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Bible in 90 Days

An intensive Bible reading plan that walks through the entire Bible in 90 days.
Duration: 88 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
1 थेस्सलोनि 1 - फ़िलेमोन

पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु में थेस्सलोनिकेयुस नगर की कलीसिया को यह पत्र पौलॉस,

सिलवानॉस तथा तिमोथियॉस की ओर से है.

तुम्हें अनुग्रह तथा शान्ति मिलती रहे.

आभार व्यक्ति तथा प्रशंसा

अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हारा वर्णन करते हुए हम हमेशा तुम सभी के लिए परमेश्वर का आभार मानते हैं. हम हमेशा ही परमेश्वर, हमारे पिता के सामने तुम्हारे विश्वास के काम, प्रेम का परिश्रम तथा हमारे प्रभु मसीह येशु में तुम्हारी दृढ़ आशा को याद करते हैं.

क्योंकि, प्रियजन, परमेश्वर के प्रियो, हमें अहसास है कि तुम परमेश्वर के चुने हुए हो. हमारे द्वारा प्रस्तुत ईश्वरीय सुसमाचार तुम्हें सिर्फ शब्दों में नहीं; परन्तु सामर्थ, पवित्रात्मा तथा पूरे धीरज के साथ पहुँचाया गया था. तुम्हारे बीच निवास करते हुए तुम्हारी ही भलाई के लिए हम किस प्रकार के व्यक्ति साबित हुए थे, यह तुमने स्वयं ही देख लिया है. प्रभु के सन्देश को घोर क्लेश में, पवित्रात्मा के आनन्द में स्वीकार करते हुए तुम स्वयं हमारे तथा प्रभु के शिष्य बन गए थे, जिसका परिणाम यह हुआ कि तुम मकेदोनिया तथा आख़ेया प्रदेश में सभी विश्वासियों के लिए एक आदर्श बन गए. तुम्हारे द्वारा भेजा गया परमेश्वर का सन्देश न केवल मकेदोनिया तथा आख़ेया प्रदेश में सुनाया गया और बढ़ता गया परन्तु परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास भी सबको मालूम हो गया है. परिणामस्वरूप कोई ज़रूरत नहीं रह गई कि इस विषय में अब हम कुछ कहें. वे ही हर जगह इस बात का वर्णन कर रहे हैं कि तुम्हारे द्वारा किया गया हमारा स्वागत कैसा भव्य था तथा यह भी कि किस प्रकार तुम मूर्तियों से दूर होकर परमेश्वर की ओर झुक गए कि जीवित और सच्चे परमेश्वर की सेवा करने लगो 10 और स्वर्ग से उनके पुत्र मसीह येशु के दोबारा आगमन की प्रतीक्षा करो, जिन्हें परमेश्वर ही ने मरे हुओं में से जीवित किया, मसीह येशु, जो हमें आनेवाले क्रोध से बचाते हैं.

पौलॉस का आदर्श

प्रियजन, तुम्हें यह अहसास तो है ही कि तुमसे भेंट करने के लिए हमारा आना व्यर्थ नहीं था, जैसा कि तुम्हें मालूम ही है कि फ़िलिप्पॉय नगर में दुःख उठाने और उपद्रव सहने के बाद घोर विरोध की स्थिति में भी तुम्हें परमेश्वर का ईश्वरीय सुसमाचार सुनाने के लिए हमें परमेश्वर के द्वारा साहस प्राप्त हुआ. हमारा उपदेश न तो भरमा देने वाली शिक्षा थी, न अशुद्ध उद्धेश्य से प्रेरित और न ही छलावा, परन्तु ठीक जिस प्रकार परमेश्वर के समर्थन में हमें ईश्वरीय सुसमाचार सौंपा गया. हम मनुष्यों की प्रसन्नता के लिए नहीं परन्तु परमेश्वर की संतुष्टि के लिए, जिनकी दृष्टि हृदय पर लगी रहती है, ईश्वरीय सुसमाचार का संबोधन करते हैं. यह तो तुम्हें मालूम ही है कि न तो हमारी बातों में चापलूसी थी और न ही हमने लोभ से प्रेरित हो कुछ किया—परमेश्वर गवाह हैं; हमने मनुष्यों से सम्मान पाने की भी कोशिश नहीं की; न तुमसे और न किसी और से.

मसीह के प्रेरित होने के कारण तुमसे सहायता पाना हमारा अधिकार था. तुम्हारे प्रति हमारा व्यवहार वैसा ही कोमल था जैसा एक शिशु का पोषण करती माता का, जो स्वयं बड़ी कोमलतापूर्वक अपने बालकों का पोषण करती है. इस प्रकार तुम्हारे प्रति एक मधुर लगाव होने के कारण हम न केवल तुम्हें ईश्वरीय सुसमाचार देने के लिए परन्तु तुम्हारे साथ स्वयं अपना जीवन सहर्ष मिल-बांट कर संगति करने के लिए भी लालायित थे—क्योंकि तुम हमारे लिए अत्यन्त प्रिय बन चुके थे. प्रियजन, जिस समय हम तुम्हारे बीच ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे, तुम्हें उस समय का हमारा परिश्रम तथा हमारी कठिनाइयाँ याद होंगी कि कैसे हमने रात-दिन श्रम किया कि हम तुम में से किसी पर भी बोझ न बन जाएँ.

10 तुम इसके गवाह हो और परमेश्वर भी कि तुम सभी विश्वासियों के साथ हमारा स्वभाव कितना सच्चा, धर्मी और निर्दोष था. 11 तुम्हें यह भी मालूम है कि पिता समान हम किस प्रकार तुम में से हर एक को उपदेश देते हुए तथा प्रोत्साहित करते हुए तुम्हारे लिए प्रार्थना करते रहे, जैसे पिता अपनी निज सन्तान के लिए करता है 12 कि तुम्हारा स्वभाव परमेश्वर की संतुष्टि के योग्य हो, जिन्होंने तुम्हारा बुलावा अपने राज्य और महिमा में किया है.

थेस्सलोनिकेयुस-वासियों का विश्वास

13 यही कारण है कि हम भी परमेश्वर के प्रति निरन्तर धन्यवाद प्रकट करते हैं कि जिस समय तुमने हमसे परमेश्वर के वचन के सन्देश को स्वीकार किया, तुमने इसे किसी मनुष्य के सन्देश के रूप में नहीं परन्तु उसकी सच्चाई में अर्थात् परमेश्वर ही के वचन के रूप में ग्रहण किया, जो तुम में, जिन्होंने विश्वास किया है, कार्य भी कर रहा है 14 क्योंकि प्रियजन, तुम मसीह येशु में परमेश्वर की उन कलीसियाओं के शिष्य बन गए हो, जो यहूदिया प्रदेश में हैं—तुमने भी स्वदेशवासियों द्वारा दिए गये उसी प्रकार के दुःखों को सहा है, जैसे यहूदिया प्रदेशवासियों ने यहूदियों द्वारा दिए गए दुःखों को, 15 जिन्होंने प्रभु मसीह येशु तथा भविष्यद्वक्ताओं दोनों ही की हत्या की. इसके अलावा उन्होंने हमें भी वहाँ से निकाल दिया. वे परमेश्वर को क्रोधित कर रहे हैं तथा वे सभी के विरोधी हैं. 16 जब हम अन्यजातियों को उनके उद्धार के विषय में सन्देश देने का काम करते हैं, वे हमारी उद्धार की बातें बताने में बाधा खड़ी करते हैं. इसके फलस्वरूप वे स्वयं अपने ही पापों का घड़ा भर रहे हैं. अन्ततः: उन पर परमेश्वर का क्रोध आ ही पड़ा है.

पौलॉस की लालसा

17 किन्तु, प्रियजन, जब हम तुमसे थोड़े समय के लिए अलग हुए थे—शारीरिक रूप से, न कि आत्मिक रूप से—तुम्हें सामने देखने की हमारी लालसा और भी अधिक प्रबल हो गई थी. 18 हम चाहते थे कि आकर तुमसे भेंट करें—विशेषकर मैं, पौलॉस, तो एक नहीं, अनेक बार चाह रहा था किन्तु शैतान ने हमारे प्रयास निष्फल कर दिए. 19 कौन हैं हमारी आशा, आनन्द तथा उल्लास का मुकुट? क्या हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर उनकी उपस्थिति में तुम ही नहीं? 20 हाँ, तुम्हीं तो हमारा गौरव तथा आनन्द हो!

थेस्सलोनिकेयुस नगर में तिमोथियॉस का सेवालक्ष्य

इसलिए जब यह हमारे लिए असहनीय हो गया, हमने अथेनॉन नगर में ही रुके रहना सही समझा. हमने मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचार में परमेश्वर के सहकर्मी तथा हमारे भाई तिमोथियॉस को तुम्हारे पास इस उद्धेश्य से भेजा कि वह तुम्हें तुम्हारे विश्वास में मजबूत करे कि तुममें से कोई भी इन क्लेशों के द्वारा डगमगा न जाए. तुम्हें तो यह अच्छी तरह से मालूम है कि हम पर इन क्लेशों का आना अवश्य है. वस्तुत: जब हम तुम्हारे यहाँ थे, हम पहले ही तुम्हें यह बताते रहे कि हम पर क्लेशों का आना निश्चित है और तुम्हें तो मालूम ही है कि हुआ भी ऐसा ही. यही कारण है कि जब यह मेरे लिए असहनीय हो गया, मैंने भी इस आशंका से कि कहीं शैतान ने तुम्हें परीक्षा में फँसा न लिया हो और हमारा परिश्रम व्यर्थ न चला जाए, तुम्हारे विश्वास की स्थिति मालूम करने का प्रयास किया.

विश्वासियों का सराहनीय विश्वास

किन्तु अब, जब तिमोथियॉस तुमसे भेंट कर हमारे पास लौट आया है, उसने तुम्हारे विश्वास और प्रेम के सम्बन्ध में बहुत ही उत्साह बढ़ानेवाले समाचार दिए हैं तथा यह भी कि तुम हमें मीठी यादों के रूप में याद करते हुए हमसे भेंट करने के लिए उतने ही लालायित हो जितने स्वयं हम तुम्हें देखने के लिए लालायित हैं. प्रियजन, यही कारण है कि हम संकट और क्लेश की स्थिति में भी तुम्हारे विश्वास द्वारा प्रोत्साहित हुए. प्रभु में तुम्हारे स्थिर होने का सन्देश हमारे लिए नवजीवन का संचार है. परमेश्वर के सामने तुम्हारे विषय में उस बड़े आनन्द के लिए हम भला परमेश्वर के प्रति और किस प्रकार का धन्यवाद प्रकट कर सकते हैं, 10 जब हम रात-दिन एकचित्त हो कर प्रार्थना करते रहते हैं कि हम तुम्हें सामने देख सकें तथा तुम्हारे विश्वास में जो कमी है, उसे पूरा कर सकें?

11 स्वयं हमारे परमेश्वर और पिता तथा मसीह येशु हमारे प्रभु तुम तक पहुँचने में हमारा मार्गदर्शन करें 12 तथा प्रभु ही तुम्हें एक दूसरे के प्रति ही नहीं परन्तु सबके प्रति प्रेम में बढ़ाए तथा उन्नत करें—ठीक वैसे ही जैसे हम तुमसे प्रेम करते हैं 13 कि वह सभी पवित्र लोगों के साथ हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर परमेश्वर हमारे पिता के सामने तुम्हारे हृदय को पवित्रता में निर्दोष ठहरा सकें.

प्रेम तथा अलग की हुई जीवनशैली

अन्ततः:, प्रियजन, तुमने हमसे अपने स्वभाव तथा परमेश्वर को प्रसन्न करने के विषय में जिस प्रकार के निर्देश प्राप्त किए थे—ठीक जैसा तुम्हारा स्वभाव है भी—प्रभु मसीह येशु में तुमसे हमारी विनती और समझाना है कि तुम इनमें और भी अधिक उन्नत होते चले जाओ. तुम्हें वे आज्ञाएं मालूम ही हैं, जो हमने तुम्हें प्रभु मसीह येशु की ओर से दिए थे.

परमेश्वर की इच्छा है कि तुम पवित्रता की स्थिति में रहो—तुम वेश्यागामी से अलग रहो; कि तुममें से हर एक को अपने-अपने शरीर को पवित्रता तथा सम्मानपूर्वक संयमित रखने का ज्ञान हो कामुकता की अभिलाषा में अन्यजातियों के समान नहीं, जो परमेश्वर से अनजान हैं. इस विषय में कोई भी सीमा उल्लंघन कर अपने साथी विश्वासी का शोषण न करे क्योंकि इन सब विषयों में स्वयं प्रभु बदला लेते हैं, जैसे हमने पहले ही यह स्पष्ट करते हुए तुम्हें गम्भीर चेतावनी भी दी थी. परमेश्वर ने हमारा बुलावा अपवित्रता के लिए नहीं परन्तु पवित्र होने के लिए किया है. परिणामस्वरूप वह, जो इन निर्देशों को नहीं मानता है, किसी मनुष्य को नहीं परन्तु परमेश्वर ही को अस्वीकार करता है, जो अपना पवित्रात्मा तुम्हें देते हैं.

भाईचारे के विषय में मुझे कुछ भी लिखने की ज़रूरत नहीं क्योंकि स्वयं परमेश्वर द्वारा तुम्हें शिक्षा दी गई है कि तुम में आपस में प्रेम हो 10 वस्तुत: मकेदोनिया प्रदेश के विश्वासियों के प्रति तुम्हारी यही इच्छा है. प्रियजन, हमारी तुमसे यही विनती है कि तुम इसी में और अधिक बढ़ते जाओ.

11 शान्त जीवनशैली तुम्हारी बड़ी इच्छा बन जाए. सिर्फ अपने ही कार्य में मगन रहो. अपने हाथों से परिश्रम करते रहो, जैसा हमने तुम्हें आज्ञा दी है 12 कि तुम्हारी जीवनशैली अन्य लोगों की दृष्टि में तुम्हें सम्मान्य बना दे तथा स्वयं तुम्हें किसी प्रकार का अभाव न हो.

दोबारा आगमन के अवसर पर जीवित और मृतक

13 प्रियजन, हम नहीं चाहते कि तुम उनके विषय में अनजान रहो, जो मृत्यु में सो गए हैं. कहीं ऐसा न हो कि तुम उन लोगों के समान शोक करने लगो, जिनके सामने कोई आशा नहीं. 14 हमारा विश्वास यह है कि जिस प्रकार मसीह येशु की मृत्यु हुई और वह जीवित हुए, उसी प्रकार परमेश्वर उनके साथ उन सभी को पुनर्जीवित कर देंगे, जो मसीह येशु में सोए हुए हैं. 15 यह हम तुमसे स्वयं प्रभु के वचन के आधार पर कह रहे हैं कि प्रभु के दोबारा आगमन के अवसर पर हम, जो जीवित पाए जाएँगे, निश्चित ही उनसे पहले प्रभु से भेंट नहीं करेंगे, जो मृत्यु में सो गए हैं. 16 स्वयं प्रभु स्वर्ग से प्रधान स्वर्गदूत के शब्द, परमेश्वर की तुरही के शब्द तथा एक ऊँची ललकार के साथ उतरेंगे. तब सबसे पहिले वे, जो मसीह में मरे हुए हैं, जीवित हो जाएँगे. 17 उसके बाद शेष हम, जो उस अवसर पर जीवित पाए जाएँगे, बादलों में उन सबके साथ वायुमण्डल में प्रभु से मिलने के लिए झपट कर उठा लिए जाएँगे. तब हम हमेशा प्रभु के साथ में रहेंगे. 18 इस बात के द्वारा आपस में धीरज और शान्ति दिया करो.

प्रभु का वह दिन

प्रियजन, इसकी कोई ज़रूरत नहीं कि तुम्हें समयों और कालों के विषय में लिखा जाए. तुम्हें यह भली प्रकार मालूम है कि प्रभु के दिन का आगमन ठीक वैसा ही अचानक होगा जैसा रात में एक चोर का. लोग कह रहे होंगे, “सब कुशल है, कोई संकट है ही नहीं!” उसी समय बिना किसी पहले से जानकारी के उन पर विनाश टूट पड़ेगा—गर्भवती की प्रसव-पीड़ा के समान. उनका भाग निकलना असम्भव होगा.

किन्तु तुम, प्रियजन, इस विषय में अन्धकार में नहीं हो कि वह दिन तुम पर एकाएक एक चोर के समान अचानक से आ पड़े. तुम सभी ज्योति की सन्तान हो—दिन के वंशज. हम न तो रात के हैं और न अन्धकार के, इसलिए हम बाकियों के समान सोए हुए नहीं परन्तु सावधान और व्यवस्थित रहें क्योंकि वे, जो सोते हैं, रात में सोते हैं और वे, जो मतवाले होते हैं, रात में ही मतवाले होते हैं. अब इसलिए कि हम दिन के बने हुए हैं, हम विश्वास और प्रेम का कवच तथा उद्धार की आशा का टोप धारण कर व्यवस्थित हो जाएँ. परमेश्वर द्वारा हम क्रोध के लिए नहीं परन्तु हमारे प्रभु मसीह येशु द्वारा उद्धार पाने के लिए ठहराए गए हैं, 10 जिन्होंने हमारे लिए प्राण त्याग दिया कि चाहे हम जागते हों या सोते हों, उनके साथ निवास करें. 11 इसलिए तुम, जैसा इस समय कर ही रहे हो, एक-दूसरे को आपस में प्रोत्साहित तथा उन्नत करने में लगे रहो.

मसीही स्वभाव

12 प्रियजन, तुमसे हमारी विनती है कि तुम उनकी सराहना करो, जो तुम्हारे बीच लगन से परिश्रम कर रहे हैं, जो प्रभु में तुम्हारे लिए ज़िम्मेदार हैं तथा तुम्हें शिक्षा देते हैं. 13 उनके परिश्रम को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रेमपूर्वक ऊँचा सम्मान दो. आपस में मेल-मिलाप बनाए रखो. 14 प्रियजन, हम तुमसे विनती करते हैं कि जो बिगड़े हुए हैं, उन्हें फटकार लगाओ; जो डरे हुए हैं, उन्हें ढ़ांढ़स दो, दुर्बलों की सहायता करो तथा सभी के साथ धीरजवान बने रहो. 15 यह ध्यान रखो कि कोई भी बुराई का बदला बुराई से न लेने पाए किन्तु हमेशा वही करने का प्रयास करो, जिसमें पारस्परिक और सभी का भला हो.

16 हमेशा आनन्दित रहो, 17 प्रार्थना लगातार की जाए. 18 हर एक परिस्थिति में धन्यवाद प्रकट किया जाए क्योंकि मसीह येशु में तुमसे परमेश्वर की यही आशा है.

19 पवित्रात्मा को न बुझाओ. 20 भविष्यद्वाणियों को तुच्छ न समझो 21 परन्तु हर एक को सावधानीपूर्वक बारीकी से जाँचो तथा उसे, जो अच्छा है, थामे रहो. 22 बुराई का उसके हर एक रूप में बहिष्कार करो.

समापन प्रार्थना और आशीर्वचन

23 अन्ततः: परमेश्वर, जो शांति के स्त्रोत हैं, तुम्हें पूरी तरह अपने लिए बुराई से अलग करने तथा तुम्हारी आत्मा, प्राण तथा शरीर को पूरी तरह से हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर तक निर्दोष रूप में सुरक्षित रखें. 24 सच्चे हैं वह, जिन्होंने तुम्हें बुलाया है. वही इसको पूरा भी करेंगे.

25 प्रियजन, हमारे लिए प्रार्थना करते रहना. 26 पवित्र चुम्बन से एक दूसरे को नमस्कार करो. 27 प्रभु में हमारी यह आज्ञा है कि यह पत्र सबके सामने पढ़ा जाए.

28 तुम पर हमारे प्रभु मसीह येशु की कृपा बनी रहे.

सम्बोधन

थेस्सलोनिकेयुस नगर की कलीसिया को,

जो पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु में है, पौलॉस, सिलवानॉस तथा तिमोथियॉस की ओर से:

तुम में पिता परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तथा शान्ति बनी रहे.

सताहट में पौलॉस द्वारा उत्साह बढ़ाना

प्रियजन, तुम्हारे बढ़ते हुए विश्वास तथा हर एक में आपसी प्रेम के दिन-प्रतिदिन बढ़ते जाने के लिए परमेश्वर को हमारा लगातार धन्यवाद सही ही है, इसलिए परमेश्वर की कलीसियाओं में हम तुम्हारे द्वारा सहे जा रहे सताहटों और यातनाओं की स्थिति में भी तुम्हारे द्वारा की जा रही लगातार कोशिशों तथा विश्वास का वर्णन अत्यन्त गर्व के साथ करते हैं. यह सब परमेश्वर के सच्चे न्याय के निर्णय का एक स्पष्ट प्रमाण है, जिसके परिणामस्वरूप तुम परमेश्वर के राज्य के योग्य समझे जाओगे—वस्तुत: तुम यातनाएँ इसी के लिए सह रहे हो.

अन्तिम न्याय

इसलिए परमेश्वर के लिए यही सही है कि वह उन्हें भी क्लेश ही दें, जिन्होंने तुम्हें क्लेश दिया है तथा मसीह येशु के स्वर्ग से ज्वालामय आग में अपने सामर्थी स्वर्गदूतों के साथ प्रकट होने के अवसर पर तुम्हारी और हमारी भी, जो दूर हैं, पीड़ा मिटे. उस अवसर पर वह उन सबसे बदला लेंगे, जो परमेश्वर को जानते नहीं है तथा उनसे भी, जो हमारे प्रभु मसीह येशु के ईश्वरीय सुसमाचार को नहीं मानते हैं. अनन्त विनाश उनका दण्ड होगा. इसमें वे प्रभु की उपस्थिति तथा उनके सामर्थ्य के पराक्रम से दूर कर दिए जाएँगे. 10 उस समय वह अपने पवित्र लोगों के बीच महिमित होंगे तथा वे सभी, जिन्होंने उनमें विश्वास किया है, उन्हें चकित हो निहारेंगे. तुम भी उनमें शामिल हो क्योंकि तुमने हमारे सन्देश में विश्वास किया है.

11 इस बात के प्रकाश में हम तुम्हारे लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं कि तुम हमारे परमेश्वर के मत में अपनी बुलाहट के अनुरूप पाए जाओ तथा तुम उत्तम उद्धेश्य की हर एक अभिलाषा तथा विश्वास के हर एक काम को सामर्थ से पूरा करते जाओ, 12 कि हमारे परमेश्वर तथा प्रभु मसीह येशु की कृपा के अनुसार तुम में हमारे प्रभु मसीह येशु की तथा उनमें तुम्हारी महिमा हो.

मसीह येशु के दोबारा आगमन से पहले की घटनाएँ

प्रभु के दोबारा आगमन के लक्षण

और अब, प्रियजन, हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन तथा उनके साथ हमारे इकट्ठा होने के विषय में तुमसे हमारी विनती है, कि तुम उतावली में न तो अपना मानसिक सन्तुलन खोना और न किसी आत्मिक प्रकाशन, वचन या किसी ऐसे पत्र के कारण घबराना, जो तुम्हें इस रीति से सौंपा जाए, जो मानो तुम्हें हमारे द्वारा लिखा गया है तथा जिसमें यह सूचना दी गई हो कि प्रभु के दिन का आगमन हो चुका. कोई तुम्हें किसी भी रीति से भटकाने न पाए क्योंकि यह उस समय तक न होगा जब तक इसके पहले विश्वास का पतन न हो जाए तथा पाप का पुत्र, जो विनाश का पुत्र है, प्रकट न हो. वह हर एक तथाकथित ईश्वर या आराधना योग्य वस्तु का विरोध करता तथा अपने आप को इन सब के ऊपर करता है कि स्वयं को परमेश्वर बताते हुए परमेश्वर के मन्दिर में ऊँचे आसन पर जा बैठे.

क्या तुम्हें याद नहीं कि तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम्हें यह सब बताया था? तुम्हें यह भी मालूम है कि उसे इस समय किसने अपने वश में किया हुआ है कि वह अपने निर्धारित समय पर ही प्रकट किया जाए. अधर्म की गुप्त शक्ति पहले ही सक्रिय है. वह, जो इस पर नियन्त्रण बनाए हुए हैं, केवल तब तक नियन्त्रण बनाए रखेंगे, जब तक उसे इस मार्ग से हटा न दिया जाए, तभी वह अधर्मी प्रकट होगा. प्रभु अपने मुख की फूंक मात्र से उसका वध कर देंगे—वस्तुत: उनके दोबारा आगमन का प्रताप मात्र ही उसके अस्तित्व को समाप्त कर डालेगा. अधर्मी का प्रकट होना शैतान के कार्यों के अनुसार सब प्रकार के झूठ चमत्कार चिह्नों के साथ होगा 10 नाश होने वालों के लिए शैतान की गतिविधि के अनुरूप होगा, जो नाश होने वाले हैं, क्योंकि उन्होंने अपने उद्धार के लिए सच्चे प्रेम को स्वीकार नहीं किया. 11 यही कारण है कि उन्हें परमेश्वर द्वारा ऐसी भटका देने वाली सामर्थ में डाल दिया जाएगा कि वे झूठ पर ही विश्वास करें 12 कि वे सभी, जिन्होंने सच का विश्वास नहीं किया परन्तु सिर्फ अधर्म में प्रसन्न होते रहे, दण्डित किए जा सकें.

दृढ़ बने रहने के लिए प्रोत्साहन

13 किन्तु, प्रियजन, यहाँ तुम्हारे लिए परमेश्वर के सामने हमारा सदैव धन्यवाद देना सही ही है. तुम प्रभु के प्रिय हो क्योंकि परमेश्वर ने प्रारम्भ ही से पवित्रात्मा द्वारा पाप से अलग करके तथा सच में तुम्हारे विश्वास के कारण उद्धार के लिए तुम्हें चुन लिया है. 14 परमेश्वर ने हमारे ईश्वरीय सुसमाचार बताने के द्वारा तुम्हें बुलाया कि तुम हमारे प्रभु मसीह येशु की महिमा में शामिल हो सको. 15 इसलिए, प्रियजन, स्थिर रहो. उन पारम्परिक शिक्षाओं में अटल रहो, जो तुमने हमसे मौखिक रूप से या पत्र के द्वारा प्राप्त की हैं.

16 अब स्वयं हमारे प्रभु मसीह येशु तथा पिता परमेश्वर, जिन्होंने अपने प्रेम में अनुग्रह द्वारा हमें अनन्त धीरज-प्रोत्साहन तथा उत्तम आशा प्रदान की है, 17 तुम्हें हर एक सत्कर्म तथा वचन-सन्देश में मनोबल और प्रोत्साहन प्रदान करें.

अन्त में, प्रियजन, हमारे लिए प्रार्थना करो कि परमेश्वर का सन्देश तेज़ गति से हर जगह फैलता जाए और उसे महिमा प्राप्त हो—ठीक जैसी तुम्हारे बीच और यह भी कि हम टेढ़े मनवाले व्यक्तियों तथा दुष्ट मनुष्यों से सुरक्षित रहें क्योंकि विश्वास का वरदान सभी ने प्राप्त नहीं किया है किन्तु प्रभु विश्वासयोग्य हैं. वही तुम्हें स्थिर करेंगे और उस दुष्ट से तुम्हारी रक्षा करेंगे. प्रभु में हमें तुम्हारे विषय में पूरा निश्चय है कि तुम हमारे आदेशानुसार ही स्वभाव कर रहे हो और ऐसा ही करते रहोगे. प्रभु तुम्हारे हृदयों को परमेश्वर के प्रेम तथा मसीह येशु के धीरज की ओर अगुवाई करें.

आलस्य तथा मन मुटाव के विरुद्ध चेतावनी

प्रियजन, मसीह येशु के नाम में हम तुम्हें यह आज्ञा देते हैं कि तुम ऐसे हर एक व्यक्ति से दूर रहो, जो अनुचित चाल चलता है, जो हमारे द्वारा दी गई शिक्षाओं का पालन नहीं करता. यह तुम्हें मालूम है कि तुम्हारे लिए हमारे जैसी चाल चलना सही है क्योंकि तुम्हारे बीच रहते हुए हम निकम्मे नहीं रहे. इतना ही नहीं, हमने किसी के यहाँ दाम चुकाए बिना भोजन नहीं किया परन्तु हमने दिन-रात परिश्रम किया और काम करते रहे कि हम तुममें से किसी के लिए भी बोझ न बनें. यह इसलिए नहीं कि तुमसे सहायता पाना हमारा अधिकार नहीं है परन्तु इसलिए कि हम स्वयं को तुम्हारे सामने आदर्श स्वभाव प्रस्तुत करें और तुम हमारी सी चाल चलो. 10 यहाँ तक कि जब हम तुम्हारे बीच में थे, हम तुम्हें यह आज्ञा दिया करते थे: किसी आलसी को भोजन न दिया जाए.

11 सुनने में यह आया है कि तुममें से कुछ की जीवनशैली आलस भरी हो गई है—वे कोई भी काम नहीं कर रहे, वस्तुत: वे अन्यों के लिए बाधा बन गए हैं. 12 ऐसे व्यक्तियों के लिए मसीह येशु में हमारी विनती भरी आज्ञा है कि वे गम्भीरता पूर्वक काम पर लग जाएँ तथा वे अपने ही परिश्रम से कमाया हुआ भोजन करें. 13 किन्तु, प्रियजन, तुम स्वयं वह करने में पीछे न हटना, जो सही और भला है.

14 यदि कोई व्यक्ति हमारे इस पत्र के आदेशों को नहीं मानता है, उस पर विशेष ध्यान दो. उसका साथ न दो कि वह लज्जित हो. 15 इतना सब होने पर भी उसे शत्रु न मानो परन्तु एक भाई समझ कर उसे समझाओ.

आशीर्वचन

16 शान्ति के परमेश्वर स्वयं तुम्हें हर एक परिस्थिति में निरन्तर शान्ति प्रदान करते रहें. प्रभु तुम सबके साथ हों.

17 मैं, पौलॉस, अपने हाथों से नमस्कार लिख रहा हूँ. मेरे हर एक पत्र का पहचान चिह्न यही है. यही मेरे लिखने का तरीका है.

18 हमारे प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तुम सब पर बना रहे.

सम्बोधन

परमेश्वर हमारे उद्धारकर्ता तथा हमारी आशा मसीह येशु की आज्ञा के अनुसार मसीह येशु के प्रेरित पौलॉस की ओर से,

विश्वास में मेरे वास्तविक पुत्र तिमोथियॉस को:

पिता परमेश्वर तथा हमारे प्रभु मसीह येशु की ओर से अनुग्रह, कृपा और शान्ति.

झूठे शिक्षकों के दमन की आज्ञा

मैंने मकेदोनिया प्रदेश जाते समय तुमसे विनती की थी कि तुम इफ़ेसॉस नगर में ही रह जाओ और कुछ बताए हुए व्यक्तियों को चेतावनी दो कि वे न तो भरमानेवाली शिक्षा दें और न पुरानी कहानियों और अन्तहीन वंशावलियों में लीन रहें. इनसे विश्वास पर आधारित परमेश्वर की योजना के उन्नत होने की बजाय मतभेद उत्पन्न होता है. हमारी आज्ञा का उद्धेश्य है निर्मल हृदय से उत्पन्न प्रेम, शुद्ध अन्तरात्मा तथा निष्कपट विश्वास. कुछ हैं, जो रास्ते से भटक कर व्यर्थ के वाद-विवाद में फँस गए हैं. वे व्यवस्था के शिक्षक बनने की अभिलाषा तो करते हैं परन्तु वे जो कहते हैं और जिन विषयों का वे दृढ़ विश्वासपूर्वक दावा करते हैं, स्वयं ही उन्हें नहीं समझते.

व्यवस्था का उद्देश्य

हमें यह मालूम है कि व्यवस्था भली है—यदि इसका प्रयोग उचित रीति से किया जाए. इस सच्चाई के प्रकाश में कि व्यवस्था का बनाया जाना धर्मियों के लिए नहीं परन्तु अधर्मी, निरंकुश, दुराचारी, पापी, अपवित्र, ठग, माता-पिता के घात करने वाले, हत्यारे, 10 व्यभिचारी, समलैंगिक, अपहरण करने वाले, झूठ बोलने वाले, झूठे गवाह तथा शेष सब कुछ के लिए किया गया है, जो खरे उपदेश के विरोध में है, 11 जो धन्य परमेश्वर के महिमित ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार है, जो मुझे सौंपी गई है.

पौलॉस की बुलाहट का स्पष्टीकरण

12 मैं हमारे प्रभु मसीह येशु के प्रति, जिन्होंने मुझे सामर्थ्य प्रदान किया है, धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने मुझे विश्वासयोग्य समझा और अपनी सेवा में चुना, 13 हालांकि पहले मैं परमेश्वर की निन्दा करनेवाला था, अत्याचारी तथा अधर्मी था किन्तु मुझ पर कृपा की गई क्योंकि अपनी अज्ञानता में उनमें अविश्वास के कारण मैंने यह सब किया था. 14 मसीह येशु में हमारे प्रभु का बहुत अधिक अनुग्रह विश्वास और प्रेम के साथ मुझ पर हुआ.

15 यह बात सच है, जो हर प्रकार से मानने योग्य है: मसीह येशु पापियों के उद्धार के लिए संसार में आए. इनमें सबसे ज़्यादा पापी मैं हूँ. 16 किन्तु मुझ पर कृपा इसलिए हुई कि मुझ बड़े पापी में मसीह येशु आदर्श के रूप में अपनी पूरी सहनशीलता का प्रमाण उनके हित में प्रस्तुत करें, जो अनन्त जीवन के लिए उनमें विश्वास करेंगे. 17 सनातन राजा, अविनाशी, अनदेखे तथा एकमात्र परमेश्वर का आदर और महिमा सदा-सर्वदा होती रहे. आमेन.

तिमोथियॉस की ज़िम्मेदारी

18 मेरे पुत्र, तिमोथियॉस, मैं तुम्हें यह आज्ञा तुम्हारे विषय में पहले से की गई भविष्यद्वाणियों के अनुसार सौंप रहा हूँ कि उनकी प्रेरणा से तुम निरन्तर संघर्ष कर सको 19 तथा विश्वास और अच्छे विवेक को थामे रखो, कुछ ने जिसकी उपेक्षा की और अपने विश्वास का सर्वनाश कर बैठे. 20 ह्यूमैनेऑस तथा अलेक्सान्दरॉस इन्हीं में से हैं, जिन्हें मैंने शैतान को सौंप दिया है कि उन्हें परमेश्वर-निन्दा न करने का पाठ सिखा दिया जाए.

प्रार्थना पद्धति

इसलिए सबसे पहिली विनती यह है कि सभी के लिए विनती, प्रार्थनाएँ, दूसरों के लिए प्रार्थनाएँ और धन्यवाद प्रस्तुत किए जाएँ, राजाओं तथा अधिकारियों के लिए कि हमारा जीवन सम्मान तथा परमेश्वर की भक्ति में शान्ति और चैन से हो. यह परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता को प्रिय तथा ग्रहणयोग्य है, जिनकी इच्छा है कि सभी मनुष्यों का उद्धार हो तथा वे सच को उसकी भरपूरी में जानें. परमेश्वर एक ही हैं तथा परमेश्वर और मनुष्यों के मध्यस्थ भी एक ही हैं—देहधारी मसीह येशु; जिन्होंने स्वयं को सबके छुटकारे के लिए बलिदान कर दिया—ठीक समय पर प्रस्तुत एक सबूत. इसी उद्धेश्य के लिए मेरा चुनाव प्रचारक और प्रेरित के रूप में अन्यजातियों में विश्वास और सच्चाई की शिक्षा देने के लिए किया गया. मैं सच कह रहा हूँ—झूठ नहीं.

मैं चाहता हूँ कि हर जगह सभाओं में पुरुष, बिना क्रोध तथा विवाद के, परमेश्वर को समर्पित हाथों को ऊपर उठाकर प्रार्थना किया करें.

स्त्रियों के लिए सभा सम्बन्धी निर्देश

इसी प्रकार स्त्रियों का संवारना समय के अनुसार हो—शालीनताभरा तथा विवेकशील—सिर्फ बाल-सजाने तथा स्वर्ण, मोतियों या कीमती वस्त्रों से नहीं 10 परन्तु अच्छे कामों से, जो परमेश्वर-भक्त स्त्रियों के लिए उचित है. 11 स्त्री, मौन रह कर पूरी अधीनता में सिद्धांत-शिक्षा ग्रहण करे. 12 मेरी ओर से स्त्री को पुरुष पर प्रभुता जताने और शिक्षा देने की आज्ञा नहीं है. वह मौन रहे 13 क्योंकि आदम की सृष्टि हव्वा से पहले हुई थी. 14 छल आदम के साथ नहीं परन्तु स्त्री के साथ हुआ, जो आज्ञा न मानने की अपराधी हुई. 15 किन्तु स्त्रियाँ सन्तान उत्पन्न करने के द्वारा उद्धार प्राप्त करेंगी—यदि वे संयम के साथ विश्वास, प्रेम तथा पवित्रता में स्थिर रहती हैं.

प्रभारी प्रवर

यह बात विश्वासयोग्य है: यदि किसी व्यक्ति में अध्यक्ष पद की इच्छा है, यह एक उत्तम काम की अभिलाषा है. इसलिए आवश्यक है कि अध्यक्ष प्रशंसनीय, एक पत्नी का पति, संयमी, विवेकी, सम्मान-योग्य, अतिथि-सत्कार करने वाला तथा निपुण शिक्षक हो. वह पीनेवाला, झगड़ालू, अधीर, विवादी तथा पैसे का लालची न हो. वह अपने परिवार का उत्तम प्रबन्धक हो. सन्तान पर उसका गरिमा से भरा अनुशासन हो. यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार का ही प्रबन्ध करना नहीं जानता तो भला वह परमेश्वर की कलीसिया की देख-रेख किस प्रकार कर पाएगा? वह नया शिष्य न हो कि वह अहंकारवश शैतान के समान दण्ड का भागी न हो जाए. यह भी आवश्यक है कि कलीसिया के बाहर भी वह सम्मान-योग्य हो कि वह बदनामी तथा शैतान के जाल में न पड़ जाए.

सेवक सम्बन्धी निर्देश

इसी प्रकार आवश्यक है कि दीकन भी गंभीर तथा निष्कपट हों. मदिरा पान में उसकी रुचि नहीं होनी चाहिए, न नीच कमाई के लालची. वे निर्मल मन में विश्वास का भेद सुरक्षित रखें. 10 परखे जाने के बाद प्रशंसनीय पाए जाने पर ही उन्हें दीकन पद पर चुना जाए.

11 इसी प्रकार, उनकी पत्नी भी गंभीर हों, न कि गलत बातें करने में लीन रहनेवाली—वे हर एक क्षेत्र में व्यवस्थित तथा विश्वासयोग्य हों.

12 दीकन एक पत्नी का पति हो तथा अपनी सन्तान और परिवार के अच्छे प्रबन्ध करने वाले हों. 13 जिन्होंने दीकन के रूप में अच्छी सेवा की है, उन्होंने अपने लिए अच्छा स्थान बना लिया है तथा मसीह येशु में अपने विश्वास के विषय में उन्हें दृढ़ निश्चय है.

कलीसिया तथा आत्मिक जीवन का भेद

14 तुम्हारे पास शीघ्र आने की आशा करते हुए भी मैं तुम्हें यह सब लिख रहा हूँ 15 कि यदि मेरे आने में देरी हो ही जाए तो भी तुम्हें इसका अहसास हो कि परमेश्वर के परिवार में, जो जीवित परमेश्वर की कलीसिया तथा सच्चाई का स्तम्भ व नींव है, किस प्रकार का स्वभाव करना चाहिए. 16 संदेह नहीं है कि परमेश्वर की भक्ति का भेद गंभीर है:

वह, जो मनुष्य के शरीर में प्रकट किए गए,
    पवित्रात्मा में उनकी परख हुई,
वह स्वर्गदूतों द्वारा पहचाने गए,
    राष्ट्रों में उनका प्रचार किया गया,
संसार में रहते हुए उनमें विश्वास किया गया तथा वह महिमा में
    ऊपर उठा लिए गए.

झूठे शिक्षक

पवित्रात्मा का स्पष्ट कथन यह है कि अन्त के समय में कुछ व्यक्ति विश्वास का त्याग कर देंगे और वे धूर्त आत्माओं तथा दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाएँगे. यह उन झूठे मनुष्यों के दिखावे की शिक्षाओं के कारण होगा, जिनके विवेक में मानो जलते हुए लोहे से मुहर लगा दी गई हों. ये वे हैं, जो विवाह करने से रोकते हैं, भोजन पदार्थों को भी त्यागने की माँग करते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने विश्वासियों और सच्चाई को जानने वाले व्यक्तियों की भलाई के लिए इसलिए बनाया है कि धन्यवाद के साथ मिलजुल कर खाया जाएँ. परमेश्वर की बनाई हुई हर एक वस्तु अच्छी है, कोई भी वस्तु अस्वीकार करने योग्य नहीं—यदि उसे धन्यवाद के साथ स्वीकार किया जाए, क्योंकि वह परमेश्वर के वचन तथा प्रार्थना द्वारा शुद्ध की जाती है.

विश्वासियों को इन बातों का अहसास कराने के द्वारा तुम स्वयं को मसीह येशु का आदर्श सेवक साबित करोगे, जिसका पोषण निरन्तर विश्वास के वचन तथा अच्छे उपदेशों की बातों के द्वारा होता है, जिसका तुम पालन करते आए हो. सांसारिक तथा काल्पनिक कथाओं से दूर रहो, इसके विपरीत तुम अपने आप को परमेश्वर की भक्ति के लिए अनुशासित कर लो. शारीरिक व्यायाम सिर्फ थोड़े लाभ का है जबकि परमेश्वर-भक्ति का लाभ सब बातों में है क्योंकि वह जीवन का आश्वासन देती है—इस समय और आनेवाले जीवन, दोनों का.

यह बात सच है, जो हर प्रकार से मानने योग्य है: 10 हम उसी के लिए परिश्रम तथा संघर्ष करते हैं क्योंकि हमने अपनी आशा जीवित परमेश्वर पर लगाई है, जो सब मनुष्यों के उद्धारकर्ता हैं, विशेषकर उनके, जो विश्वास करते हैं.

11 तुम्हारे आदेशों और शिक्षाओं के विषय ये ही हों. 12 तुलना में कम आयु के कारण कोई तुम्हें तुच्छ न समझे परन्तु बातचीत, स्वभाव, प्रेम, विश्वास तथा पवित्रता में मसीह के विश्वासियों का आदर्श बनो. 13 मेरे वहाँ पहुँचने तक पवित्रशास्त्र के सार्वजनिक रीति से पढ़ने, उपदेश तथा शिक्षा पाने में लीन रहो. 14 अंदर बसे हुए पवित्रात्मा द्वारा दी गई क्षमता की उपेक्षा न करो, जो तुम्हें भविष्यवाणी के द्वारा उस समय प्रदान की गई, जब कलीसिया के पुरनियों ने तुम पर हाथ रखे.

15 इन निर्देशों पर विशेष ध्यान दो, इनमें लीन हो जाओ कि तुम्हारी उन्नति सब पर प्रकट हो जाए. 16 अपना और सिद्धान्त-शिक्षा का पूरी शक्ति से ध्यान रखो. इसमें लगातार चौकस रहो क्योंकि तुम ऐसा करने के द्वारा दोनों का उद्धार निश्चित करोगे—स्वयं अपना तथा अपने सुननेवालों का.

कलीसियापालवृत्ति सम्बन्धी निर्देश

अपने से अधिक उम्र के व्यक्ति को अपमान के भाव से न डाँटो किन्तु उसे पिता मानकर उससे विनती करो. अपने से कम उम्र के व्यक्ति को भाई, अधिक उम्र की स्त्रियों को माता तथा कम उम्र की स्त्रियों को निर्मल भाव से बहन मानो.

विधवाओं सम्बन्धी निर्देश

असमर्थ विधवाओं का सम्मान करो. परन्तु यदि किसी विधवा के पुत्र-पौत्र हों तो वे सबसे पहिले अपने ही परिवार के प्रति अपने कर्तव्य-पालन द्वारा परमेश्वर के भक्त होना सीखें तथा अपने माता-पिता के उपकारों का फल दें क्योंकि परमेश्वर को यही भाता है. वह, जो वास्तव में विधवा है तथा जो अकेली रह गई है, परमेश्वर पर ही आश्रित रहती है और दिन-रात परमेश्वर से विनती तथा प्रार्थना करने में लवलीन रहती है. वह विधवा, जिसकी जीवनशैली निर्लज्जता भरी है, जीते जी मरी हुई है. तुम उन्हें ऊपर बताए गए निर्देश भी दो कि वे प्रशंसनीय रहें. यदि कोई अपने परिजनों, विशेषकर अपने परिवार की चिन्ता नहीं करता है, उसने विश्वास का त्याग कर दिया है और वह अविश्वासी व्यक्ति से भी तुच्छ है.

उसी विधवा का पंजीकरण करो जिसकी आयु साठ वर्ष से अधिक हो तथा जिसका एक ही पति रहा हो; 10 जो अपने भले कामों के लिए सुनाम हो; जिसने अपनी सन्तान का उत्तम पालन-पोषण किया हो; आतिथ्य सत्कार किया हो; पवित्र लोगों के चरण धोए हों; दीन-दुःखियों की सहायता की हो तथा सब प्रकार के भले कामों में लीन रही हो.

11 तुलना में कम आयु की विधवाओं के नाम न लिखना क्योंकि कामवासना प्रबल होने पर वे मसीह से दूर हो दूसरे विवाह की कामना करने लगेंगी. 12 न्याय-दण्ड ही उनकी नियति होगी क्योंकि उन्होंने पंजीकरण से सम्बन्धित अपनी पूर्व शपथ तोड़ दी है. 13 इसके अलावा वे आलसी रहने लगती हैं तथा घर-घर घूमा करती हैं. वे न केवल आलसी रहती हैं परन्तु बाकियों के कामों में हस्तक्षेप करती तथा दूसरों की बुराई में आनन्द लेती हैं, तथा वे बाते बोलती है, जो उन्हें नहीं बोलनी चाहिये. 14 इसलिए मैं चाहता हूँ कि कम आयु की विधवाएँ विवाह करें, सन्तान उत्पन्न करें, गृहस्थी सम्भालें तथा विरोधियों को निन्दा का कोई अवसर न दें. 15 कुछ हैं, जो पहले ही मुड़कर शैतान की शिष्य बन चुकी हैं.

16 यदि किसी विश्वासी परिवार में आश्रित विधवाएँ हैं तो वही उसकी सहायता करे कि उसका बोझ कलीसिया पर न पड़े, कि कलीसिया ऐसों की सहायता कर सके, जो वास्तव में असमर्थ हैं.

प्राचीन सम्बन्धी निर्देश

17 जो कलीसिया के प्राचीन अपनी ज़िम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वाह करते हैं, वे दुगने सम्मान के अधिकारी हैं विशेषकर वे, जो वचन सुनाने में तथा शिक्षा देने के काम में परिश्रम करते हैं. 18 पवित्रशास्त्र का लेख है: दवनी करते बैल का मुँह मत बांधो, तथा मज़दूर अपने मज़दूरी का हकदार है. 19 किसी भी कलीसिया-प्राचीन के विरुद्ध दो या तीन गवाहों के बिना कोई भी आरोप स्वीकार न करो. 20 वे, जो पाप में लीन हैं, सबके सामने उनकी उल्लाहना करो, जिससे कि अन्य लोगों में भय रहे.

21 मैं परमेश्वर, मसीह येशु तथा चुने हुए स्वर्गदूतों के सामने तुम्हें यह ज़िम्मेदारी सौंपता हूँ कि बिना किसी पक्षपात के इन आदेशों का पालन करो. पक्षपात के भाव में कुछ भी न किया जाए.

22 किसी को दीक्षा देने में उतावली न करो. अन्यों के पाप में सहभागी न हो जाओ. स्वयं को पवित्र बनाए रखो.

23 अब से सिर्फ जल ही तुम्हारा पेय न रहे परन्तु अपने उदर तथा बार-बार हो रहे रोगों के कारण थोड़ी मात्रा में दाखरस का सेवन भी करते रहना.

24 कुछ व्यक्तियों के पाप प्रकट हैं और उनके पाप पहले ही न्याय-प्रक्रिया तक पहुँच जाते हैं, पर शेष के उनके पीछे-पीछे आते हैं. 25 इसी प्रकार अच्छे काम भी प्रकट हैं और जो नहीं हैं, वे छिपाए नहीं जा सकते.

दासों को निर्देश

वे सभी दास, जो दासत्व के जुए में जुते हुए हैं, अपने-अपने स्वामियों को सब प्रकार से आदर योग्य समझें जिससे कि हमारे परमेश्वर की प्रतिष्ठा तथा हमारी शिक्षा प्रशंसनीय बनी रहे. जिन के स्वामी विश्वासी हैं, वे अपने स्वामियों का अपमान न करें कि अब तो वे उनके समान साथी विश्वासी हैं. वे अब उनकी सेवा और भी अधिक मन लगाकर करें क्योंकि वे, जो सेवा से लाभ उठा रहे हैं, साथी विश्वासी तथा प्रिय हैं. उन्हें इन्हीं सिद्धान्तों की शिक्षा दो तथा इनके पालन की विनती करो.

वास्तविक तथा झूठे शिक्षक

यदि कोई इससे अलग शिक्षा देता है तथा हमारे प्रभु मसीह येशु के यथार्थ सन्देश तथा परमेश्वर की भक्ति की शिक्षा से सहमत नहीं होता, वह अभिमानी है, अज्ञानी है तथा उसे बिना मतलब के वाद-विवाद व शब्दों के युद्ध का रोग है, जिसके परिणामस्वरूप जलन, झगड़े, दूसरों की बुराई, बुरे संदेह तथा बिगड़ी हुई बुद्धि और सच से अलग व्यक्तियों में व्यर्थ झगड़े उत्पन्न हो जाते है. ये वे हैं, जो परमेश्वर की भक्ति को कमाई का साधन समझते हैं.

परन्तु सन्तोष भरी परमेश्वर की भक्ति स्वयं में एक अद्भुत धन है क्योंकि हम इस संसार में कुछ भी लेकर नहीं आए हैं, इसलिए हम यहाँ से कुछ ले जा भी न सकेंगे. हम इसी में सन्तुष्ट रहेंगे कि हमारे पास भोजन तथा वस्त्र हैं. जो धनी बनने के अभिलाषी हैं, वे परीक्षा, फन्दें और अनेक मूर्खता भरे व हानिकारक लालसाओं में पड़ जाते हैं, जो उन्हें पतन और विनाश के गर्त में ले डुबाती हैं. 10 धन का लालच हर एक प्रकार की बुराई की जड़ है. कुछ इसी लालच में विश्वास से भटक गए तथा इसमें उन्होंने स्वयं को अनेक दुःखों से छलनी कर लिया है.

तिमोथियॉस को उसकी सेवकाई की दोबारा याद दिलाना

11 परन्तु तुम, जो परमेश्वर के सेवक हो, इन सब से दूर भागो तथा सच्चाई, परमेश्वर भक्ति, विश्वास, प्रेम, धीरज तथा विनम्रता का पीछा करो. 12 अपने विश्वास का कठिन संघर्ष करो, उस अनन्त जीवन को थामे रखो, जिसके लिए परमेश्वर ने तुम्हे बुलाया और जिसे तुमने अनेक गवाहों के सामने अंगीकार किया है. 13 सारी सृष्टि के पिता तथा मसीह येशु को, जो पोन्तियॉस पिलातॉस के सामने अच्छे गवाह साबित हुए, उपस्थित जान कर मैं तुम्हें निर्देश देता हूँ: 14 हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन तक इस आज्ञा को निष्कलंक और निर्दोष बनाए रखो: 15 जो ठीक समय पर परमेश्वर के द्वारा पूरा होगा—परमेश्वर, जो धन्य व एकमात्र अधिपति, राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु हैं. 16 सिर्फ वही अमर्त्य हैं, जिनका वास अपार ज्योति में है. जिन्हें किसी ने न तो कभी देखा है और न ही देख सकता है. उनकी महिमा और प्रभुता निरन्तर रहे. आमेन.

धनी विश्वासी

17 संसार के धनवानों को आदेश दो कि वे घमण्ड़ न करें और अपनी आशा नाशमान धन पर नहीं, परन्तु परमेश्वर पर रखें, जो हमारे उपभोग की हर एक वस्तु बहुतायत में देते हैं. 18 उन्हें भले काम करने, अच्छे कामों का धनी हो जाने तथा दान देनेवाले व उदार बनने की आज्ञा दो. 19 इस प्रकार वे इस धन का खर्च अपने आनेवाले जीवन की नींव के लिए करेंगे कि वे उस जीवन को, जो वास्तविक है, थामे रह सकें.

अन्तिम आज्ञा व समापन

20 तिमोथियॉस! उस धरोहर की रक्षा करो, जो तुम्हें सौंपी गई है. जो बातें आत्मिक नहीं, व्यर्थ बातचीत और उन बातों के ज्ञान से उपजे विरोधी तर्कों से दूर रहो, 21 जिसे स्वीकार कर अनेक अपने मूल विश्वास से भटक गए.

तुम पर अनुग्रह होता रहे.

पौलॉस की ओर से, जो मसीह येशु में उस जीवन की प्रतिज्ञा के अनुसार, परमेश्वर की इच्छा के द्वारा मसीह येशु का प्रेरित है,

प्रिय पुत्र तिमोथियॉस को:

हमारे पिता परमेश्वर और मसीह येशु, हमारे प्रभु की ओर से अनुग्रह, कृपा और शान्ति मिले.

मैं रात-दिन अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें याद करते हुए परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ, जिनकी सेवा मैं शुद्ध विवेक से उसी प्रकार करता हूँ, जैसे मेरे पूर्वज करते थे. तुम्हारे आँसुओं का याद करते हुए मुझे तुमसे मिलने की लालसा होती है कि मेरा आनन्द पूरा हो जाए. मुझे तुम्हारा निष्कपट विश्वास याद आता है, जो सबसे पहिले तुम्हारी नानी लोइस तथा तुम्हारी माता यूनिके में मौजूद था, और जो निश्चित ही तुममें भी मौजूद है.

तिमोथियॉस को परमेश्वर द्वारा दी गई क्षमताओं की दोबारा याद दिलाना

यही कारण है कि मैं तुम्हें याद दिला रहा हूँ कि परमेश्वर द्वारा दी गई उस क्षमता को पुनर-ज्वलित करो, जो तुम पर मेरे हाथ रखने के द्वारा तुममें थी. यह इसलिए कि परमेश्वर ने हमें भय की नहीं परन्तु सामर्थ, प्रेम तथा आत्म-अनुशासन का मन दिया है.

इसलिए न तो हमारे प्रभु के विषय में गवाही देने में और न मुझ से, जो उनके लिए बन्दी हूँ, लज्जित होना परन्तु परमेश्वर द्वारा दी गई सामर्थ्य के अनुसार ईश्वरीय सुसमाचार के लिए कष्ट उठाने में मेरे साथ शामिल हो जाओ. परमेश्वर ने ही हमें उद्धार प्रदान किया तथा पवित्र जीवन के लिए हमें बुलाया है—हमारे कामों के आधार पर नहीं परन्तु सनातन काल से मसीह में हमारे लिए आरक्षित अपने ही उद्धेश्य तथा अनुग्रह के अन्तर्गत. 10 इस अनुग्रह की अभिव्यक्ति अब हमारे उद्धारकर्ता मसीह येशु के प्रकट होने के द्वारा हुई है, जिन्होंने एक ओर तो मृत्यु को नष्ट किया तथा दूसरी ओर ईश्वरीय सुसमाचार के द्वारा जीवन तथा अमरता को प्रकाशित किया. 11 इसी ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं प्रचारक, प्रेरित तथा शिक्षक चुना गया. 12 यही कारण है कि मैं ये यातनाएँ भी सह रहा हूँ किन्तु यह मेरे लिए लज्जास्पद नहीं है क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैंने किन में विश्वास किया है तथा मुझे यह पूरा निश्चय है कि वह उस दिन तक मेरी धरोहर की रक्षा करने में पूरी तरह सामर्थी हैं.

13 जो सच्ची शिक्षा तुमने मुझसे प्राप्त की है, उसे उस विश्वास और प्रेम में, जो मसीह येशु में बसा है, अपना आदर्श बनाए रखो. 14 पवित्रात्मा के द्वारा, जिनका हमारे भीतर वास है, उस अनुपम धरोहर की रक्षा करो.

15 तुम्हें यह मालूम ही है कि आसिया प्रदेश के सभी विश्वासी मुझ से दूर हो गए हैं. उनमें फ़िगेलस तथा हरमोगेनेस भी हैं.

16 ओनेसिफ़ोरस के परिवार पर प्रभु कृपा करें. उसने बहुधा मुझमें नई स्फूर्ति का संचार किया है. मेरी बेड़ियाँ उसके लिए लज्जा का विषय नहीं थीं. 17 जब वह रोम नगर में था, उसने यत्नपूर्वक मुझे खोजा और मुझसे भेंट की. 18 इफ़ेसॉस नगर में की गई उसकी सेवाओं से तुम भली-भांति परिचित हो. प्रभु करें कि उस दिन उसे प्रभु की कृपा प्राप्त हो!

कठिनाइयों का सामना करने के विषय में निर्देश

इसलिए, हे पुत्र, मसीह येशु में मिले अनुग्रह में बलवान हो जाओ. उन शिक्षाओं को, जो तुमने अनेकों गवाहों की उपस्थिति में मुझसे प्राप्त की हैं, ऐसे विश्वासयोग्य व्यक्तियों को सौंप दो, जिनमें बाकियों को भी शिक्षा देने की क्षमता है. मसीह येशु के अच्छे योद्धा की तरह मेरे साथ दुःखों का सामना करो. कोई भी योद्धा रणभूमि में दैनिक जीवन के झंझटों में नहीं पड़ता कि वह योद्धा के रूप में अपने भर्ती करनेवाले को संतुष्ट कर सके. इसी प्रकार यदि कोई अखाड़े की प्रतियोगिता में भाग लेता है किन्तु नियम के अनुसार प्रदर्शन नहीं करता, विजय-पदक प्राप्त नहीं करता. यह सही ही है कि परिश्रमी किसान उपज से अपना हिस्सा सबसे पहिले प्राप्त करे. मेरी शिक्षाओं पर विचार करो. प्रभु तुम्हें सब विषयों में समझ प्रदान करेंगे.

उस ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार, जिसका मैं प्रचारक हूँ, मरे हुओं में से जीवित, दाविद के वंशज मसीह येशु को याद रखो. उसी ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं कष्ट सह रहा हूँ, यहाँ तक कि मैं अपराधी जैसा बेड़ियों में जकड़ा गया हूँ—परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं किया जा सका. 10 यही कारण है कि मैं उनके लिए, जो चुने हुए हैं, सभी कष्ट सह रहा हूँ कि उन्हें भी वह उद्धार प्राप्त हो, जो मसीह येशु में मिलता है तथा उसके साथ अनन्त महिमा भी.

11 यह बात सत्य है:

यदि उनके साथ हमारी मृत्यु हुई है तो
    हम उनके साथ जीवित भी होंगे;
12 यदि हम धीरज धारण किए रहें तो हम उनके साथ शासन भी करेंगे,
    यदि हम उनका इनकार करेंगे तो वह भी हमारा इनकार करेंगे.
13 हम चाहे सच्चाई पर चलना त्याग दें किन्तु वह विश्वासयोग्य रहते हैं क्योंकि वह अपने सच्चाई पर चलने के स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते.

14 उन्हें इन विषयों की याद दिलाते रहो. परमेश्वर की उपस्थिति में उन्हें चेतावनी दो कि वे शब्दों पर वाद-विवाद न किया करें. इससे किसी का कोई लाभ नहीं होता परन्तु इससे सुननेवालों का विनाश ही होता है. 15 सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाते हुए परमेश्वर के ऐसे ग्रहण योग्य सेवक बनने का पूरा प्रयास करो, जिसे लज्जित न होना पड़े. 16 सांसारिक और व्यर्थ की बातचीत से दूर रहो, नहीं तो सांसारिकता बढ़ती ही जाएगी 17 और इस प्रकार की शिक्षा सड़े घाव की तरह फैल जाएगी. ह्यूमैनेऑस तथा फ़िलेतॉस इसी के समर्थकों में से हैं, 18 जो यह कहते हुए सच से भटक गए कि पुनरुत्थान तो पहले ही हो चुका. इस प्रकार उन्होंने कुछ को विश्वास से अलग कर दिया है. 19 फिर भी परमेश्वर की पक्की नींव स्थिर है, जिस पर यह मोहर लगी है: “प्रभु उन्हें जानते हैं, जो उनके हैं.” तथा “हर एक, जिसने प्रभु को अपनाया है, अधर्म से दूर रहे.”

20 एक सम्पन्न घर में केवल सोने-चांदी के ही नहीं परन्तु लकड़ी तथा मिट्टी के भी बर्तन होते हैं—कुछ अच्छे उपयोग के लिए तथा कुछ अनादर के लिए. 21 इसलिए जो व्यक्ति स्वयं को इस प्रकार की गंदगी से साफ़ कर लेता है, उसे अच्छा, अलग किया हुआ, स्वामी के लिए उपयोगी तथा हर एक भले काम के लिए तैयार किया हुआ बर्तन माना जाएगा.

22 जवानी की अभिलाषाओं से दूर भागो तथा उनकी संगति में धार्मिकता, विश्वास, प्रेम और शान्ति का स्वभाव करो, जो निर्मल हृदय से परमेश्वर को पुकारते हैं 23 मूर्खता तथा अज्ञानतापूर्ण विवादों से दूर रहो; यह जानते हुए कि इनसे झगड़ा उत्पन्न होता है. 24 परमेश्वर के दास का झगड़ालू होना सही नहीं है. वह सब के साथ कृपालु, निपुण शिक्षक, अन्याय की स्थिति में धीरजवन्त हो, 25 जो विरोधियों को नम्रतापूर्वक इस सम्भावना की आशा में समझाए कि क्या जाने परमेश्वर उन्हें सत्य के ज्ञान की प्राप्ति के लिए पश्चाताप की ओर भेजें. 26 वे सचेत हो जाएँ तथा शैतान के उस फन्दे से छूट जाएँ जिसमें उसने उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जकड़ रखा है.

यह समझ लो कि अन्तिम दिन कष्ट देने वाला समय होगा. मनुष्य स्वार्थी, लालची, ड़ींगमार, अहंकारी, परमेश्वर की निन्दा करनेवाला, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाला, दया रहित, अपवित्र, निर्मम, क्षमा रहित, दूसरों की बुराई करने वाला, असंयमी, कठोर, भले का बैरी, विश्वासघाती, ढ़ीठ, घमण्ड़ी तथा परमेश्वर भक्त नहीं परन्तु सुख-विलास के चाहनेवाले होंगे. उनमें परमेश्वर भक्ति का स्वरूप तो दिखाई देगा किन्तु इसका सामर्थ्य नहीं. ऐसे लोगों से दूर रहना.

इन्हीं में से कुछ वे हैं, जो घरों में घुस कर निर्बुद्धि स्त्रियों को अपने वश में कर लेते हैं, जो पापों में दबी तथा विभिन्न वासनाओं में फँसी हुई हैं. वे सीखने का प्रयास तो करती हैं किन्तु सच्चाई के सारे ज्ञान तक पहुँच ही नहीं पातीं. जिस प्रकार यान्नेस तथा याम्ब्रेस ने मोशेह का विरोध किया था, उसी प्रकार ये भ्रष्ट बुद्धि के व्यक्ति सच का विरोध करते हैं. बनावटी है इनका विश्वास. यह सब अधिक समय तक नहीं चलेगा क्योंकि उन दोनों के समान उनकी मूर्खता सबके सामने प्रकाश में आ जाएगी.

10 तुमने मेरी शिक्षा, स्वभाव, उद्धेश्य, विश्वास, सताए जाने के समय, प्रेम तथा धीरज और सहनशीलता का भली-भांति अनुसरण किया है 11 तथा तुम्हें मालूम है कि अन्तियोख़, इकोनियॉन तथा लुस्त्रा नगरों में मुझ पर कैसे-कैसे अत्याचार हुए, फिर भी उन सभी में से प्रभु ने मुझे निकाला है. 12 यह सच है कि वे सभी, जो मसीह येशु में सच्चाई का जीवन जीने का निश्चय करते हैं, सताए ही जाएँगे 13 परन्तु दुष्ट तथा बहकानेवाले छल करते और स्वयं छले जाते हुए लगातार विनाश के गड्ढे में गिरते जाएँगे. 14 किन्तु तुम स्वयं उन शिक्षाओं में, जो तुमने प्राप्त कीं तथा जिनकें विषय में तुम आश्वस्त हो चुके हो, स्थिर रहो, यह याद रखते हुए कि किन्होंने तुम्हें ये शिक्षाएं दी हैं. 15 यह भी कि बचपन से तुम पवित्र अभिलेखों से परिचित हो, जो तुम्हें वह बुद्धिमता देने में समर्थ हैं, जिससे मसीह येशु में विश्वास के द्वारा उद्धार प्राप्त होता है. 16 सारा पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है. यह शिक्षा देने, गलत धारणाओं का विरोध करने, दोष-सुधार तथा धार्मिकता की शिक्षा के लिए सही है 17 कि परमेश्वर का जन पूरी तरह से हर एक अच्छे कार्य के लिए सुसज्जित पाया जाए.

मैं परमेश्वर तथा मसीह येशु की उपस्थिति में, जो जीवितों तथा मरे हुओं का न्याय करेंगे तथा उनके दोबारा आगमन तथा उनके राज्य के विषय को ध्यान में रखते हुए तुम्हें चेतावनी देता हूँ: वचन का प्रचार करो. समय अनुकूल हो या प्रतिकूल, हमेशा तैयार रहो, अत्यन्त धीरज के साथ तथा शिक्षा के लक्ष्य से गलत धारणाओं का विरोध करो, कर्तव्य का अहसास कराओ तथा प्रोत्साहित करो, क्योंकि एक ऐसा समय आएगा जब वे खरी शिक्षाओं को सह न सकेंगे. वे अपनी लालसा पूरी करने के लिए ऐसे उपदेशकों को इकट्ठा करेंगे, जो उन्हें सिर्फ कानों को अच्छा लगने वाले उपदेश देंगे. एक ओर तो वे सच्चाई से कान फेर लेंगे तथा दूसरी ओर कहानियों पर ध्यान लगाएँगे परन्तु तुम इन सब विषयों में सावधान रहना; कठिनाइयाँ सह लेना; ईश्वरीय सुसमाचार के प्रचारक का काम करना; अपनी सेवकाई को पूरा करना.

मैं अर्घ (पेय-यज्ञ) के समान उण्डेला जा चुका हूँ, मेरे जाने का समय आ चुका है. मेरा संघर्ष सार्थक रहा है. मैंने अपनी दौड़ पूरी कर ली है. मैंने दृढ़तापूर्वक विश्वास को थामे रखा है. भविष्य में मेरे लिए धार्मिकता का मुकुट सुरक्षित है, जो न्याय करनेवाले प्रभु मुझे उस दिन देंगे—मुझे ही नहीं परन्तु उन सब को भी, जो उनके दोबारा आगमन की बड़ी आशा से प्रतीक्षा कर रहे हैं.

पौलॉस की स्थिति

तुम जल्द से जल्द मेरे पास आने का पूरा प्रयास करो 10 क्योंकि देमॉस ने आधुनिक युग के आकर्षण में मुझे त्याग कर थेस्सलोनिकेयुस नगर जाना सही समझा है. क्रेसकेस गलातिया नगर और तीतॉस दालमतिया नगर गए हुए हैं. 11 केवल लूकॉस मेरे साथ हैं. आते हुए मारकास को अपने साथ ले आना क्योंकि वह सेवकाई में मेरे लिए उपयोगी है. 12 मैंने तुख़िकॉस को इफ़ेसॉस नगर भेज दिया है. 13 वह अंगरखा, जो मैं त्रोऑस नगर में छोड़ आया था, साथ लेते आना, साथ ही वे ग्रन्थ भी, विशेषत: चर्मपत्र.

14 अलेक्सान्दर ठठेरे ने मेरी बड़ी हानि की है. परमेश्वर उसे उसके कामों के अनुसार प्रतिफल प्रदान करें. 15 तुम स्वयं भी उससे सावधान रहो क्योंकि उसने हमारी शिक्षा का कड़ा विरोध किया था.

16 मेरी पहिली सुनवाई के समय कोई मेरे साथ नहीं था—सबने मुझे त्याग दिया; इसके लिए उन्हें दोषी न माना जाए. 17 प्रभु मेरे साथ थे तथा उन्होंने मुझे सामर्थ्य दी कि मेरे द्वारा सन्देश की घोषणा पूरी तरह सम्पन्न हो जाए तथा सब अन्यजाति इसे सुन सकें. मैं सिंह के मुख से बचा लिया गया. 18 प्रभु मुझे हर एक बुराई से उबारेंगे तथा अपने स्वर्गीय राज्य में सुरक्षित ले जाएँगे. उनकी महिमा युगानुयुग हो. आमेन.

अन्तिम नमस्कार

19 प्रिस्का व अकुल्ला को तथा ओनेसिफ़ोरस के परिवार को मेरा नमस्कार. 20 एरास्तस अब तक कोरिन्थ नगर में ही है परन्तु त्रोफ़िमस की बीमारी के कारण उसे मिलेतुस नगर में छोड़ना पड़ा. 21 जाड़े के पहले ही आने का पूरा प्रयास करना. तुम्हें यूबूलस का नमस्कार, साथ ही पुदेन्स, लीनोस, क्लौदिआ तथा सभी विश्वासियों को भी नमस्कार.

22 परमेश्वर तुम्हारी आत्मा के साथ हों. तुम पर अनुग्रह बना रहे.

विश्वास की सहभागिता में मेरे सच्चे पुत्र तीतॉस को परमेश्वर के दास तथा मसीह येशु के प्रेरित पौलॉस की ओर से, जिन्हें परमेश्वर के चुने हुओं के विश्वास तथा उनके सत्य के ज्ञान के लिए, जो अनन्त जीवन की आशा में परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार है, जिस अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा सनातन से ही परमेश्वर द्वारा की गई, जो कभी झूठ नहीं बोलते, अब जिनके ठहराए हुए समय पर इस आशा का सन्देश परमेश्वर हमारे उद्धारकर्ता की आज्ञा पर मुझे सौंपी गई प्रचार की सेवकाई द्वारा प्रकट किया गया है.

पिता परमेश्वर तथा मसीह येशु हमारे उद्धारकर्ता की ओर से,

तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिले.

कलीसिया-पुरनियों की नियुक्ति

मैंने तुम्हें क्रेते द्वीप में इसलिए छोड़ा था कि तुम वहाँ बचे हुए काम की पूरी व्यवस्था करो तथा हर एक नगर में मेरे अनुदेशानुसार ऐसे कलीसिया-पुरनियों की नियुक्ति करो, जो निर्दोष तथा एक पत्नी के पति हों, जिनकी सन्तान विश्वासी हो तथा जिन पर कामुकता और निरंकुशता का आरोप न हो. परमेश्वर द्वारा चुने हुए प्रबन्धक के रूप में भण्ड़ारी का निर्दोष होना ज़रूरी है, न कि हठी, क्रोधी, मदिरा पीने वाला, झगड़ालू या लालची. वह अतिथि-सत्कार करनेवाला, सब प्रकार की उचित बातों का समर्थक, विवेकशील, न्यायी, पवित्र तथा ऐसा हो जिसने अपनी इंद्रियों को अपने वश में कर लिया हो. वह उस विश्वसनीय सन्देश पर स्थिर रहे, जो सिद्धान्त शिक्षा के अनुकूल है कि वह खरी शिक्षा का उपदेश कर इसके विरोधियों का मुँह बंद कर सके.

झूठे शिक्षकों का प्रतिकार

10 अनेक लोग निरंकुश, बकवादी और कपटी हैं, विशेषकर वे, जो ख़तना समर्थक हैं. 11 इनका मुख बन्द करना अत्यावश्यक है क्योंकि ये नीच कमाई के लाभ के लिए गलत शिक्षा दे कर घर के घर उजाड़ रहे हैं. 12 उन्हीं में से एक ने, जो उनका अपना तथाकथित भविष्यद्वक्ता है, कहा है, “क्रेतेवासी हमेशा ही झूठे, दुष्ट पशु और आलसी पेटू रहे हैं.” 13 यह घोषणा सच है. इसलिए उन्हें कड़ी फटकार लगाना, कि वे विश्वास में स्थिर बने रहें 14 और यहूदियों की काल्पनिक कहानियों और सच से दूर हो गए व्यक्तियों के आदेशों की ओर ध्यान न दें.

15 निर्मल व्यक्ति के लिए सब वस्तुएं निर्मल हैं किन्तु वे, जो भ्रष्ट हैं तथा विश्वास नहीं करते, उनके लिए निर्मल कुछ भी नहीं है. उनके मन तथा विवेक दोनों ही अशुद्ध हैं. 16 वे परमेश्वर को जानने का दावा तो अवश्य करते हैं परन्तु उनके काम इसे गलत साबित करते हैं. वे घृणित, अवज्ञाकारी और किसी भी भले काम के योग्य नहीं हैं.

किन्तु तुम्हारे लिए सही यह है कि तुम ऐसी शिक्षा दो, जो खरे उपदेश के अनुसार है. बुज़ुर्ग पुरुष संयमी, सम्मानीय, विवेकशील तथा विश्वास, प्रेम व धीरज में अटल हों.

इसी प्रकार बुज़ुर्ग स्त्रियाँ भी सम्मानीय हों. वे न तो दूसरों की बुराई करनेवाली हों और न मदिरा पीने वाली हों, परन्तु वे अच्छी बातों की सिखानेवाली हों कि वे युवतियों को प्रेरित करें कि वे अपने पति तथा अपनी सन्तान से प्रेम करें और वे विवेकशील, पवित्र, सुघड़ गृहणी व सुशील हों और अपने-अपने पति के अधीन रहें, जिससे परमेश्वर के वचन की निन्दा न हो.

युवकों को विवेकशील होने के लिए प्रोत्साहित करो. हर एक क्षेत्र में तुम भले कामों में आदर्श माने जाओ. खरी शिक्षा सच्चाई और गम्भीरता में दी जाए. तुम्हारी बातचीत के विषय में कोई बुराई न कर सके कि तुम्हारे विरोधी लज्जित हो जाएँ तथा उनके सामने हमारे विरोध में कुछ भी कहने का विषय न रहे.

दासों को सिखाओ कि हर एक परिस्थिति में वे अपने-अपने स्वामियों के अधीन रहें. वे उन्हें प्रसन्न रखें, उनसे वाद-विवाद न करें, 10 चोरी न करें, किन्तु स्वयं को विश्वासयोग्य प्रमाणित करें कि इससे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की शिक्षा की शोभा बन जाए.

11 सारी मानवजाति के उद्धार के लिए परमेश्वर का अनुग्रह प्रकट हुआ है, 12 जिसकी हमारे लिए शिक्षा है कि हम गलत कामों और सांसारिक अभिलाषाओं का त्याग कर इस युग में संयम, धार्मिकता और परमेश्वर-भक्ति का जीवन जिएँ 13 तथा अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता मसीह येशु की महिमा के प्रकट होने की सुखद आशा की प्रतीक्षा करें, 14 जिन्होंने स्वयं को हमारे लिए बलिदान कर हमें हर एक दुष्टता से छुड़ा कर, अपने लिए शुद्ध कर भले कामों के लिए उत्साही प्रजा बना लिया है.

15 अधिकारपूर्वक इन सब विषयों की शिक्षा देते हुए लोगों को समझाओ और प्रोत्साहित करो. इसमें कोई भी तुम्हें तुच्छ न जाने.

विश्वासियों के लिए सामान्य निर्देश

उन्हें याद दिलाओ कि वे हाकिमों तथा अधिकारियों के अधीन रहें, आज्ञाकारी रहें तथा हर एक भले काम के लिए तैयार रहें, किसी की बुराई न करें, झगड़ालू नहीं, कोमल स्वभाव के हों तथा सबके साथ विनम्र रहें.

कभी हम भी निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, गलत, भिन्न-भिन्न प्रकार के सुख-विलास के दास थे; बैर-भाव, जलन और घृणा के पात्र के रूप में एक दूसरे के प्रति घृणा में जी रहे थे. किन्तु जब परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता की कृपा तथा मानवजाति के प्रति उनका प्रेम प्रकट हुआ तो उन्होंने हमें उद्धार प्रदान किया—उन कामों के आधार पर नहीं जो हमने धार्मिकता में किए हैं परन्तु अपनी ही कृपा के अनुसार नए जन्म के स्नान तथा पवित्रात्मा के नवीकरण की निष्पत्ति में उसी पवित्रात्मा की पूर्ति में, जो उन्होंने हमारे उद्धारकर्ता मसीह येशु द्वारा बहुतायत में हम पर उण्डेल दिया कि उनके अनुग्रह के द्वारा हम धर्मी घोषित किए जाकर अनन्त जीवन की आशा के अनुसार वारिस बन जाएँ. ये बात विश्वास करने योग्य हैं.

और मैं चाहता हूँ कि तुम इन विषयों को निडरता से सिखाओ कि जिन्होंने परमेश्वर में विश्वास किया है, उनके मन उन कामों पर केन्द्रित हो जाएँ, जो सबके लिए आदर्श और लाभदायक हैं.

मूर्खता भरे विवादों, वंशावली सम्बन्धी झगड़े, व्यवस्था सम्बन्धी वाद-विवाद से दूर रहो क्योंकि ये निष्फल और व्यर्थ हैं. 10 झगड़ा करने वाले व्यक्ति को पहली और दूसरी बार चेतावनी देने के बाद उससे किसी भी प्रकार का सम्बन्ध न रखो, 11 यह जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति भटक गया और पाप में लीन हो गया है. वह अपने ऊपर स्वयं दण्ड-आज्ञा ठहरा रहा है.

अन्तिम निर्देश तथा आशीर्वचन

12 जब मैं आर्तेमास या तुख़िकस को तुम्हारे पास भेजूँ तो जल्द से जल्द मुझसे निकोपोलिस नगर में भेंट करने का प्रयास करना. मैंने जाड़ा वहाँ बिताने का निर्णय लिया है. 13 अपोल्लॉस और विधि-विशेषज्ञ ज़ेनॉस की यात्रा में हर प्रकार से सहायता करना कि उन्हें किसी प्रकार की कमी न हो. 14 साथी विश्वासी अच्छे कामों में जुट जाना सीखें कि रोज़ की ज़रूरतें पूरी हों और वे निष्फल न हो जाएँ.

15 उनकी ओर से, जो मेरे साथ हैं, नमस्कार तथा जो विश्वास के कारण हमसे प्रेम करते हैं, उनको नमस्कार.

तुम सब पर अनुग्रह बना रहे.

मसीह येशु के लिए बंदी पौलॉस तथा हमारे भाई तिमोथियॉस की ओर से,

हमारे प्रिय सहकर्मी फ़िलेमोन, हमारी बहन आप्फ़िया, हमारे साथी योद्धा आरखिप्पॉस और कलीसिया को, जो तुम्हारे घर में इकट्ठा होती है:

हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह व शान्ति प्राप्त हो.

आभार व्यक्ति तथा प्रार्थना

अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें याद करते हुए मैं हमेशा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ क्योंकि मैं प्रभु मसीह येशु तथा सभी पवित्र लोगों के प्रति तुम्हारे प्रेम और विश्वास के बारे में सुना करता हूँ. मेरी प्रार्थना है कि तुम्हारे विश्वास का सहभागी होना हर एक वरदान के स्पष्ट अहसास के द्वारा, जो तुम में मसीह के लिए है, प्रभावशाली हो. प्रियजन, तुम्हारी प्रेमभावना से मुझे बहुत आनन्द व प्रोत्साहन मिला है क्योंकि तुम्हारे कारण पवित्र लोगों के मन आनन्दित हुए हैं.

उनेसिमॉस के लिए विनती

यद्यपि मुझे मसीह में तुम्हें यह आज्ञा देने का अधिकार है कि तुम्हारा क्या करना सही है, मैं, मसीह येशु के लिए बन्दी बूढ़ा पौलॉस, प्रेमवश तुमसे इस समय मात्र विनती कर रहा हूँ. 10 मेरी विनती मेरे पुत्र उनेसिमॉस के सम्बन्ध में है, जो कारावास में मेरा आत्मिक पुत्र बन गया है, 11 जो इससे पहले तुम्हारे लिए किसी काम का न था किन्तु अब तुम्हारे और मेरे, दोनों के लिए बड़े काम का हो गया है; 12 उसे, जो अब मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं तुम्हारे पास वापस भेज रहा हूँ. 13 हालांकि मैं चाहता था कि उसे अपने पास ही रखूँ कि वह तुम्हारा स्थान लेकर ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मुझ बन्दी की सेवा करे 14 किन्तु मैंने तुम्हारी सलाह के बिना कुछ भी करना उचित न समझा कि तुम्हारी उदारता मजबूरीवश नहीं परन्तु अपनी इच्छा से हो. 15 क्योंकि वह तुमसे कुछ समय के लिए इसी कारण अलग हुआ कि तुम उसे हमेशा-हमेशा के लिए प्राप्त कर लो. 16 दास के रूप में नहीं परन्तु दास से ऊँचे एक प्रिय भाई के रूप में, विशेषकर मेरे लिए. वह मुझे तो अत्यन्त प्रिय है ही किन्तु मुझसे बढ़कर तुम्हें दोनों ही रूपों में—व्यक्ति के रूप में तथा प्रभु में भाई के रूप में.

17 इसलिए यदि तुम मुझे अपना सहभागी समझते हो तो मेरी विनती है कि तुम उसे ऐसे अपना लो जैसे तुमने मुझे अपनाया था. 18 यदि उसने किसी भी प्रकार से तुम्हारी कोई हानि की है या उस पर तुम्हारा कोई कर्ज़ है तो उसे मेरे नाम लिख देना. 19 मैं, पौलॉस, अपने हाथ से यह लिख रहा हूँ कि मैं वह कर्ज़ चुका दूँगा—मुझे तुम्हें यह याद दिलाना आवश्यक नहीं कि तुम्हारा सारा जीवन मेरा कर्ज़दार है. 20 प्रियजन, मेरी कामना है कि प्रभु में मुझे तुमसे यह सहायता प्राप्त हो और मेरा मन मसीह में आनन्दित हो जाए.

एक व्यक्तिगत विनती तथा आशीर्वचन

21 तुम्हारे आज्ञाकारी होने पर भरोसा करके मैं तुम्हें यह लिख रहा हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम मेरे कहे से कहीं अधिक करोगे. 22 इसके साथ ही मेरे घर का भी प्रबन्ध करो क्योंकि मुझे आशा है कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के उत्तर में मैं परमेश्वर द्वारा तुम्हें दोबारा लौटा दिया जाऊँगा.

23 मसीह येशु में मेरा साथी बन्दी इपाफ़्रास 24 तथा मेरे सहकर्मी मारकास, आरिस्तारख़ॉस, देमास और लूकॉस तुम्हें नमस्कार करते हैं.

25 प्रभु मसीह येशु का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे.

Saral Hindi Bible (SHB)

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