति के पास वे औजार होंगे जिनसे वह इस महल को नष्ट करेगा।
वे लोग तुम्हारी देवदार की मजबूत और सुन्दर कड़ियों को काट डालेंगे।
    वे लोग उन कड़ियों को आग में फेंक देंगे।”

“अनेक राष्ट्रों से लोग इस नगर से गुजरेंगे। वे एक दूसरे से पूछेंगे, ‘यहोवा ने यरूशलेम के साथ ऐसा भयंकर काम क्यों किया यरूशलेम कितना महान नगर था।’ उस प्रश्न का उत्तर यह होगा, ‘परमेश्वर ने यरूशलेम को नष्ट किया, क्योंकि यहूदा के लोगों ने यहोवा अपने परमेश्वर के साथ की गई वाचा को मानना छोड़ दिया। उन लोगों ने अन्य देवताओं की पूजा और सेवाएँ की।’”

राजा यहोशाहाज (शल्लूम) के विरुद्ध न्याय

10 उस राजा के लिये मत रोओ जो मर गया।
    उसके लिये मत रोओ।
किन्तु उस राजा के लिये फूट—फूट कर रोओ
    जो यहाँ से जा रहा है।
उसके लिये रोओ, क्योंकि वह फिर कभी वापस नहीं आएगा।
    शल्लूम (यहोशाहाज) अपनी जन्मभूमि को फिर कभी नहीं देखेगा।

11 यहोवा योशिय्याह के पुत्र शल्लूम (यहोशाहाज) के बारे में जो कहता है, वह यह है (शल्लूम अपने पिता योशिय्याह की मृत्यु के बाद यहूदा का राजा हुआ।) “शल्लूम (यहोशाहाज) यरूशलेम से दूर चला गया। वह फिर यरूशलेम को वापस नहीं लौटेगा। 12 शल्लूम (यहोशाहाज) वहीं मरेगा जहाँ उसे मिस्री ले जाएँगे। वह इस भूमि को फिर नहीं देखेगा।”

राजा यहोयाकीम के विरुद्ध न्याय

13 राजा यहोयाकीम के लिये यह बहुत बुरा होगा।
    वह बुरे कर्म कर रहा है अत: वह अपना महल बना लेगा।
वह लोगों को ठग रहा है, अत: वह ऊपर कमरे बना सकता है।
    वह अपने लोगों से बेगार ले रहा है।
    वह उनके काम की मजदूरी नहीं दे रहा है।

14 यहोयाकीम कहता है, “मैं अपने लिये एक विशाल महल बनाऊँगा।
    मैं दूसरी मंजिल पर विशाल कमरे बनाऊँगा।”
अत: वह विशाल खिड़कियों वाला महल बना रहा है।
    वह देवदार के फलकों को दीवारों पर मढ़ रहा है और इन पर लाल रंग चढ़ा रहा है।

15 “यहोयाकीम, अपने घर में देवदार की अधिक लकड़ी का उपयोग तुम्हें महान सम्राट नहीं बनाता।
    तुम्हारा पिता योशिय्याह भोजन पान पाकर ही सन्तुष्ट था।
उसने वह किया जो ठीक और न्यायपूर्ण था।
    योशिय्याह ने वह किया,
    अत: उसके लिये सब कुछ अच्छा हुआ।
16 योशिय्याह ने दीन—हीन लोगों को सहायता दी।
    योशिय्याह ने वह किया, अत: उसके लिये सब कुछ अच्छा हुआ।
यहोयाकीम ‘परमेश्वर को जानने’ का अर्थ क्या होता है मुझको जानने का अर्थ,
    ठीक रहना और न्यायपूर्ण होना है।”
यह सन्देश यहोवा का है।

17 “यहोयाकीम, तुम्हारी आँखें केवल तुम्हारे अपने लाभ को देखती हैं,
    तुम सदैव अपने लिये अधिक से अधिक पाने की सोचते हो।
तुम निरपराध लोगों को मारने के लिये इच्छुक रहते हो।
    तुम अन्य लोगों की चीज़ों की चोरी करने के इच्छुक रहते हो।”
18 अत: योशिय्याह के पुत्र यहोयाकीम से यहोवा जो कहता है, वह यह है:
    “यहूदा के लोग यहोयाकीम के लिये रोएंगे नहीं।
वे आपस में यह नहीं कहेंगे,
    ‘हे मेरे भाई, मैं यहोयाकीम के बारे में इतना दु:खी हूँ।
    हे मेरी बहन, मैं यहोयाकीम के लिए रोएंगे नहीं।’
वे उसके बारे में नहीं कहेंगे,
    ‘हे स्वामी, हम इतने दु:खी हैं।
    हे राजा, हम इतने दु:खी हैं।’
19 यरूशलेम के लोग यहोयाकीम को एक मरे गधे की तरह दफनायेंगे।
    वे उसके शव को केवल दूर घसीट ले जाएंगे और वे उसके शव को यरूशलेम के द्वार के बाहर फेंक देंगे।

20 “यहूदा, लबानोन के पर्वतों पर जाओ और चिल्लाओ।
    बाशान के पर्वतों में अपना रोना सुनाई पड़ने दो।
अबारीम के पर्वतों में जाकर चिल्लाओ।
    क्यों क्योंकि तुम्हारे सभी “प्रेमी” नष्ट कर दिये जाएंगे।

21 “हे यहूदा, तुमने अपने को सुरक्षित समझा,
    किन्तु मैंने तुम्हें चेतावनी दी।
मैंने तुम्हें चेतावनी दी,
    परन्तु तुमने सुनने से इन्कार किया
तुमने यह तब से किया जब तुम युवती थी
और यहूदा जब से तुम युवती थी,
    तुमने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।
22 हे यहूदा, मेरा दण्ड आँधी की तरह आएगा
    और यह तुम्हारे सभी गडेरियों (प्रमुखों) को उड़ा ले जाएगा।
तुमने सोचा था कि अन्य कुछ राष्ट्र तुम्हारी सहायता करेंगे।
    किन्तु वे राष्ट्र भी पराजित होंगे।
तब तुम सचमुच निराश होओगी।
    तुमने जो सब बुरे काम किये, उनके लिये लज्जित होओगी।

23 “हे राजा, तुम देवदार से बने अपने महल में ऊँचे पर्वत पर रहते हो।
    तुम उसी तरह रह रहे हो, जैसा कि पहले लबानोन में रहे हो, जहाँ से यह लकड़ी लाई गई हैं।
तुम समझते हो कि उँचे पर्वत पर अपने विशाल महल में तुम सुरक्षित हो।
    किन्तु तुम सचमुच तब कराह उठोगे जब तुम्हें तुम्हारा दण्ड मिलेगा।
तुम प्रसव करती स्त्री की तरह पीड़ित होगे।”

राजा कोन्याह के विरुद्ध न्याय

24 यह सन्देश यहोवा का है, “मैं निश्चय ही शाश्वत हूँ अत: यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा कोन्याह मैं तुम्हारे साथ ऐसा करुँगा। चाहे तुम मेरे दायें हाथ की राजमुद्रा ही क्यों न हो, मैं तुम्हें तब भी बाहर फेकूँगा। 25 कोन्याह मैं तुम्हें बाबुल और कसदियों के राजा नबूकदनेस्सर को दूँगा। वे ही लोग ऐसे हैं जिनसे तुम डरते हो। वे लोग तुम्हें मार डालना चाहते हैं। 26 मैं तुम्हें और तुम्हारी माँ को ऐसे देश में फेकूँगा कि जहाँ तुम दोनों में से कोई भी पैदा नहीं हुआ था। तुम और तुम्हारी माँ दोनों उसी देश में मरेंगे। 27 कोन्याह तुम अपने देश में लौटना चाहोगे, किन्तु तुम्हें कभी भी लौटने नहीं दिया जाएगा।”

28 कोन्याह उस टूटे बर्तन की तरह है जिसे किसी ने फेंक दिया हो।
    वह ऐसे बर्तन की तरह है जिसे कोई व्यक्ति नहीं चाहता।
कोन्याह और उसकी सन्तानें क्यों बाहर फेंक दी जायेगी?
    वे किसी विदेश में क्यों फेंकें जाएंगे?
29 भूमि, भूमि, यहूदा की भूमि!
    यहोवा का सन्देश सुनो!
30 यहोवा कहता है, “कोन्याह के बारे में यह लिख लो:
    ‘वह ऐसा व्यक्ति है जिसके भविष्य में अब बच्चे नहीं होंगे।
कोन्याह अपने जीवन में सफल नहीं होगा।
    उसकी सन्तान में से कोई भी
    यहूदा पर शासन नहीं करेगा।’”

23 “यहूदा के गडरियों (प्रमुखों) के लिये यह बहुत बुरा होगा। वे गडेरिये भेड़ों को नष्ट कर रहें हैं। वे भेड़ों को मेरी चरागाह से चारों ओर भगा रहे हैं।” यह सन्देश यहोवा का है।

वे गडेरिये (प्रमुख) मेरे लोगों के लिये उत्तरदायी हैं, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा उन गडेरियों से यह कहता है, “गडेरियों (प्रमुखों), तुमने मेरी भेड़ों को चारों ओर भगाया है। तुमने उन्हें चले जाने को विवश किया है। तुमने उनकी देखभाल नहीं रखी है। किन्तु मैं तुम लोगों को देखूँगा, मैं तुम्हें उन बुरे कामों के लिये दण्ड दूँगा जो तुमने किये हैं।” यह सन्देश यहोवा के यहाँ से है। “मैंने अपनी भेड़ों (लोगों) को विभिन्न देशों में भेजा। किन्तु मैं अपनी उन भेड़ों (लोगों) को एक साथ इकट्ठी करुँगा जो बची रह गई हैं और मैं उन्हें उनकी चरागाह (देश) में लाऊँगा। जब मेरी भेड़ें (लोग) अपनी चरागाह (देश) में वापस आएंगी तो उनके बहुत बच्चे होंगे और उनकी संख्या बढ़ जाएगी। मैं अपनी भेड़ों के लिये नये गडेरिये (प्रमुख) रखूँगा वे गडेरिये (प्रमुख) मेरी भेड़ों (लोगों) की देखभाल करेंगे और मेरी भेड़ें (लोग) भयभीत या डरेंगी नहीं। मेरी भेड़ों (लोगों) में से कोई खोएगी नहीं।” यह सन्देश यहोवा का है।

सच्चा “अंकुर”

यह सन्देश यहोवा का है:
“समय आ रहा है
    जब मैं दाऊद के कुल में एक सच्चा ‘अंकुर’ उगाऊँगा।
वह ऐसा राजा होगा जो बुद्धिमत्ता से शासन करेगा
    और वह वही करेगा जो देश में उचित और न्यायपूर्ण होगा।
उस सच्चे अंकुर के समय में
    यहूदा के लोग सुरक्षित रहेंगे और इस्राएल सुरक्षित रहेगा।
उसका नाम यह होगा
    यहोवा हमारी सच्चाई हैं।”

यह सन्देश यहोवा का है, “अत: समय आ रहा है, जब लोग भविष्य में यहोवा के नाम पर पुरानी प्रतिज्ञा फिर नहीं करेंगे। पुरानी प्रतिज्ञा यह है: ‘यहोवा जीवित है, यहोवा ही वह है जो इस्राएल के लोगों को मिस्र देश से बाहर लाया था।’ किन्तु अब लोग कुछ नया कहेंगे, ‘यहोवा जीवित है, यहोवा ही वह है जो इस्राएल के लोगों को उत्तर के देश से बाहर लाया। वह उन्हें उन सभी देशों से बाहर लाया जिनमें उसने उन्हें भेजा था।’ तब इस्राएल के लोग अपने देश में रहेंगे।”

Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)

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